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ख्वाब इतने

ख्वाब इतने सजाये कुछ मजाक बन गए, तो कुछ खाक हो गए, उन सभी ख्वाबो को, सवारने की कोशिश में, आज हम राख बन गए।

ज़िंदगी के रंगीन पल, ख्वाब थे हमारे संग,
चंद सपने बहुत हसीन, चंद उड़ गए हंसते-हंसते।
पर कुछ ख्वाब अज़ीब से, मजाक बन गए हैं,
खुद को खो देने का, ऐसा था तूफ़ान ज़ख्मी बन गए।

उन ख्वाबों का हारा, जो हम ने चाहते थे पाना,
ज़िन्दगी ने दिखाए राह, कठिन थी और अनजाना।
पर आशा की किरणों से, सवारे थे हम रातें,
जीने का आदान-प्रदान, करते थे सपनों के साथ।

ख्वाबों की उड़ान के लिए, ज़मीनों पर मिला कर,
हम बने राख और जले, जैसे मोम की मशालें संग।
आकाश की ऊँचाइयों में, थे हमारे सपने छाए,
पर रास्ते थे अज़ीब से, जो छूट गए अधूरे।

कुछ ख्वाब इतने अब रह गए, ज़मीनों की गोद में दबे,
उन्हें बनाने की कोशिश में, हम रह गए राख बने।
पर ये राख एक आग है, जो जलती रहेगी जीवन भर,
ख्वाबों की आग को, हम जीने का आदान देंगे।

कुछ इस तरह से

कुछ इस तरह से दिल की धड़कने धड़क रही थी,
मानो अभी दिल निकल ही पड़ेगा।
ये अजनबी ख्वाहिशें उठती जा रही थीं,
मेरी रूह को छूने को तरस रही थीं।

अनजाने संगीत की लहरें बहा रही थीं,
इसका कोई नाम नहीं, पर ज़बान ये बता रही थीं।
जैसे दरिया बहने को तड़प रहा हो,
मेरे अंतर को ये खींच रही थीं।

क्या ये प्यार की लहरें हैं जो मचल रहीं हैं,
या फिर कोई और राज है जो चुपके से बता रहीं हैं।
मन में अनगिनत सवाल उठते हैं जब,
ये धड़कनें मेरे दिल को जगा रहीं हैं।

कुछ इस तरह से दिल की धड़कने धड़क रही थी,
मानो अभी दिल निकल ही पड़ेगा।
कभी हुई ना थी ऐसी हलचल इस दिल में,
अब तक ना जाने क्यों ये जगा रही थीं।

कभी हँसती, कभी रोती थी ये धड़कनें,
पर आजकल खोई नज़र आ रही थीं।
ज़िंदगी की इस रेस में जब सब भाग रहे हैं,
ये धड़कनें मेरे संग ठहर रही थीं।

इस तरह से दिल की धड़कने धड़क रही थी,
मानो अभी दिल निकल ही पड़ेगा।
शायद ये संकेत है कुछ नया शुरू होने का,
ये धड़कनें मेरी कहानी सुना रही हैं।

चुराना कैद करना

चुराना कैद करना भी अच्छा उम्र के खूबसूरत लम्हे….
मौक़ा मिलते ही करना यह चोरी , वक़्त की क़सम है तुम्हें ।
वक़्त की बुनियाद में हमेशा बदलने
की फ़ितरत…
वक़्त आएगा जब क़ैद कर पायेंगे अच्छे लम्हे पूरी होगी सब हसरत ।

वक़्त की बुनियाद में हमेशा बदलने
की फ़ितरत, यह सच्चाई है कभी ना बदलने।

मौक़ा आया, जब तुमने बदली मन्ज़िलें,
चोरी की ये ख़्वाहिश, थी तुम्हारी जिद्दीयों की वजह से।
प्रतिबंधित थे तुम पहले, ये खेल खेलने से,
लेकिन वक़्त की अंधीरी रातों में तुम देखे नए सवेरे।

