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शब्द ही शब्द को जाने

शब्द ही शब्द को जाने, बिन शब्द हम किसको माने,
शब्दो से शब्दो का मिलन हो रहा है, शब्दों से बिछड़ना भी अनोखा है , इन शब्दो से  इस ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा यह रहसे अनोखा है कौन इसको समझ रहा है,
शब्दो का अनूठा जीवन इनका रहस्य ना कोई जान पाया, शब्दों ने अपना अनेक रूप दिखाया , शब्द एक होकर भी आया ओर भिन्न होकर भी इन शब्दों ने समझाया, लेकिन इन शब्दों के रहसे कोई नहीं समझ पाया ,
शब्द ही शब्द को उदघोष करते है, शब्द का जीवन बहुमूल्य
है, शब्दो का सहयोग शब्दो के लिए अनोखा है इस जीवन में ,
शब्द में प्रीति , शब्द में भाव , शब्द का बदलाव, शब्दों का अर्थ, शब्द कभी व्यर्थ तो शब्दों का कभी अनर्थ भी है।

शब्दो की चर्चा भी खूब होती है कभी यह
शब्द का मान – अपमान
शब्दो का क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार ,
शब्दो का मिलना बिछड़ना , शब्दो का एकजुट होना और शब्दो का अलग अलग हो जाना
यह शब्द ही जो तुम्हे खोखला कर देते है यह शब्द ही है जो तुम्हारा जीवन खुशियों से भर देते है , शब्द के अलग अलग रूप , आकर है इनको समझना बुद्धि के पार है।

शब्दो का क्रम, शब्दो का लयबद्ध होना इनका यही एक विचार है शब्द कर रहे अपना प्रचार प्रसार यही इनका कार्य यही इनका आचार है, शब्दो में कितने ही भेद और मतभेद है, शब्द स्थिर है और अस्थिर भी है इनका प्रयास एकमत है लेकिन मतलब अनेक है इसलिए बढ़ रहा भेद नहीं हो पा रहे है ये एक!

फिर से एक और पड़ाव पार करने को हूं अब जिंदगी को इस पार से उस पार करने को हूं,
जिंदगी के कई पड़ाव पार किए है लेकिन ये पड़ाव और भी महत्वपूर्ण है जिसमे शब्द को जाना शब्द में जिया था, अब शब्द से मौन की और होने को हूं या शब्दातीत होऊंगा मैं।