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बीते हुए दिन

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी, शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके

क्युकी
वो दब गई , दफन हो गई
उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों में

जिनमें मैने की थी मैंने बहुत सारी नादानी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?

ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में,
जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में ,
क्यों गुम हो जाऊ ?
क्या है ख़ास ?
है क्या ख़ास ?
नहीं पता , मुझे नहीं पता

लेकिन फिर भी ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है
लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है
कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है , बताओ आते है ना
वो दिन

वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे
उनमें तुम्हारा बचपन भी था , लड़कपन , जवानी , झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था
तुम्हारे चेहरे पर

लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में , पन्नों में , कलम की स्याही से
जिन्हे फिर से  ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
(उन्मे सिर्फ पुरानी याडे है दबे हुए कुछ अरमान है )
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट ,
दबे आंसू , झलकता जाम
ओर धुंधली यांदे है
जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है

लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन ,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है ,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,
उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरी पुरानी यादे ही तो बन रह गई।

यह भी पढे: जिंदगी की राह, कुछ यादे है, जिंदगी से जिंदगी, अक्सर तुम और मैं,

तेरी आंखे

तेरी आंखे मुझे नोच खचोट जाती है

ये जो तेरी आंखे है न
मुझे नोच डालती है
तेरी आंखे ही है
जो मुझे नोंच डालती है,
इन आंखों पर थोड़ी लगाम रख
इन आंखों में थोड़ी शर्म तो ला
इन्ह आंखों को अब और ना गिरा,
इस तरह से तू आंख निकाल ना बाहर

क्योंकि

ये जो तेरी आंखे है
न मुझे नोच नोच कचोट जाती है।

मैं भी एक इंसान हूं
फर्क की दीवार ना तैयार कर
इन आँखों  में थोड़ी शर्म ला,
शर्म का पर्दा तू भी तैयार कर
इन आंखों से मुझे ना तू
यू तार तार कर

लाज शर्म सिर्फ मेरा ही गहना नही,
खुद की आंखों के लिए तू भी इसे पहना कर
मुझे यू ना तू इन आंखों से रौंदा कर

इस तरह घुट घुट कर मरने से अच्छा,
एक बार मरना होगा ही सही
ये जो तेरी आंखे है ना
मुझे नोच खचोट जाती है

जहा जाती हूं
मेरे शरीर को,
ऊपर से नीचे तक मुझे देखती हुई
तेरी आंखे मुझे नजर आती है,
यह आंखे मुझे रौंद डालती है
लाख बार मेरी इज्जत तार तार कर देती है
ये आंखे मुझे हजारो बार मारती है

इन आंखों से बचु कैसे?
हर वक़्त हर जगह मुझे,
ये आंखे नजर आती है
घर से बाहर जब निकलती हू,
रोड पर जब मैं चलती हूं

लाखो आंखे मुझे घूर घूर मार डालती है,
लाखो बार एक दिन में मैं मर जाती हूं
ये आंखे मुझे रौंद डालती है

कभी ये उन स्कूल कॉलेज  जाते हुए बच्चो की
तो कभी मनचलों की सड़को पर नजर आती है
 
ये आंखे मुझे रौंद डालती है
बस स्टॉप हो या बस का सफर
ऑटो में हूं या कार में,
तेरी आंखे भीतर तक घुस जाती है मेरे….

तन और मन को छल्ली कर नजर आती है
मुड़ मुड़ क्यों देख मुझे तेरी आंखे सताती है
कुछ शर्म लाज रख इन्ह आंखों में
ये तेरी आंखे मुझे क्यों नोंच खाती है
 
बस मुझे ढूंढ कर रौंदना
ये आँखें चाहती है,
ऐसा कौनसा गुनहा किया है मेने
जो ये आंखे मुझे रौंदना चाहती है
छिन्न भिन्न हो मैं जाती हूं,
तिल तिल  मर मैं जाती हूं
जब ये आंखे मुझे रौंद जाती है
अकेली लाचार बेसहारा खड़ी,
नजर में खुद को आती हूं


क्यों
बस एक यही
सवाल खुद से करती हूं मैं,
बेचैन अकेले  हर पल,  हर जगह इस समाज में क्यों  हो जाती हूं मैं
सुबह हो या शाम  कही नही मैं जा पाती हूं।

गली मोहहल्ले
मैं भी चल नही खुलकर मैं सकती हूं,
बंद चार दिवारी में भीतर घर के हो जाती हूं मैं
लगता है डर बहुत,
अब तो डर डर के  बस इस जिंदगी को बिताती हूं
तेरी आंखे जो मुझे नोंच डालती है यह मैं सह नही पाती हूं।

