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लॉर्ड शब्द

लॉर्ड शब्द का प्रयोग आजकल कलाकारों, क्रिकेटर के लिए किया जा रहा है, क्या अब आने वाले समय में यह मानव भगवान बनने जा रहे है क्या? 

क्या हमारी आस्था हमारी सोच बदल गई है? 

लोग भेड़ चाल में चल रहे है उन्हे यह नहीं पता की यह अच्छा है, या बुरा बस वो चल रहे है उन्हे लगता है वो यह करके अमीर या फेमस हो गया है, तो हम भी उसी तरह से हो जायेंगे लेकिन उन्हें उनके पीछे की सोच का नही पता जिस तरह से गाने के बोल कितने अश्लील होते है लेकिन वो गाना रील में बहुत तेज़ी से वायरल हो गया तो अब बाकी के लोग भी वही गाना अपनी रील में जोड़ने लग जाते है बजाए उसका बहिष्कार करने के उन्हे लगता है, इतने लोग कर रहे है तो यह सही होगा, जबकि ऐसा नहीं होता सोशल मीडिया हमेशा सही नही होता, और सोशल मीडिया पर बहुत सारी गलत चीजों को फैलाया भी जाता है, जो बल्कि भी सही नही है लेकिन हम भी उन्ही के जाल में फंस जाते है हम लगता है की वह सही है हम इस समय अपनी बुद्धि का उपयोग ही नही करते बस उनको फॉलो करना शुरू कर देते है। 

क्या हम इन शब्दो का उचित प्रयोग कर रहे है लॉर्ड शब्द से संबोधन करना किसी भी व्यक्ति को जब वह व्यक्ति बहुत अश्लील और कत्ल करने जैसे निंदनीय कार्य करता हो फिल्म में, इस प्रकार के संदेशों को फैलाना समाज को किस में बढ़ावा दे रहा है उस पर हमे ध्यान देना चाहिए। 

क्या अश्लील हरकतों के लिए आप किसी व्यक्ति को लॉर्ड बना देंगे? आप अपने धर्म को नीचा गिराने में ही लगे हुए है फिर कोई और आपके धर्म का आदर कैसे करेगा, वह भी इसी तरह के मजाक बनाएगा।

बॉबी देओल ने यह नाम खुद नही रखा यह दर्शक उन्हें ये नाम दे रहे है जो बिल्कुल निंदनीय है सिर्फ गलती किसी कलाकार की नही होती समाज की भी बहुत भूमिका होती है, किसी को गलत बनाने और उनका गलत कार्यों में साथ देने की हम ही है, जो इस तरह की फिल्मों को बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रहे है, इसलिए लगातार इस तरह को फिल्मे आजकल बन रही है और इसके साथ इस प्रकार की फिल्मे अच्छी कमाई भी कर रही है।

क्या हमे लॉर्ड शब्द का प्रयोग करना चाहिए या नहीं इसका निर्णय आप स्वयं ले ओर इस बात को समझे की यह सही है या गलत।

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वक्त बेवक्त

वो वक्त बेवक्त सताते है
कभी दिल में आते है
कभी दिमाग में आते है
कभी आंखो से टप टप बह जाते है
तो कभी धड़कनों धड़क जाते है
कभी आवाज को नरम
तो कभी भारी कर जाते है
कभी नींद तोड़ देते है
तो कभी सोने ही नहीं देते है
कभी इस दिल का डर
तो कभी मन की वेदना को बढ़ाते है
अब थोड़ा
मुश्किल है , नामुमकिन है
क्युकी
वो अब खुश है
लेकिन हम नाखुश
क्युकी वो हर ख्याल में
अब भी हमको सताते है
मेरे ख्यालों की खुशी छीन जाते है
वो वक़्त , बेवक्त हमें सताते है।

