Posts tagged manjil

स्वयं का आकलन

हमे स्वयं का आकलन करते रहना चाहिए, समय समय पर हमे स्वयं की जांच करनी जरूरी है जिससे की हमे पता चलता है हम सही रास्ते पर ओर सही दिशा में अग्रसर है। हमारे जीवन का लक्ष्य सफलता को हासिल करना हो ओर उसी ओर हमे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही उन सभी चीजों का आकलन करना चाहिए जिसकी वजह से हम बीच बीच में रुक जाते है, यदि कोई परेशानी आती है उन बातों को भी समझना चाहिए लेकिन हमे रुकना नहीं है इस बात की गांठ बांधनी है हमे मंजिल तक पहुचना ही हमारा लक्ष्य है उसके लिए स्वयं का आकलन जरूरी है।

  1. जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते हो, तुम मंजिल के ओर करीब होते जाते हो।

2. मंजिल तक पहुचना एक दिन का काम नहीं है, बहुत लंबे समय की मेहनत से मंजिल तक पहुचा जा सकता है, इसलिए लगातार मेहनत करते रहे एक दिन सफलता जरूर हासिल होगी।

3. स्वयं का आकलन करो, जब भी आपको लगे की आप सफलता के करीब नहीं पहुच रहे आपको स्वयं का आकलन करना चाहिए।

4. हमे अपनी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन गलतियों से सीखना चाहिए ओर आगे बढ़ना चाहिए, साथ इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए की वो गलतिया न दोहराई जाए।

5. स्वयं के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचे ओर सकारात्मक विचार को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाए, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखे।

6. जिस कार्य में आपकी अधिक रुचि हो उसी कार्य को करे, हो सकता है एक समय आने पर उस कार्य में भी बोरियत महसूस हो लेकिन वही कार्य यदि वह कार्य आपकी पहली पसंद था ओर अब भी है तो उसमे रुचि फिर बढ़ जाएगी बस नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

7. अपनी रुचि के अनुसार ही व्यक्ति को कार्य करना चाहिए ओर उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए।

भविष्य के निर्माता

आप ही हो अपने भविष्य के निर्माता है इसलिए इसे समझे
बहुत सारे सवाल है जो प्रश्न मेरे मस्तिस्क में आते है,  किस से पूछे हम अपने इन सवाल को ? कौन बताएगा इन सवालो के जवाब ? यह ऐसे सवाल है जिनका उत्तर सिर्फ हम स्वयं ही जान सकते है और कोई आपको नहीं बता सकता।

क्या मेरा कोई अंतिम स्थान है?
क्या है मेरी मंजिल ?
मुझे किस ओर जाना है?
मुझे किस मंजिल की तलाश है?
मैं कहाँ से आया हूँ?
और कहाँ जा रहा हूँ ?
मैं अपनी मंजिल तक कैसे पहुँचूँ?
कैसे पहुँचूँगा?
क्या है मेरी मंजिल का साधन ?

मेरे विचार और मेरी खोज किस तरह से मेरी मंजिल तक पहुचने में मेरी मदद कर रही है?
   
बहुत सारे प्रश्नो का अम्बार हमारे इस मस्तिस्क में लगता जा रहा है।

ऐसा लगता है की हमारे पूछे ही सवालो का जवाब नहीं होता हमारे पास
मै बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ जब नहीं मिलता कोई जवाब लेकिन रुकता नहीं थकता नहीं हूँ आगे निकल चलता हूँ क्युकी मुझे ऐसा लगता है एक समय आता है जब सभी सवालों का जवाब सामने आता है जो पूछ रहा हूं आज उन सभी प्रश्नों का समधन कभी तो मिलेगा इसलिए आज सिर्फ मै सवाल पूछ रहा हूं।

क्या आप अपने बारे में जानने की इच्छा नही रखते ? क्या नहीं जानना चाहते इस जीवन के बारे में ?
क्यों आप अपनी मंजिल का रास्ता नहीं खोज रहे?
या आप इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते ?
मंजिल आपको चुन रही है सही रास्ते
और सही दिशा के लिए

