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बहे जल की तरह

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..
जल प्राण कुशल क्षेम ।

जल की क्या आयु….
जब धरती जन्मी जन्मी वायु ।
जब मैं न था जल था….
मैं न रहूँगा तब भी चलेगी गाथा ।

धरती पर मुझ में तेरा भाग सतर प्रतिशत ….
तेरी महिमा चहु ओर नमन वंदन शत शत ।
जल जी आप को ढूँढने गये हे चाँद पर ….
मिले हो तुम उसकी सतह के भीतर ।

जल से ही धरती पे जीवन पनपा…..
सब जल से यह करिश्मा बरपा ।
सदा हाथ जोड़ के जल करे ग्रहण ….
तर जाएँगे रहे जल की शरण ।

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..

जीवन का अर्थ, जल में छिपा है,
जल ही जीवन, यह सच बतला है।
जल के बिना न जीवन हो सकता,
जल की भूमि पर ही सबका निवास है।

जल की महत्ता कोई न जाने,
अनजाने में हम उसे छेड़े जाते हैं।
पानी को बचाने की जरूरत है,
नहीं तो हमारा भविष्य खराब हो जाएगा।

बहता जल जीवन को धो देता है,
वृक्षों को जीवित रखता है।
फूलों को खिला देता है वह,
हरियाली को बनाए रखता है।

ताजगी देता है जल विरासत में,
सबको सुरक्षा और आनंद देता है।
जीवन की रक्षा करे हम सब,
पानी की बचत पर ध्यान देता है।

जल की बरसात देती है खुशियाँ,
उमंगों को भरती है वह।
दिलों में उत्साह भर जाती है,
जीवन को नया रंग देती है।

इसलिए बहे जल की तरह हमेशा,
प्यार और स्नेह से बहते रहें।
जल को बचाने का संकल्प लें,
जीवन को खुशहाली से जीने रहें।

पानी की बर्बादी

हमने पानी की बर्बादी करने के लिए बहुत सारे साधन बना लिए है जिनकी वजह से ऐसा लगता है हमारे आगे आने वाली पीढ़िया इन सब चीजों के लिए तरस जाएगी जिन चीजों का हम भोग बहुत नासमझी के साथ कर रहे है।

पानी को साफ करने की मशीन: अक्सर देखता हूँ आजकल हम सभी के घरों में पानी को साफ करने की मशीन लगी होती है, जैसे जैसे पानी साफ होता है, एक तरफ से गंदा पानी रिस रिस कर पाइप से निकलता जाता है , लेकिन उस पानी को कभी हम प्रयोग में नहीं लाते, होने को उस पानी का प्रयोग बर्तन धोने, कपड़े धोने आदि बहुत सारे कामों के लिए प्रयोग में ला सकते है।

लेकिन वो पानी बस यू ही बहता रहता है। और पानी की बर्बादी होती रहती है , आप सोच रहे है, यह बात सिर्फ आपकी 2 बाल्टी पानी की है उससे क्या होगा जरा सोचिए जिनके घर पानी साफ करने की मशीन नहीं ओर जो लोग पानी बाहर से मंगाते है, जब वो पानी के प्लांट वाला व्यापारी सफाई करता होगा पानी की, तो वह कितना पानी व्यर्थ में बहने दे रहा है। ओर हम कुछ भी नहीं कर रहे , ना ही सरकार इस और ध्यान दे रही है, ओर न हम आप सभी कार्यों को सरकार के भरोसे पर नहीं छोड़ सकते कुछ कार्य की जिम्मेदारी तो हमे स्वयं ही लेनी पड़ेगी।

छत पर रखी पानी की टंकी:  छत पर रखी पानी की टंकी भी भर जाती है, लेकिन वो पानी तो घंटों तक बहता हुआ ही दिखता है, कुछ लोग लगता है मोटर चलाकर बस भूल जाते है, ओर पानी बहता रहता है, ऐसा ही कुछ हमारी बिल्डिंग में भी होता है, शाम को पानी आता है, तो सभी अपना पानी भर लेते है एक पानी की टंकी लगभग 35 मिनट में भर जाती है 750 लीटर वाली यदि पूरी खाली है तो , लेकिन वो 35 मिनट उनके पूरी रात में बदल जाते है लेकिन मोटर नहीं बंद होती , यदि टंकी छत पर है तो वो छत भी एक दिन कमजोर हो ही जाएगी , उसमे से भी एक दिन पानी रिस रिस नीचे तक जाएगा, जिस तरह से पानी बहता है,

क्या हम उस पानी का इस्तेमाल गमलों की ओर नहीं कर सकते या अलार्म नहीं लगा सकते की पानी भर रहा है तो हमे याद रहे , हमे वो पता चल जाए की पानी की भर चुकी है अब बंद कर दीजिए। लेकिन ऐसा नहीं करते यह लोग पता नहीं क्या सोचकर पानी को इतना व्यर्थ कर रहे है।

हाल ही मैं एक दर्दनाक हादसा हुआ है, शिमला में पानी लगातार पहाड़ों से रिस रहा था उसका निकासी सिस्टम सही तरीके काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से पहाड़ खिसक रहे है, ओर बहुत भारी नुकसान पूरे हिमाचल को हुआ है। पूरा हिमाचल इस भूल का परिणाम भुगत रहा है फिर सोचिए हमारा एक छोटा सा घर जिसका हम ख्याल नहीं रख पा रहे है उसका क्या होगा? बड़ी मेहनत से बनता है एक घर पूरी उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में , यह जल हमारी प्राकृतिक सम्पदा है, इसे यू ही व्यर्थ में खर्च ना कीजिए इसका ध्यान रखना ही हमारी जिम्मेदारी है।