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मन की मनघडन्त बाते

मन की मनघडन्त बाते
मनघडन्त बाते इस मन की
मन भी ना जाने कैसी कैसी बाते घड़ता है,
ये अजीब सी कुछ अटपटी सी मनघड़ंत बाते मेरा मन करता है

कुछ किस्से खुद ही बुनता है, कभी कहानी सुना देता है
कभी गुस्से में होता है तो
कभी प्यार करता है
जब ये बाते बुनता है

तब ये किसी की नही सुनता है
बस मनघड़ंत-बस मनगढ़ंत
बाते ये मन बुनता है

कुछ देखी , कुछ सुनी बाते ये मन करता है
मन की भीतर दबी बात होती है
जब कोई लाइन मैं आगे आकर खड़ा हो जाता है,
बिना मतलब हमे पीछे कर जाता है
मन भीतर गुस्सा तो बहुत आता है

लेकिन
कुछ कह नही पाते हम
बस कोसते हुए जाते हम
जब कोई धक्का मार चला जाता है,
सॉरी बोलकर अपना पीछा वो छुड़ा जाता है
जैसे सॉरी से क्या सब कुछ ठीक हो जाता है,
अजी कोई बिना मतलब के गाली देता है,
छोटा समझकर कोई छेड हमे जाता है

जब कोई उम्र में छोटी लड़की भी यह लेडीज
सीट है  बोलकर उठा देती है ना शर्म आती है
उसे ना लाज
बस मेरे मन की गाली तो  मेरे मन भीतर दब रह जाती है

बिना मतलब रोड पर चलते हुए टक्कर कोई मार जाता है और पीछे मुड़कर भी नही देखता है
बस अनदेखा कर मरता हुआ बीच रोड छोड़ चला वो जाता है ,
बिना कान लीड लगाए मेट्रो और बसों में जब कोई मोबाइल पर गाना बजाता है
गुस्सा तो बहुत आता है,
पर मन की बात मन में ही रह जाती है।

जब गुटका खाकर बस के बाहर थूकता है,
वो छीटे मुझ पर आती है लेकिन कुछ हो नही पाता है

जब पुलिस स्टेशन में एक FIR के लिए चक्कर लगाता हूं
हल कुछ निकल नही पाता है
जब एक केस के लिए कोर्ट के चक्कर लगाता हूं
जब पुलिस वाला हफ्ता वसूल कर जाता है
डीटीसी बस का कन्डक्टर पूरे पैसे देने पर टिकट नही बनाता है।

बोलता है बैठ मेरे पास उतर जाना आराम से,
और कई बार गलत टिकट वो बनाता है,
आम आदमी हूं मुझे कुछ समझ नही आता है
गुस्सा तब आता है जब खाकी वर्दी वाला  भी गाड़ी पकड़कर चलान काट जाता है।

रोकता है परेशान करता है चलान भी नही देता है,
बस 500 का नोट लेकर ही वो छोड़ता है, मेरा मन मनगढ़ंत बाते बनाता है

लेकिन कुछ कर नहीं पता है बस दबी हुई, मन की बाते मन में रह जाती है।

यह भी पढे: सफर की कुछ बाते, सुकून की जिंदगी, जिंदगी की राह, मन की बाते, जीवन के लेखक,

समय का नहीं अवरोध

समय का नहीं अवरोध …..
निरंतर अविरल अविरोध ।
सब घटनाएँ समय के भीतर….
समय साक्षी निश्चित इसका स्वर ।

समय अनुसार व्यक्ति वस्तुओं का बदलता रूप…..
यह समय की लीला क्रिया कोई दिखता सुंदर या करुप ।
समय नही थकता इसने नहीं सीखा थकना….
प्रार्थना मुझे भी इस साहस का स्वाद चखना

विहग स्वर्गीय आकाश में बदलते हैं,
प्राणी जीवन के संघर्ष में पलते हैं।
समय की गति निरंतर बदलती है,
जीवन की लहरों को लहराती है।

समय के साथ चलो, मोमबत्ती जैसा जलो,
क्षण-क्षण का आनंद जीवन में ढलो।
भूत, वर्तमान, भविष्य, एक ही क्षण में,
जीने का रहस्य समय के पास है छिपा।

