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महंगाई

महंगाई  जिसका आर्थिक नाम मुद्रास्फीति है समाज की शापित सच्चाई  अर्थव्यवस्था की डायन जो भारत देश के निम्न वर्ग, माध्यम वर्ग , शहरी मध्यम वर्ग तथा असंगठित उद्योगों से जुड़े  आम जन जो लगभग 100 करोड़ लोग इसकी चपेट में कसमसा रहे  है  इसके शिकंजे में है।

सरकारे कहती है अभी गर्मी इस कारण महंगाई है, अभी सर्दी है इस कारण महंगाई है लेकिन यह नहीं बताती कि ग़लत आर्थिक नीतियों का परिणाम है यह डायन महंगाई जो निरंतर है सरकार का महंगाई से निपटना टेडी खीर है, यह इतनी तेड़ी खीर है जिसका कोई हल नहीं मिल रहा, दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, इसके ठहरने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा, जैसे जैसे हम विकास की ओर अग्रसर हो रहे है वैसे वैसे समान की कीमतों में भी वृद्धि हो रही है, यदि यही तेजी रही तो निम्न , ओर माध्यम वर्ग का व्यक्ति तो महंगाई के नीचे दबकर ही मर जाएगा।

महंगाई
महंगाई

दिन ब दिन आपके पैसे की क्रय शक्ति कम हो रही है इस डायन के उत्पात से  घर परिवार  में बढ़ता तनाव  हर व्यक्ति दबाव में इसके लोग उधार अधिक ले रहे है मुनाफ़ाख़ोर ब्याजख़ोर ही पैसा कमा रहे है सरकारे सिर्फ़ पूँजीपतियों का कर्जा माफ़ कर रही है न कि किसानों का असंगठित उद्योगों का न आम जन का ।

यदि सरकार महंगाई पर नियंत्रण रखना चाहती ही तो आर्थिक तरीक़ा सकुचनकारी नीति  द्वारा बाँड्स की क़ीमत कम करके और ब्याज दरों के विस्तार से किया जाए, जब रंग चढ़ेगा तो माँग कम होगी तो क़ीमतों में गिरावट आएगी।

महंगाई द्योतक है अर्थव्यवस्था बीमार है और इस अर्थव्यवस्था को चलाने वाले प्रयोग करने वाले सही सोच के नहीं है यह दर्शाता है। यदि एह सरकार कीमतों को नियंत्रण करने की कोशिश करे तो सबकुछ संभव हो सकता है, आज युवा वर्ग ज्यादातर समान अनलाइन मांग रहा है, जिसकी वजह से भी मूल्यों में वृद्धि हो रही है, ओर बहुसंख्यक लोगों को कीमतों के असली मूल्य पता नहीं होते, बस वो एक दुकान पर देखते है ओर दूसरा online वही उनको कुछ फरक समझ आता है तो ठीक है वरना वो अनलाइन मंगा लेते है, लेकिन उसके पीछे के हकीकत को जाचने की कोशिश नहीं करते, बहुत सर समान अनलाइन नकली मिलता है, उदाहरण के तौर पर किताबे अधिकतर यूपीएससी की किताबे व एनसीईआरटी की किताबे आजकल नकली छपाई हो रही है ओर यही किताबे अनलाइन सस्ते दामों पर मिलती है, इनके ऊपर कोई कानूनन कार्यवाही नहीं हो रही, इसी तरह से दूसरी वस्तुए भी नकली बन रही , मिलावटी समान मिल रहा है, जिसकी वजह से कीमतों में वृद्धि हो रही है। समान महंगा हो रहा है।

