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खवाइसे

खवाइसे तो बहुत बड़ी है जिंदगी मे उनको पूरा करू कैसे? बस इतनी सी जिंदगी है खवाइसो को पूरा करने के चक्कर मे फसु कैसे मैं बिन खवाइसो के रहु भी तो कैसे

जिंदगी के ख्वाबों को पूरा करने की खातिर,
संवेदनशीलता और व्यापारिकता दोनों हैं जरूरी।
ख्वाहिशों के पीछे दौड़ो निरंतर,
बिना खवाइसों के भी जीने का सबको आदेश।

जीवन के पथ पर कठिनाइयाँ होंगी,
पर तू ना डर, ना हार मानेगी।
अपने सपनों को पीछे ना छोड़ो,
खुद को नये उचाईयों पर ले जोड़ो।

जिंदगी की महक उड़ान भरेगी तब,
जब तू नई मंजिलों के दरवाजे खोलेगी।
बाधाओं से संघर्ष कर, आगे बढ़,
खवाइसों को तू जीवन में समाधान बना।

ज़िंदगी छोटी सी है, ये सच है ध्यान रख,
पर जीने का मजा है ख्वाहिशों को सच करके।
खुद को पहचान और अपना रवैया बना,
बस फिर देख, खवाइसे खुद ही पूरी हो जाएंगी जब तू जीवन में अच्छाई ला जाएगी साथ।

बड़ी कुटिल

बड़ी कुटिल
बड़ी छली
सी सोच लगती है,
जब मै राजनीति की बाते करने लगता हूं
जिंदगी ही जिंदगी पर एक बोझ लगती है
अभी शुरुआत है या अंत पता नहीं चलता
एक धर्म , एक जाती , एक देश , एक वर्ण
किसी दूसरे का अधिकार बस छलते हुए ही है दिखता
अपनी सत्ता , अपना लालच ,दम, अहंकार और साहस पर क्यों ए इंसान तू चलता है ?
कौन हिन्दू है ? और कौन मुस्लिम है ?
इसका फैसला क्यों ?
ये तुच्छ सा इंसान करता है
धर्म परिवर्तन तो कभी धर्म के नाम पर ही लड़ता है
तकलीफ किसको किससे है ?
भाषा से है या वर्ण से है
ये कोई क्यों नहीं समझता है ?
एक देश है उसके टुकड़े तुम करना चाहो
क्या ऐसा दुस्साहस भी कोई करता है? बड़ी कुटिल बड़ी चली सी सोच लगती है