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उलझ

उलझ एक हिन्द फिल्म जो इस शुक्रवार को सिनेमा में रिलीज हुई, दर्शकों को फिल्म तो पसंद आ रही है लेकिन जाह्नवी कपूर की ऐक्टिंग बिल्कुल भी नहीं पसंद आ रही, क्युकी इनके पास ईमोशन, डरना, ओर कहाँ कॉन्फिडेंट होना है कहाँ डरना है इस बात का कोई इल्म ही नहीं है,

यह फिल्म जाह्नवी कपूर को लेकर बनाई गई है, इस फिल्म का रिव्यू तो नहीं दे रहा मैं लेकिन जाह्नवी कपूर की थोड़ी सी बुराई कर रहा हूँ, क्युकी जाह्नवी कपूर को फिल्म तो अच्छी मिली लेकिन उसकी ऐक्टिंग बहुत ही खराब है, जाह्नवी कपूर सीन में फिट हो सके उसी तरह से फिल्म को काफी जगह मोड़ा गया है, नहीं तो यह फिल्म काफी अच्छी चल सकती थी, यदि उलझ फिल्म किसी दूसरी ऐक्ट्रिस को लिया जाता या फिर किसी मेल कलाकार को ही फिल्म में भूमिका निभाने के लिए रख लिया जाता तो शायद फिल्म इससे कई बेहतर हो सकती थी।

कुछ सीन इतने खराब थे जिनको देखकर हंसी आती है इतनी छोटी छोटी गलतिया फिल्म में की गई है, जो बहुत छोटी फिल्मों में भी नहीं की जाती इसलिए इस फिल्म को देखने से पहले सोचे की आप यदि जाह्नवी कपूर की वजह से जा रहे है तो बिल्कुल भी न जाए, फिल्म को देखे ओर जाह्नवी कपूर को इग्नोर करे।

फिल्म की कहानी तो अच्छी है लेकिन कहानी से ज्यादा दिमाग खरब जाह्नवी कपूर की ऐक्टिंग करती है जब भी दिमाग फिल्म में लगाने की कोशिश करता हूँ तभी जाह्नवी कपूर अपनी ऐक्टिंग के जरिए फिल्म देखने का मन उतार देती है, जाह्नवी कपूर के अलावा सभी कलाकारों ने बेहतर अभिनय निभाया है, जिसके चलते आप फिल्म देख सकते यही लेकिन बस एक ही शर्त है की आप जाह्नवी कपूर को इग्नोर करे तभी आप फिल्म को अच्छे से देखने का आनंद उठा पाएंगे।

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hi papa

hi papa बहुत समय बाद एक पारिवारिक बेहतरीन फिल्म देखी hi nana विराज उर्फ नानी इस फिल्म में एक पिता की भूमिका निभाते है, ओर उनकी एक बेटी होती जिसे वो बेहद प्यार करते है, वैसे तो हर पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करता है, चाहे वो लड़का हो या लड़की उसे इस बात से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन नैनी आपको बहुत रुलाते है इस फिल्म उनका अन्कन्डिशनल लव अपनी पुत्री के प्रति बहुत ही भावुक कर देता है। इस फिल्म में मृणाल ठाकुर उर्फ यासना, शरुती हसन, अंगद बेदी, किआरा खन्ना जिन्होंने विराज की बेटी का रोल किया है, इस नन्ही कलाकार ने दिल ही जीत लिया बहुत बेहतरीन ऐक्टिंग की है, बहुत शानदार किरदार निभाया है हर किसी का रोल बहुत ही उम्दा है।  

hi papa फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है जिसे देख मन में संगीत बज उठता है, यह फिल्म आपको रुलाती है बहुत मीठी मीठी हंसी का एहसास कराती है, भावनाओ से ओत प्रोत कर देती है।

खैर आजकल की फिल्मों से तो प्यार नाम का मतलब ही कुछ ओर हो गया है, इस फिल्म में बहुत अच्छे तौर पर प्रेम को दर्शाया गया है, इस रकर की फिल्मों को बार बार बनाया जाना चाहिए जिससे हमारी भावनए जीवित रहे नहीं तो वही मार काट देख कर हम लोग जानवरों की तरह व्यवहार करने लग जाएंगे शायद उनसे भी बदत्तर हो जाएंगे जिस तरह से आजकल फिल्मों में खून खराबा दिखाया जा रहा है।

