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उन्ही से सीखा है

प्यार से बात करना और मुस्कुराना तो उन्ही से सीखा है वरना हमे कहाँ कभी प्यार और मुस्कुराना यह आया

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
कोई अनजान, बन गया हमारा यार,
उन्ही से सीखा है प्यार का सच्चा आदर।

जब रूठ जाती थी ज़िंदगी के रंग,
वो ही आते थे हमारे दिल के संग।
हंसते रहते थे हम उनके साथ,
प्यार की बातों में खो जाते थे रात।

सपनों की दुनिया में सफर कराते थे,
वो ही थे जो हमारी दिल की आरती उठाते थे।
जिस्म को छूने से पहले दिल को छू जाते थे,
वो ही थे जो हमारे दिल को बहुत समझाते थे।

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
उनके बिना यह ज़िंदगी कैसी होती,
प्यार और मुस्कान से जीने की ख़्वाहिश रोती।

वो हमेशा रहेंगे हमारे दिलों में,
प्यार और मुस्कान से भरे हमारे सपनों में।
जब भी याद आएंगे हम उनकी मुस्कान,
दिल में उठेगा प्यार का यही गान।

उन्ही से सीखा है
उनही से सीखा है

व्यस्त अपनी जिंदगी में

व्यस्त अपनी जिंदगी में सब है यहाँ, किसी को किसी की कोई परवाह नहीं है बस बेफिक्री है , किसको किसकी फिक्र है यहाँ , शहर तो अनजान नहीं था बस मतलब ने इस शहर को भी अनजान बना दिया है , देख कर भी लोग आंखे चुराते है उन्हे लगता है चोर है चोरी करकर खाते है।

सब व्यस्त है अपनी जिंदगी में

बेखबरी का जमाना है

खबर किसकी किसको यहाँ

जमाने भर की बात होती है लेकिन

जरूरत किसकी किसको यहाँ

सब अपना अपना मतलब सोचते है,

मतलब की दुनिया है मतलब से लोग खोजते है

किसी को किसीसे मतलब नहीं है यहाँ

किसी से किसी की मुलाकात हो बस इतनी सी बात है

तुम्हारा ख्याल

तुम्हारा ख्याल कुछ इस तरह से आना

ओर जिंदगी का बेहाल सा हो जाना

इन ख्यालों को रोकू कैसे

इन ख्यालों को टोकू कैसे

जरा सा रुक ओर ख्याल कर मेरा भी

हर बात में इन ख्यालों से सवाल कैसे

अगर ना पुछू तो जवाब कैसे

उखड़ा हुआ है कुछ कुछ

अब बिन बात के इन ख्यालों में बवाल कैसे

बस तेरा आना

तेरा जाना इन ख्यालों से दूरी बनाना

अब कैसे इन ख्यालों बिन खुद के साथ हो जाना

हर रोज कुछ नया

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में जिए जा रहा हूँ ,जीवन बहुत छोटा है, समय की बात है ये। इसी खुशी के साथ हर दिन मैं उठता हूँ,
जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मौकों की तलाश में।

हर रोज नए सपनों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई दिशा दें।
जो मेरे जीवन को नए आकार दें,
जो मेरे जीवन को नई उमंग दें।

हर रोज नए अनुभवों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई शक्ति दें।
जो मेरे जीवन रूढ़िवाद से मुक्त करें,
जो मेरे जीवन को नए दिशानिर्देश दें।

हर रोज मैं नई उमंगों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नया रूप दें।
जो मेरे जीवन को नया उत्साह दें,
जो मेरे जीवन को नयी दृष्टि दें।

हर दिन नए संभावनाओं की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई उड़ान दें।
जो मेरे जीवन को नई राह दिखाएं,
जो मेरे जीवन को नई नींव दें।

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में,
जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मौकों की तलाश में।
जीवन के सफर में जब भी मैं रुकता हूँ,
मैं उस नए की तलाश में ही रहता हूँ।

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में,
जीवन के सफ़र में नए रास्ते खोजते हुए।
जिस दिन बिना कुछ सीखे गुज़र जाता हूँ,
उस दिन का सफ़र बेकार माना जाता है।