प्रेम के बंधनों को समय सुलझाता है,
दुःख के बादलों को समय छिड़कता है।
सफलता की मस्ती समय के संग आती है,
विफलता का गहरा संगी समय से हारती है।

जीवन का रहस्य समय के भीतर छिपा है,
खोये हुए सपनों को समय फिर लौटाता है।
बदल जाता है समय, चलता रहता है,
मनुष्य को जगाता है, जीवन को बचाता है।

समय का नहीं अवरोध, उसकी विरासत हैं हम,
जीवन के अरमानों को समय से जोड़ते हैं हम।
समय के आगे सब कुछ झुक जाता है,
इसीलिए हर क्षण को समय से जीता है।

यह भी पढे: अच्छा समय आएगा, समय का सदुपयोग, समय बीत रहा है, समय का अंधेरा तला,

हमारा जीवन

हमारा जीवन कायनात का हिस्सा…..
छोटे से हिस्से का मनों टनो का क़िस्सा ।

मेरे मन कुछ और….
कायनात की अलग ठौर ।

हम कुछ करते फ़ैसले…..
कायनात अलग चाल चले ।

कार्य न होने के एक लाख कारण….
कायनात ऐसा रूप धरती धारण ।

हमारे फ़ैसले नहीं पक्के…..
उसके जोड़ और धागे कच्चे ।

कायनात के फ़ैसले बड़ा समीकरण….
बस सीखे करना उसका अनुकरण ।

जीवन में कुछ भी नहीं पक्का….
यहाँ चलता कायनात का सिक्का ।

करे कोशिश बाक़ी छोड़े कायनात पे…
बस अपनी कोशिश में सौ प्रतिशत दे ।

हमारा जीवन कहने को तो हमारा लेकिन है यह उधारा , हम अपना सिर्फ़ सौ प्रतिशत दे सकते है वो भी हर कोई देता नहीं लेकिन व्यक्ति विशेष को लगता है कि उसने अपना सौ प्रतिशत दिया है ।
हम एक विशाल कायनात का बूँद से भी छोटा सा हिस्सा है इस कायनात में अरबों खरबों या उससे भी कही ज़्यादा हर पल हर क्षण बदलाव हो रहा है कही न कही पता या ना पता होते हुए हमारे जीवनों को हमारे किए फ़ैसलो को वो प्रभावित या पलट रहा है कायनात का फैसला अटल अपरिवर्तित और कई मायनों में अच्छा न लगते हुए भी अच्छा है क्योंकि कायनात सब कुछ जानती है समझती है किसको किस समय क्या मिलना है क्या उसके लिए अच्छा है बुरा है उससे अच्छा कोई नहीं जानता ।
यह कितना कठिन है किसी के साथ दिख रहा है बुरा हुआ है लेकिन सत्य है कि वो घटा है बंदा उल्टा हो जाता है लेकिन कोई मदद नहीं कर सकता फिर लगता है कायनात का बहुत कठोर फैसला है जो बहुत मुश्किल है साधारण जन के लिए ।

इन सब बाँतो के प्रकाश में समझ आता है हम अपना सौ प्रतिशत दे और और कायनात की मर्ज़ी पर डाल दे ।
कायनात के फ़ैसले का जो जैसा भी है उसे माने समझे और उसके अनुरूप अपने जीवन को ढालने का प्रयास करे बस इतना ही कहना है वाणी को विश्राम ।

यह भी पढे: नया विचार, जीने का अंदाज, जीवन आप रहे, एक उम्मीद,

मेरे ख्यालों में

यू बेवजह कही भी कभी भी
“बस तुम”
आया ना करो
बेमतलब अब बस मुझे
तुम सताया ना करो
बिना पूछे जो तुम आ जाते हो
जब मर्जी ये जो तुम मेरे खयालो का
दरवाजा खटखटाते हो
मैं खोलता हूं दरवाजा तो
नजर नही आते हो
पता नही क्यों तुम
मुझे सत्ताकर भाग यू जाते हो
यह बेफालतू की जिद्द है
तुम्हारी मेरे ख्यालों में आने की
मुझे इस कदर सताने की
इसलिए

