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कोशिश थी कुछ ओर

कोशिश थी कुछ ओर की कर तो मै कुछ ओर ही बैठा
अब जिक्र नहीं कर पा रहा हूं
लेकिन फिक्र मै करता ही जा रहा हूं
कुछ हासिल करने आया था

लेकिन ना जाने क्यों?
लेकिन ना जाने क्यों ?
चक्रव्यूह में फंसता ही जा रहा हूं
उम्मीद थी कि बन जाऊंगा कुछ

हो जाऊंगा कुछ
हासिल कर लूंगा
मुकाम पालुंगा कुछ
लेकिन कुछ हस्तियों के सामने
लेकिन कुछ हस्तियों के सामने

खुद की हस्ती ही मिटा बैठा
अब ना मै रहा
ना मेरा कारवा बस धूमिल हुआ
और लुट गया मेरा जहां, कोशिश थी कुछ ओर
करने को थे पूरे सपने बहुत

लेकिन शायद एक भी ना पूरा कर पाया
खुद को अलग कर
खुद को अलग कर
इस दुनिया से मै चल पड़ा
जहां ना कोई दौड़ है
ना कुछ पाने की हसरत
बस मै हूं मै हूं

कोशिश थी कुछ और कारणए की कर कुछ ओर बैठा
कोशिश थी