वक्त बेवक्त
वक्त बेवक्त

छत पर कूड़ा

समझदार लोग, पढे लिखे होने का क्या फायदा यदि आप इसी तरह की हरकते करेंगे जिससे की समाज को उसका परिणाम भुगतना पड़े, किसी दूसरे का नुकसान ओर खुद का फायदा हो क्या आप इसीको समझदारी कहते है, कुछ लोग कूड़ा कही भी डाल देते है, आजकल लोग फ्लैट, बिल्डिंग सोसाइटी में रहते है, ओर यह लोग ऊपर से ही कूड़ा फेकते रहते है कोई गली में कोई किसी की छत पर, तो कोई आसपास के किसी खाली प्लॉट में ही कूड़ा डाल देता है, लेकिन यह लोग कूड़े की गाड़ी में कूड़ा नहीं डालते है जबकी कूड़े की गाड़ी हर रोज आती है उसमे कूड़ा नहीं डालते, ना ही कूड़ा उठाने वाले को लगाते है कूड़ा उठाने के लिए, बस कुछ रुपये बचाने के लिए इस तरह की हरकते करते है।

इस तरह की हरकतों के लिए कौन जिम्मेदार है? आपकी शिक्षा या संस्कार क्या यही सीखा है आपने स्कूल में या घर में की आप अपने घर से कूड़ा फेक दे तो फिर चाहे वो गली में तारों पर लटके या या गली में बिखर जाए इस बात से आपको कोइ फर्क नहीं पड़ता क्यूकी कूड़ा आपके घर से तो निकल गया है अब इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता की किसका नुकसान होता है।

लोग कूड़ा फेक देते है और फिर मुकर जाते है की हमने नही फैंका , जब तक आप किसी को देखते नही हो तब तक आप यह नहीं कह सकते है की कूड़ा इन्होंने फैंका है इसलिए जब आप देखोगे तभी उनको कुछ बोल पाओगे लेकिन एक बार सबको बोल देना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अगली बार शर्म आए लेकिन कई लोगो को शर्म नही आती वह वही गलतियां बार बार करते है लेकिन उन्हें गलतियां नही कहते क्युकी कुछ लोग ऐसी हरकतें जान बूझकर करते है अपने कुछ 50 या 100 रुपए बचाने के चक्कर में दूसरो को परेशान करते है।

जो हमारे घर के पीछे वाले घर में रहते है उनकी छत पर कूड़ा हर दूसरे दिन पड़ा रहता है, हममें से ही कोई है जो इस तरह की हरकत कर रहा है अब यह बहुत निंदनीय कार्य है। और ऐसा कौन कर रहा है यह उनको नही पता चल रहा क्युकी उन्होंने किसी को भी कूड़ा फ़ैकते हुए नहीं देखा।

सुबह की चाय

जैसे ही हम सुबह उठे बस तभी बितर में ही हमे चाय मिल जाए तो उससे बढ़िया क्या हो सकता है यह तो आजकल हर किसी की इच्छा होती है की उसे बिस्तर में ही चाय मिल जाए ओर फिर वो बिस्तर से बाहर निकले क्युकी सुबह की चाय की बात ही कुछ ओर होती है, सुबह समय चाय की तलब तो ऐसी होती है, मानो बिना चाय दिन की शुरुआत ही न हो रही हो, लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा, ओर शरीर खुल जाएगा, सर्दियों में तो चाय का मिलन बिस्तर में ऐसे लगता है की कोई ख्वाब ही पूरा हो गया हो।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है।

मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।

चाय की तलब कुछ बढ़, कुछ घट रही है।

ये साली चाय की तलब मुझे लग रही है, क्या इसकी महक तुम तक भी पहुँच रही है।

या सिर्फ चाय की महक मुझे ही मदमस्त कर रही है,

चाय की चुस्की लिए जा रहा हूँ, मैं चाय अब पिए जा रहा हूँ

चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है।

की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना .. ….