फिल्म की कहानी में नानी ओर मृणाल ठाकुर एक दूसरे से प्रेम करते है ओर शादी कर लेते है उनका एक बच्चा होता है, ओर कुछ समय बाद यासना ओर विराज का एक्सीडेंट हो जाता है, लेकिन दोनों बच जाते है, लेकिन यासना विराज की पत्नी अपनी यादस्त खो बैठती है जिसके कारण वह अपनी पिछली जिंदगी भूल जाती है ओर उन्हे कुछ याद नहीं रहता यही से दोनों अलग अलग हो जाते है। ओर फिर से कहानी एक नया मोड लेती है जिसे आपको खुद ही देखकर रोमांचित होना चाहिए इसलिए मैं पूरी कहानी नहीं बता रहा इस फिल्म को देखिए ओर बताए की फिल्म आपको कैसी लगी।

hi papa फिल्म इस समय नेटफलिक्स पर उपलब्ध है

एनिमल फिल्म रिव्यू

एनिमल फिल्म रिव्यू : हर एक किरदार ने फिल्म में ऐक्टिंग तो शानदार की है, सभी पात्रो ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, फिल्म की कहानी उतनी अच्छी नहीं है, एक बेटा अपने पिता से बेहद हद तक प्यार करता है, अपने पिता के लिए वो दुनिया को भी तबाह कर देना चाहता है, लेकिन गलत रास्ते को चुनते हुए, उसका गुस्सा, उसके आर्ग्यू उसको हमेशा सही लगते है, फिल्म को हमेशा इस तरह से ही दिखाया जाता है की हीरो जो कर रहा है वही सही है, चाहे वो गलत हो, लेकिन असल जिंदगी इससे बहुत हटकर होती है, यह आपको कत्ल करना, बलात्कार करना, नंगापन सिखाते है ओर हम इन लोग इसे सीखकर बिल्कुल सही मान लेते है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है, इतना खून खराब इन फिल्मों में जो एक छोटे बच्चे पर किस तरह से असर करता है, उसका पूरा जीवन बदल जाता है, फिलहाल यह फिल्म 18 साल के ऊपर के लिए इसलिए 18 की उम्र से नीचे के बच्चों को यह फिल्म ना ही दिखाए तो बेहतर है, लेकिन आजकल इंटरनेट का सोर्स इतना है की बच्चे कुछ भी देख लेते है । फिर यह फिल्म कौनसी बड़ी बात है।

फिल्म में कलाकार अनिल कपूर, रणवीर कपूर, प्रेम चोपड़ा, राश्मिका मँदाना, शक्ति कपूर, बॉबी देओल ,

एनिमल फिल्म रिव्यू यह फिल्म एक फॅमिली ड्रामा है, इस प्रकार की कहानी पहले भी बन चुकी है ओर अब थोड़ी सी नए रूप में बनाई गई है, कहानी पहले भाग में भाग रही है आंखे परदे से हटती नहीं है जैसे सीट पर फेविकोल लगा कर खुद को चिपका लिया हो लेकिन इनर्वल के बाद फिल्म धीमी हो जाती है, जहां फिल्म की साँसे टूटने लगती लगती है, ओर कुछ ऐसे सीन डाल दिए जाते है फिल्म में जो बिल्कुल भी जरूरी नहीं है, इसके साथ ही कुछ पहलू अनछुए छोड़ दिए है इस फिल्म में, फिल्म के आखिरी सीन को देखकर लगता है की फिल्म का दूसरा भाग भी बनेगा ओर हो सकता है।

