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मस्तिष्क के द्वारा

जो भी हो रहा वो सब मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न परछाई …..
सब कुछ बदला जा सकता हे मस्तिष्क के द्वारा सब बाँते ऊसमे समाई ।
मस्तिष्क का सकारात्मक भाव …..
हमेशा सुख और दुखों का अभाव ।

मस्तिष्क में सुख और दुख के लिए समान भाव….
दोनों नही सदा रहने वाले दोनों से ऊपर उठना व्यक्ति का हो स्वभाव ।
हर जगह मस्तिष्क द्वारा चालित कार्यक्रम चल रहे ….
चालाक व्यक्ति वहाँ अपना राज हमेशा रहेगा सोच के चला रहे ।

जो कुछ हो रहा वो मस्तिष्क के द्वारा उत्पन्न उसकी छाया….
सब ओर धुँआ धुँआ हे सब इस प्रकृति की शक्ति उसकी माया ।

जीवन के कठिनाइयों में, मस्तिष्क की छाप,
उत्पन्न करती है मस्तिष्क से रचित ये कविता।

सब कुछ जो हो रहा है, उसकी बुनियाद है मस्तिष्क,
जहां सभी विचार आकर एकत्र होते हैं समाई।

चाहे चुनौतियों का सामना हो, या विपरीत परिस्थिति,
सकारात्मक भाव से भरा होता है मस्तिष्क का आकार।

मस्तिष्क की शक्ति से ही होता है सब कुछ बदला,
विचारों की ऊर्जा द्वारा जीवन को मिलती उम्मीद।

जब आत्मविश्वास से भरा होता है मस्तिष्क का विश्वास,
तो हर कठिनाई को हम पार कर पाते हैं आसानी से।

मस्तिष्क की परछाई से ही प्रेरित होती है ये कविता,
जीवन को बदलने की शक्ति देती है ये अद्भुत विचार।

इसलिए, जब भी आपको लगे कि हर बात हार गई है,
याद रखें मस्तिष्क की शक्ति है हमारी आधारभूत ताकत।

योग्यता पे अविश्वास

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास ….
बुरा न मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास ।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना हे तनिक सा भी परेशान…
क्यूँकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान ॥

कोई करे अविश्वास नहीं बुराई ,
ये उसके सोचने का हे तरीक़ा ….
आपने उसे लेना सदा सकारात्मक,
दिखना चाहिए आपका भी सलीका ॥

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास …
बुरा ना मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना है तनिक सा भी परेशान…
क्यूंकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान।

जब दूसरों की आँखों में आता है शक,
तब भी आप बने रहें सच्चाई का अभियांत्रण।
क्योंकि योग्यता की चमक सदैव चमकती रहेगी,
आपके अंतर्निहित सामर्थ्य को कभी नहीं छेड़ेगी कोई बादबाकी अविश्वास का आँच।

जीवन का प्रत्येक क्षण एक मुकाबला है,
जहाँ आपको अपनी क्षमताओं को साबित करना होता है।
जब बाधाएं आपके रास्ते में आती हैं,
तो आपको मजबूती से खड़े होना होता है, ना कि भयभीत होना आँखों में अविश्वास की लकीर।

आपकी योग्यता, आपकी मेहनत का अंश है,
जो आपको अद्वितीय बनाता है और उच्चताओं की ओर ले जाता है।
इसलिए ना चिंता करें बाहरी आवाजों से,
आपकी अंतर्निहित कमजोरियों के बावजूद भी, आप लोहे की तरह दृढ़ रहें, श्रीमान।

जब आपकी योग्यता को कोई अवगुण कहता है,
तो याद रखें, वह अवगुण उसकी जानकारी का प्रतिफल है।
क्योंकि जो अस्थिर होता है वह अद्यावधिक ढंग से तैरता है,
जबकि आपकी योग्यता अटूट है, जैसे सोना, श्रीमान, न कि लोहा।

तो ना करें आप योग्यता पर संदेह व अविश्वास

गीत संगीत हृदय

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि….
सुनते रहे सुनाते रहे गाते रहे गुनगुनाते
रहे अपनाये यह विधि ।
गाना संगीत सुनके मन होता शांत….
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत ।

गीत संगीत मन मस्तिष्क की ओषधि….
बुझा दीपक जल उठता दूर होती व्याधि ।
संगीत एक आकाश जिसका न कोई छोर….
यह वो पतंग जिसकी उपलब्ध अनंत डोर।