चुराना कैद करना, तुम्हारी कहानी की एक अहम हिस्सा है।
वक़्त की मशक़्क़त में तुम फिर भी खोये बच्चों की तरह खिले।
ज़िंदगी के रंगों में तुम ने चोरी की मिठास छिपाई,
पर तुम्हारी आँखों में वो चमक सदियों तक सजी रही।

वक़्त की अदला-बदली ने खींची तुम्हें आगे,
चोरी की ताक़त ने बनाया तुम्हें अमर इतिहास।
तुम्हारी क़िस्मत के निर्माता बदलते रहे,
पर तुम्हारी ताक़त के नाम सदैव प्रमुदित रहे।

चुराना कैद करना भी अच्छा उम्र के खूबसूरत लम्हे।
तुमने सिखाया हमें, चंगुल से नहीं जीना है।
ज़िंदगी के किसी भी दौर में, हो जाए जो भी था,
हमेशा चोरी से नहीं, अपने दिल की सुनना है।

अच्छे दिन

प्रत्येक अच्छे दिन की गतिविधि का ले आनंद…
यही जीवन का प्रबंध , कस्तूरी और उसकी सुगंध ।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा….
जीवन एक प्रयोगशाला जीवान्त कक्षा ।

बुरे को बुरा अच्छे को अच्छा सब कहते हे….
बुराई में ढूँढ लो अच्छाई अर्थ बदलते हे ।
हर दिन का एक अलग ही रूप रंग…..
अलग ही ऊर्जा अलग ही उसकी तरंग ।

अपनो का साथ सब को लेके चले संग….
जीवन में अलग सुगंध अलग ही तरंग ।
मिलजुल के रहने में भरपूर आनंद…..
शर्त एक चालाकी से तोड़ना पड़ेगा संबंध।

प्रत्येक अच्छे दिन की गतिविधि का ले आनंद…
यही जीवन का प्रबंध, कस्तूरी और उसकी सुगंध।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा…

जीवन के रंग और खुशियों का संगम,
बुरे दिन को भी बना सकते हैं हम।
प्रत्येक सुबह उठकर देखो आँखों में चमक,
खुशियों का गुलशन सजाएं जीवन के रास्ते में।

सूरज की किरणों से रंगी हर सुबह,
चीरते अंधकार को मिटाएं दिल की दहली।
करे योग ध्यान में, स्वास्थ्य का रखे ध्यान,
हर दिन बनाए अच्छा, बढ़ाएं जीवन की गाथा।

अच्छे कर्म करें, दूसरों की मदद करें,
खुशियों का बांटें, दुःखों को हरें।
संयम और समर्पण से जीवन जियें,
बुरे दिनों को भी अच्छा बनाएं आप खुद ही।

हंसते रहें, मुस्कान बांटें सबके साथ,
सदैव आपका जीवन हो खुशियों से भरपूर।
बुरे दिन आएं तो अच्छे दिन को ढूंढें,
खुशियों के जीने का तरीका हमेशा याद रखें।

जीवन के रंग और खुशियों का संगम,
बुरे दिन को भी बना सकते हैं हम।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा,
हर दिन अपने जीवन को उज्जवल बनाएं आप खुद ही।

प्रेम की भाषा

प्रेम की भाषा का मुख हृदय….
करुणा प्रेम का कोश प्राणमय ।
करुणा के अंग सत्य दया और ममता …
करुणा बहती नदी सब के लिए समता ।

प्रेम से बंधती भविष्य के जीवनों की आशाएँ…..
प्रेम में देश जाति धर्म बड़े छोटे सब समा जाए ।
प्रेम में नहीं अहंकार क्रोध और द्वेष का भाव….
प्रेम का करुणा निर्मलता समता विश्वास का स्वभाव ।


जहां बहती हैं प्यार की नदियाँ बड़ी गहराई से।
करुणा प्रेम का कोश है, प्राणमय और अद्भुत,
जिसमें बसती हैं खुशियाँ और विश्वास की झूली जैसी बूँदें।

करुणा के अंग होते हैं सत्य, दया और ममता,
जो लाती हैं आपसी समझ और सद्भावना की बरसात।
सबके लिए समता बनती है करुणा की बहती नदी,
जहां प्यार और सहानुभूति का दौर बना रहता है नित्य।