ये हदे पार ना करो
कौनसी सी जिद्द है ये तुम्हारी
कौनसा बदला लेना चाहते हो,
जो तुम इस तरह से मुझे देखते हो

मेरे जिस्म को यू देख कर तार तार ना करो
मैं भी किसी की बेटी, बहन, माँ हूं

मुझे खुद की आंखों में शर्मशार ना करो

यह भी पढे: जिंदगी की राह, इश्क की बात, मेरी आवारगी में, मेरी आँखों को पढ़,

जिंदगी की नई बाते

कभी कबार ठहाके मार हसाती है जिंदगी कभी अपनी सुनाती है, तो कभी रुलाती भी है जिंदगी, बस यू ही हँसते-रोते गुजर जाती है यह जिंदगी

जिंदगी की नई बाते हैं,
हर दिन लाती हैं कुछ नयी रातें।
नए संगीत, नए सपने,
नए अरमान, नए जज़्बातें।

जिंदगी की नई नई बाते हैं,
हर पल लाती हैं कुछ नयी ज़िन्दगियां।
नए रिश्ते, नए मुकाम,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई बातें हैं,
हमें नए उड़ानों में उड़ने की तैयार करती हैं।
नए संघर्ष, नई चुनौतियाँ,
नए सफ़रों में हमें रोमांचित करती हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमें नए सफ़रों में ले जाती हैं।
नए दोस्त, नए रास्ते,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमेशा बदलती रहती हैं ये दुनिया।
पर हमें हमेशा आगे बढ़ना हैं,
नयी ऊंचाइयों को हमेशा हासिल करना हैं।

यह भी पढे: इसीका नाम जिंदगी, जिंदगी बस इसी तरह, सुकून की जिंदगी, जिंदगी से कुछ बात,

मनुष्य होना मेरा भाग्य

मनुष्य होना मेरा भाग्य..
आपसे जुड़ना मेरा सौभाग्य ।
आप से कुछ में सीखूँ…
स्वयं को सही से सींचूँ ।

वो जीत नही वो हे हार!!!!!
जिसमें नीचा दिखाने की दरकार ।
दिल किसी का जीतना बड़ी बात !!!!
जी लो जीवन के ये सच्चे जज़्बात ॥

भाग्य ने धर्म निभाया ,जन्म हुआ मनुष्य का।
मनुष्य धर्म धारण करे बल मिले आत्मा का ।
आत्मा विस्तारित तो सब काम परमात्मा का॥
ये विचार प्रमाण शुभ मानसिक सोच का ।

सूर्य सुबह जगता…
धरती का विघनहर्ता ।
सब ओर जीवन संवरता..,
सूर्य सुबह जब जग़ता ॥

यह जिंदगी ना तेरी

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
जिंदगी रूठ ना जाये कही

चलता रहा साथ जिंदगी के
यह थम ना जाये कही

तू सांस लेले खुलकर
कही सांस रुक ना जाये यही

जी ले थोड़ा सा जिंदगी को यही
कौन जाने अगला पल है या नही

दम भर ले जितना तू चाहे
फिर दम भरने को तू होगा या नही

फिर कही ये दम छूट ना जाये
हुंकार मार , दहाड़ , चिल्ला

जीवन को जी खुलकर आज और यही
अगला पल किसको खबर है या नही

आज तू इसका यही बुगल बजा
नाच हंस खिलखिला बस तू यही

पता चलने दे हर लोक को गाथा तेरी ,
अगला पल किसको खबर है या नही

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
यह जिंदगी रूठ ना जाये कही

यह भी पढे: जिंदगी बस इसी तरह, हिन्दी कविताए, जिंदगी की राह,

जिंदगी से जिंदगी

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके
क्युकी वो दब गई, दफन हो गई

उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों
जिनमें मैने बहुत सारी नादानी की थी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?
ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में, जिंदगी से जिंदगी की कुछ मुलाकाते

जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में,
क्यों गुम हो जाऊ?
क्या है ख़ास?
है क्या ख़ास?