हर सुबह उठते ही नयी उमंगों से भरा होता हूँ,
नए कामों की तलाश में अधिक सक्रिय बनते हुए।
जीवन के उतार-चढ़ावों में अपने आप से दोस्ती करता हूँ,
और नए स्वप्नों की तलाश में आगे बढ़ता हूँ।

हर रोज एक नया दौर शुरू करता हूँ,
नए साथियों की तलाश में आगे बढ़ता हुआ।
जीवन के साथ चलते हुए नए संघर्षों से लड़ता हूँ,
और अपने आप से नयी उंगलियों की तलाश में हुआ।

हर रोज जीवन के नए सारे रंगों को अपनाता हूँ,
नए अनुभवों की तलाश में नयी जिज्ञासा के साथ।
जीवन के प्रत्येक क्षण को अपने अंतर्दृष्टि से जोड़ता हूँ,
और खुशियों की तलाश में सदैव आगे बढ़ता हूँ।

हर रोज एक नया सपना देखता हूँ,
नए उद्देश्यों की तलाश में आगे बढ़ता हुआ।
जीवन की इस अनंत यात्रा में नए उलझनों से लड़ता हूँ,
और एक नए दिन की तलाश में सदैव आगे बढ़ता हूँ।

जिंदगी की नई बाते

कभी कबार ठहाके मार हसाती है जिंदगी कभी अपनी सुनाती है, तो कभी रुलाती भी है जिंदगी, बस यू ही हँसते-रोते गुजर जाती है यह जिंदगी

जिंदगी की नई बाते हैं,
हर दिन लाती हैं कुछ नयी रातें।
नए संगीत, नए सपने,
नए अरमान, नए जज़्बातें।

जिंदगी की नई नई बाते हैं,
हर पल लाती हैं कुछ नयी ज़िन्दगियां।
नए रिश्ते, नए मुकाम,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई बातें हैं,
हमें नए उड़ानों में उड़ने की तैयार करती हैं।
नए संघर्ष, नई चुनौतियाँ,
नए सफ़रों में हमें रोमांचित करती हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमें नए सफ़रों में ले जाती हैं।
नए दोस्त, नए रास्ते,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमेशा बदलती रहती हैं ये दुनिया।
पर हमें हमेशा आगे बढ़ना हैं,
नयी ऊंचाइयों को हमेशा हासिल करना हैं।

मनुष्य होना मेरा भाग्य

मनुष्य होना मेरा भाग्य..
आपसे जुड़ना मेरा सौभाग्य ।
आप से कुछ में सीखूँ…
स्वयं को सही से सींचूँ ।

वो जीत नही वो हे हार!!!!!
जिसमें नीचा दिखाने की दरकार ।
दिल किसी का जीतना बड़ी बात !!!!
जी लो जीवन के ये सच्चे जज़्बात ॥

भाग्य ने धर्म निभाया ,जन्म हुआ मनुष्य का।
मनुष्य धर्म धारण करे बल मिले आत्मा का ।
आत्मा विस्तारित तो सब काम परमात्मा का॥
ये विचार प्रमाण शुभ मानसिक सोच का ।

सूर्य सुबह जगता…
धरती का विघनहर्ता ।
सब ओर जीवन संवरता..,
सूर्य सुबह जब जग़ता ॥

जरूरी नहीं

जरूरी नहीं हर सवाल का जवाब मिले , उस नही का अब कोई जवाब नही
यह जिंदगी है मेरी कोई ख्वाब नही ,सिर्फ तू ही एक ख्वाब था मेरा
लेकिन
अब तो तू मेरा एक ख्याल भी नही

उस नही का कोई जवाब नही
जिंदगी है मेरीं
एक रात में उतर जाए वो शराब नही है
मोहब्बत की है मेने कोई शबाब नही ।

मैं दौड़ आता था एक नजर भर तुझे देखने के लिए
अब तुझे नजर भर देखना भी जरूरी नही

इसलिए
अब जरा दूर रह तू मुझसे
तू ही मुक्कममल हो ख्वाब मेरा
अब वो ख्वाब भी तू नही …

