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जिंदगी की मसकक्त

मैं आज भी उस दौड़ का हिस्सा हूँ ,एक कहानी हूँ, एक किस्सा हूँ कभी भागता हूँ, कभी रुकता हूँ ,जिंदगी की मसकक्त से इंसान हूँ

बस न रुकता हूँ न थकता हूँ, जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और जीते जाओ सदा।
जीवन का सफर होता है थोड़ा मुश्किल,
पर चिंता मत करो और हर पल को मस्ती से जीते जाओ।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और मुस्कुराते जाओ सदा।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से होंगे हर पल झमेले,
पर चिंता मत करो और उमंग से जीते जाओ।
हर एक पल को खुशी से जीतो,
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा।

जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जिंदगी की नई सोच

जिंदगी की नई सोच के साथ जीवन को नया बनाओ

हर रोज नया कुछ सोचो

हर रोज अच्छा सोचे

हर रोज नया कुछ करने की सोचो

हर रोज क्या नया कर सकते हो ?

हर रोज नए सपनों को उन कोर कागज पर लिखो

जिसको आप पूरा कर सकते हो, या कर चाहते हो

हर रोज एक नयापन हो जीवन में इस तरह से सोचो

हर रोज को किस तरह से बेहतर बना सकते हो इस तरह से कुछ करो

अपने हर रोज के काम में

क्या जोड़ सकते हो उसके बारे में सोचो, कितना बेहतर हो यह जीवन

जिंदगी की नई सोच के साथ

मन में सपनों

निकला था उस ठिकाने को ढूँढने जिसका पता भी नहीं मालूम,
मन में सपनों के अलग ही उत्साह लिए हुए।
जाने क्या मिलेगा रास्ते में,
पर मन में जज्बातों के तूफान उठे हुए।

ये दौड़ जीवन की ये चुनौती है,
जिसे अपनी ताकतों से माना जाना है।
अपने सपनों की तलाश में निकलो,
खुद को अगली मंजिल पर पहुँचाना है।

रोक नहीं सकती ये दुनिया तुम्हें,
जो तुम्हारे सपनों की उड़ान भी नहीं रोक पाती।
सफलता की राह में होगी बहुत चुनौतियां,
पर हार नहीं मानो, जीत को प्राप्त करो तुम भी।

ये दिन नहीं रहेंगे दूर,
जब तुम अपने सपनों की उड़ान उड़ा पाओगे।
रास्तों में मिलेगी अनजानी खुशियाँ,
तुम्हारी मेहनत और उमंगों से बरसाओगे।

निकला था उस ठिकाने जिसका पता भी नहीं मालूम,
पर मन में सपनों के अलग ही उत्साह लिए हुए।
दिल में अग्नि भर दो तुम,
सपनों की उड़ान तुम्हारे कदम चलाएगी आगे।

मैं कुछ लिखना चाहू

मन के इन सदृश पन्नों पर

मैं कुछ लिखना चाहू

मन भीतर की कल्पनाओ से

इस जीवन को जैसा चाहू वैसा मैं बनाऊ

इस मन को

इस मन को

जीवन की

उधेड़ बुन में

मैं ना उलझाऊ – मैं ना उलझाउ

मन अलग अलग राहों में उलझे

कैसे मैं इसको सुलझाऊ

मन भीतर

मन भीतर

मन भीतर करे राग द्वेष

तन बैरी हो जाए

इच्छाओ का लगाके मेला

इस तन को खूब नाच नचाए

जगत के इन दृश्यों में

यह मन अटक बार बार जाए

जगत जाल में यह तन फँसता जाए

अरे मेरा तन बैरी हो जाए

यह तन बैरी हो जाए

चल उठ और दौड़

चल उठ खड़ा हो जा
दुनिया भाग रही है
तू भी चल उठ खड़ा हो जा
दुनिया दौड़ रही है

तू भी उठ खड़ा हो जा
सोने दो यार मुझे नही खड़ा होना
नही खड़ा तू हो जा ….