ढूँढता हूँ

मैं घूमता हूँ दिन भर , दिन भर ढूँढता भी हूँ मैं

खुद को ही ना जाने कहाँ कहाँ ढूँढता हूँ मैं

कहाँ मिलूँगा-कहाँ मिलूँगा

खुद से बस

यही एक सवाल है जो

मैं खुद से बार बार पूछता हूँ

क्या मैं खुद को ढूंढ पाऊँगा

खुद के सवालों से ही मैं जूझ रहा हूँ

खुद से ही बस यही एक सवाल पूछ रहा हूँ

ढूँडु खुद को कैसे यह एक सवाल कर रहा हूँ

कहाँ कहाँ ढूढू खुद को

खुद से

बस यही एक सवाल है जो मैं खुद से कर रहा हूँ  

जवाब तो नहीं पता मुझे इसका कब मिलेगा

ये मुझको नहीं खबर है बस लापता हूं, इस दुनिया की भीड़ में

निकला हूँ उस ठिकाने को ढूँढने जिसका पता नहीं मालूम मुझे

समय की बचत

समय की बचत की जाए, समय की हानी ना हो, अपने समय को सही जगह लगाए, यू ही समय को ना गवाये, बिना मतलब के कार्यों में अपने समय को बर्बाद नहीं करे।

समय की बचत
समय की बचत
  1. समय बहुत कीमती है, इसलिए समय को व्यर्थ नहीं करना चाहिए
  2.  जो कार्य जरूरी नहीं उन कार्यों को छोड़ दे ओर अपने जरूरी कार्यों पर ध्यान दे उन कार्यों को जल्द से जल्द करे उन कार्यों को ताले नहीं।
  3. समय अपनी जगह बना लेता है निकलने के लिए इसलिए हर उस जगह को ध्यान से देखे जहां से समय निकल रहा है।
  4. अपनी दिनचर्या को ध्यान से देखे ताकि आप अपने समय की हानी होने से रोक सके।
  5. सोशल मीडिया हमारा बहुत समय लेता है आजकल इसलिए अपने समय को देखे की आप व्यर्थ की चीजों पर तो समय को बर्बाद तो नहीं कर रहे है ना।
  6. हम उन छोटी छोटी चीजों पर ध्यान नहीं देते जो हमारे समय को खराब करवाती है इसलिए अपने समय को उस जगह न लगाए जहां समय ज्यादा अधिक लगता है ओर उत्पादन कम होता है।
  7. बेफिजूल की चर्चा ओर बातों में अपने समय को ना लगाए।
  8. यदि आपके लिए कोई वस्तु जरूरी नहीं है तो उस पर अपना ध्यान नहीं लगाए।
  9. हमे सुबह जल्दी उठना चाहिए ताकि हम समय का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सके, ओर उन जरूरी कामों को सुबह से ही खत्म करले जिससे की हमारे काम का बोझ पूरे दिन ना रहे।
  10. गुस्सा ना करे नहीं तो पूरे दिन आप उनही चीजों के बारे में सोचते रहेंगे ओर आप अपने काम पर ध्यान नहीं लगा पाएंगे।

समय की बचत पर कुछ बातें जो ध्यान रखनी चाहिए जिससे हम समय को बचा सके ओर सही दिशा में समय को लगा सके।

यह भी पढे: समय का सदुपयोग, समय का अंधेरा तला, अच्छा समय आएगा,

आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

मानसिक तनाव

स्ट्रेस क्या है जब भी स्ट्रेस तो क्या करे? यह आपका मानसिक तनाव है जो आपको किसी भी विषय में अधिक सोचने पर होते है, छोटी छोटी बातों पर आप अधिक चिंतित होने लगते है तो आपको स्ट्रेस होने लगती है।