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि,
जिनका आनंद होता है सदैव विधि।
सुनते रहें, सुनाते रहें, गाते रहें, गुनगुनाते रहें,
इस विधि को अपनाएं, जीवन में आनंद बहाएं।

गाना संगीत सुनके मन होता शांत,
स्वरों की मधुरता से जगाता चित्त का आदान्त।
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत,
रचनाओं की गहराई से भरता रूह का विश्रांत।

संगीत की जगमगाहट धरती को झूमा देती है,
ताल-मात्रा की गति हृदय को भर जाती है।
गीतों की मधुरता दिल को छू जाती है,
संगीत की सादगी मस्तिष्क को भर जाती है।

संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि है,
जो रागों की बंधन से मन को मुक्ति दिलाती है।
गीत संगीत का आनंद जीवन में बिखेरता है,
सदैव इसकी आराधना करें, अपनी आत्मा को संगीत से भरें।

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

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कल किसने देखा

कल किसने देखा है ओर कौन ही देख पाएगा, कल की काहे को फिकर करता है ऐ बंदे आज में जी ओर मौज में रह बस यही जीवन का असली अर्थ है।

कल किसने देखा …..
कल मतलब पानी पे रेखा ।
कल कल ध्वनि से जल बहता जाए…
समय रहा हे बीत यह जता जाए ।

कल विश्व का सबसे बढ़ा झूठ….
कल कल करके आज को लेता लूट ।
मज़ा या सजा जो भी हे वो वर्तमान….
सजा मज़ा में कर दे परिवर्तित फिर तू वैज्ञानिक महान ।

न खोना आज अभी ….
यही सत्य जो बीत रहा अभी ।

कल किसने देखा,
कल मतलब पानी पे रेखा।
कल कल ध्वनि से जल बहता जाए।
समय रहा हे बीत, यह जता जाए।

प्रशान्त वायु लहराती है,
धूप में रंगी हुई चादर।
विचारों की उड़ान भरे,
हर दिन की चादर।

आँखों में चमक, ख्वाबों की नैया,
जीवन की धरा पर बहती जाए।
कल की चिंगारी आज बुझ गई,
नई सोचों से सजती जाए।

हर कल के पीछे एक सवेरा,
नयी उमंगों की आहट।
यहाँ रुकना नहीं, चलते जाना है,
जीवन की मधुशाला में बहती जाए।

चाहत के सागर में डूबते जाएं,
सपनों की परवाज उड़ाते जाएं।
कल की छांव में आज को भी जिन्दा करें,
हर दिन को यूँ ही बिताते जाएं।

कल किसने देखा,
मन से बहुत सोचा।
पानी पे रेखा बनी,
खुशियों की बहार जगाई।

मुस्कान छा गई चेहरे पर,
प्यार भरी बातें कह गई।
पानी की रेखा ने बताया,
मन की ख्वाहिश कैसे बनाई।

दिलों में उमंग भरी हुई,
खुशियों की लहर लहराई।
पानी पे रेखा ने बताया,
ख्वाबों को कैसे पार कराई।

कल की रेखा ने सिखाया,
जीने का अद्भुत तरीका।
आँखों में चमक जगाई,
खुशियों की नई प्रतीका।

कल को देखा और समझा,
जीवन की महक और मज़ा।
पानी पे रेखा ने सिखाया,
हर दिन को बनाए अनमोल तजा।

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असम्भव बात

असम्भव बात कभी दुःख न आए …
लेकिन सम्भव तू मुस्कुराते उसे झेल जाए ।
तेरे मुस्कुराने की चाभी तेरे पास…
प्रयोग कर इस चाभी का ही तेरा साहस ॥

असम्भव बात की कभी समय न बदले….
आज तेरा कल किसी ओर का यह पगले ।
लेकिन मन की डोर तो तेरे ही हाथ ….
मन सदाबहार रखे उसे अपने साथ ॥

असम्भव आसमान कहाँ से शुरु समाप्त ..
लेकिन जगे अवचेतन में सब कुछ हे व्याप्त ।
अवचेतन सदा रहता जगा नही वो सोता…
सुन समझ उसके मौन को , बन तू श्रोता ॥

असम्भव कि कभी न हो मृत्यु…
मिली गिनती के सांसो रूपी आयु ।
जब तक हे जीवित तो हे जीवन…
मृत्यु से काहे डरना मिला अनमोल जीवन ॥