इस फिल्म में प्रेम को शारीरिक संबंध के तौर पर दिखाया गया है, क्या औरत का शरीर सिर्फ संभोग करने के लिए ही है, क्या औरत को अल्फा मेल पसंद होते है? राश्मिका मँदाना ओर तृप्ति ढींगरा इस तरह के रोल करने के लिए राजी हुई जो बहुत सोचने लायक है। प्यार का मतलब आप किसी के जूते चाटने के लिए तैयार हो जाओगे क्या ? आप शारीरिक संबंध बनाने के लिए खुद को कितना भी गिर सकते हो? इस तरह के निर्देशक जो फिल्म बनाते है लगता है इनको जीवन में किसी भी प्रकार से प्रेम नहीं मिला ओर ये अपने जीवन से असन्तुष्ट है तभी इस तरह की फिल्म बनाते है।

इतनी कैजुअल ऐक्टिंग जब रणवीर कपूर लड़ाई करता है तो, उसके दौरान गाना बहुत ही अजीब सा लगता है, जिसका कोई मतलब नहीं बनता, ये लोग क्यू पारिवारिक फिल्मे नहीं बनाते, फिल्म में कुछ सीन ओर कई डाइअलॉग जो बिल्कुल सही नहीं है।

यह फिल्म 3:21 घंटे की है, फिल्म को थोड़ा छोटा बनाया जा सकता था क्युकी कुछ सीन बहुत जबरदस्ती के जोड़े गए है जिनकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी, जबरदस्ती में सेक्स पर फोकस कराया गया है, जो भद्दी मानसिकता को दर्शाता है,

इस फिल्म को थोड़ा छोटा बनाना चाहिए था, पहले भाग में बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती बॉबी देओल का फिल्म में काफी छोटा रोल है पहले हाफ तक बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती।

फिल्म जरूर देखनी चाहिए एक बार आपको बहुत कुछ पता चलता है, आपका दिमाग कन्फ़्युशन में छोड़ दिया जाता है की आप अपनी जिंदगी में क्या सही क्या गलत करते है यह आपको नहीं पता होता, उन्हे अच्छे से समझे ओर फिल्मों को फिल्मों की तरह ही देखे यह आपकी असल जिंदगी को प्रभावित न करे।

भगवांथ केसरी

भगवांथ केसरी में नंदमुरी बालाकृष्ण, श्रीलीला, काजल अग्रवाल और अर्जुन रामपाल जैसे सितारों वाली फिल्म अक्टूबर में रिलीज हुई थी और जैसे ही फिल्म रिलीज हुई हर तरफ इसी के चर्चे होने लगे. इसी का असर था कि कई बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म इस फिल्म को खरीदने की होड़ में थे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर फिल्म किस ओटीटी प्लेटफॉर्म ने भगवंत केसरी के राइट्स खरीदे हैं तो आपको बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो पर ये फिल्म रिलीज हो गई है.

सिनेमाघरों में कुछ ऐसी फिल्में भी रिलीज होती हैं, जिन्हें देखने के लिए सिेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. भले ही ये फिल्में कम बजट में बनी हों, लेकिन इनकी कहानी इतनी जबरदस्त होती है कि कोई भी खुद को ये फिल्में देखने से रोक नहीं पाता. पिछले महीने ऐसी ही एक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसे देखने वालों की सिनेमाघर में भीड़ लग गई. इस फिल्म की सफलता को देखते हुए अब फिल्म के मेकर्स इसे ओटीटी पर रिलीज करने की तैयारी में जुट गए हैं. ये फिल्म है ‘भगवंत केसरी’, जो ‘गणपत’ और ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई और दोनों ही फिल्मों को जबरदस्त पटखनी देते हुए कमाई के मामले में काफी आगे निकल गई.

भगवांथ केसरी फैंस लंबे समय से फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने का इंतजार कर रहे थे, जो अब खत्म हो गया है. नटसिंह्मा नंदमुरी बालकृष्ण और श्री लीला की फिल्म के राइट्स ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम ने खरीद लिए हैं. यानी अब आप ये फिल्म अमेजन प्राइम पर आसानी से देख सकेंगे. फिल्म 24 नवंबर को ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जा चुकी है, अब इसका हिन्दी वर्जन अमेज़न उपलब्ध है, फिल्म बहुत ही शानदार है। फिल्म की कहानी में दम है,

