कभी कभी मन यू हलचल सी मचाए , कभी जिंदगी यह घबराए ,कभी ख्वाब खूब सजाए ,कभी गम भुलाये ,नज़रों की तारीफ़ों से मैं खुद को भगाऊ ,न उसकी सहमतों से ओर न मेरी अड़हतों , यह पंछी अब पिंजरों से न ठगे, इतनी शरारत करे ये मन
कभी कभी मन यू हलचल सी मचाए , कभी जिंदगी यह घबराए ,कभी ख्वाब खूब सजाए ,कभी गम भुलाये ,नज़रों की तारीफ़ों से मैं खुद को भगाऊ ,न उसकी सहमतों से ओर न मेरी अड़हतों , यह पंछी अब पिंजरों से न ठगे, इतनी शरारत करे ये मन