असंभव बात कभी दुःख न आए,
लेकिन संभव तू मुस्कुराते उसे झेल जाए।
तेरे मुस्कुराने की चाबी तेरे पास,
प्रयोग कर इस चाबी का ही तेरा साहस।

जब जीवन की धूप छिड़कती है आँखों में,
और अँधेरा हर तरफ़ फैलाकर दर्द लेता है दम,
तब अपने होंठों पर एक मुस्कान बिठा ले,
और दुःख को तू दूर भगा ले।

जीवन की लड़ाई में जब हार दिखाई दे,
और तू तोड़ दे दरिया और पार जाए,
तब उम्मीद की किरण तू बन जा,
और संघर्ष को तू दूर कर दे।

तेरे हाथों में है खुदा की खुदाई,
चाहे जितना भी बड़ा हो बादल का साया,
तेरी मुस्कान है शक्ति की अंतरा,
जिसे तू जिये और दूसरों को भी दिखाए।

आगे बढ़, ना झुक, ना रुक,
जीवन की गाथा तू खुद लिख,
मुस्कुराने की चाबी का इस्तेमाल कर,
और खुद को ख़ुश रख, यही है तेरा साहस।

सिर्फ ये मन

सिर्फ ये मन , बुद्धि भाग रहे है बाकी कुछ नही चाहे तुम बैठ जाओ एक बंद कमरे में फिर भी तुम्हारा तुम्हे दौड़ा कर ले जायेगा बाहर, जरा देखो तो सही खुद को तुम्हारी दौड़ बाहर से तो है ही नही, तुम्हारी दौड़ भीतर की है जिसे तुम नही देख रहे बस भाग रहे हो उन दौड़ते हुए लोगो को देखकर जो बस दौड़ रहे है उन्हे भी नही पता कहा जाना है और अब तुम भी भूल गए हो की तुम्हे कहां जाना था , तुम्हारी मंजिल क्या है, तुम्हारा ठिकाना कहां है बस तुम दौड़ रहे हो।

सिर्फ ये मन, बुद्धि चाहते हैं स्वतंत्रता,
कमरे में बैठे, विचारों का संग्रह किया,
लेकिन तुम्हारी दौड़ विचारों को नहीं रोक सकती,
बाहर जगती वास्तविकता, जिसे तुम्हें देखना है।

तुम्हारी दौड़ बाहर से है, देखो अपने अंतर को,
विचारों का मार्ग चुनो, दुनिया में निकलो,
धैर्य और संवेदनशीलता से यात्रा करो,
तुम्हे अपने सच्चे आप को पहचानना है।

जहां तुम्हारी इच्छाएं और सपने बहुतेरे,
उन्हें पूरा करने का अवसर ढूंढ़ो।
जब तक तुम नहीं निकलोगे दौड़ने के लिए,
तब तक तुम नहीं जान पाओगे अपनी सीमाएं।

बाहर जगती वास्तविकता तुम्हें पुकार रही है,
तुम्हारे सपनों को साकार करने के लिए।
अपनी क्षमताओं को पहचानो और उन्हें प्रगति में लाओ,
तुम्हारी दौड़ से जीवन को सजाओ और सार्थक बनाओ।

सम्पूर्ण विश्वास

विश्वास केसे होता सम्पूर्ण विश्वास…
जब मन वचन कर्म करते हार्दिक प्रयास ।

फिर चमत्कार एक मामूली घटना….
जो दूसरो के लिए मुश्किल सपना ।

विश्वास में चाहिए हृदय का समर्पण….
करता कोई ओर आप मात्र एक दर्पण ।

हृदय भूमि मे रोपे विश्वास का वृक्ष….
समर्पण से उसे सींचे हो इतने दक्ष॥

विश्वास क्या है, वह ज्ञान का आधार है,
जब मन, वचन, कर्म सभी हों सत्य और विश्वासपूर्ण तू,
तभी सम्पूर्ण विश्वास बढ़ता है मन में तेरे,
विश्वास की आग से जलता है जीवन का प्रश्न-मंदिर।

जब मन स्वाधीन हो, मन की ओर विचार राख,
वचनों में सत्यता का आभास बना ले तू।
कर्मों का निर्माण कर एकाग्रता से,
तभी विश्वास बढ़ेगा, तू अपने मन का द्वार।

हार्दिक प्रयास कर, सत्यता का पालन कर,
विश्वास की आड़ में जीवन को समर्पित कर।
जब प्रेम से भरी आंखों से देखेगा तू विश्व को,
विश्वास की शक्ति तभी बहेगी तेरे हृदय से बाहर।

