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ताली सीरीज

सुष्मिता सेन की ताली सीरीज आज जिओ सिनेमा पर आज लॉन्च हुई है , थोड़ा पतंग उड़ाने में व्यस्त रहे हम इसलिए देख नहीं बस जब रात को काम करने के लिए बैठे तो याद आया की फिल्म भी लॉन्च हुई है , तो देख लेते है , तो हम बैठ गए देखने के लिए आपको फिल्म के बारे में बताना भी था न तो ये भी बनता है की फिल्म देख ली जाए , वैसे तो सोने का मन कर रह था लेकिन जब सीरीज शुरू कर दी तो बंद करने का मन नहीं किया इसलिए पूरी देखली।

सुष्मिता सेन पहले से ही एक बेहतरीन अदाकारा है , इस फिल्म में तो उन्होंने अपनी ऐक्टिंग से चार चाँद लगा दिए है , सुष्मिता सेन उर्फ गौरी

समानता की लड़ाई : सबको समान अधिकार का कानून , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर को भी वही हक मिलना जो स्त्री ओर पुरुष के लिए। सीरीज के पहले में भाग में सुष्मिता सेन कोर्ट पहुचती है तब उनके ऊपर हमला होता है।

सीरीज के दूसरे भाग में : सुष्मिता सेन के डाइअलॉग काफी अच्छे लिखे गए है। जिंदगी की जद्दोजहत सर्वाइवल की लड़ाई ये दूसरी लड़ाई है इस कहानी में
सुष्मिता सेन इस चैप्टर का नाम देती है फीलिंग इस चैप्टर में ईमोशन है कहानी बनती है , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर की ओर यहाँ गौरी ट्रैन्ज़्जेन्डर बनने की कोशिश करती है ओर उनके रहन सहन से रूबरू होती है।

कहानी का तीसरा भाग जिसमे राही चल रहा है : अब सुष्मिता सेन वापस मुंबई आ जाती है
ओर अब वह एक ट्रैन्ज़्जेन्डर बनती है अभी तक वह अंदर से ट्रैन्ज़्जेन्डर नहीं बनी थी, इस फिल्म में सुष्मिता सेन ट्रैन्ज़्जेन्डर के हक की लड़ाई लड़ती है। जिसमे उनको भी आधार कार्ड , पान कार्ड , ओर व्यवसाय करने का हक मिले जो अभी तक इस हक से यह वंचित थे, समाज इन्हे बुरी नजरों से देखता है उन नजरों में बदलब लाने की लड़ाई , उनके हक की लड़ाई, इसी पर यह कहानी आगे बढ़ती है।

कहानी के 4 से 6 भाग तक कहानी बहुत तेज भागती है ओर इस सीरीज को बंद करने का मन नहीं करता, क्युकी हर एक सीन इस तरह से दर्शाया गया है मानो आप उस घटना को होते हुए अपनी आँखों के सामने ही देख रहे है।

इस कहानी में वो समाज भी है जो किसी को उभरने नहीं देता , उस समाज का कड़वा सच जो किसी को समान अधिकार देने से अब भी घबराता है, ओर उस समाज का एक भद्दा चेहरा भी नजर आता है जो किसी को घृणा की नजर से भी देखता है।

कहानी आगे बढ़ती है ओर जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है सुष्मिता सेन कमाल करती ही नजर आती है उनकी ऐक्टिंग इस सीरीज को चार चाँद लगा देती है, हर एक सीन में तालिया बजाने को मन करता है। जैसा की सुष्मिता सेन कहती है ताली बजाऊँगी नहीं बजवाऊँगी

फादर ऑन रेंट

फिल्म फादर ऑन रेंट ( The Trail Period ) जिओ सिनेमा पर रिलीज हुई पहले तो इस नाम की वजह से मैं देखना ही नहीं चाह रहा था, लेकिन कुछ लोग इस फिल्म की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे थे, इसलिए फिल्म देखने बैठ ही गए।

फादर ऑन रेंट
 

वैसे भी फिल्म में अभिनेत्री जेनिलया देशमुख मेरी पसंदीदा कलाकार है उनकी बेहतरीन ऐक्टिंग ओर चुलबुलापन ओर कलाकारी को जीवित रखने का अंदाज बहुत प्यार है, जिसके लिए फिल्म देखी जा सकती थी, बस जो शंका थी नाम से उसको खतम करी और फिल्म देख ली क्युकी पिछले दिनों में ब्लडी डैडी फिल्म आई फिल्म का नाम ही इतना अटपटा रखते है की फिल्मों को देखना ऐसा लगता है की क्या ही होगा, लेकिन फिल्म की शुरुआत से मानव कौल के जो शब्द आते है

अधिकतम खुदरा मूल्य अरे आप जानते नहीं MRP” फिल्म का तीसरा ही दृश्य था, जिसमे मन फिल्म को पकड़ बैठ गया, फिर क्या था। फिल्म एक बार देखनी शुरू की तो फिल्म से नजरे खुद ही नहीं हटी इस समय में इतनी साफ सुथरी फिल्म कहाँ आती है, भाई इसलिए भी हम देखने बैठ गए ओर यह फिल्म मैंने अकेले में देखी क्युकी काम करते हुए देख रहा था लेकिन काम नहीं कर पाया फिल्म ही देखी मैंने