हम कैसे अपनी मंजिल की और पहुच रहे है? कौन सा रास्ता हमने चुन लिया है इस जीवन के लिए ?
क्या मंजिल तक पहुचना आसान है,
क्या मंजिल पास में ही है या बहुत दूर है ?
हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्य की दिशा को निर्धारित करनी चाहिए  और आप पाओगे की आप सही मंजिल की ओर जा रहे है।

इस सफ़र का कोई अंत नहीं यह तो अनंत की यात्रा है यह सफ़र है स्वयं को जानने का, जीवन के कार्यो को समझने और उन्ह कार्यो को पूरा करने का , स्वयं का अनुभव पाने का स्वयं का अर्थ जानने का , स्वयं को महतवपूर्ण बनाने का , स्वयं से स्वयं की मंजिल तक पहुचने का
इस छोटे से जीवन में बहुत सारी घटनाओ का समावेश है। आपको अपने जीवनरूपी अर्थ को समझने का, बनाने का पहचानने के लिए यह घटनाये हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है। और और अर्थपूर्ण बनाती है। हमे स्वयं में होने का एहसास दिलाती है। यह सभी घटनाये हमारे जीवन की विकासशील परिकिर्यायो से विकसित होने तक सहायता करती है।

यह सभी घटनाये हमारे जीवन में गति प्रदान करती है तथा हमे मृत्यु का भी बोध कराती है।
हम अपने जीवन बिंदु को किस प्रकार से जान सकते है, समझ सकते है? पहचान सकते है?
किस तरह से हम अपनी मंजिल की और बढ़ रहे है ? ऐसे कौनसे सहायक तत्व है जो हमारे जीवन में हमारी मदद करते है आगे बढ़ने के लिए एक सही दिशा की अवसर होने के लिए उन दिशा निर्देशों को हमें भली प्रकार से समझना चाहिए।

हम ही हमारे भविष्य के निर्माता है।

वो ख्वाब मंजिलों सी

वो ख्वाब मंजिलों सी दूर हो गई, यह जिंदगी अब जिंदगी सी मजबूर हो गई इस जिंदगी के ख्यालों में कही ओर जिंदगी हो गई , क्या जिंदगी है ख्वाब सी जो ये मजबूर हो गई इस जिंदगी के जख्म इतने गहरे के ये नासूर हो गई , संभालो इसे यह जिंदगी अब मरने को मजबूर हो गई.

मंजिले है ख्वाब सी

मंजिले है ख्वाब सी वो ख्वाब दिखाए

उलफतों में ना जाने वो कौनसी बात बताए

बस ये उलफते बढ़ती जाए

ख्वाब जिंदगी के ना जाने

कैसे कैसे ये सजाए जिंदगी की उलझनो को ये बढ़ाए ,

ख्वाब कुछ दिखाए – ख्वाब कुछ दिखाए

जिन ख्वाबों को हम पूरा नहीं कर पाए

ये मंजिले ये मंजिले

इन मंजिलों को पाने के लिए

हम क्यों न चलते जाए-हम क्यों चलते न जाए

ये मंजिले हासिल करके हम क्यों ना दिखाए

हर राह इस जीवन की

क्यू ना आसान बनाए

हर मोड़ पर आती है मुश्किल

इन मुश्कलो को पीछे छोड़ हम आगे बढ़ चलते जाए

इस सफर को जिए ओर मंजिल को करीब हम लाए

ये मंजिले आसान कर हम दिखाए

डर क्यू रहे है आगे बढ़ने से

पीछे हट क्यों रहे आगे बढ़ने से

आगे बढ़ कर इस  सफर को  क्यों ना आसान हम बनाए

मंजिल को पाने की कोशिश हम करते जाए

पीछे मुड़ क्यों है देखना

आगे बढ़ कदम के साथ क्यों ना पीछे वाले कदम को साथ लेकर आए

ये मंजिले

क्यू ना हम पाए

कदम हमारे लड़खड़ाए

इन मंजिलों को करीब हम लाए

मंजिले ख्वाब सी एक हकीकत वो बन जाए

इन ख्वाबों को पूरा कर हम चलते जाए

ये हौसला कभी कम हो ना पाए

इन मंजिलों को पा कर ही हम रूके

मंजिले है ख्वाब सी ख्वाब पूरे हम कर दिखाए

मंजिल मिलेगी

तू अपनी राहों को चुन न पथ से भटक तू आगे बढ़ तू चल ,राह में रुकवटे आती है बहुत ,तू मंजिल को ना छोड़ ,बस अडिग हो बढ़ चल , मंजिल मिलेगी ना मिलेगी , ये क्या पता हमें,
पर जो भी कहते हैं, उस पर विश्वास हमें।
हर मुश्किल में थोड़ी होती है चुनौती,
पर जब दृढ़ता से जीत लेते हैं, तब खुशी से भर जाते हैं हमें।

