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hi papa

hi papa बहुत समय बाद एक पारिवारिक बेहतरीन फिल्म देखी hi nana विराज उर्फ नानी इस फिल्म में एक पिता की भूमिका निभाते है, ओर उनकी एक बेटी होती जिसे वो बेहद प्यार करते है, वैसे तो हर पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करता है, चाहे वो लड़का हो या लड़की उसे इस बात से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन नैनी आपको बहुत रुलाते है इस फिल्म उनका अन्कन्डिशनल लव अपनी पुत्री के प्रति बहुत ही भावुक कर देता है। इस फिल्म में मृणाल ठाकुर उर्फ यासना, शरुती हसन, अंगद बेदी, किआरा खन्ना जिन्होंने विराज की बेटी का रोल किया है, इस नन्ही कलाकार ने दिल ही जीत लिया बहुत बेहतरीन ऐक्टिंग की है, बहुत शानदार किरदार निभाया है हर किसी का रोल बहुत ही उम्दा है।  

hi papa फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है जिसे देख मन में संगीत बज उठता है, यह फिल्म आपको रुलाती है बहुत मीठी मीठी हंसी का एहसास कराती है, भावनाओ से ओत प्रोत कर देती है।

खैर आजकल की फिल्मों से तो प्यार नाम का मतलब ही कुछ ओर हो गया है, इस फिल्म में बहुत अच्छे तौर पर प्रेम को दर्शाया गया है, इस रकर की फिल्मों को बार बार बनाया जाना चाहिए जिससे हमारी भावनए जीवित रहे नहीं तो वही मार काट देख कर हम लोग जानवरों की तरह व्यवहार करने लग जाएंगे शायद उनसे भी बदत्तर हो जाएंगे जिस तरह से आजकल फिल्मों में खून खराबा दिखाया जा रहा है।

फिल्म की कहानी में नानी ओर मृणाल ठाकुर एक दूसरे से प्रेम करते है ओर शादी कर लेते है उनका एक बच्चा होता है, ओर कुछ समय बाद यासना ओर विराज का एक्सीडेंट हो जाता है, लेकिन दोनों बच जाते है, लेकिन यासना विराज की पत्नी अपनी यादस्त खो बैठती है जिसके कारण वह अपनी पिछली जिंदगी भूल जाती है ओर उन्हे कुछ याद नहीं रहता यही से दोनों अलग अलग हो जाते है। ओर फिर से कहानी एक नया मोड लेती है जिसे आपको खुद ही देखकर रोमांचित होना चाहिए इसलिए मैं पूरी कहानी नहीं बता रहा इस फिल्म को देखिए ओर बताए की फिल्म आपको कैसी लगी।

hi papa फिल्म इस समय नेटफलिक्स पर उपलब्ध है

एनिमल फिल्म रिव्यू

एनिमल फिल्म रिव्यू : हर एक किरदार ने फिल्म में ऐक्टिंग तो शानदार की है, सभी पात्रो ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, फिल्म की कहानी उतनी अच्छी नहीं है, एक बेटा अपने पिता से बेहद हद तक प्यार करता है, अपने पिता के लिए वो दुनिया को भी तबाह कर देना चाहता है, लेकिन गलत रास्ते को चुनते हुए, उसका गुस्सा, उसके आर्ग्यू उसको हमेशा सही लगते है, फिल्म को हमेशा इस तरह से ही दिखाया जाता है की हीरो जो कर रहा है वही सही है, चाहे वो गलत हो, लेकिन असल जिंदगी इससे बहुत हटकर होती है, यह आपको कत्ल करना, बलात्कार करना, नंगापन सिखाते है ओर हम इन लोग इसे सीखकर बिल्कुल सही मान लेते है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है, इतना खून खराब इन फिल्मों में जो एक छोटे बच्चे पर किस तरह से असर करता है, उसका पूरा जीवन बदल जाता है, फिलहाल यह फिल्म 18 साल के ऊपर के लिए इसलिए 18 की उम्र से नीचे के बच्चों को यह फिल्म ना ही दिखाए तो बेहतर है, लेकिन आजकल इंटरनेट का सोर्स इतना है की बच्चे कुछ भी देख लेते है । फिर यह फिल्म कौनसी बड़ी बात है।

फिल्म में कलाकार अनिल कपूर, रणवीर कपूर, प्रेम चोपड़ा, राश्मिका मँदाना, शक्ति कपूर, बॉबी देओल ,

एनिमल फिल्म रिव्यू यह फिल्म एक फॅमिली ड्रामा है, इस प्रकार की कहानी पहले भी बन चुकी है ओर अब थोड़ी सी नए रूप में बनाई गई है, कहानी पहले भाग में भाग रही है आंखे परदे से हटती नहीं है जैसे सीट पर फेविकोल लगा कर खुद को चिपका लिया हो लेकिन इनर्वल के बाद फिल्म धीमी हो जाती है, जहां फिल्म की साँसे टूटने लगती लगती है, ओर कुछ ऐसे सीन डाल दिए जाते है फिल्म में जो बिल्कुल भी जरूरी नहीं है, इसके साथ ही कुछ पहलू अनछुए छोड़ दिए है इस फिल्म में, फिल्म के आखिरी सीन को देखकर लगता है की फिल्म का दूसरा भाग भी बनेगा ओर हो सकता है।

इस फिल्म में प्रेम को शारीरिक संबंध के तौर पर दिखाया गया है, क्या औरत का शरीर सिर्फ संभोग करने के लिए ही है, क्या औरत को अल्फा मेल पसंद होते है? राश्मिका मँदाना ओर तृप्ति ढींगरा इस तरह के रोल करने के लिए राजी हुई जो बहुत सोचने लायक है। प्यार का मतलब आप किसी के जूते चाटने के लिए तैयार हो जाओगे क्या ? आप शारीरिक संबंध बनाने के लिए खुद को कितना भी गिर सकते हो? इस तरह के निर्देशक जो फिल्म बनाते है लगता है इनको जीवन में किसी भी प्रकार से प्रेम नहीं मिला ओर ये अपने जीवन से असन्तुष्ट है तभी इस तरह की फिल्म बनाते है।

इतनी कैजुअल ऐक्टिंग जब रणवीर कपूर लड़ाई करता है तो, उसके दौरान गाना बहुत ही अजीब सा लगता है, जिसका कोई मतलब नहीं बनता, ये लोग क्यू पारिवारिक फिल्मे नहीं बनाते, फिल्म में कुछ सीन ओर कई डाइअलॉग जो बिल्कुल सही नहीं है।

यह फिल्म 3:21 घंटे की है, फिल्म को थोड़ा छोटा बनाया जा सकता था क्युकी कुछ सीन बहुत जबरदस्ती के जोड़े गए है जिनकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी, जबरदस्ती में सेक्स पर फोकस कराया गया है, जो भद्दी मानसिकता को दर्शाता है,

इस फिल्म को थोड़ा छोटा बनाना चाहिए था, पहले भाग में बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती बॉबी देओल का फिल्म में काफी छोटा रोल है पहले हाफ तक बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती।

फिल्म जरूर देखनी चाहिए एक बार आपको बहुत कुछ पता चलता है, आपका दिमाग कन्फ़्युशन में छोड़ दिया जाता है की आप अपनी जिंदगी में क्या सही क्या गलत करते है यह आपको नहीं पता होता, उन्हे अच्छे से समझे ओर फिल्मों को फिल्मों की तरह ही देखे यह आपकी असल जिंदगी को प्रभावित न करे।