Posts tagged new blogs

दुख का होना

कहते है दुख का होना भी जरूरी है, तभी सुख का अनुभव होता है, बिन दुख के सुख का कैसे पता चले, जब दुख होता है मन में तभी कुछ लिखने का मन करता है, बिना दुख के तो क्या लिखे सब अच्छा ही है, जब गलतिया होगी तभी तो सुधार होगा, बिन गलतियों के उन्मे सुधार कैसा फिर होगा,

इसलिए सिर्फ सुखी जीवन नहीं उसमे दुख का होना भी बहुत अच्छा होता है, उस दुख को समझो वो तुम्हें कुछ बताने, सिखाने आया है, नई चुनौतीयो से मिलाने आया है, नए जीवन को निर्मित कर फिर से नया बनाने आया है, उस नए बनने के सफर में दुख ही अपना साथी है।

दुख होगा तभी तो अच्छा अनुभव लिख सकोगे जब दुख नहीं तो फिर वो लिखना कैसे होगा, कुछ लिखने का मन नहीं करता, बस सुखी जीवन संग हम जीवन के साथ होते है।

जब किसी के प्रेम डूब हुआ होता है कोई इंसान ओर वो उसे नहीं मिलता तो उसकी तड़प ही उसे लिखने पर मजबूर कर देती है, वह अपना क्रोध पन्नों पर उतार देता है, उस प्रेमी का मन अशांत होता है ओर वो सिर्फ लिखना ही चाहता है, उस वक्त उसके अलावा वह प्रेमी कुछ ओर नहीं कर पाता लेकिन जब उसको उसकी प्रेमीका मिल जाए ओर वो आनंद में हो तो फिर वह लिखना नहीं चाहता उसके पास अभी कोई दुख नहीं है, बस वह प्रेम में डूबा हुआ है।

दुख हमे सुखी होने का एहसास दिलाता है, दुख ही है जो हमे जीवन की सच्ची राह दिखाता है, दुख से ही हमे अच्छे ओर बुरे की समझ आती है, जितना सुख जरूरी है उतना ही दुख भी जरूरी है।

समय का चक्र

समय का चक्र ऐसा है जो किसी को समझ नहीं आता , समय का आना ओर जाना भी पता नहीं चलता, यह अच्छा समय कब आता है ओर कब चल जाता है किसी को नहीं पता चलता बस जब तक सही समय नहीं आता तब तक कुछ भी संभव नहीं होता,  ओर जब जैसे ही समय आता है सभी चीज़े पूरी होती है, सभी अधूरे ओर बिगड़े हुए काम सब पूरे होने लगते है, फिर आपको वो सभी चीज़े पूरी करने की आवश्यकता नहीं होती, वह खुद ही पूरी हो जाती है, जो उस समय के लिए ही जरूरी होती है, उस समय से पहले कुछ भी संभव नहीं है। लेकिन फिर हमे प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए क्युकी उसी प्रयास करने से वह उस समय पर बिल्कुल सही होती है, जैसी उस समय की मांग ओर आवश्यकता होती है।

समय का चक्र

हम बहुत सारे चीजों के लिए बहुत जल्दी कर देते है, ओर उस जल्दबाजी में बहुत कुछ खराब भी हो जाता है। कुछ चीजों के लिए लेकिन वह सही नहीं होता कई बार ओर कई बार हमे पता नहीं होता की यह समय सही है या नहीं, तो वह समय खुद सब कुछ खुद ही सब ठीक कर कर देता है हम बस उस समय का हिस्सा बन जाते है। अब कोशिश करते रहे, उस चीज के बारे में सोचे ताकि आप उस चीज को पाने के लिए कार्य करते रहे।

जिस तरह से मैं भी इंतजार ही कर रहा हूँ की मैं कुछ बेहतर लिख सकु ऐसा नहीं है की मैं प्रयास नहीं कर रहा परंतु मैं कुछ कर नहीं पा रहा हूँ, समय का चक्र ही ऐसा जिसमे फंसा हुआ हर इंसान, मैँ बार बार विचार करता हूँ लेकिन वह विचार मेरे मस्तिष्क से ही निकल जाते है ओर मैं कुछ उन पर नहीं पाता बस इसी तरह से मेरा समय निकल रहा है। एक उचीत समय पर ही वो कार्य पूरा होगा जिसका मैं इंतजार कर रहा हूँ।

लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

यह भी पढे: लगातार बने रहे, फोकस रखना खुद को, वादा, तैयारी करो, अपडेट, अपने बिजनस,

विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

यह भी पढे: क्लब महिंद्रा, ऐमज़ान के विज्ञापन, Zomato, अपने बिजनस, OTT ओर इंटरनेट,

डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे

बहुत सारे बच्चे यह भी एक सवाल करते है की  डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे , हम बार बार डिस्ट्रैक्ट हो जाते हो जाते है , जब भी पढ़ाई करने के लिए बैठते दिमाग कही ओर चला जाता है , इसका उपाय क्या है ?