यह लोग बहुत अजीब है आर जिंदगी अजीब है सुसरे” गजराज राव ( GAJARAJ RAV ) उम्दा अभिनय के साथ शक्ति कपूर ओर शीबा चड्डा अपने अपने किरदार में बहुत ही फिट कलाकार है

इस फिल्म में एक बात बड़ी प्यारी है जो स्वभाव से अच्छे होते है वो बुरे नहीं बन पाते जो जैसा होता है वो वैसा ही रहता है। इसइस प्रकार अभिनय निभाया है मानव कौल ( MANAV KAUL)

इस फिल्म में बच्चे की ऐक्टिंग भी बहुत बढ़िया है, अभी से बच्चे में है दम कुछ करेगा बड़ा होकर एकदम ZIBANE BRAZ URF ROMI

पेरन्टींग पर एक बहुत अच्छी फिल्म है, जिसे सभी को देखनी चाहिए। पेरन्टींग पर कुछ ओर इस तरह की फिल्म बननी चाहिए , समाज में इस तरह की फिल्मों की बहुत जरूरत है ओर इस तरह की फिल्मे बनती रहे तो ज्यादा अच्छा है।

कब शुरू ओर कब खत्म होने को हुई फिल्म पता ही नहीं चला , कभी कभी लगता है फिल्म कभी खत्म न हो कुछ फिल्मे इस तरह की ही होती है, बस उन्मे से ही एक फादर ऑन रेंट भी इसी तरह की फिल्म निकली, फिल्म आपको कुछ दृश्यों में हल्का हल्का सा रुक हुआ महसूस करती है, बाकी फिल्म अपने आप में अच्छी है, कुछ खट्टे मीठे पल ओर ईमोशन भी है, कुछ चीजों को नजरअंदाज करके फिल्म को देखे आपको बहुत मज़ा आएगा अगर आप सिनेमा में जाकर देखेंगे तो मैं फिल्म 3.5 अंक दु ओर यदि आप घर पर जिओ सिनेमा पर देख रहे है तो फिल्म को 4.5 की रेटिंग मिलनी चाहिए क्युकी यह एक पारिवारिक फिल्म है, पिछले काफी लंबे समय से OTT पर कोई फिल्म नहीं इस तरह की जिसे पूरे परिवार संग देखा जा सके।

Bloody Daddy

Bloody daddy यह फिल्म का नाम है जो इसी हफ्ते जिओ सिनेमा पर वर्ल्ड वाइड रिलीज हुई है, इस फिल्म में मुख्य पात्र शाहिद कपूर है इस फिल्म में शाहिद कपूर की ऐक्टिंग एकदम दमदार है पूरी फिल्म में सिर्फ शाहिद को देखने का मन करता रहेगा उनका किरदार बेहद उम्दा है, फिल्म में संजय कपूर, रॉनित रॉय, डायना पेन्टी ओर राजीव खंडेलवाल भी है।

Bloody Daddy फिल्म की कहानी 50 करोड़ के कोकैन पर घूमती है जो शाहिद कपूर जब्त कर लेते है उसके बदले में रॉनित रॉय उनका बेटा किड्नैप कर लेता है बस इसी के बीच में कहानी घूमती है लेकिन कहानी से ज्यादा मजेदार शाहिद कपूर की ऐक्टिंग है जिसके लिए फिल्म से आँख नहीं हटती कहानी में कुछ नया नहीं सब प्रीडिक्ट किया जा सकता है लेकिन फिल्म में एक्शन सीन बहुत बढ़िया है।

इस फिल्म में रॉनित कपूर ओर राजीव खण्डेलवाल का सही तरीके से प्रयोग नहीं किया गया नहीं तो फिल्म ओर भी शानदार हो सकती हो थी।

एक तरफ तो Fathers Day आ रहा है लोगों की भवनाए सकारात्मक है दुसर ओर ये बॉलीवुड की फिल्म वाले इस प्रकार के नाम रखते यही फिल्मों के आप खुद ही सोचिए इस प्रकार के नाम अच्छे है ?

कितना भद्दा नाम है इस नाम से हटकर भी कई ओर नाम रखे जा सकते थे इस फिल्म के लिए, कही न कही कुछ न कुछ इस बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए अब आपत्ति उठ ही रही है क्युकी अब यह समझ नहीं आता की यह क्या सोचकर फिल्मों के नाम का चुनाव , कहानी का चुनाव करते है जिससे जनता कही न आहात हो ही जाती है।

एक सलाह इस फिल्म को परिवार के संग न देखिए क्युकी बीच में गालियों का प्रयोग ओर उपयोग दोनों किया गया है जो बिल्कुल भी सही नहीं है, हम ऐसी चीज़े कन्सूम कर रहे है जो हमारे लिए कोई फायदे की नहीं है, साथ फिल्म का नाम भी इतना भद्दा क्यू रखा गया यह भी एक सोचने लायक बात है वैसे तो ओर शाहिद कपूर उस तरह के बाप बिल्कुल नहीं है।

आप भी देखिए ओर भरपूर आनंद लीजिए

फिल्म को 3 ***