हृदय की ताल में बसती हैं प्रेम की धुनें,
जो जगाती हैं दिलों में एकता और सद्भावना की भावना।
करुणा की मधुर आवाज सुनते हैं सभी अन्तर्मन,
प्रेम की भाषा में भीगते हैं हर मन के भावना।

सब समान

समय के लिए सब समान बुरा समय या हो अच्छा समय…..
कोशिश हो कि न विचलित हो सदा संतुष्टि से समय का हो व्यय ।
समय ज्ञाता लिए है प्रश्न और उत्तर पुस्तिका…..
प्रश्नों का कैसे देना उत्तर यह सबका अपना अपना तरीक़ा ।

वर्तमान बीता जाये कल कल ध्वनि सी बहती सरिता …..
कर्मों की भी होती चीख पुकार चुप्पी शांति भ्रम और ममता ।
वर्तमान से होता निर्धारित कैसा होगा भविष्य…..
हम स्वय रचियता , पहचाने स्वय का वास्तव ध्येय ।
समय में संतुष्टि माया और यथार्थ …
करे न्याय समय से बने सच्चे पार्थ ।

समय का चक्र चलता रहता है,
जीवन के हर लम्हे में बदलता रहता है।
कभी बुरा समय आता है हमारे पास,
कभी अच्छा समय देता है खुशियों का आगाज।

पर सबसे महत्वपूर्ण है समय संतुष्टि का,
न विचलित होने की हो चेष्टा सदा।
समय का व्यय करें आनंद से और संयम से,
जीवन के सभी क्षणों को महत्वपूर्ण बनाएं सदा।

समय ज्ञाता है हमारे प्रश्न और उत्तर को,
हमेशा हमारे साथ रहता है यह पुस्तिका।
जीवन के पाठ पढ़े हमें समय के साथ,
ज्ञान और अनुभव से बनाएं हमें सबका।

समय का सम्बंध है जीवन के हर अंग से,
इसे समझें और महत्वपूर्णता दें हमेशा।
समय को सदा सम्मान दें और सदा सदा,
जीवन के हर पल में खुशहाली का बनाएं वातावरण।
समय के लिए सब समान बुरा समय या हो अच्छा समय…..
कोशिश हो कि न विचलित हो सदा संतुष्टि से समय का हो व्यय ।

यह भी पढे: जीवन की कटु सच्चाई, अपमान ओर अहंकार, यह खाली हाथ, कामयाबी,

कठिन परिस्थिति

कठिन परिस्थिति निर्माणकर्ता मज़बूत व्यक्तित्व के लोग….
वही लोग लिए मशाल अग्रसर खोजते करते नूतन नूतन प्रयोग ।
परिस्थिति के गर्भ में छिपा अनंत अनंत सम्भावनाओं का भंडार…
हर परिस्थिति के लिए रहे तेयार खिले व्यक्तित्व ओर आए निखार ॥

कुछ लोग खुद कठिन परिस्थिति का आवाहन उसको बुलाते….
उसकी हद को तोड़ कर नूतन कीर्तिमान खड़े कर दिखलाते ।
अनबूझ परिस्थिति आए अचानक या खुद हम जाके स्वीकारे…..
मन की स्थिति सदा होवे मजबूत चाहे हम जीते या हम हारे ॥

दृढ़ता से चमकते, अग्रसर होते ये व्यक्तित्व,
कठिनाइयों को चुनौती स्वीकारने के लिए समर्पित।
मशाल उठाते हैं, नये-नये अनुभवों की खोज में,
परिस्थिति के आवरण में छिपे अनंत सम्भावनाओं के।

बढ़ते हैं वे मजबूती के साथ, आगे बढ़ने के लिए,
विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को साबित करने के लिए।
उनका विश्वास अटूट होता है, कठिनाइयों के बीच,
जैसे बवंडर के आगे भी खड़े रहें शिखर पहाड़ों सीख।

नए नए प्रयोग करते हैं, नूतनता की खोज में,
उनकी चेष्टाएं निरंतर, बढ़ाती हैं समृद्धि के रास्ते।
क्योंकि परिस्थिति के गर्भ में छिपे हैं अनगिनत सम्भावनाएं,
जो व्यक्तित्व को बढ़ाने के लिए होती हैं अद्यायेश।