डिस्ट्रैक्शन को दूर करने के लिए बहुत जरूरी बाते है, जो हमे करनी है जीतने समय की हानी हम कर रहे है उस समय को बराबर कारणए के लिए वही काम देर तक करो उसे उस लेवल पर ओर उस लेवल से ज्यादा करो ताकि डिस्ट्रैक्शन की वजह से जिसे कम किया था।

क्युकी इसके विपरीत ओर इलाज नहीं है आप डिस्ट्रैक्शन से हट नहीं सकते डिस्ट्रैक्शन कितनी देर तक रहेगी , आप अपने गोल से कितनी ही दूर रह पाओगे क्या आपके गोल के बीच कोई आ रहा है यदि आ रहा है तो वह आपका गोल नहीं है या आप उस गोल से दूर भाग रहो हो।

डिस्ट्रैक्शन को कैसे कम करे व डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे

अपने काम की प्लैनिंग करे।

अपने फोन में जीतने भी सर्च है उनको सिर्फ अपने काम के हो ऐसा  सुनिश्चित करे।

लगातार फोन न देखे, मोबाईल फोन से दूरी बनाकर रखे, अपने मोबाईल में notification को बंद करके रखे ।

मानसिक तौर से आपको शांत होना चाहिए लेकिन उसको टुकड़ों में नहीं बाटना , एक समय पर एक ही काम करे पढ़ाई करते समय गाने नहीं सुने।

जब भी आप पढ़ाई करने बैठते हो आपको नींद आने लगती है , उसके लिए ठंड पानी पिए जिससे नींद टूट जाएगी , नींद आ रही तो चाय ना पिए , चाय आपको इन्स्टेन्ट रीलीव देती है लेकिन कुछ समय बाद चाय ही आपको एक आलसी व्यक्ति बना देती है , नींद कब तक आएगी यह भी एक सवाल ही है एक दिन नींद खुद ही टूट जाएगी ओर फिर नहीं आएगी।

आलस भी नहीं आएगा बॉडी को स्ट्रेच करे

40 मिनट पढ़ने के बाद 20 मिनट टहले बिना मोबाईल ओर दोस्त के साथ ही टहले अकेले जिससे जो आपने अभी पढ़ पढ़ वह दिमाग में ठहर जाए

पढ़ने ओर सीखने की आदत को लगातार बढ़ाए

अपने आसपास की चीजों से सीखे ओर जाने उनके बारे में

खाने पर नियंत्रण रखे , बार बार खाने के बारे नहीं सोचे

यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपके लिए बहुत जरूरी ऐफर्मैशन तैयार की गई उनको ध्यान से पढे ओर बार दोहराए जो मैं नीचे लिख रहा हूँ , इन कुछ ऐफर्मैशन से आप पाएंगे की आपकी जिंदगी में यही घटना सही क्रम में होने लग गई है ओर आप पढ़ाई में या किसी में कार्य में बेहतर हो रहे है

1) मैं पढ़ रहा हूँ
2) मुझे पढ़ना अच्छा लगता है
3) मुझे पढ़ते समय नींद नहीं आती
4) मुझे पढ़ते समय आलस नहीं आता
5) मुझे पढ़ने में मज़ा आता है
6) जब मैं पढ़ता हूँ तो फिर  मेरा ध्यान कही नहीं जाता बस पढ़ाई में ही मेरा ध्यान है रहता
7) मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ आता है एक बार पढ़ने पर
8) मैं जब भी पढ़ता हूँ तो मुझे ओर भी सारी बाते जानने की इच्छा होती है
9) मुझे सबकुछ जल्दी याद हो जाता है
10) मैं इनको विस्तारपूर्वक समझ लेता हूँ 
11) मैं पढ़ाई से बोर नहीं होता
12) मेरा ग्रुप भी पढ़ाई वाला है
13) मेरे सभी दोस्त पढ़ाई में मेरी मदद करते है ओर मैं भी उनकी

यह भी पढे: छात्रों के लिए, फोकस, फोकस रखना खुद को,

कोरोना काल में जीवन

कोरोना काल में जीवन कैसा था, यह समय है जब सभी लोग अपने काम धंधों से भी झुझ रहे है, ओर साथ ही बीमारी से भी सभी लोग आजकल परेशान है कि आगे क्या होगा ? कैसे परिवार ओर जीवन चलेगा ? क्या हम जीवित भी रहेंगे या नहीं

हम सभी के मन में बहुत सारे ऐसे विचार आ रहे है जो हमें नकारात्मक जीवन की और धकेल रहे है क्या हम इं सभी विचारो से बाहर निकल पाएंगे या फिर जीवन कि स्तिथि ओर परिस्थती ओर भी गंभीर हो जाएगी

कोरोना काल में जीवन का क्या होगा ओर क्या नहीं यह किसी को भी नहीं पता था, इसलिए सभी बैठे है अपने घरों में , हम सभी के मन में डर घर कर चुका है।

दसवीं ओर बारहवी की परीक्षा भी अटकी हुई है कॉलेज की परीक्षा भी जैसे तैसे ले रहे है ऑनलाइन से लेकिन उससे क्या होगा ? बच्चो को किताब खोलकर पेपर देने की अनुमति दी गईं है क्या बच्चो का बौद्धिक स्तर बढ़ रहा है

ना ही बच्चो की शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है ना ही उनको कोई अवसर मिल रहा है। पिछले डेढ़ साल से बच्चे घर पर ही है अब उनका पढ़ाई से मन भी हट रहा है। जब हम सभी घर में रहने लग जाते है तो घर , परिवार के किर्या कलापो में उलझ कर रह जाते है जिससे हमारे लक्ष्य हमसे दूर हो जाते है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सभी अपने लक्ष्यों से दूर हो जाते है कुछ अपने लक्ष्यों को भेदने के लिए ओर ज्यादा तेयार होकर बाहर आते है लेकिन ज्यादातर लोग अपने लक्ष्यों से भटक जाते है ऐसा ही आजकल हो रहा है

बेरोज़गारी बढ़ रही है , व्यवसाय घट रहा है नए परिणाम नहीं आ रहे है , नया कुछ करने को नहीं मिल रहा है। गरीब मजदूर , माध्यम वर्ग ओर अमीर सभी इस बोझ के तले अब दब रहे है, की कैसे उभरेंगे फिर से