नहीं पता, मुझे नहीं पता
लेकिन फिर भी ना जाने क्यों?
ना जाने क्यों?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है

लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है, बताओ आते है ना
वो दिन
वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे

उनमें तुम्हारा बचपन भी था, लड़कपन, जवानी, झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था तुम्हारे चेहरे पर
लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में, पन्नों में,
कलम की स्याही से जिन्हे फिर ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट,
दबे आंसू, झलकता जाम

ओर धुंधली यांदे है जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है
लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,

उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरे बीते हुए दिन है
बीते हुए दिन है, जिंदगी से जिंदगी की मुलाकते है।

यह भी पढे: जिंदगी क्या है, जिंदगी कैसी है, क्या है जिंदगी, जिंदगी बस इसी तरह,

हार की संभावना

यदि हार की कोई संभावना ना हो, तो जीत का कोई अर्थ नहीं है। हार की संभावना ने
अधिक सोचा मुझे भाई
क्या ये सोच हमें लड़ाती है
या हमें करीब ले जाती है?

कभी-कभी जीत से ज्यादा
हमें हार का डर सताता है
पर जब हम हार को गले लगाते हैं
तो नई जीत का आनंद मिलता है

हमें समय समय पर नहीं भूलना चाहिए
जीत और हार एक जैसे होते हैं
हार हमें नए पथ पर ले जाती है
जहाँ नए अवसर होते हैं

यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है
हार और जीत

जिंदगी की मुसीबतों से
हमें कुछ ना कुछ सीखना होता है
हार से हमें सीख मिलती है
और हम नए जीवन का संचार करते हैं

तो डरने की जगह जीत के लिए लड़ें
और हार को अपने साथ चलाएं
क्योंकि जीत हार का परिणाम होती है
और हार जीत का द्वार खोलती हैं।

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जो होना है हो जाऊ

यह जो फ्यूचर है ना
इसके लिए क्या करूँ 
क्या रोउ, चिल्लाऊं, भागू 
या 
दौड़ लगाऊ 

क्या मैं पागल हो जाऊं ? 
कुछ समझ नही आता 
उठ खड़ा तो जाता हूं 
लेकिन भाग नही पाता हूं 

क्योंकि जो होना है 
वो तो होकर ही रहना है 
फिर क्यों मै घबराउ

डर के उठ खड़ा क्यों हो जाउ ?
दौड़ मैं लगाऊ क्यों ?
उस दौड़ का है क्या फायदा ?
जिसमे कुछ हासिल नही होता है 

सिर्फ इंसान रोता है 
अपने चाहे कितने अपने हो 
अंत मे सब को खो देता है 
क्यों इंसान रो देता है 

सबकुछ तो वो खो ही देता है 
कुछ करना चाहे भी 
तो कर नही पाता है 

बस चुपचाप खड़ा तमाशा देखते है
और खुद भी एक तमाशा बन जाता है 


#Rohitshabd

समय अब पूरा

समय अब पूरा होने लगा ,समय का कुछ हिस्सा बाकी था।
अब वो भी खत्म होने लगा
कुछ काम हो गया कुछ और रह गया
यहाँ होने की समय सीमा पूरी होने लगी है

कुछ और वक़्त पूरा होने को है।
कुछ देखने के लिए रुके हुए यहाँ
वक़्त और नजदीक आने लगा है

किसी का इंतज़ार है बस अब
उनके आने पर हम भी चल चलेंगे
उन्होंने कहा था, वही आकर मेरा हाथ पकड़ेंगे
और हमे अपने साथ वो ले चलेंगे

बस वही उत्सुकता बढ़ रही है
आज मुझमे भी कुछ हलचल हो रही है
खुद को रोके रोक नहीं पा रहा हूँ
बस अब इंतज़ार के पल  मैं भी बीता रहा हूँ

सब्र का बाँध टूटने लगा है
अब समय पूरा होने लगा है
कुछ हिस्सा बाकी था
अब वो भी खत्म होने लगा है।

जिंदगी का हाल

जिंदगी का हाल क्या बताऊ

तेरे बिना कुछ ऐसी है और कुछ वैसी है जिंदगी

और जब  तू साथ है तो  लगता है कि कुछ है जिंदगी

जिंदगी का हाल क्या बताऊँ ?

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है

बस मसक्कत से भरी है जिंदगी

जब 

तू दूर जाती है तो रूठ जाती है जिंदगी

तू पास आती है

 तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है ये जिंदगी 

गम ए छुपाये नहीं ये छुपता

लगता है बेमुरम्मद सी है जिंदगी

आंसुओ से आँखे भर भर जाती है

जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है

चिरागे रोशन तू  कर जाती है

 जब तू फिर से पास आती है

ना जाने 

क्यों तेरे बिना ?

बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी

लगता है कुछ फटेहाल सी है जिंदगी

लेकिन

जब तू पास होती है तो कमाल सी है जिंदगी

ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये  जिंदगी

इसलिए

तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर

वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी

अगर

तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी

तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है 

तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी

जिंदगी जिंदगी जिंदगी