संघर्षों के माध्यम से निकलता है अद्भुतता का सिरोमणि,
जो बनाता है उन्हें बेहतर, बनाता है अद्यतित भविष्य का नगरी।
कठिन परिस्थितियों में उनका जीवन निःस्वार्थ होता है,
समाज के लिए जीने की उनकी निश्चितता उठाती है आदर्श प्रतीति।

इसलिए जो लोग लिए मशाल अग्रसर, करते हैं नूतन प्रयोग,
वे निर्माता हैं अपार संभावनाओं के, जो बाहर करेंगे उन्हें खोज।
क्योंकि कठिनाईयाँ सिर्फ एक चुनौती होती हैं उनके लिए,
जिनमें छिपा है अनंत सफलता का सौंदर्य और वही करेंगे अपने नए सपनों का विस्तार।

मेरा एक तरफा प्यार


मेरा एक तरफा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्रेम का इज़हार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे

मेरे दिल का हाल बेहाल हो जाता है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
बिन कुछ कहे शब्दो का ढेर
मेरे मन में छोड़ जाती है

किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजरती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
चल रही सांसे उसको देख रुक जाती है

(बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है, )
मानो बिजली पूरे बदन में दौड़ जाती है
मेरे शब्द ठहर जाते है जुबान निःशब्द हो जाती है
मेरी नजर उसकी नजरो से नजर मिला नही पाती है

लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस दौड़ी चली जाती है
एक नजर भर देखती नही वो मेरी और
बस मुझे और बेचैन कर वो निकल जाती है

मैं उसका घंटो इंतज़ार करता हूं
की उसकी नजर मेरी नजरो से मिले और हम दोनो का ने
उसकी मेरी ओर एक नजर मेरे पर इनायत हो जाए

और हम दोनो का नैन मटक्का हो जाए
( देखने के लिए मिला पाऊ उनसे
मैं भी एक नजर भर देख पाऊ )
अपने पहले प्यार का पहला इज़हार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है

बस वो तो अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई ही चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे दिल के अरमान जो उससे एक पल
बात करने के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो चली जाती है

बस मेरे पहले प्यार का पहला इज़हार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है , मेरे दिल को बेहाल कर जाती है, मेरा एक तरफा प्यार बस एक तरफा ही रह जाता है, लेकिन शब्दों में इस प्रेम मैं बयान नहीं कर पाता हूँ।

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एक दूसरे के दर्द

एक दूसरे के दर्द ख़ुशियाँ
समवेदना की समझ….
मनुष्यता के प्राण
उसके प्राणो का ध्वज ।

जब जीवन में प्रेम
तो दूसरे का ख़ुशियाँ
दुःख दर्द दिखता….

जब नही जाना प्रेम
नही गलती सिर्फ़ स्वयं
का दुःख दिखता
तो नही दूसरे का सुख
दुःख समझता ॥

जब दिल में दर्द उतर जाए,
तब गम की लहर आ जाए।
क्या करें जब ये छाती फट जाए,
वो दर्द जिसे बयां करने के लिए शब्द ना मिल पाए।

इस दर्द से जुड़े दोस्त का जब दिल दुखाए,
तो कैसे उसका दर्द कम कर पाए।
जब उसके आँसू बाहर ना निकले,
तो कैसे उसकी रूह से बातें कर पाए।

जीवन का हर मोड़ पर दर्द का एहसास होता है,
कोई अपना अपनों को खोता है, कोई प्यार को तरसता है।
दुखी होता है जब हमें अपने दोस्त का दर्द देख पाते हैं,
मगर उसे संभाल लेने की चाहत हमें हमेशा होती है।

हम दर्द को कम नहीं कर सकते,
लेकिन उस दर्द के साथ रह सकते हैं।
दोस्त के दर्द में शामिल होकर,
उसका साथ देकर, उसकी मुस्कुराहट लौटाने का हमें सौभाग्य मिल सकता है।