मंजिल मिलती है या ना नहीं , इससे फर्क पड़ता है,
जो बीत गया उस पर शोक नहीं, नयी उमंगों का है अभिप्राय।
हर नयी चुनौती से अच्छे से लड़ते हैं हम,
जब तक हौसला हमारा बढ़िया, तब तक कुछ भी नहीं हमारा हार।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये क्या मायने रखता है,
जीवन हमें आनंद देता है जब हम प्रगति करते हैं।
हमने नयी उमंगों से हमेशा संघर्ष किया है,
जब मंजिल मिलती है, तब खुशियाँ हमें जागृत करती हैं।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये तो भगवान जानते हैं,
पर हमें बस यही जानना है, कि जीवन एक यात्रा है।
हम सभी अपनी मंजिलों की तलाश में हैं,
जब तक जीवन हमारे साथ है, तब तक तो हमें बस अपने सपनों को पूरा करना है।

सब्र रख

सब्र रख सब ठीक होगा आज नहीं तो कल होगा , हमारा सब्र हमारा इम्तिहान लेता है सब्र का बांध टूट जाता है, ओर हम बेसब्री में कुछ का कुछ कर जाते है जिसकी वजह से हम अपने रास्ते भटक जाते है, हम अपनी मंजिल से ही कही दूर हो जाते है जिसका हमे पता नहीं चलता उस समय हमारे दिमाग में सिर्फ वही चल रहा होता है की कब होगा , कैसे होगा लेकिन सवाल इतना बड़ा हो जाता है की सब्र का बांध टूट जाता है इस सब्र को पकड़ कर रखना बहुत जरूरी है वरना यह सब्र, धैर्य टूट गए तो हम इसके विपरीत दिशा में बहने लग जाते है इसलिए यह टूटना नहीं चाहिए।

जीवन में, हमें कई बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम थक जाते हैं और उम्मीद खो देते हैं। इन समयों में, सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सब्र से काम लेने से हम भविष्य में सफलता हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी धैर्य बनाए रख सकते हैं।

हालांकि, सब्र का मतलब यह नहीं है कि हमें कुछ नहीं करना चाहिए। सब्र से काम लेने के साथ हमें अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए निरंतर काम करना चाहिए। इसके अलावा, हमें अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने की भी आवश्यकता होती है।

इसलिए, सफलता हासिल करने के लिए सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए सब्र से काम लेने की जरूरत होती है, और अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के साथ निरंतर काम करना होगा, ताकि हमारे जीवन में से सभी कठिनाई खत्म हो जाए।

ए मुसाफिर

ए मुसाफिर
वजह बेवजह तू मुस्कुराता चल
वजह बेवजह तू मुसकुराता चल
बेखबर राहो पर तू आगे निकल

तुझे मिलेगी चुनौतियां
उन चुनौतियों पर कदम बढ़ाता चल
तू चल , तू चल , तू चल

ना थकना
ना रुकना
ना घबराना
ना हार मान जाना तू
बन अपना साथी तू
खुद से खुद में जाकर तू मिल

भूत , भविष्य की फिकर छोड़ दे
वर्तमान के साथ जी तू हर पल
ए मुसाफिर तू कदम बढ़त चल

हर डगर, हर मंजिल पर न तू रुक
बस अपनी मंजिल पर नजर रख कर
बढ़ता तू आगे चल , बढ़त तू आगे चल

जिंदगी एक सफर है

जिंदगी एक सफर है, और हम सभी यात्री है, हम थक जाते है, ठहर जाते है, कभी कभी चल नही पाते है बस फिर भी आगे बढ़ने की इच्छा है, इसलिए जिंदगी के साथ आगे बढ़ते जाते है।