नंदा बालकृष्ण मूरी अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के लिया बहुत ही विख्यात है, इनका अपना ही एक अलग अंदाज है, इनके डाइअलॉग दर्शकों को बहुत लुभाते है, गुंडे तो कांपने लगते है इनको देखकर फिल्मों में जब ये बोलते है सब चुप हो जाते ओर जब मारते है तो बचते नहीं मार ही जाते है।

ताली सीरीज

सुष्मिता सेन की ताली सीरीज आज जिओ सिनेमा पर आज लॉन्च हुई है , थोड़ा पतंग उड़ाने में व्यस्त रहे हम इसलिए देख नहीं बस जब रात को काम करने के लिए बैठे तो याद आया की फिल्म भी लॉन्च हुई है , तो देख लेते है , तो हम बैठ गए देखने के लिए आपको फिल्म के बारे में बताना भी था न तो ये भी बनता है की फिल्म देख ली जाए , वैसे तो सोने का मन कर रह था लेकिन जब सीरीज शुरू कर दी तो बंद करने का मन नहीं किया इसलिए पूरी देखली।

सुष्मिता सेन पहले से ही एक बेहतरीन अदाकारा है , इस फिल्म में तो उन्होंने अपनी ऐक्टिंग से चार चाँद लगा दिए है , सुष्मिता सेन उर्फ गौरी

समानता की लड़ाई : सबको समान अधिकार का कानून , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर को भी वही हक मिलना जो स्त्री ओर पुरुष के लिए। सीरीज के पहले में भाग में सुष्मिता सेन कोर्ट पहुचती है तब उनके ऊपर हमला होता है।

सीरीज के दूसरे भाग में : सुष्मिता सेन के डाइअलॉग काफी अच्छे लिखे गए है। जिंदगी की जद्दोजहत सर्वाइवल की लड़ाई ये दूसरी लड़ाई है इस कहानी में
सुष्मिता सेन इस चैप्टर का नाम देती है फीलिंग इस चैप्टर में ईमोशन है कहानी बनती है , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर की ओर यहाँ गौरी ट्रैन्ज़्जेन्डर बनने की कोशिश करती है ओर उनके रहन सहन से रूबरू होती है।

कहानी का तीसरा भाग जिसमे राही चल रहा है : अब सुष्मिता सेन वापस मुंबई आ जाती है
ओर अब वह एक ट्रैन्ज़्जेन्डर बनती है अभी तक वह अंदर से ट्रैन्ज़्जेन्डर नहीं बनी थी, इस फिल्म में सुष्मिता सेन ट्रैन्ज़्जेन्डर के हक की लड़ाई लड़ती है। जिसमे उनको भी आधार कार्ड , पान कार्ड , ओर व्यवसाय करने का हक मिले जो अभी तक इस हक से यह वंचित थे, समाज इन्हे बुरी नजरों से देखता है उन नजरों में बदलब लाने की लड़ाई , उनके हक की लड़ाई, इसी पर यह कहानी आगे बढ़ती है।

कहानी के 4 से 6 भाग तक कहानी बहुत तेज भागती है ओर इस सीरीज को बंद करने का मन नहीं करता, क्युकी हर एक सीन इस तरह से दर्शाया गया है मानो आप उस घटना को होते हुए अपनी आँखों के सामने ही देख रहे है।

इस कहानी में वो समाज भी है जो किसी को उभरने नहीं देता , उस समाज का कड़वा सच जो किसी को समान अधिकार देने से अब भी घबराता है, ओर उस समाज का एक भद्दा चेहरा भी नजर आता है जो किसी को घृणा की नजर से भी देखता है।

कहानी आगे बढ़ती है ओर जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है सुष्मिता सेन कमाल करती ही नजर आती है उनकी ऐक्टिंग इस सीरीज को चार चाँद लगा देती है, हर एक सीन में तालिया बजाने को मन करता है। जैसा की सुष्मिता सेन कहती है ताली बजाऊँगी नहीं बजवाऊँगी

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आदिपुरुष फिल्म रिव्यू

बात करते है आदिपुरुष फिल्म के बारे में इस फिल्म की कहानी तो हम सभी जानते है, लेकिन रामायण जितनी बार देखी व सुनी जाए उतनी बार नई शिक्षा मिलती है , कुछ नया सीखने को मिलता है बस यही कारण था मेरा इस फिल्म को देखने का वैसे भी काफी लंबे समय से कोई ऐसी फिल्म नहीं देखी है।