जब दोस्त का दर्द हमारा दर्द बन जाए,
तब हमें उसके साथ थाम जाना चाहिए।
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा सच्चा रहेगा,
जब तक हम एक दूसरे के दर्द को समझना नहीं सीखेंगे।

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तेरी आंखे

तेरी आंखे मुझे नोच खचोट जाती है

ये जो तेरी आंखे है न
मुझे नोच डालती है
तेरी आंखे ही है
जो मुझे नोंच डालती है,
इन आंखों पर थोड़ी लगाम रख
इन आंखों में थोड़ी शर्म तो ला
इन्ह आंखों को अब और ना गिरा,
इस तरह से तू आंख निकाल ना बाहर

क्योंकि

ये जो तेरी आंखे है
न मुझे नोच नोच कचोट जाती है।

मैं भी एक इंसान हूं
फर्क की दीवार ना तैयार कर
इन आँखों  में थोड़ी शर्म ला,
शर्म का पर्दा तू भी तैयार कर
इन आंखों से मुझे ना तू
यू तार तार कर

लाज शर्म सिर्फ मेरा ही गहना नही,
खुद की आंखों के लिए तू भी इसे पहना कर
मुझे यू ना तू इन आंखों से रौंदा कर

इस तरह घुट घुट कर मरने से अच्छा,
एक बार मरना होगा ही सही
ये जो तेरी आंखे है ना
मुझे नोच खचोट जाती है

जहा जाती हूं
मेरे शरीर को,
ऊपर से नीचे तक मुझे देखती हुई
तेरी आंखे मुझे नजर आती है,
यह आंखे मुझे रौंद डालती है
लाख बार मेरी इज्जत तार तार कर देती है
ये आंखे मुझे हजारो बार मारती है

इन आंखों से बचु कैसे?
हर वक़्त हर जगह मुझे,
ये आंखे नजर आती है
घर से बाहर जब निकलती हू,
रोड पर जब मैं चलती हूं

लाखो आंखे मुझे घूर घूर मार डालती है,
लाखो बार एक दिन में मैं मर जाती हूं
ये आंखे मुझे रौंद डालती है

कभी ये उन स्कूल कॉलेज  जाते हुए बच्चो की
तो कभी मनचलों की सड़को पर नजर आती है
 
ये आंखे मुझे रौंद डालती है
बस स्टॉप हो या बस का सफर
ऑटो में हूं या कार में,
तेरी आंखे भीतर तक घुस जाती है मेरे….

तन और मन को छल्ली कर नजर आती है
मुड़ मुड़ क्यों देख मुझे तेरी आंखे सताती है
कुछ शर्म लाज रख इन्ह आंखों में
ये तेरी आंखे मुझे क्यों नोंच खाती है
 
बस मुझे ढूंढ कर रौंदना
ये आँखें चाहती है,
ऐसा कौनसा गुनहा किया है मेने
जो ये आंखे मुझे रौंदना चाहती है
छिन्न भिन्न हो मैं जाती हूं,
तिल तिल  मर मैं जाती हूं
जब ये आंखे मुझे रौंद जाती है
अकेली लाचार बेसहारा खड़ी,
नजर में खुद को आती हूं


क्यों
बस एक यही
सवाल खुद से करती हूं मैं,
बेचैन अकेले  हर पल,  हर जगह इस समाज में क्यों  हो जाती हूं मैं
सुबह हो या शाम  कही नही मैं जा पाती हूं।

गली मोहहल्ले
मैं भी चल नही खुलकर मैं सकती हूं,
बंद चार दिवारी में भीतर घर के हो जाती हूं मैं
लगता है डर बहुत,
अब तो डर डर के  बस इस जिंदगी को बिताती हूं
तेरी आंखे जो मुझे नोंच डालती है यह मैं सह नही पाती हूं।

ये हदे पार ना करो
कौनसी सी जिद्द है ये तुम्हारी
कौनसा बदला लेना चाहते हो,
जो तुम इस तरह से मुझे देखते हो

मेरे जिस्म को यू देख कर तार तार ना करो
मैं भी किसी की बेटी, बहन, माँ हूं

मुझे खुद की आंखों में शर्मशार ना करो

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