यह जीवन एक चलता हुआ सफर है
और हम मंजिल से बस बेखबर है
मंजिल से बेखबर है लेकिन
इस चलते हुए सफर में,
इंसान तू ठहर मत जाना

थक हार कर तू कही बैठ नही जाना
यह जिंदगी एक चलता हुआ सफर है
बस चलते ही तू जाना,
रुक ठहर तू मत जाना
हौसला टूटता है तो टूट जाने दे लेकिन
तू हौसला टूटता देख मत लड़खड़ाना।

मेने हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी है
उन बहुतों में तू भी ना शामिल हो जाना,
तू भी उनकी तरह टूट-फुट, बिखर  ना जाना

जिंदगी की मौज में सवार होकर तू आगे बढ़ना
कभी जिंदगी को थका हुआ ,
हारा हुआ एहसास न तुम कराना

आगे देख बस बढ़ते ही तुम जाना
पीछे जो मुड़कर देखते है,
वही अक्सर रुके हुए नजर आते है
और फिर कभी आगे नही वो बढ़ पाते है ,
इसलिए सफर को
मुड़कर ना तू  देखना

बस आगे तू बढ़ते जाना
उचाऊ से कभी मत डरना
और नीचाई को अकड़ मत दिखाना,

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना,

धीरे धीरे चल
आराम से चलना जिंदगी की मौज में चलना
हर कदम संभाल कर चलना
कभी लड़खड़ाना, डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना

बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना
बाहे तेरी पकड़ने, साथ तेरा निभाने
कोई ना आएगा
पथ ना कोई दिखायेगा तुझे,
अलग अलग पथों पर भटकाएगा
तुम्हे लेकिन अडिग हो अपने पथ पर चलते जाना है
बल्कि
इसके विपरीत नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
पहले मैं – पहले मैं करता नजर आयेग वह

भरोसा चाहकर भी तू नही उन पर कर पायेगा
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा,
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा
तू रुकना नही

दिन के उजाले को देख खुश ना होना
और रात के अंधेरे में घबरा मत जाना

मंजिल नजदीक ही है बस उसे पाने के लिए
तू अपने पथ पर अडिग चलते ही तू जाना……

क्या बनना है

हम सभी अपनी जिंदगी में कुछ बनना तो चाहते है लेकिन क्या बनना है यह बात बहुत कम लोग ही जानते है, जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वह जो बनना चाहते थे उस रास्ते से भी भटक जाते है, जाना तो कही ओर था लेकिन चले कही ओर जाते है बस इसी दुविधा में अपनी जिंदगी पीछे छोड़ कही दूसरे रास्ते में भटक जाते है ओर उस भटके हुए रास्ते से वापस लौट नहीं पाते क्युकी अब सफर सफर बहुत पीछे छूट गया है बस यही कहते हुए वो लोग नजर आते है……

आपको जिंदगी में क्या बनना है ? और क्यों? यह एक सवाल आपको लगातार चुभना चाहिए , खुद से पूछना चाहिए ताकि आप इस सवाल को हल कर सको, ओर समझ सको अपनी जिंदगी का असल उद्देशय क्या है?

जिंदगी में बहुत सारे भटकाव आते है, उन्मे से ये भी एक बहुत बड़ा भटकाव है लेकिन हमे इसका हल ढूँढना है, हमे जाना तो कही ओर होता है लेकिन हम चल दिए कही ओर ही होते है इसलिए हमे अपनी मंजिल, अपना रास्ता पता होना चाहिए यदि हमे नहीं पता तो उसे खोजना बहुत जरूरी है।

हमारी मनपसंद चीज क्या है? जो हमे करनी है, बस उसको जानना है, यदि नहीं पता तो ढूंढो उसे, उसकी तलाश शुरू करदों, कही वो तलाश अधूरी ना रह जाए ये जीवन की जो प्यास है वो प्यास फिर प्यास ही ना रह जाए

फिर कही देर न हो जाए इसलिए आज से शुरू करो

धन्यवाद

आपका मित्र : रोहित शब्द