रावण

मुझे सैफ अली खान से कोई एतराज़ नहीं है न ही फिल्म के किरदारों से मुझे दिक्कत है om raut से क्युकी जिस तरह से दिखाना या दर्शाना चाहिए था ऐसा कुछ नही था, फिल्म में इस दशानन वाले सीन के अलावा सैफ अली खान की एक्टिंग थोड़ी बहुत ठीक थी, लेकिन इतने सारे दृश्य ऐसे थे जहां पर सिर्फ हसीं आ रही थी, और फिल्म को बीच में छोड़ कर जाने का मन कर रहा था परंतु पैसे तो मेरे लगे थे, Om Raut के नही इसलिए मैने फिल्म को पूरा देखा।

यह 2.59 घंटे की फिल्म है जिसमें आपको अच्छे डायलॉग , इमोशन नहीं मिलते और हम सभी के प्यारे हनुमान जी के मुख से एक बार भी जय श्री राम नही सुनाई देता, इस फिल्म में श्री राम जी को राघव नाम से संबोधित किया गया व लक्ष्मण जी को शेष नाम से।

सबसे गजब की बात तो यह दिखती है की फिल्म में खतम करने की जल्दी बहुत दिखाई गई है। कोई भी अच्छे से कवर किया ही नहीं है पता नहीं फिल्म के डायरेक्टर इस फिल्म को खत्म करके जाना कहां चाहते थे।

इमोशन का कोई स्थान नहीं है, ना ही कोई भी सीन बहुत अच्छी तरह से फिल्माया गया है, जिस जगह जरूरत थी फिल्म को दर्शकों के साथ जोड़ने की वो कोशिश भी पूरी तरह से नही की गई।

इस फिल्म में एक गलती नही बल्कि खूब सारी गलतियां की गई है शब्दों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ दिया गया है,भाषा का दुरुपयोग किया गया है रामायण के नाम पर इन लोगो एकता कपूर का सीरियल दिखा दिया।

जब रावण सीता माता का हरण कर रहा था तब श्री मुख से एक बार भी सीता सीता नही निकला था यह एक साधारण सी बात हुई है जैसे इस तरह से फिल्माया गया।

माता शबरी वाला सीन भी बिलकुल खराब कर दिया साथ ही सीन सही तरीके से नही दिखाया गया।

मनोज मुंतशीर के कुछ भद्दे शब्द जिन्होंने फिल्म का स्तर गिरा दिया

1) “कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की”

(2) “तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया”

(3) “जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे उनकी लंका लगा देंगे”

(4) “आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं”

(5) “मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है”

Point 1. Single star movie
2 ticket price high on weekend because they know after this week no one will see
3 fault language and dialogue are so bogus
4. Acting level is like Tv serial
5. No emotion in this Epic tale
6. Chanting of Ram Ram and Jai Hanuman is missing
7. First part bit ok but 2 half is completely flat
8. Ye film toh baccho ke liye bhi nahi hai bachhe kya sikhenge is film ko dekhkar ki hanuman ji is tarah se baat karte hai?


I think don’t waste your money anymore
in cinema for this Adipurush movie  better to watch Ramayan at home

Is film ko 1.5 staar ki rating bahut hai wo isliye ki Bollywood ne aese effect and all ke liye effort lgai otherwise movie is not worth watch

इरफान खान

अभी बस यू ही बैठा हुआ था और ऐसे ही यू ट्यूब पर कुछ नहीं दिख रहा था देखने को आजकल मिलता भी क्या है कुछ अच्छा देखने को , तो रीमोट के कान मरोड़ते हुए अब फिल्म लग गई मदारी बस फिर क्या था देखना शुरू कर दिया सोच थोड़ी देर देखते है , फिल्म इतनी बेहतर थी एक और बार पूरी फिल्म देख डाली इरफान खान की ऐक्टिंग तो बहुत ही शानदार है, उन्होंने अपना किरदार बहुत ही जबरदस्त तरीके से निभाया है एक मँझा हुआ कलाकार , साथ ही इसमे जिम्मी शेरगिल की ऐक्टिंग भी बहुत बढ़िया है, जिमी शेरगिल एक अच्छे मंझे हुए कलाकार है फिर भी पता नहीं क्यू लगता है की जहां उन्हे होना चाहिए था वो आज वहाँ नहीं है।

