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जो जीवन बीत रहा

जो जीवन बीत रहा
अनमोल वचन

जो जीवन बीत रहा, सब अच्छा हे ……
जो चल रहा हे वो जीवन की कक्षा हे ।

कक्षा में अपना पाठ सही से करना याद,
कि सब अच्छा हे ……
सब सही करने की कोशिश सदा करते
रहना यही सच्ची शिक्षा हे।

जीवन की कक्षा में, हम सब साथ हैं,
चल रहे हैं हम, भाग्य के आगे हाथ हैं।
हर दिन नई सबक सीखें, ज्ञान की राह पर चलें,
अनुभवों के विश्व में, प्रगति की राह खोजें।

किताबों की पर्वत से ऊँचाईयों को छू लें,
जीवन के प्रश्नों के उत्तर, खुद ही ढूंढ लें।
मिटाएं अज्ञान की अँधेरी रातें,
ज्ञान के सूर्य के साथ उठें, जीने की ख्वाहिश लें।

गलतियों को स्वीकारें, सीखें उनसे सबक,
अनुभवों के द्वारा बढ़ें, बनें नये स्वयंश्रेष्ठ।
हर चरण पर आगे बढ़ें, करें नयी प्राथमिकता,
जीवन की कक्षा में आनंद से बिताएं हर पल विभुतिता।

यात्रा यह सुन्दर, जीवन की अनंत धारा,
कभी डगमगाएं, कभी नहीं थकें हारा।
सृजनशीलता से सजाएं, खुद को नवीन रूप दें,
जीवन की कक्षा में, खुद को सुंदरता से भरें।

हर मोड़ पर हैं सूरज के रंग के पंख,
विचारों की उड़ान से बदलें जीवन का दृष्टिकोण।
जीने का आनंद लें, सपनों को पंख दें,
जीवन की कक्षा में अपनी पहचान बनाएं।

जो जीवन बीत रहा, सब अच्छा है,
चल रहा है वो, जीवन की कक्षा है।
अपनी उड़ान भरें, सपनों को पाने की चाह है,
जीवन की कक्षा में बढ़ते जाएं, खुद को समर्पित करें पूरी तरह से।

जिंदगी की मसकक्त

मैं आज भी उस दौड़ का हिस्सा हूँ ,एक कहानी हूँ, एक किस्सा हूँ कभी भागता हूँ, कभी रुकता हूँ ,जिंदगी की मसकक्त से इंसान हूँ

बस न रुकता हूँ न थकता हूँ, जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और जीते जाओ सदा।
जीवन का सफर होता है थोड़ा मुश्किल,
पर चिंता मत करो और हर पल को मस्ती से जीते जाओ।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और मुस्कुराते जाओ सदा।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से होंगे हर पल झमेले,
पर चिंता मत करो और उमंग से जीते जाओ।
हर एक पल को खुशी से जीतो,
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा।

जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?

आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
 
सितम समझू या कुछ और समझू?
 
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??

लिखूं क्या अपनी दासता?
  बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
  है कोई ??
   जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
    मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
    जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
  लगता है तुमसे बात करूं
  चाहे एक बार करू
   लेकिन बात तो करू
   फिर ना जाने क्यों?
    मन कहता है कि
   बात अब क्या करूँ ?
   बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था  ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो  तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
  फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
   ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
   और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
   फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
    ये तो दिल है मेरा जो
    अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर


उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को

इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया     

जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया

इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह

कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना

यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना

लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
 छिपाऊँ भी कहाँ?

जिंदगी तेरे बिना

जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है और कुछ वैसी है जिंदगी

और जब  तू साथ है तो  लगता है कि कुछ है जिंदगी

हाल क्या बताऊँ ?

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है

बस मसक्कत से भरी है जिंदगी

जब 

तू दूर जाती है तो रूठ जाती है जिंदगी

तू पास आती है

 तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है ये जिंदगी 

गम ए छुपाये नहीं ये छुपता

लगता है बेमुरम्मद सी है जिंदगी

आंसुओ से आँखे भर भर जाती है

जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है

चिरागे रोशन तू  कर जाती है

 जब तू फिर से पास आती है

ना जाने 

क्यों जिंदगी तेरे बिना

बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी

लगता है कुछ फटेहाल सी है जिंदगी

लेकिन

जब तू पास होती है तो कमाल सी है जिंदगी

ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये  जिंदगी

इसलिए

तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर

वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी

अगर

तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी

तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है 

जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी

जिंदगी जिंदगी जिंदगी