विश्वास का आधार है सत्य के संग,
विश्वास का वृक्ष है प्रेम और समर्पण का रंग।
विश्वास का उपहार है आत्मविश्वास और धैर्य,
विश्वास की प्रेरणा है नैतिकता और ईमानदारी।

तो, चल मन, वचन, कर्म से बना विश्वास का मंदिर,
सम्पूर्ण विश्वास को जीवन में बसा ले तू।
जब मन वचन कर्म हों सत्य और विश्वासपूर्ण,
तभी तू अपने अंतर्मन का साथी बना ले गगन के पार।

जीवन के लेखक

आप अपने जीवन के लेखक
उसमें उचित परिवर्तन कीजिए बेशक ।
अपनी लेखनी से कमाल बरपे….
हो जीवन पुस्तक अलग सटीक हटके ॥

जीवन की पुस्तक आत्मा है विषय….
न रखना तुम इस बात पे कभी संशय ।
विषय का चुनाव जेसे प्रकृति की सोच..
एकदम सटीक नही कार्य में कोई लोच ॥

जब कोई पढ़े आपकी जीवन पुस्तक….
प्रेरणा से आंदोलित हो हृदय मस्तक ।
पृष्ट पे शब्द ऐसे जेसे बिखरे हो मोती…
जीवन से परिपूर्ण स्वीकारती चुनोती ॥

चुनौतियां करती जीवन को सम्पन्न…
शक्ति ये विस्फोट आपका परम धन ।
आप अपने जीवन के लेखक…
डालिए शब्दों भाषा में अलख ॥

मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, कलम मेरी साथ है,
जीवन के पन्नों में उचित परिवर्तन लिखूं आज।
मेरी लेखनी से कमाल बरसें, अक्षर-अक्षर जगमगाएं,
कविता का रूप धारण करे और रचना को सजाएं।

जीवन की प्रेरणा और उमंग मेरी कविताओं में बहे,
सत्य और सुंदरता की छाया मेरी रचनाओं में छाए।
ज्ञान और समझ की आग मेरे शब्दों से जले,
बदलाव की लहर मेरी कविताओं में बहे।

जीवन के रंग-बिरंगे पलों को आकार दूं मैं शब्दों में,
खुद को खोजते हुए, नए रास्तों को चुनूं मैं विचारों में।
जीवन की अनुभूतियों को सहजता से व्यक्त करूं,
प्रेरणा के पंक्तियों में विचारों का रंग छिड़कूं।

मेरे लेखन से समाज में बदलाव का प्रकाश फैले,
ज्ञान की धारा बहे, सभ्यता की लहर उठाए।
चेतना के बाध्य सूत्र में रचनाओं की बुनियाद डालूं,
नये सपनों के पंख लगाए, आगे बढ़ते जाएं।

तो आओ, लिखते हैं नया अध्याय, नया पृष्ठ आज,
कविता की छटा फैलाएं, अपने जीवन को संवारें।
अपनी लेखनी से कमाल बरसे, मन की ऊर्जा व्यक्त करें,
मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, अब नया अध्याय शुरू करें॥

और बताए अपने जीवन की कुछ बाते, यही है नई शुरुआत इस जीवन की

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अभिव्यक्ति हमेशा

अभिव्यक्ति हमेशा
बनाती सुदृढ़ सम्बंध….
ध्यान रखे मिले जिससे
हृदय से जाए वो बंध ।

वाणी में कोमलत
ओर विचार निर्मल …
हृदय में होते विराजित
सम्बंध होते सबल ॥

जो हृदय में
वही हो वाणी ..
बनाओ जीवन
की आसान कहानी ।

अभिव्यक्ति हमेशा बनाती
सुदृढ़ सम्बंध, नये रंग बिखेरती।
विचारों की वह धारा, जो बहती,
मन की भावनाओं को आकर्षित करती।

ध्यान रखे, जो मिले उससे,
संवाद करें वो हर वक्त सही।
स्वतंत्रता से बढ़े उसके रास्ते,
भावों को व्यक्त करे नवीनता के रंग में।

अभिव्यक्ति की कविता लिखते हैं,
शब्दों की सामर्थ्य से जुड़ते हैं।
विविधता के रंगों में रंगते हैं,
भाषा के सिरे से बहते हैं।

संवाद का महत्व समझे हमेशा,
अभिव्यक्ति को खुद में विश्वास दें।
अपने विचारों को आज़ादी से बांधें,
कविता के माध्यम से जग को सम्बोधित करें।