जिम्मी शेरगिल ने कई फिल्मों बहुत अच्छा अभिनय निभाया है परंतु वह एक बड़े कलाकार के रूप कभी नहीं दिख पाए या फिर उन्हे आगे कभी आने नहीं दिया।

यह बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ कुछ लोगों के लिए चल रहा है ऐसा बहुत बार लगता है जिसमे खान ओर कपूर इन लोगों का नाम सबसे पहले आता है इनके अलावा स्टार किड जिनको बहुत आसानी से फिल्मों में जगह मिल जाती है चाहे उन्मे ऐक्टिंग का गुण ही न हो।

बात इरफान खान की मदारी फिल्म की कर रह थे हम, यदि आपने पहले यह फिल्म नहीं देखी तो जरूर देखिए ओर पहले देख रखी है तो दुबारा भी देखी जा सकती है।

क्या आपके पास कुछ ऐसी फिल्मों की सूची है जिन्हे बहुत बार देखा जा सकता हो यदि है तो मुझे भी बताए इंतजार रहेगा आपकी सूची का

Bloody Daddy

Bloody daddy यह फिल्म का नाम है जो इसी हफ्ते जिओ सिनेमा पर वर्ल्ड वाइड रिलीज हुई है, इस फिल्म में मुख्य पात्र शाहिद कपूर है इस फिल्म में शाहिद कपूर की ऐक्टिंग एकदम दमदार है पूरी फिल्म में सिर्फ शाहिद को देखने का मन करता रहेगा उनका किरदार बेहद उम्दा है, फिल्म में संजय कपूर, रॉनित रॉय, डायना पेन्टी ओर राजीव खंडेलवाल भी है।

Bloody Daddy फिल्म की कहानी 50 करोड़ के कोकैन पर घूमती है जो शाहिद कपूर जब्त कर लेते है उसके बदले में रॉनित रॉय उनका बेटा किड्नैप कर लेता है बस इसी के बीच में कहानी घूमती है लेकिन कहानी से ज्यादा मजेदार शाहिद कपूर की ऐक्टिंग है जिसके लिए फिल्म से आँख नहीं हटती कहानी में कुछ नया नहीं सब प्रीडिक्ट किया जा सकता है लेकिन फिल्म में एक्शन सीन बहुत बढ़िया है।

इस फिल्म में रॉनित कपूर ओर राजीव खण्डेलवाल का सही तरीके से प्रयोग नहीं किया गया नहीं तो फिल्म ओर भी शानदार हो सकती हो थी।

एक तरफ तो Fathers Day आ रहा है लोगों की भवनाए सकारात्मक है दुसर ओर ये बॉलीवुड की फिल्म वाले इस प्रकार के नाम रखते यही फिल्मों के आप खुद ही सोचिए इस प्रकार के नाम अच्छे है ?

कितना भद्दा नाम है इस नाम से हटकर भी कई ओर नाम रखे जा सकते थे इस फिल्म के लिए, कही न कही कुछ न कुछ इस बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए अब आपत्ति उठ ही रही है क्युकी अब यह समझ नहीं आता की यह क्या सोचकर फिल्मों के नाम का चुनाव , कहानी का चुनाव करते है जिससे जनता कही न आहात हो ही जाती है।

एक सलाह इस फिल्म को परिवार के संग न देखिए क्युकी बीच में गालियों का प्रयोग ओर उपयोग दोनों किया गया है जो बिल्कुल भी सही नहीं है, हम ऐसी चीज़े कन्सूम कर रहे है जो हमारे लिए कोई फायदे की नहीं है, साथ फिल्म का नाम भी इतना भद्दा क्यू रखा गया यह भी एक सोचने लायक बात है वैसे तो ओर शाहिद कपूर उस तरह के बाप बिल्कुल नहीं है।