उस नही का अब कोई जवाब नही

वो मुलाकाते जो अधूरी थी तेरे साथ
वो मुलाकाते भी पूरी हो अब जरूरी नही

तू शुरआत थी मेरी जरूर
लेकिन…
लेकिन उस शुरुआत का छोर
अंत तक मिले वो भी तो जरूरी नही
( अब उस शुरुआत की मुझे जरूरत नही )

मेरी मंजिल है कही और
लेकिन उस मंजिल का रास्ता भी अब तू नही

तू इस बात को
सुन , समझ , और फिर दिमाग में
बिठा ले

जवानी मेरी भी है
सिर्फ तू ही हसीन, दिलरुबानी नही

दिल लगा था तुझसे
लेकिन
तू छोड़ गयी मुझको जो एक बार
 
और फिर लौटकर आये
यह बात
भी अब कोई जरूरी नहीं
  
मांगू तुझे उस रब से और
इस बात का मैं दम भरु
अब ये बात भी जरूरी नहीं
 
मैं जब तुझे पलको पर बिठाना चाहता था
लेकिन
तू आना नही चाहती तो यह बेवजह की
जिद्द करना भी मेरी जुर्रत नही

उस नही का अब कोई जवाब नही

जरूरत तेरी भी हो
बस यह बात है सही
 
सिर्फ जरूरत मेरी हो इस
बात में कोई दम नही

माना तू ख्वाब था मेरा खूबसूरत और हसीन
लेकिन
हर ख्वाब मुक्कममल हो यह भी तो जरूरी नहीं

नही हुआ मुक्कममल ख्वाब तो भी सही
मुझे तेरे दूर होने का अब कोई गम नही ।

भूल चुका हूं मैं
रत्ती भर भी  मुझे अब तू याद नही
इसलिए
तेरा वापस आना मेरी जिंदगी में
अब वो भी मेरी जरूरत नही।

अब उस नही का कोई जवाब नही।

एक अजीब उलझन है

यह उलझन खत्म होने का नाम नहीं लेती बस बढ़ती ही रहती है एक उलझन खत्म होती है तो दूसरी उलझन का तार जुड़ जाता है मानो जिंदगी उलझाने के लिए ही बनी है, इसी तरह से चल रही है मेरी जिंदगी भी जिसमे एक अजीब सी उलझन है, उसी पर मैंने एक कविता लिखी है।

एक अजीब उलझन में फंसा है इंसान
क्या वो अनजान , लापता है ?
क्या उसे अपने दर्द का भी पता है ?

कुछ बात दबी सी कुछ बात उभरी है
दिल में बेचैनी है कुछ बेसब्री है
कुछ इम्तिहान बाकी है

और कुछ देकर आए है
बस बीते हुए दिनों में
कुछ खुशी और कुछ गम छिपाए है

उन्हें क्या पता ?
कि हम किस दर्द से गुजर कर

फिर दुबारा उस प्यार में पड़ने आए है
जिसमे हमने ना जाने कितने पहले ही दर्द सहकर आए है।
#Rohitshabd

एक अजीब उलझन में फंस गया इंसान है , जीसे न दर्द का पता न आराम का
uljhan

वो सहम, वो डर गए

वो सहम गए , वो सहम रहे है
जो वहा रह रहे है ,
जो अब भी है वहां ,ना चैन से सो रहे
और ना चैन से जाग रहे है

वो डर गए , वो सहम गए , वो कांप गए
जिनके घर वाले मारे गए
कौन कसूरवार था ? कौन बेकसूर था ?
क्यों वो इतनी हैवानियत से मारे गए
क्युकी उस भीड़ का कोई नाम नहीं
भीड़ का कोई नाम नहीं था।

उनका कोई धर्म – मजहब नहीं
रात को पहरा अब भी घर के बाहर
लगाकर लोग बैठे है सप्ताह हो गया
दिन भर बैठ कर दिन कट रहा है,
रात की नींद दहसत में उड़ गई है

लगता है घर के बाहर आग लगा गया कोई
क्या मेरा फिर से घर जला गया कोई ?
देहसत तुमने फैला दी

