कभी कभी मन यू हलचल सी मचाए , कभी जिंदगी यह घबराए ,कभी ख्वाब खूब सजाए ,कभी गम भुलाये ,नज़रों की तारीफ़ों से मैं खुद को भगाऊ ,न उसकी सहमतों से ओर न मेरी अड़हतों , यह पंछी अब पिंजरों से न ठगे, इतनी शरारत करे ये मन
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यौवन शरीर या मन
यौवन शरीर या मन से या ज़्यादा मन की स्थिति….
हो सोच का हिस्सा मन में हो उपस्थिति ।
समय अब तो भीतर के यौवन को सँवारो….
समझ से कार्य लो ताकि हम बने हीरो।
यौवन एक सोच ये समाप्त तो फिर बेसाख़ी वाला जीवन…
नहीं मरने देना इसको दो क़ीमती एक बचपन और एक यौवन ।
अभी आपने बहुत क़िले हे फ़तहे करने….
दुश्मन भिड़े तो उसे चबाने पड़े लोहे के चने ।
राम ललवानी के विचार
ध्यान कैसे करे
ध्यान कैसे करे ? ध्यान क्यों करना चाहिए ? ध्यान करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है इस आपाधापी की जिंदगी में अपने मन के विचारों को हम शांत नहीं रख पाते है इसलिए हमे ध्यान करना चाहिए
ध्यान कैसे करे : मन को शांत रखने के लिए हमे ध्यान करना चाहिए , मन ना जाने किधर किधर भागता है उस मन को स्थिर करने के लिए ध्यान करना जरूरी है।
मन के भटकाव को रोकने के लिए ध्यान करना जरूरी है, हमे जीवन में सफल होने के लिए स्वयं के विचारों को नियंत्रित रखना होता है उसके लिए हमे ध्यान करने की आवश्यकता है,
ध्यान तो स्वं घटित होता है , किसी पर चीज पर लगातार ध्यान रहे उसी को ध्यान कहते है ध्यान करने के लिए आपको कही नहीं जाना जहा आप है जो आप कर रहे है बस वही ध्यान हो सकता है, असल में ध्यान वही है,
यदि आप ध्यान करते समय स्थिर नहीं बैठ पाते है तो इसके लिए हमने अलग से एक ब्लॉग लिखा है इसको आप इधर पढ़ सकते है
अपने भीतर की हो रही क्रियायों को सजगता से देखना ही ध्यान है ध्यान जो स्वयं घटित होता है
जब आप भोजन करते है उस समय आप भोजन पर ध्यान दे , कोई भी कार्य कर रहे हो बस उसी पर ध्यान दीजिए उसके अलावा कही नहीं होना आपका ध्यान धीरे धीरे उसी दिशा में केंद्रित होने लगेगा
जब आप पैदल चल रहे हो तो अपने कदमों पर ध्यान दे ये छोटी छोटी किरया आपको ध्यान की गहराई में धीरे धीरे उतार देगी ओर आप अपने भीतर मन की आवाज को ध्यान से सुन पाओगे जिससे आपका मन शांत होने लगेगा ओर ध्यान इधर उधर की व्यर्थ की चीजों में नहीं जाएगा
आपका मन स्थिर हो जाएगा
जहरीले पेय पदार्थ
जहरीले पेय पदार्थ का सेवन बंद करे जब आप किसी चीज पर ध्यान नहीं देते तो वो आपके दिल और दिमाग दोनों से बहुत दूर हो जाती है और लगता है वो अब आपके आसपास है ही नहीं या फिर अस्तित्व ही ख़तम हो गया है ऐसा ही हुआ पेप्सी के साथ भी कल यह बोर्ड देखकर ध्यान आया कि यह भी जिंदगी का अहम हिस्सा था जिसे मै लगातार पिया करता था
यह मेरी एक एडिक्शन ही थी क्युकी जब मै दिन का खाना खाता था तब भी यह चाहिए होती थी , और किसी भी समय पीने का मन करता था तो लेके आया करता था लेकिन आज इसका ध्यान भी नहीं आता। यदि आपकी जिंदगी में कुछ अहम बाते जो आपको परेशान कर रही है तो उनकी ओर ध्यान देना बंद करदे ओर कहीं ध्यान लगाए बहुत जल्द ही आप पाएंगे कि वो आपकी जिंदगी से दूर है अब अब उनकी जगह कोई और लेने लग गया है। जिस चीज के लिए आप बहुत पोसेसिव थे अब वो धीरे धीरे ख़तम होने लग गई है
उस समय कोल्ड ड्रिंक की वजह से मेरा पेट बिल्कुल खराब होने लग गया था और मेरा पाचन तंत्र बिल्कुल नष्ट हो रहा था जब भी कुछ खाता मुझे पता नहीं था और यह परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी जिसका परिणाम मेरा मेरा पेट बिल्कुल खराब और में डरता था कुछ भी खाने से किसी भी समय मै कुछ खा नहीं पा पाता था।
मुझे बार बार पेट को साफ करने के लिए वॉशरूम जाना पड़ता था। और कोल्ड ड्रिंक की वजह से मेरे दांतो के कमजोरी आयी और आज लगभग 5 साल हो गए मुझे कोल्ड ड्रिंक को छोड़े हुए अब में सिर्फ कभी कभार मतलब 4-6 महीने में ले ली तो ठीक वरना नहीं क्युकी अब में कोल्ड के बारे में सोचता भी नहीं हू।, और अब जहरीले पेय पदार्थ का सेवन अब बंद हुआ।
अब मै इस प्रकार के पेय पदार्थो से दूर रहता हू और दूसरो को भी यही सलाह देता हूं कि इस प्रकार के पेय पदार्थो से दूर रहे जूस, नींबू पानी , जलजीरा आदि का सेवन अधिक से अधिक करे।
मन क्या है?
मन क्या है ? मन क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है, यह शरीर से अलग है,
मन हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह मन का स्वभाव है, यह मन की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है, छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है।
जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ कार्यो को करना चाहते है, और खाली बैठ नही पाते मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है। खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।
हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ?
या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है।
हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै ?
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है, तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है परंतु मन नए कार्यो में लगाना चाहता है, ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था ? वही दुबारा चाहता है।
उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है, मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है, अर्थात यह मन नया चाहता है, इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है, तो दूसरे छोर की और भागते है, एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है, एक मिनट भी हम मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।
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