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चेहरे की खुशी

किसी के चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना
शायद इसी का नाम मोहब्बत है….

जब उसकी हंसी से दिल मुस्कराता है,
जीवन के गमों को भूल जाता है।

उसकी नज़रों में खिलती है ज़िंदगी की रौशनी,
हर लम्हे में बहार और हर ग़म को भुलाती है।

जब वो प्यार से मुस्कराती है,
दिल में ख़ुशी का आगाज़ हो जाता है।

उसकी मुस्कान का इतना असर है,
जैसे ख्वाबों को रंगीं आशियाँ बनाती है।

मोहब्बत का नाम है ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरती,
जो खुद को भूलकर दूसरों को ख़ुशी देती है।

इस मोहब्बत की रौशनी में जीना है ज़रूरी,
चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना है मज़बूरी।

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लोग क्या कहेंगे

लोग क्या कहेंगे ये सब से बड़ा जेल…..
निकलना इस जेल से नहीं बच्चों का खेल ।
लोग क्या कहेगे बहुत बड़ी परेशानी…..
सोच सोच के बूढ़ी हो जाती जवानी ।।

लोग क्या कहेंगे जब निकल जाएगा डर….
अंदर से आएगी आवाज़ तू तो निडर ।
लोग क्या कहेंगे लोगो का तो काम है
कुछ न कुछ कहना……
मत पाल डर तू लोग क्या कहेंगे अच्छा बुरा सब ही सब कुछ एक सपना ।।
मत पाल डर तू लोग क्या कहेंगे अच्छा बुरा बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना ।।

ये जगह बनी एक बड़ी जेल,
लोगों की अकेली परेशानी की खेल।
निकलना इस जेल से, तो अपार समस्या,
मनुष्य बंधन में, यहाँ नहीं है आसरा।

यहाँ सिमट जाती है आज़ादी की ख्वाहिश,
सपनों की उड़ानों से यहाँ बंद हो जाती दिशा।
बच्चों का हंसना-खेलना नहीं यहाँ देखा,
काले बरसात में भी यहाँ तारों की रोशनी नहीं देखा।

रेत की तरह फिसलती है ख्वाहिशों की धूल,
इस जेल में खो जाती है आशा की चिंगारी रूल।
लोगों के मन में जलती है यहाँ उम्मीदों की शमा,
परेशानी के बादल ढेर से छाते हैं आसमा।

यहाँ खो जाती है जिंदगी की हंसी,
बंधन में है रहने की जरूरत की वजह से।
जहाँ बंद खड़े रहते हैं सपने बिखरे,
वहीं खो जाता है इंसान का असली रंग भिखरे।

लोग कहेंगे बहुत बड़ी परेशानी है यहाँ,
बंधन में जीने की वजह से हर कोई मुसीबतों का भरमां।
पर क्या वो जानते हैं इस जेल की दरारों को,
जो इंसान की आज़ादी को छेदती हैं सारे आसमानों को।

निकलना इस जेल से नहीं बच्चों का खेल,
वो खो जाते हैं इस जेल में अपनी मस्ती के मेले।
लेकिन एक दिन आएगा जब उठेगी यह दरारें,
जब तक रहेगी जनसंघर्ष, नहीं होगी दयारें।

इस जेल से निकलेगी एक नई सुबह,
जब तक रहेगी आंधी लोगों की रूबह।
आएगावो दिन जब जेल की दीवारें टूटेंगी,
मनुष्यता की आवाज सबको सुनाई देगी।
बच्चों के खेलों की मिठास फिर लौटेगी,
जीवन की गाथा नई रंगों से सजेगी।

ये सब संघर्ष छोड़ देंगे छवि नई,
विचारों के पंख उड़ा देंगे ऊँचाई।
लोगों की आवाज़ सभी तरफ बजेगी,
और सबका दिल खुशी से भर जाएगी।

जेल से बाहर आएगी स्वतंत्रता की हवा,
खुशहाली और खुशियों की लहरें मचाएगी सबका दिल बहुत खुश हो जाएगी।
ये जेल सिर्फ एक दौर है, एक कठिनाई,
मनुष्यता के पर्वत को छूने की चाहत है यह अपार सख्ताई।

लोगों के हृदय में जगाएगी नई आसा,
इस जेल की दीवारों को तोड़ देगी वह उमंग।
संघर्ष से जीतेगी नयी ये दुनिया,
और सबके होंगे खुशहाल नए दिनों की पहलू।

इतनी सी कविता में छिपा है एक विश्वास,
कि संघर्ष के बाद होगा स्वतंत्रता का उत्सव।
इस जेल से निकलेगा मनुष्य की आज़ादी का समाचार,
और लोग कहेंगे, “हाँ, यही है सबसे बड़ा जेल से बाहर निकलने का खेल!”

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