यू बेवजह कही भी कभी भी मेरे ख्यालों में बस तुम आया ना करो
मेरे ख्यालों में


बात अब तो मेरी तुम मान जाओ
मुझे यू ना तुम सताओ , ना तड़पाओ
बस अब वापस आ जाओ
फिर हक से मेरे
खयालो का दरवाजा खटखटाना, तोड़ना और
भीतर आ जाना
सिर्फ तुम बस जाना
और फिर अगर
तुम चाहो तो रुलाना और सताना भी
लेकिन
मुझे छोड़कर नही तुम जाना

इन्हे भी पढे: ख्याल, तेरा ख्याल, तुम्हारा ख्याल,

सच्चाई का करे

सच्चाई का करे सदा स्वागत , इसमे कोई घाटा नहीं है , इसमे मिलती सदा भलाई है, ये आपके गुण को गुना कर देती है इसका करे सदा स्वागत, झूठ से बचे एक झूठ को छुपने के लिए 100 झूठ ओर बोलने पड़ते है, इसलिए सदा रहे दूर उस झूठ से, सच्चाई का दे हमेशा साथ रख कर मन में यह आत्मविश्वास , आत्मविश्वास की डोर बहुत मजबूत देती हिम्मत ओर सूझबूझ, प्रेम भाव से देखे सबको छल कपट से भी रहे दूर, अहित किसी ना करे बस यही भाव लेकर सदेव आगे बढ़े, अडिग रहे अपने पथ पर आगे बढ़े, सच्चाई का करे स्वागत

सच्चाई का करे
सदा स्वागत…
देगा यह कमा के
कई गुणा लागत ॥ जहां सच्चाई वहाँ नही
डर का बसेरा….
वहाँ सदा ख़ुशियों का
नित नया सवेरा ॥ सच्चाई की धार…
डरते झूठे ओर मक्कार ॥

सच्चाई का करे सदा स्वागत,
इसमें कोई घाटा नहीं है।
इसमें मिलती सदा भलाई है।
ये आपके गुण को गुणा कर देती है।

इस पर चिंतन करें सदा स्वागत।
सत्य की पथ पर चलें निरंतर,
खोये आपने मन की भ्रांतियों को।
जीवन में जो भी गलत है,
उसे सही करें निश्चित तौर पर।

धोखे से दूर रहें, मखौलियों से।
सत्यता का पाठ पढ़ें सिर उच्च कर।
जीवन की गहराइयों में जा कर,
खोए हुए आत्मा को खोजें निरन्तर।

यथार्थता की ओर आगे बढ़ें,
प्रेमभाव से हर किसी को देखें।
अहंकार को छोड़ दें पीछे,
निष्काम कर्मों में जीवन बिताएं।

सच्चाई का स्वागत करें सदा,
जीवन को नयी दिशा दें बरसों।
धर्म की रक्षा करें सबकी,
इसी से मिलेगी सदा सुख-शांति।

सच्चाई का करें सदा स्वागत,
इसमें नहीं है कोई घाटा।
सदा उज्ज्वल हो जाए आपका जीवन,
सत्य की रोशनी से भर दे हर पल।

इन्हे भी पढे राम ललवानी द्वारा लिखी गई कुछ कविताए: जीवन आप रहे, जीवन में सफलता, जीवन का आनंद

कुछ बात ऐसी

कुछ बात ऐसी
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी कहानी ,हर मोड़ पर थी कहानी
कुछ अभी की तो कुछ बात पुरानी
ना जाने कौनसी कहानी

कुछ इस तरह
कुछ उस तरह
चलती रही हमारी कहानी
कुछ उलझी कहानी तो सुलझी कहानी
कुछ भूली बिसरी जवानी
कुछ बीत गई जवानी

संग ना जाने कितने किस्से और हुई कहानी
कुछ सफर जाने पहचाने तो कुछ अनजाने

अब यार छोड़ो
ये बाते सब पुरानी
देखलो
ढल गयी मेरी जवानी,
करली नादानी जो करनी थी नादानी
हो गयी नादानी,
अब नही करनी और कोई नादानी
अब नही कोई हरकत बचकानी
बस चल रही है ये जिंदगानी
जो ढलनी थी मेरी जवानी
वो भी ढल गई है

