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विनम्रता ही सम्पदा

विनम्रता ही सम्पदा
हृदय नहीं किसी का दुखा ।
बोझल चेहरे को हंसा….
देगा वो तुझको  दुआ ।

विनम्रता का सदा बड़ा रहे क़द….
जैसे सौदा अच्छा लगता नक़द ।
बोझिल चेहरे को तू दे हंसा….
ये सब बिन पैसे की मुफ़्त दवा ।

विनम्रता ही सम्पदा है,
हृदय नहीं किसी का दुखा।
बोझल चेहरे को हंसा,
देगा वो तुझको दुआ।

जीवन की धूप और छाँव में,
चलता रहे तू अचम्भा।
खुशियों की बौछार बरसाए,
बना दे तुझे आदर्श संभा।

दूसरों की दुःखों में तू,
सहानुभूति का आयाम हो।
दया और करुणा की झरोखों से,
छाती चौड़ी कर जयाम हो।

समय के अवसर पर तू,
सदैव विनयपूर्ण रह।
अपनी महानता छिपाए नहीं,
बल्कि हमेशा प्रकट कर दें वह।

संगठन और समाज में,
तू नेतृत्व का मार्गदर्शक हो।
विनय की आड़ में सबको ले,
भाईचारे का नूतन प्रस्ताव हो।

विनम्रता ही संपदा है,
हृदय नहीं किसी का दुखा।
बोझल चेहरे को हंसा,
देगा वो तुझको दुआ।

विनम्रता से जीने का,
सबसे बड़ा आदर्श हो।
इंसानियत की महिमा चलाए,
खुशहाली का रास्ता सादर हो।

चाहे जितनी चमक हो तेरे पास,
विनम्रता की किरण चमकती रहे।
इस संसार में तू राहत दे,
विनम्रता से जीने वाले हरें।



भविष्य निर्माण

भविष्य निर्माण हो जाते चौतीस पैंतीस ….
खाना पीना अब नहीं रह गया ख़ालिस ।

तीस पैंतीस में थोड़ी जीवन आई स्थिरता..
इस उम्र में आनंद और खाने पीने में रमता।

फिर पचास पचपन में गाड़ी चलती पीछे ..
शारीरिक बौद्धिक सब क्षमता होती नीचे ।

इस आयु में भिन्न प्रकार की बीमारियाँ लेती घेर ….
ब्लड प्रेशर शुग़र कलेस्ट्रॉल अन्य बीमारियों होता शरीर ढेर ।

स्मृति चुस्ती फुर्ती भी होती कम…
बाजुओं शरीर का कम होता दम ।

अब आता याद पास है धन विद्या कला…
नहीं किया परोपकार सेवा और भला ।

यदि कोई इस स्थिति से रहे हो गुजर…
परोपकार कर्म से जीवन जाएगा संवर ।

निःसंचोक बचे समय का करे सदुपयोग..
ये प्रयोग आवश्यक सबसे बड़ा यह योग।

जो किया है प्रकृति समाज से अर्जित….
गुणों ज्ञान धन जो कर सकते अर्पित ।

आज जो तेरा कल किसी और का नियम से कार्य नहीं दे स्वय को धोखा, फिर कैसे हो भविष्य निर्माण

चलते चलो

चलते चलो रास्ता मिलेगा
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा या तीसरा किवाड़ खुला मिलेगा ।
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती….
की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती।

दूसरे के किवाडो को सदा खटखटातै रहे….
यही है जीवन ,सदा मुस्कुराते और खिलखिलाते रहे।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा खुला मिलेगा।
जीवन की यात्रा में, तोहमतें होंगी बहुत,
लेकिन हिम्मत रखो, दिल से चलते रहो तुम।

कोशिश करने वाले की हार नहीं होती,
जीवन के पथ पर विघ्न हों या मुश्किलें बहुती।
तूफानों को भी रोक नहीं सकता है कोई,
जब तक जीने की चाहत हो, तब तक जीना होगा।

की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती,
हर एक प्रयास लाये गा साथ में सौभाग्य की लूटी।
हार मानने से पहले एक बार फिर सोच लो,
नया सवेरा होगा, नया संघर्ष होगा।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
खुले दिल से यात्रा करो, जीना सीखो तुम।
कोशिश करो, खुदा तुम्हारे साथ है,
जीवन की मुश्किलों को तुम हर बार जीतोगे।


