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उलझने

कुछ उलझने पैदा करती है ये जिंदगी, ना जाने कैसे इन उलझनों को सुलझा मैं पाऊँगा, या फिर उलझनों में फंस कर ही मैं मर जाऊंगा, अजीब सी उलझन का शिकार भी हूँ मैं इन उलझनों से कैसे निकल मैं पाऊँगा क्या यू ही घुट घुट कर मैं यू ही मार जाऊंगा, कोई तो सुलझाए ये किस्सा जिंदगी का, कैसे सुलझेगा ये कोई तो मुझे भी बताएगा।

मुझसे ही कैसे छुटकारा मिलेगा, या यू ही अपने ख्यालों, अपने सवालों के ढेर में राख हो जाऊ , अब मैं अपने ख्यालों से दूर भी तो कहां जाऊंगा, इन्ही सवालों में फंसा ही नजर आऊँगा, इन सवालों की उलझन बढ़ती ही रहती है कैसे इन सवालों से मैं बच पाऊँगा।

उलझने भी बहुत है इस जिंदगी में क्या मैं उन सभी उलझनों को कभी सुलझा पाऊंगा, या फिर बिना सुलझाए ही रह जाऊंगा।

उलझने
उलझने

हम सभी अपनी समस्याओ को सुलझाना चाहते है लेकिन सुलझा नहीं पाते बल्कि उसे ओर उलझा देते है, कुछ ना कुछ गड़बड़ कर देते है, उस गड़बड़ से बचने के लिए हमे हमेशा अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए ओर जिंदगी की हर समस्या को ध्यान से देखना चाहिए जिससे की उन समस्याओ को समझने में हमे मदद मिले ओर हम उसे आसानी से सुलझा सके।


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जरूरी नहीं

जरूरी नहीं हर सवाल का जवाब मिले , उस नही का अब कोई जवाब नही
यह जिंदगी है मेरी कोई ख्वाब नही ,सिर्फ तू ही एक ख्वाब था मेरा
लेकिन
अब तो तू मेरा एक ख्याल भी नही

उस नही का कोई जवाब नही
जिंदगी है मेरीं
एक रात में उतर जाए वो शराब नही है
मोहब्बत की है मेने कोई शबाब नही ।

मैं दौड़ आता था एक नजर भर तुझे देखने के लिए
अब तुझे नजर भर देखना भी जरूरी नही

इसलिए
अब जरा दूर रह तू मुझसे
तू ही मुक्कममल हो ख्वाब मेरा
अब वो ख्वाब भी तू नही …

उस नही का अब कोई जवाब नही

वो मुलाकाते जो अधूरी थी तेरे साथ
वो मुलाकाते भी पूरी हो अब जरूरी नही

तू शुरआत थी मेरी जरूर
लेकिन…
लेकिन उस शुरुआत का छोर
अंत तक मिले वो भी तो जरूरी नही
( अब उस शुरुआत की मुझे जरूरत नही )

मेरी मंजिल है कही और
लेकिन उस मंजिल का रास्ता भी अब तू नही

तू इस बात को
सुन , समझ , और फिर दिमाग में
बिठा ले

जवानी मेरी भी है
सिर्फ तू ही हसीन, दिलरुबानी नही

दिल लगा था तुझसे
लेकिन
तू छोड़ गयी मुझको जो एक बार
 
और फिर लौटकर आये
यह बात
भी अब कोई जरूरी नहीं
  
मांगू तुझे उस रब से और
इस बात का मैं दम भरु
अब ये बात भी जरूरी नहीं
 
मैं जब तुझे पलको पर बिठाना चाहता था
लेकिन
तू आना नही चाहती तो यह बेवजह की
जिद्द करना भी मेरी जुर्रत नही

उस नही का अब कोई जवाब नही

जरूरत तेरी भी हो
बस यह बात है सही
 
सिर्फ जरूरत मेरी हो इस
बात में कोई दम नही

माना तू ख्वाब था मेरा खूबसूरत और हसीन
लेकिन
हर ख्वाब मुक्कममल हो यह भी तो जरूरी नहीं

नही हुआ मुक्कममल ख्वाब तो भी सही
मुझे तेरे दूर होने का अब कोई गम नही ।

भूल चुका हूं मैं
रत्ती भर भी  मुझे अब तू याद नही
इसलिए
तेरा वापस आना मेरी जिंदगी में
अब वो भी मेरी जरूरत नही।

अब उस नही का कोई जवाब नही।

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