  • मानसिक तनाव को कम करने के लिए आप रोजाना आधे घंटे पैदल चले, पैदल चलने से दिमागी तौर पर बहुत आराम मिलता है, जितना भी स्ट्रेस होता है वह कम हो जाता है।
  • साइकिल चलाए आधा घंटा हर रोज
  • एक्सर्साइज़ करे
  • पैदल चले आधा घंटा हर रोज
  • ध्यान करे 40 मिनट
  • हर रोज 4 लीटर पानी पिए
  • हमे व्यायाम करना चाहिए ओर अपने दिन की दिनचर्या को ठीक रखना चाहिए सभी कार्यों को समय पर कर लेना चाहिए
  • हमे स्वस्थ ओर अच्छे भोजन को लेना चाहिए जितना हो सके हमे शुद्ध शाकाहारी भोजन ही लेना इससे हमारे विचार अच्छे होते है ओर सकारात्मक भी
  • सोने का समय सही होना चाहिए अधिक रात्री तक नहीं उठना चाहिए ओर अपनी नींद को पूरे 8 घंटे की लेना चाहिए।
  • अपनी मनपसंद के कार्यों में अधिक समय बिताए जिससे आप सदेव खुश रहते हो उनही कार्यों में अधिक समय बिताने से मूड अच्छा ओर स्वस्थ बना रहता है।

बिना वजह ही हमारे मस्तिसक में बहुत सारे विचार चलते रहते है, जिनकी वजह से हमारा तनाव बढ़त है इसके साथ ही हमारा मूड भी बदल जाता है, बहुत छोटी छोटी बातों से हमारे मूड में काफी बदलाव आ जाते है, जो हमारे मस्तिष्क में तनाव पैदा करता है, इस तनाव को काम करने के लिए हमे ज्यादा समय ध्यान करना चाहिए।

हमे अपने विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए जिससे की हमे उन छोटी छोटी बातों पर सोचने से कोई घबराहट ना हो।

हमारे मस्तिष्क में लगातार विचार आते रहते है, उन विचारों को पर रोक लगाने के लिए हमे अपने विचारों का पैटर्न बदलना होगा, हमारे जो विचार है यदि वो सही ओर सकारात्मक होंगे तो हम अपने ऊपर अधिक कंट्रोल रख सकेंगे।


सुकून की जिंदगी

मैं कभी काम के पीछे इतना नहीं भागा बस जो काम करना अच्छा लगता था वही किया ओर जितना करना चाहता था उतना ही करता था, समय के बाद काम को कभी महत्व नहीं दिया, घर आने के बाद फिर बस काम नहीं करता था, ओर ना ही काम की बाते क्युकी मझे हर समय काम की बाते करना पसंद नहीं था, मैं जो भी काम करता था घर से निकलने के बाद ही करता था, घर पर नहीं, दुकान का बचा हुआ काम भी घर नहीं लाता था, बस सुकून की जिंदगी हो ओर आराम से जीउ बहुत भागा दौड़ी भरी जिंदगी का मुझे कोई लाभ नहीं दिखता, हर समय काम के पीछे लगे रहने से भी क्या लाभ है।  

जितना भी कमा लो लेकिन एक दिन तो मौत की आगोश में सो ही जाना है, जब सब कुछ छूट ही जाएगा फिर क्यू इतना सब कमाना, क्यू इतनी मेहनत करनी उन कार्यों के लिए, क्यू इतना सब कुछ जोड़ना यही सब सोचकर मैं रुक जाता हूँ ओर आराम से बैठ जाता हूँ, यदि मुझे कुछ करना होगा तो मैं ध्यान, जप करूंगा स्वयं का जीवन शांति से व्यतीत करूंगा, इस सांसारिक जीवन की भागा दौड़ में नहीं व्यतीत करूंगा, कुछ बनकर भी क्या होगा? यदि कोई बड़ी पहचान नहीं होगी तो क्या जीवन अच्छा नहीं चलेगा, कितनी ही बड़ी पदवी पर बैठ जाओ लेकिन उसका कोई अर्थ नहीं होता जब तक आपके मन में शांति- सुकून नहीं है, यदि सुकून की जिंदगी नहीं फिर क्या अर्थ इस जीवन का