घेरने को बीमारी तैयार

घेरने को बीमारी तैयार ….
होके घोड़े पे सवार ।
बीमारी दबी भीतर…..
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर ।
घेरने को बीमारी तैयार….
सज के घोड़े पे सवार ।

बीमारी और स्वास्थ्य में लकीर लकीर का फ़र्क़….
जिसकी लकीर हो जाती बड़ी चलता उसका तर्क ।
घेरने को बीमारी तैयार ….
तर्क के घोड़े पे सवार।

घेरने को बीमारी तैयार,
होके घोड़े पे सवार।
बीमारी दबी भीतर,
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर।

बस्तियों की चौकीदारी,
आँखों में है चिंता सदैव।
जगह छोटी, जनसंख्या बढ़ी,
स्वास्थ्य की बातें हो गईं परेशानी आविर्भाव।

प्रदूषण ने घेरा दूरियाँ,
धूल के ढेरों ने छिन ली धड़कनें।
जहां स्वच्छता की बातें थी सुनी,
वहां कचरे की बढ़ गई बरसातें।

धुएं में उड़ रहा खुदरा जीवन,
दानों की जगह पाएंगे अनुशासन।
बीमारी की लहरें बढ़ रहीं गहराई,
स्वास्थ्य की चिंता बढ़ी तनाव की वजह।

उच्च रक्तचाप, मधुमेह और दिल की बीमारियाँ,
बढ़ती उम्र के साथ हो रहीं जमावटें।
घबराहट हर घर में घुस रही है,
स्वास्थ्य का मामला हुआ नाराजगी का वजह।

व्यस्तताओं ने छीन ली सुख की नींव,
प्राकृतिक आहार की बढ़ी है कमी।
जीवन में खुद को समझाने की जरूरत है,
स्वस्थ रहेगा तो होगी कामयाबी।

योग और ध्यान का अभ्यास करें,
रोज़ाना व्यायाम को महत्व दें।
प्रकृति से संबंध बनाए रखें,
स्वास्थ्य की रक्षा में आगे बढ़ें।

घेरने को बीमारी से बचें,
उत्साह और संयम से रहें सजग।
स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ें,
खुशहाली की राह पर आगे बढ़ें।

यह संदेश देता है संकेत,
स्वास्थ्य का रखें हमेशा ध्यान।
बीमारियों को दूर रखें दूर,
जीवन को बनाएँ स्वस्थ और पुरूर।

अच्छे आहार का सेवन करें,
फलों और सब्जियों से भरें थाली।
विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर,
स्वस्थ शरीर को पाएँ मजबूत और स्वस्थ बाली।

व्यायाम को न भूलें, नियमित बनाएँ,
शारीरिक कठिनाइयों को दूर भगाएँ।
स्वस्थ मनोवृत्ति का ध्यान रखें,
खुशहाल और सकारात्मक जीवन बिताएँ।

धूल, धुएं, प्रदूषण से बचें,
पर्यावरण की रक्षा करें सबके साथ।
स्वच्छता को महत्व दें हम सभी,
स्वस्थ भारत की ओर करें प्रगति का साथ।

इस प्रकार से स्वस्थ रहें हम सब,
बीमारियों से दूर रखें हम खुद को।
स्वस्थ देश का सपना साकार करें,
आपदाओं के खिलाफ मजबूत खड़े हों।

स्वस्थ्य जीवन का ध्यान रखें,
खुशहाली की ओर बढ़ते जाएँ।
घेरने को बीमारी ना तैयार करें,
आपदाओं के साथ निरंतर लड़ते जाएँ।

विचारों का पिटारा

अच्छे विचारों का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा…..
फिर हार में या जीत में
सदा खुला रहेगा यह द्वारा ।

अच्छा व्यक्तित्व व्यापार की पूजी के समान मज़बूत सहारा ….
सब अच्छा ,जब अच्छे विचारो का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा ।

अच्छे विचारो का पिटारा,
हो मस्तिष्क तुम्हारा।
फिर हार में या जीत में,
सदा खुला रहेगा यह द्वारा।

जब भी दुख सताए आपको,
और जीवन थकाए आपको।
तो खोल लें इस पिटारे को,
विचारों का अमृत पाएं आपको।

यहाँ निवेदन करें आपको,
अपार ज्ञान प्राप्त हो आपको।
ज्ञान की कठपुतली बनें आप,
और दुर्बलता को हराएं आप।

चाहे जीत हो या हार हो,
चाहे अंधकार हो या प्यार हो।
यह विचारों का पिटारा,
सदैव चमके यहाँ तुम्हारा।


