ना मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का बस चल रहा हूँ, कुछ खास नही बस हर लम्हे में इस तरह से जीने की आदत हो गयी है जैसे अब समय कही नही है। बस चलते ही जा रहे है ना कोई बंधन है ना कोई रोक टोक , ना कोई सीमा है बस निकला हूँ मंजिल की तलाश में
जीवन तो स्वत् चल रहा है आप चलो या फिर ना चलो यह गतिमान की अवस्था में है आप किसी दौड़ का हिस्सा नही होना चाहते फिर भी जीवन आपको बहा कर ले जा रहा है अपने साथ, क्योंकि आपका खुद पर कोई नियंत्रण नही है
समय और परिस्थितिया आपको नियंत्रित कर रही है।
यदि आप भीतर से खुद के साथ प्रवाहित है खुद के लिए तो बस फिर जीवन आपको आपके अनुसार ही आपको लेकर जाएगा फिर आप उस दौड़ में नही होंगे जिसमे पूरी दुनिया भाग रही है और सिर्फ भागना चाहती है परंतु किसी से पूछे तो कोई नही बताता क्यों भाग रहा है भाई ?
उनको “ना अपनी मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का” की उनको जाना कहाँ है? और वे जानने की कोशिश भी नही करते की हम कहाँ जा रहे है क्यों जा रहे है ? बस समय और परिस्थितितयो के साथ बहते जाते है।
लेकिन बस वो पागलो की भागता ही रहा है, क्यों बाकी के लोग भी उसी तरह से भाग रहे है जीवन आपके अनुसार चले आप जीवन के अनुसार ना चले समय तो गतिमान है, उसे चलने दे जैसे वो चल रहा है आप अपनी चाल को नियंत्रित रखे और सजग रहे जितने सजग आप होंगे उतना ही नियंत्रित आपका जीवन भी होगा जिसकी डोर आपके हाथ में होगी।
जब आप हाइवे पर गाड़ी चला रहे होते हो तब आपको लगता है कि गाड़िया कितनी तेज़ चल रही है उसी वक़्त आपको भी लगता है की गाड़ी उतनी ही तेज़ी से चलाई जाए और आगे निकल जाए वरना कोई पीछे से टक्कर ना मार जाए और यदि आप साइड में चल रहे तो कोई आपको परेशान नही करता लेकिन एक आनन्दित सा लगता है बहुत धीमी रफ्तार लोग निकल रहे है आगे, फिर भी एक अलग मजा होता है उस एक तरफ चलाने का और लोगो को देखने का की बस लोग निकल रहे है। और हम अपनी मस्ती में बस चलते ही जा रहे है।
लोगो को निकालने दो वो उनका सफर है, आपका सफर है साइड में आराम से देखकर चलना मतलब सजग रहना जीवन के प्रति वही सम्पूर्ण आनंद है हर एक पल को आनन्दित होकर जीना यही लक्ष्य है हमारा , आन्नद सम्पूर्ण आनंद लेना जीवन को पूर्णतया से जीना।
बस जीवन एक लहर की तरह बह रहा है जिसका छोर खुद ब खुद अंत पा लेंगा , ना कुछ पाने की तम्मना है और ना ही कुछ खोने का डर बस जीवन हो चुका है एक मधुर सफर, मंजिल की तलाश पूरी होगी।