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पानी की बर्बादी

हमने पानी की बर्बादी करने के लिए बहुत सारे साधन बना लिए है जिनकी वजह से ऐसा लगता है हमारे आगे आने वाली पीढ़िया इन सब चीजों के लिए तरस जाएगी जिन चीजों का हम भोग बहुत नासमझी के साथ कर रहे है।

पानी को साफ करने की मशीन: अक्सर देखता हूँ आजकल हम सभी के घरों में पानी को साफ करने की मशीन लगी होती है, जैसे जैसे पानी साफ होता है, एक तरफ से गंदा पानी रिस रिस कर पाइप से निकलता जाता है , लेकिन उस पानी को कभी हम प्रयोग में नहीं लाते, होने को उस पानी का प्रयोग बर्तन धोने, कपड़े धोने आदि बहुत सारे कामों के लिए प्रयोग में ला सकते है।

लेकिन वो पानी बस यू ही बहता रहता है। और पानी की बर्बादी होती रहती है , आप सोच रहे है, यह बात सिर्फ आपकी 2 बाल्टी पानी की है उससे क्या होगा जरा सोचिए जिनके घर पानी साफ करने की मशीन नहीं ओर जो लोग पानी बाहर से मंगाते है, जब वो पानी के प्लांट वाला व्यापारी सफाई करता होगा पानी की, तो वह कितना पानी व्यर्थ में बहने दे रहा है। ओर हम कुछ भी नहीं कर रहे , ना ही सरकार इस और ध्यान दे रही है, ओर न हम आप सभी कार्यों को सरकार के भरोसे पर नहीं छोड़ सकते कुछ कार्य की जिम्मेदारी तो हमे स्वयं ही लेनी पड़ेगी।

छत पर रखी पानी की टंकी:  छत पर रखी पानी की टंकी भी भर जाती है, लेकिन वो पानी तो घंटों तक बहता हुआ ही दिखता है, कुछ लोग लगता है मोटर चलाकर बस भूल जाते है, ओर पानी बहता रहता है, ऐसा ही कुछ हमारी बिल्डिंग में भी होता है, शाम को पानी आता है, तो सभी अपना पानी भर लेते है एक पानी की टंकी लगभग 35 मिनट में भर जाती है 750 लीटर वाली यदि पूरी खाली है तो , लेकिन वो 35 मिनट उनके पूरी रात में बदल जाते है लेकिन मोटर नहीं बंद होती , यदि टंकी छत पर है तो वो छत भी एक दिन कमजोर हो ही जाएगी , उसमे से भी एक दिन पानी रिस रिस नीचे तक जाएगा, जिस तरह से पानी बहता है,

क्या हम उस पानी का इस्तेमाल गमलों की ओर नहीं कर सकते या अलार्म नहीं लगा सकते की पानी भर रहा है तो हमे याद रहे , हमे वो पता चल जाए की पानी की भर चुकी है अब बंद कर दीजिए। लेकिन ऐसा नहीं करते यह लोग पता नहीं क्या सोचकर पानी को इतना व्यर्थ कर रहे है।

हाल ही मैं एक दर्दनाक हादसा हुआ है, शिमला में पानी लगातार पहाड़ों से रिस रहा था उसका निकासी सिस्टम सही तरीके काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से पहाड़ खिसक रहे है, ओर बहुत भारी नुकसान पूरे हिमाचल को हुआ है। पूरा हिमाचल इस भूल का परिणाम भुगत रहा है फिर सोचिए हमारा एक छोटा सा घर जिसका हम ख्याल नहीं रख पा रहे है उसका क्या होगा? बड़ी मेहनत से बनता है एक घर पूरी उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में , यह जल हमारी प्राकृतिक सम्पदा है, इसे यू ही व्यर्थ में खर्च ना कीजिए इसका ध्यान रखना ही हमारी जिम्मेदारी है।

क्या हम तैयार है

यह बात सोलह आने सच है हम चाहते तो है कि स्वछ भारत हो परंतु क्या हम तैयार है, अच्छे भारत के लिए, स्वच्छ व सुंदर भारत के लिए बस यही एक जरा सा सवाल हमे खुद से पूछ लेना चाहिए हम कही भी थूक देते है, खुले में शोच कर देते है गाड़ी से बाहर से कूड़ा फेक देते है, पानी की बोटल रास्ते में पीकर ही फेक देते है।

सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट हम ही पीते नजर आते है, कूड़ेदान को अपनी दुकान में ना रखकर दूसरे की दुकान के सामने हम डाल देते मेट्रो स्टेशन की दीवारों के बीच में गुटके के पाउच हम छिपा देते है, बस में सफर करते हुए ही हम बाहर थूकते हुए हम ही नजर आते है कितनी ही ट्रेन, बस हमारे लिए बनाई जा रही हो, परंतु हम ही उनको तोड़ देते है तथा गंदा भी हम ही करते हुए नजर आते है। क्या हम तैयार है?

एक सड़क का निर्माण हो रहा होता है तो उसके पत्थर भी हम लोग ही उठाकर घर ले जाते है।
दिल्ली, हरयाणा और उत्तर प्रदेश की सड़कें पूल जब बन रहे होते है तो पुलिस कर्मचारी लगाए जाते है ताकि कोई सामान ना चुरा ले जाये।

DDA के प्रोजेक्ट भी हमारे जैसे लोगो के कारण ही देर से होते है क्योंकि हमारे काम के लिए भी उन्हें सुरक्षा देनी पड़ती है ।

गाय, भेस रोज काट रही है क्योंकि ट्रैफिक पुलिस वाला रेड लाइट पर 500rs लेकर उस ट्रक को जाने देता है।

हम ही वो लोग है जिन्हें गाड़िया चाहिए और मुह पर मास्क भी हम ही को लगाना है उसके बाद चार लोगों मे बैठकर हम ही नजर आएंगे की बहार प्रदूषण व गर्मी बहुत है क्योंकि हमें यह कभी समझ नही आता कि इसका कारण हम ही है।

पानी नदी की तरह बहता रहता है तब परवाह नही है तब मेरा काम नही है यह सब बातें सामने आती है और जब चला जाता है तब रोते भी हम है फिर कोसते है सरकार को।

आज कल नई चीज देखने को मिल रही है parents ही अपने बच्चों को पनवाड़ी की दुकान पर लेकर जाते है फिर कहते है हमारा बच्चा गुटका सिगरेट और शराब पीने लग गया है
अब गलती किसकी ये कैसे समझ आये हमको रे।

क्या हम तैयार है? यह सवाल हमे स्वयं से पूछना चाहिए।

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