किसी को लूटा के

किसी को लूट के मज़ा आता किसी को लूटा के,
समझ समझ का खेल है भइया काम न करना किसी का दिल दुखा के ।
परोपकार की महिमा अपरंपार….
समझने वाले का बेड़ा ही पार ।

बात यह की ज़रूरतमंद की ज़रूरत को सही से समझना …..
सच्ची ज़रूरत को महत्व देकर सामर्थ्य यथाशक्ति से पूरा करना।

किसी को लूट के मज़ा आता, किसी को लूटा के,
समझ-समझ का खेल है भइया, काम न करना किसी के दिल दुखा के।
परोपकार की महिमा अपरंपार, इस दुनिया में बहुत अलग है विचार।
कर्मठ और उदार लोग, जीवन में चमकते हैं जो होंठ।

दूसरों की मदद करना एक कला है, त्याग और दया से हृदय बना है।
दरिद्रता और दुःख से दूरी बना है, स्वार्थ की जगह परोपकार की चमका है।

दिन-रात मेहनत करते लोग, दूसरों के दुःखों को हरते लोग।
अनजानों को राह दिखाते लोग, खुद को भी भूल जाते लोग।

आँखों में चमक, हंसी का रंग, खुशियों का बांधन बांधा है।
मन में शांति, आदर्शों का ताज, अपने सुखों में खुश रहा है।

दुखी को दिया, रोगी को दवा, दिलों में आराम का विश्राम।
परोपकार की महिमा अपरंपार, जीवन का सच्चा धर्म है यह।

चलो आओ मिलकर बदलें दुनिया, दूसरों के सुखों का राग गाएं।
परोपकार की अद्भुत शक्ति से, हम सब मिलकर जीवन को सजाएं।

इच्छाओ को ना मारो

इच्छाओ को ना मारो उनको होश पूर्वक भोगे….
होश महत्वपूर्ण बात जब सही से उसके प्रयोग होंगे ।
जो भी व्यर्थ है वो नहीं पड़ेगा छूटना वो जाएगा छूट…..
यहाँ कुछ भी अच्छा बुरा नहीं जो मिला है उसे होश से लो लूट ।

ज्ञान इतना परिपक्व नहीं पहले से अवछे बुरे से हो ग्रसित…..
जीवन में होश को लाइए उसकी कसौटी पे कार्य हो अर्पित ।

इच्छाओं को न दबाओ, होश से उन्हें जीवन दो,
प्राणवायु वायुमंडल में उड़ान भरो।
होश की महत्ता समझो, सही उपयोग करो,
बिना छूटे कुछ भी नहीं, छोड़ दो विषय तरल।

जीवन की इस यात्रा में, क्या है अच्छा और बुरा,
हाथों में लो उसे, होश से अपने चुना।
नशे की मोहमयी दुनिया में न पड़ो उलझ,
सोच-विचार नवीनता से, आगे बढ़ो चले गति से।

इच्छाओ को ना मारो, उन्हें व्यर्थ न समझो,
होश में रहकर भोगो, जीवन को खुशियों से रंगो।
संघर्षों की धूप में, उगेगा नया सवेरा,
प्रयासों के संग, होंशियारी से जीवन में बहारे।

जीवन की रंगीन छटा में, छूटेगा न कोई खोट,
होश से जीना, खुशियों की ढेर सबको दो।
हर दिन नए विचारों से बनाओ संपन्न,
इच्छाओं को न मारो, होश से जीवन का गान गाओ।

अकेले बैठ

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…..
आत्ममंथन में समय को करे व्यय ।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे …..
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे ।

बेंठे अकेले और स्वय को दे समय….
व्यर्थ की बाँतो में हो रहा वो व्यय ।
रात्रि में करे दिन का लेखा जोखा….
व्यर्थ को छोड़े नहीं तो खा जाएँगे धोखा ।

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की भागदौड़ में जब हम टूटे जाते हैं,
समय के चक्र में खो जाते हैं,
तब अकेले बैठ कर स्वयं को ध्यान देना होता है,
अपनी प्रतिभा को जगाना होता है।

जब जीवन की उचाईयों पर चढ़ना होता है,
समय के साथ कदम साथी रखना होता है।
आत्ममंथन करें और समय को व्यय करें,
इस रूप में अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।

हर दिन क्रियाएं करें सोने से पहले,
अपने सपनों को पूरा करने के लिए जगें।
आत्मा की ऊर्जा को जगाएं और बढ़ाएं,
नये दिन में खुशियों से भरी जिंदगी पाएं।