अब नही कोई परेशानी,
बस मस्त जीने दो मुझे अपनी जिंदगानी
कुछ बात ऐसी,
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी

इन्हे भी पढे: सारी शिकायते, सुकून मिलता है, लफ्जों में बयां, इश्क की कहानी

जब इच्छा शक्ति हो

जब इच्छा शक्ति हो स्वच्छ साफ़….
चाहे पूरी दुनिया हो आपके ख़िलाफ़ ।

और लक्ष्य आपका सही….
कोई दूषित शक्ति कारगर नहीं ।

कार्य आपका बनेगा ….
समय निश्चित लगेगा ।

सही लक्ष्य से मदद नहीं दूर….
प्रकृति की सहायता मिलेगी भरपूर ।

अपनाना प्रकृति का नियम….
बनाये रखना अपना संयम ।

जब इच्छा शक्ति हो स्वच्छ साफ़…
चाहे पूरी दुनिया हो आपके ख़िलाफ़।

जीवन की धुंधली राहों में,
जब आपको साथ नहीं मिले राहत,
अँधेरे से जब आपको डर हो,
और विश्वास बांधे हो पांव जूँद।

जब जगमगाते हैं सिर्फ बाधाएं,
और सपनों की ख़्वाहिशें रुकी हों,
जब दिल में जलें अस्थिरता की चिंगारी,
तब भी आपका हौसला जगाएं।

जब आपको लगे कि आकाश छूने की हो इच्छा,
पर बाधाओं ने बांध लिया हो आपको,
तो अपनी ज़िन्दगी का अंधार दूर करें,
और चमकें आपकी इच्छा के सितारे।

जब दरारों से टूटे आपके सपने,
और खिली न हो कोई आशा की बेला,
तब भी उठें सिर ऊँचा करने का संकल्प,
और दृढ़ता से चलें आपकी कदमें।

जब दुश्मनी भाव उबाले रग-रग में,
और कठिनाइयों का बढ़ जाए आभास,
तो अपने मन की शक्ति पुकारें,
और जीतें सबको आपकी आत्म-सामर्थ्य की आवाज़।

जब इच्छा शक्ति हो स्वच्छ साफ़…
चाहे पूरी दुनिया हो आपके ख़िलाफ़।

यह भी पढे: इच्छाओ को ना मारो, कल की तैयारी, लगातार बने रहे, जादू की छड़ी,



संकेतों से भापते है

संकेत
संकेत भविष्य पढ़ने की आशा….
संकेतों से भापते है, आशा या निराशा ।

संकेत दिमाग़ की बोली और समझ ….
भविष्य जानकारी दिमाग़ चाहे सहज ।

अक्सर लोग चाहते संकेत मिले अच्छे समय का …..
समय सदा बदलता रहता जबकि यह विषय रहस्य का ।

भूकम आने से पहले जानवर होते बेचैन असहज ….
हम उनकी बेचैनी के संकेत पढ सकते सहज ।

हम संकेतों को भाषा में करते परिवर्तित …
ताकि समझे और  साधे अपना हित  ।

विचारों की गहराई से जुड़ी
संकेतों की आशा जगमगाती है।
भविष्य के पर्दे खोलकर,
मनोवृत्ति की कथा सुनाती है।

चिन्ताओं के समुद्र में खोजते,
बीते और आने वाले कार्यक्रम।
संकेतों की कविता बनकर,
अनजाने में भी ज्ञान प्राप्त करते हम।

छोटे-छोटे चिन्हों में छुपी है
विश्वास की एक अनमोल भाषा।
जान पहचान के अंदर छिपा है,
भविष्य की सूचना व्यक्त करती साँसों की लहरों में।

कभी एक दूर का नजारा होता है,
कभी एक विचार का संगीत बजता है।
संकेतों की यात्रा करते हम,
भविष्य की राहों में बहता है स्वप्नों का नदी गंगा।

जीवन के रंग-बिरंगे पलों में,
संकेतों की एक छाप छोड़ जाते हैं।
आशा या निराशा की राह पर,
उड़ान भरते हैं वे दिलों की आवाज़।

