मिट्टी का घरौंदा अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा ही तो है, जो मै बनता हूं बार बार ,
फिर क्यों मैं ? यहाँ पर अपना
दिल और दिमाग इतना मै लगाता हूं
टूट जाता है, यह मिट्टी का घरौंदा जिसे
मैं इतनी मेहनत से बनाता हूं
एक दिन तो छोड़ जाना है सबकुछ, कुछ साथ नहीं मुझे अपने लेकर जाना है
फिर क्यों मैं?
दिल इस दुनिया से लगाता हूं, जो अक्सर टूट हुआ दिल ही नजर आता है, यह शरीर मिट्टी का घरौंदा ही है जो अक्सर टूट जाता है।