जन्मी समझ से नये दिन का स्वागत करें,
खुशियों के फूलों से आगाज करें।
अपनी कविता के रंग में रंग जाएं,
और जीवन की हर बाधा को संग जाएं।

अकेले बेंठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की रेखाएं हम खुद खींचते हैं,
खुद ही अपने भाग्य की रचना करते हैं।
समय को सदा महत्व देते रहें,
और सपनों को पूरा करते जाएं।



नहीं कोई नियत रास्ता

ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता …. ख़ुश रहना रास्ता ,इस रास्ता पे आस्था ।
ख़ुशियों दुखों संग भीतर ही उलझी….
खुश वो जिसने बात ये अच्छे से समझी ।
ख़ुशियाँ विकास….
भीतर का उल्लास ।

ख़ुशियाँ विकास, आनंद का आगाज,
हार्दिक आभार सबको, जो दिल से ये समझे,
ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता,
ख़ुश रहना रास्ता, इस रास्ता पे आस्था।

जीवन के रंगों में, छुपे हैं अनेक सपने,
ख़ुशियों का आदान-प्रदान, मुस्कान के मध्यम से,
दुखों के संग भीतर ही उलझी,
ख़ुश वो जिसने बात ये अच्छे से समझी।

सफलता की मधुरता, ख़ुशियों की गहराई,
ज़िन्दगी के वक्त पर, खेल रही है खुदाई,
ख़ुशियाँ विकास की आवाज़ हैं,
हर एक क्षण में धन्य हैं, ये संघर्ष की राज़ हैं।

दूर हैं गम के बादल, निकले हैं ख़ुशियों के चमक,
विकास की राह पर, आगे बढ़ते जब ये कदम।
आशा की किरणें जगाते, रोशनी लाएं जग में,
ख़ुशियों का बाज़ार, हर दिल में बसी हैं विश्वास की खेली।

ख़ुशियाँ विकास, आनंद का आगाज,
हार्दिक आभार सबको, जो दिल से ये समझे,
ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता,
ख़ुश रहना रास्ता, इस रास्ता पे आस्था।

ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता….
मन में आस्था , ख़ुशी का तुम्हें वास्ता ।
भीतर सुख दुख दोनों ही समाये….
भीतर से ख़ुशी को खींच के लाये ।
ख़ुशियाँ विकास….
भीतर का उल्लास ।
उल्लास ही उल्लास हो जीवन में ,भीतर उसका बहता चश्मा , खूब ख़ुशियाँ रहे जीवन इस मनोकामना संग नमस्कार प्रणाम ।

अक्सर तुम और मैं

अक्सर तुम और मैं , कुछ कुछ बाते करते है, उनही पुरानी पलों को संग बैठ याद करते है, कभी संग हम मिल जाते है, कभी तन्हा भी हो जाते है,

अक्सर तुम और मैं कुछ कुछ बाते करते है, उनही उलझे किस्सों को सुलझाने की कोशिश में हम घंटों खुद ही उलझ जाते थे, लेकिन फिर उस एक सुलझे हुए हिस्से को पकड़ हम भी सुलझ जय करते थे।

अक्सर तुम और मैं, कुछ कुछ बाते करते हैं,
उनही पुरानी पलों को संग बैठ याद करते हैं।

वह बिते हुए समय की लहरें फिर से जी जगाती हैं,
यादों के संग स्वर्गिक संगीत बजाती हैं।

हम बैठे हैं, विचारों की दुनिया में खोए हुए,
बीते लम्हों को सुलगाते हैं, खुद को ढूंढ़ते हुए।

हंसी, खुशियाँ, गम, और रोने की भी आवाज़ें,
जीवन की इस रेखा पर एक साथ ही साज़ें।

हम याद करते हैं वो मुस्कान और आँखों की चमक,
जो दूरियों को भी मिटा देती थी जब आती थी बातें वक्त की टकटक।

वक्त बदलता है, दिन रात बदलते हैं,
पर हमारी दोस्ती अटूट बनी रहती हैं।

चाहे दूर हों हम आपस में भावनाएं,
यादों की इन ठंडी रातों में भी बचाती हैं।

चलते चलते, जब इस यात्रा का अंत आएगा,
तो यादें हमें फिर वहीं ले जाएगी जहां शुरुआत हुई थी।

तब तक रहेंगी हम यादों के उस दरिया में खोए,
जहां तुम और मैं, कुछ कुछ बाते करते हैं, संग बैठ याद करते हैं।