मेरे दिल में नफ़रत की आग लगा दी
तुम्हे अपना भाई कैसे कहूं ?
जो तुमने इतनी हैवानियत दिखा दी
मै डरता हूं , मै डरती हूं अब तुम्हारे पास आने से
मै घबरा गया हूं , मै घबरा गई हूं
तुम्हे अपना भाई बनाने से

Rohitshabd

बारिश की उन बूंदों

एक प्यारी सी कविता जिसमे मेरा बचपन कही छूट गया है, बारिश की उन बूंदों ने इस बात आज मुझे एहसास दिलाया है।

फिर से आज एहसास हुआ है मुझको
की मेरा बचपन कही छूट गया है

उन छोटी छोटी खुशियों से
शायद मेरा रिश्ता अब टूट गया

बारिश की उन बूंदों ने आज एहसास दिलाया है
बहुत दूर निकल आया हूं बचपन के
उन नन्हे नन्हे हाथो से , उन नन्हे नन्हे कदमो से
जो थका कभी नही करते थे
घंटो खेलने के बाद भी कुछ देर और खेल लू क्या? बस यही कहा करते थे

वो बचपन की बाते बड़ी अजीब सी होती थी, जो खुद को तो समझ आती थी लेकिन औरो को पागल बहुत बनाती थी

उसी के चलते आज एहसास हुआ की मेरा बचपन
कही पीछे छूट गया है

जिंदगी से जिंदगी का नाता
थोड़ा कम और थोड़ा ज्यादा
बस छूट गया है

सवाल बहुत किये अपने आपसे
जवाब यही था
की मेरा बचपन कही पीछे छूट गया है

आज फिर बारिश की बूंदों ने यह एहसास दिला दिया है
प्यार से भरा और प्यारा था मेरा बचपन जिसमे गम ना था , ये हर रोज की आपाधापी ना थी वो लड़कपन और कुछ शरारते थी , बतमीजी थी बहुत लेकिन दिल में मैल नही था

आज एहसास हुआ मुझे की मेरा
बचपन जो कही छूट गया है

बारिश में भीग जाने का डर नही था,
बारिश में भीगने से घमोरियां ठीक हो जाएगी
इसलिए बारिश में भीग जाया हम करते थे,
आज मोबाइल रखा है जेब में इस बात से डरा हम करते है

आज आधुनिक तकनीको ने छीन लिए वो सारे खेल
जिनकी वजह से ही होते थे हम बच्चो के दिल के मेल

घंटो मिट्टी में खेला हम करते थे,
कपड़े गंदे होंगे इस बात से घबराया नही करते थे
आज हल्की सी शर्ट की क्रीज खराब न हो जाए,
इस बात से भी चीड़ हम जाते है

तब लड़ाई सिर्फ ताकत बढ़ाने के लिए होती थी
आज ताकत दिखाने के लिए लड़ा हम करते है।

उन छोटे छोटे कदम और
नंगे पांव से मिलो का सफर
तय हम कर लेते थे

कांटे चुभ रहे है या नही
इस बात पर भी सोचा हम नही करते थे

खेलते थे खूब
जब तक मन करता था
घर जाना है
हम इस बात पर भी सोचा नही करते थे
आज एक मिनट देर हो जाए
फ़ोन पर फ़ोन बज जाया करते है

थक जाने के बाद हम यह नही देखते थे
फर्श है या गद्दे वाला पिलंग बस जहा
जगह मिली सो जाया हम करते थे

एक टिफिन में चार लोग खा लेते थे
एक पिलंग पर चार लोग सो जाते थे
एक बल्ले से 10 लोग खेल लेते थे
3 दोस्त
3 रुपये के प्लास्टिक वाले अंडे में
1-1 रुपया मिलाकर ले आते थे।
हॉफ प्लेट चाऊमीन में 3 दोस्त घपड घपड खा लेते थे,
गली में जगह नही खेलने की तो गली को अपने तरीके से मोड़ हम लेते थे

एक किराये की साईकल लेकर
उस पर तीन लोग सवार हो जाते थे

लेकिन

आज मत भेदों ने इस तरह से घेर रखा है
की हम कहने लगे है यह तेरा है यह मेरा है

आज एहसास हुआ है कि
मेरा बचपन कही छूट गया है