मेरा कहना है महंगाई से सच्चाई से तभी पार पायेंगे जब सरकार सर्व शिक्षा गुणवक्ता वाली शिक्षा समाज को देने का अथक प्रयास करेंगी,  जिससे जिम्मदार समाज का विकास होगा और अपनी कथनी करनी में समानता और ईमानदारी से नैतिक और सामाजिक मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। हम सभी इस कार्य को दिल से करेंगे और पैसा का विस्तार सब और फैलायेगी असंगठित संगठित  उद्योगों में विकास में अपना सहयोग और पारखी नज़र रखेगी  नीति तथा नीयत ठीक होगी  तो सब संभव है, हम संकल्प ले इस डायन का ख़ात्मा करना है समाज को सच्ची उन्नति की राह पे लाना है।

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Shrink Flation

Shrink Flation क्या होता है? जब प्राइस मत बढ़ाओ , चीजों को छोटा कर दो , समान को आधा कर दिया जाए उसे Shrink Flation कहते है , Shrink Flation क्यों होता है ? – जब आपके आसपास बहुत स्पर्धा है, यदि आप प्राइस बढ़ देंगे तो आपका माल नहाई बिकेगा ओर दूसरी कॉम्पनी की सेल बढ़ने लग जाएगी और आपकी कम हो जाएगी , साथ ही कोस्ट बढ़ती है, एम्प्लोयी की सलेरी , उपकरण आदि की कारण बढ़ जाते है समान को बनाने में , एक प्रोडक्ट के पीछे कई और कंपनी भी खुल जाती है, अगर दूसरे लोग रेट नहीं बढ़ रहे तो हम कैसे बढ़ा सकते है इसलिए समान को आधा कर देते है।

क्या आप जानते है ? बिना प्राइस बढ़ाए भी प्रॉफ़िट कमाया जा सकता है, आइए जानते है आजकल बड़ी बड़ी कंपनी क्या करती है , प्रॉफ़िट को बढ़ाने के लिए यदि आप पार्ले जी का बिस्किट खाते है, तो आप देखेंगे की जो पिछले काफी सालों से पार्ले जी का बिस्किट आ रहा है उसका साइज़ अब छोटा हो गया है , लेकिन उसका दाम वही है वो नहीं बढ़ रहा लेकिन कुछ महीनों में ही बिस्किट कम हो जाते है।

कंपनी समान कम कर देती है लेकिन मूल्य उतना ही रखती है, इसी तरह हल्दीराम की नमकीन या कोलगेट, कपड़े धोने वाला विम बार 155 ग्राम से 135 कर दिया मात्र 6 महीने के भीतर ,OREO बिस्किट में व्हाइट क्रीम कम करदी साथ ही बिस्किट की संख्या भी कम , चिप्स के पैकेट में हवा बढ़ रही है, लेकिन चिप्स कम हो गए है , कई बार ये लोग साइज़ बढ़ा देते है लेकिन समान उतना ही होता है।

हमे लगता है ज्यादा होगा लेकिन होता नहीं है, बस उसका आकर्षण अधिक कर देते है जो बेचने में इन कॉम्पनी के आसानी कर देती है, आदि बहुत सारी खाने पीने का समान है जो लगातार समान कम हो रहा है, लेकिन कीमतों में वृद्धि नहीं हो रही है , लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है की मेंहगाई नहीं हो रही। यह बात हो गई आपकी FMCG के प्रोडक्ट की आप हम कुछ ओर चीजों को भी देखते है जिन लोगों ने अपनी सर्विस को।

जब आप पहले फोन खरीदेते दे तो आपको फोन के साथ चार्जर, ईर्फोन, पिन आदि डब्बा भी बहुत अच्छा होता था लेकिन अब कॉम्पनी भी मिलती थी साथ डब्बे की पॅकिंग , कवर ओर भी की अच्छी चीजे उसके साथ मिलती है, व डिब्बे की पॅकिंग भी अच्छी होती थी लेकिन अब कंपनी सिर्फ फोन ही देती है।

टेलीकॉम इंडस्ट्रीज़ ने 30 दिन से काम करके उसको अब 28 दिन कर कर दिया है यह पैसे उतने ही ले रहे है लेकिन दिनों में कमी कर रहे है।