बहुत सारे लोग ऐसा भी कहते है की यह सोच उनकी होती है जो काम नहीं करना चाहते लेकिन उस सोच का क्या जो ये कहते है, की इंसान की औकात उनके जूतों से पता चलती है, यह बात भी किसी जूते बेचने वाले या बनाने वाले ने ही कही होगी, यह शब्द आज हर दिल को ठेस करते है

यदि कोई व्यक्ति देखता है की उसके जूते बेकार है, अब उसे जूते बदलने चाहिए, इसलिए आजकल जूतों पर लोग अधिक मूल्य खर्च करते है, ताकि उसे ऐसा न लगे की वह किसी से कम है, उसके हृदय पर चोट लगी उसे आहात कर गई यह बात की जूतों से उसकी पहचान होती है, इसलिए अब ज्यादातर लोग जूतों पर खर्च करने लगे है, लेकिन वही दूसरी तरफ लोगों ने किताबों पर पैसा खर्चना कम कर दिया की बार ऐसा लगता है की उन्होंने किताबों पर पैसा खर्चना अब बिल्कुल बंद ही कर दिया है।

किताब यदि 300 रुपये की है तो उसको बोलते है कितने की दोगे कम कार्लो, इसकी इतनी कीमत नहीं है, लेकिन यही बात जूतों के लिए नहीं बोलते लोग, जूते की कीमत चाहे 4000 रुपये हो वो लेकर चल देते है, क्युकी यह उनको जूतों में अपनी औकात दिखती है, लेकिन किताबों में बुद्धि, ज्ञान, स्वभाव में परिवर्तन, सफलता, जीने का तरीका, जिम्मेदारी, अनुभव, आदते, बहुत सारी बाते जो उसे सिर्फ कुछ रुपयों में सीखने को मिलती है।

लेकिन आज का व्यक्ति इन सब बातों को भूलकर जूतों की ओर आकर्षित हो जाता है, ओर किताबों को भूल जाता है, अब शोरूम में जूते दिखते है ओर पटरी पर किताबे दिखती है, जो लोगों को कोड़ियों के दाम में चाहिए। इससे यही स्पष्ट होता है की आप अपने अनुसार उन शब्दों को ढूंढ लेते हो जो आपके हित में हो। जिन शब्दों से आपको कोई लाभ होता है उस प्रकार के शब्दों को ढूँढना ही आपका कार्य है, आप अपने चातुर्य को बढ़ाना चाहते हो, आप किसी से हारना नहीं चाहते यह तुम्हारा अहंकार है, ओर कुछ नहीं।

यह भी पढे: सुकून मिलता है, बहुत सुकून, सुकून, सुख की अनुभूति है, तेरे होने से,

सदा आशावान

सदा आशावान रहे हृदय…..
आस्था का साथ सुखमय ।
सब होगा जीवन में सर्वश्रेष्ठ …
हृदय से दे आस्था की भेंट ।

समस्याओं से जूझता आशावान व्यक्ति….
झूझने से बड़ती हे प्रतिरोध की शक्ति ।
कार्य में लक्ष्य के प्रति रहे समर्पित….
चाहे संसाधन वो चाहे हो सीमित।

सदा आशावान रहे हृदय,
आस्था का साथ सुखमय।
जब तोड़े हों अवसरों के संकट,
आस्था दे दे तुम्हें बलिदान।

जीवन के रास्ते चुन रहा है,
चुन रहा है सर्वश्रेष्ठ।
आस्था की प्रेरणा से जीना,
मन को दे तुम्हें उज्ज्वलता की आप।

विपदा के समय उठती है आवाज़,
तोड़ती है अँधियारे की बंधन।
हृदय से दे आस्था की भेंट,
बन जाए जीवन की पहचान।

रोग, दुःख, और असंख्य विपत्ति,
आते हैं सभी के द्वार।
पर जब हृदय में बसे हों आस्था,
हर मुश्किल को तुम हरा दे प्यार।

सदा आशावान रहे हृदय,
आस्था का साथ सुखमय।
सब होगा जीवन में सर्वश्रेष्ठ,
हृदय से दे आस्था की भेंट।