आप भी देखिए ओर भरपूर आनंद लीजिए

फिल्म को 3 ***

अखंडा फिल्म

यह बॉलीवुड वाले गहराई नाप रहे है और साउथ वालो ने अखंडा बना दी अगर हिंदी में आ गई होती तो शायद पुष्पा की कमाई को भी पीछे छोड़ देती यह फिल्म फिलहाल मेने इंग्लिश सबटाइटल के साथ आज ही देख ली है।

तेलुगु में रिलीज हुई है hot star पर जिसको आप इंग्लिश subtitle के साथ

अखंडा फिल्म इसमें नंदमुरी बालकृष्ण जी ने इतना शानदार अभिनय किया है जिसकी प्रशंसा करते हुए मन नही भरता।

कुछ सीन तो ऐसे है जिसमे हॉलीवुड की फिल्मों को भी देखने का मन नही करेगा साथ ही फिल्म आपको आपके जीवन के कर्तव्यों और धर्म की शिक्षा भी देती है।

आप भी देखिए बहुत शानदार फिल्म है नंदमुरी बालकृष्ण वाह बहुत शानदार किरदार करते है हर बार इस बार तो कमाल और धमाल मचा दिया।

तारीफ करते नही रुकोगे वैसे तो पुष्पा कोई खास नहीं थी मेरे हिसाब से फिल्म इसलिए चल जाती है क्युकी फिल्म में  अल्लू अर्जुन सबके पसंदीदा अभिनेता है इसलिए चल गई और थोड़ी एक्टिंग अच्छी थी बस लेकिन स्टोरी में माफिया और गुंडाराज को ऊपर दिखाया ऐसी शिक्षा देना कोई अच्छी बात नहीं इस नई पीढ़ी को जैसे बॉलीवुड वाले नंगे दृश्य को दिखाकर अपनी फिल्म चलाने की कोशिश में लगातार लगे रहते है उसी प्रकार की कोशिश पुष्पा में की गई जिसमे माफिया राज , सड़क छाप गुंडा अपने आपको हीरो मान रहा है जैसे की उसने बहुत बड़ा काम कर दिया हो।


ऐसी फिल्में देश को नीचे की और धकेलने में लगातार लगे हुए है तो मैं ऐसी फिल्मों का समर्थन नहीं करता देखता सभी फिल्म हूं। 

Baaghi 3

किसी ने Baaghi 3 देखी क्या ? अगर नहीं देखी तो मत देखना आजकल फिल्म बनाना कोई आसान बात नहीं है बहुत मुश्किल काम है डायरेक्टर साहब ने जिस तरह से फिल्म बनाई है उससे पता चल गया कि साउथ की फिल्म को चुराना कितना आसान है इस फिल्म की कहानी लगभग 5 साल पुरानी है साउथ की फिल्म में और बॉलीवुड आज दिखा रहा है मतलब हम इतने पीछे है ?? कुछ तो शर्म करो बनाने और दिखाने के लिए

बॉलीवुड दिखाना क्या चाहता है?? हमें ये फिल्म वाले कुछ भी दिखा रहे है और हमदेख रहे है हमारे पैसों की कद्र तो करो यार

और वन मेन आर्मी वाह पूरा सीरिया तबाह कर दिया एक अकेला टाइगर श्रॉफ ने भाई ओर कुछ नहीं मिला दिखाने को ??? इसके एक्शन , स्टंट कितने शानदार थे लेकिन क्या एक साधारण आदमी पर इतना सबकुछ जायज है ??

सुपर हीरो बनाया होता तो समझ आता कुछ की एक साधारण आदमी की  इमेज एक सुपर हीरो की तरह से रखी है लेकिन आपने तो एक आम आदमी को को कितना ही सुपर हीरो कर दिया बिना लॉजिक के फिल्म को बनना बंद कर दीजिए अब नहीं पचती एसी फिल्म
इससे ज्यादा अच्छी तो 1990 की फिल्में थीं जिनमें कुछ लोग ही पूरी फिल्म को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते थे।

इतना कौन ताकतवर होता है भाई ??

bhaagi 3
baaghi 3