अच्छा
चल ठीक है तू
रहने दे यार
मेरे ख्याल से तो तू सोजा
चल छोड़ तू यार सो ही जा

चल उठ

तू क्या करेगा भागकर
तू करेगा क्या जागकर
तू चद्दर तान और बस सोजा

तेरा अब काम नही है
तुझमे अब वो दमखम भी नही

तू तो नाकाम ही सही
तू हिम्मत हार चुका है
तू परिश्रम कर थक चुका है
खुद को नाकाम समझ तू रो चुका है
खुद को हारा मान चुका है

इसलिए
तू तो सोजा चद्दर तान और बस सो जा
ना भागेगा ना हिम्मत बढ़ाएगा
सिर्फ तू भीड़ बढ़ाएगा
भीड़ में उत्साह घटाएगा

जा तू सोजा चद्दर तान और सो जा
चल सोजा
नही रुको मैं उठता हूं
मैं आता हूं
मैं चलता हूं ,

सुनो मैं परिश्रम कर थका नही हूं ,
मैं नाकाम सही लेकिन
हिम्मत मैं हारा नही हूं
मैं भागूंगा नही लेकिन उत्साह बढ़ाऊंगा ,

मैं भीड़ का हिस्सा सही
लेकिन भीड़ का उत्साह बढ़ाऊंगा
ना रुकूँगा ना रुकने दूंगा ,
न थकूंगा ना थकने दूंगा
ना सोऊंगा ना सोने दूंगा
मैं सबसे आगे बढ़कर
ही अब दम लूंगा

रुकना तेरा काम नहीं

रुकना तेरा काम नहीं, चलते हुए सफर में
तू रुक ना जाना
थक कर हार ना जाना
बस चलते ही तू जाना

हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी
तू भी उनकी तरह टूट ना जाना
आगे देख बढ़ते जाना पीछे
जो मुड़कर देखते है वो रुकते है

इसलिए सफर को मुड़कर ना
देखना बस आगे तू बढ़ना
उचाऊ से मत डरना
नीचाई को अकड़ मत दिखाना

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना
आराम से चलना
हर कदम संभाल कर चलना


कभी डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना
बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना

रुकना तेरा काम नहीं ,बाहे तेरी पकड़ने कोई ना आएगा साथ तेरे
रास्ता ना कोई दिखायेगा तुझे
उल्टा नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
भरोसा चाहकर भी नही तू कर
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा

समय का अंधेरा तला

समय का अंधेरा तला
जिसके अंदर तू बैठा छिपा आ बाहर आज तू फिेर से कर
चहल पहल
कुछ तो कर
ना बैठ यू तू

क्यों तू है सहमा सहमा
क्यों है तू बैठा यू
समय के उस अंधेरे तले में
ना छुपकर यू बैठ तू

आ बाहर कुछ फुसफुसाहट करे
आ चल उठ कुछ बात करे
थोड़ा सा साथ चले
थोड़ी सी कुछ शरारत, गुदगुदाहट करे
आपस में कुछ और की बात करे

चल उठ खड़ा हो कुछ दूरी ,
कुछ फासले हम तय करे
जो मंजिल राह देख रही है तेरी,
उस मंजिल की और आ आज साथ हम चले

कुछ दूरियां कुछ फासले तय करे हम
हो जाने दे कुछ हरकत , हो जाने दे जो होना है
जिंदगी जी लेने से पहले
काहे अंधेरे तले में
हम छिपकर मरे

बाहर आ रोशनी में ,
देख चकाचोंध रोशनी सूरज की ,
यह सूरज कैसे खुद जल कर
दुनिया को रोशन करे

चल उठ खड़ा हो
कुछ दूरी कुछ फासले हम तय करे
तू काहे समय के अंधेरे तले में
जी लेने से पहले क्यों तू मरे

समय का अंधेरा तला
जिसके अंदर तू बैठा छिपा आ बाहर आज तू फिेर से कर
चहल पहल

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