संकेतों से भापते है आशा के फूल,
जगमगाते हैं उम्मीद के सितारे।
निराशा के अंधकार को छिड़कते हैं,
संकेतों की रोशनी के द्वारे।

इस संसार में जगमगाती है संकेतों की झील,
आशा और निराशा के आयाम छूती हैं।
जीवन की मंजिलों का रास्ता दिखाती हैं,
संकेतों की कविता जो हमें पढ़ती हैं।

यह भी पढे: अनुभव खुद का चखा, हम संभलेंगे भी, मंजिल की तरफ,

सारे विचार अस्थाई

सारे विचार अस्थाई
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई ।

सब व्यक्ति व्यक्तित्व अस्थाई…
समझो इस बात की गहराई ।

सब दिखते दृश्य अस्थाई ….
इससे क्या बात समझ आई ।

सारी भावनायें अस्थाई ….
नहीं कुछ भी स्थाई ।

अपने मिले कार्य सही से करे….
हम सब स्थाई दायरे से घिरे ।

न काहु से दोस्ती न काहु से बैर…
शुक्रिया करते चलो माँगो सब की ख़ैर ।

यहाँ सब अस्थाई….
यह बात ही सच्ची इकाई ।

बहते चलो जैसे बहता पानी….
या बहो पवन की तरह यही ज़िंदगानी ।

सारे विचार अस्थाई,
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई।

जीवन के सफर में कभी आए,
खो गए फिर वो गुजरे दिन जाए।
चिंता और चिंता का बंधन है,
इसे तोड़ने की राह ढूंढ़ लो भले।

ज़िंदगी की चाल में आए हैं ये विचार,
चिंता के बादल छाए हैं ये आधार।
पर याद रखो, ये सब हैं अस्थाई,
हो सकता है आने वाले कुछ पल हंसाई।

ज़िंदगी की राहों में कभी थम जाएं,
चिंता के दामन से खुद को छुड़ाएं।
हर चिंता को दवा नहीं कहा जा सकता,
कुछ तो विचार होंगे अस्थाई ही रह सकता।

अपना ध्यान मुख्य बातों पर रखो,
हंसते रहो, मुस्कराते रहो आप।
रोग या चिंता ने नहीं जीती है ज़िंदगी,
जीने का आनंद सदैव बनाए रखो सर्वदा।

सब का शुक्रिया सब का धन्यवाद

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शिक्षा देके बीता था

जो था अच्छा था….
शिक्षा देके बीता था ।

जो है वो सबसे बेहतरीन….
वर्तमान जीवित और हसीन ।

वर्तमान में डाले उत्तम बीज….
भविष्य की फसल अजीज ।

जो बीता वो पल नहीं लौटेंगे….
वर्तमान स्वस्थ तो उससे बने इतिहास में
भी खूबसूरत फूल लगेंगे ।

वर्तमान स्वस्थ तो भविष्य भी खुशहाल….
यही जादू है वर्तमान का उसका कमाल ।

समय बाहर बदलता रहता….
भीतर समय की कम रफ़्तार ये मैं कहता ।

कितनी भी की हो ग़लतियाँ….
वर्तमान में शुरूआत करे सुधार की
जगेंगे सही शक्तियाँ ।

जो था अच्छा था…
शिक्षा देके बीता था

वर्तमान के पन्नों पर
उसकी यादें बिखरी हैं।
मस्तिष्क में उसकी छाप
हमेशा बसी है जीते हुए।

वह शिक्षा का समुद्र था,
जिसमें धर्म, ज्ञान, नैतिकता
सब लहरों में बहते थे।
गुरु की ओर से वह जीवनमूल्यों का आदान था।

विद्या की आग जलाकर
उसने मन के अंधकार को हराया,
ज्ञान की बारिश से
उसने सृजन के उस पथ पर पैर रखाया।

वह शिक्षा का प्रिय याराना था,
जो अब भी दिलों में बसा हुआ है।
जीवन की हर चुनौती में
उसकी सीख हमें सम्भाला है।

जो था अच्छा था…
शिक्षा देके बीता था।
उसके बाद भी उसका परिणाम
हमारे जीवन को चमका रहा है।

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