कही मेरी मुस्कुराहट तो नही खो गई, मैं दिखता हूं आजकल बहुत गंभीर सा चेहरा लिए हुए ना जाने वो मुस्कुराते हुए होठ कहां छुप गए है, जो हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे चाहे उन होंठों के पास मुस्कुराने की वजह हो ना हो लेकिन वो बस मुस्कुराते हुए रहे आज कुछ गुम गुम से है।
मेरी मुस्कुराहट खो गई कहीं,
ये चेहरा गंभीर सा हो गया हैं।
होंठों पर खेलती थी हंसी,
अब वो खो गए, कहां छुप गए हैं?
जहां चेहरे पर मुस्कान थी लगी,
हंसती अदा थी वो लगी-शूनी,
अब देखता हूं खुद को आईने में,
कहां छुप गई वो खुशी जो भरी?
जीवन की मस्ती थी उस हंसी में,
खुशियाँ थी चिरागों की तरह जगमगाती।
आजकल कहाँ हैं वो रौशनी वाले दिन,
बीतते हैं अब ख़ामोशी से रातें।
मौसम की बदलती चाल में,
खो गई हैं प्यारी सी मुस्कान।
कहीं तलाशता हूं उसे दिल में,
पर ना जाने कहां छुप गए होंठ कहां?
ये दिन थे जब हंसते थे, गाते थे,
खुशियों की बहार थी हर दिशा में।
पर अब आँखों में हैं आँसू छलकते,
मुस्कान की कहां हैं वो मिशालें?
कहीं गुम हो गई खुशियों की छाँव,
बन गया ये चेहरा गंभीर सा अब।
लौट आओ, मेरी प्यारी मुस्कान,
चाहे वो होंठों के पास, चाहे जहां छुप गए होंठ कहां।
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