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जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता की भांति ही है, जिसमे आपको जिंदगी के हर उतार चदाव के बारे में मिलता है, जिस तरह से जिंदगी आपको प्रोत्साहित करती है उसी तरह कविता भी, कविता में ही जिंदगी की सच्चाई छुपी मिलती है जो शब्दों के माध्यम से आपको बताती है, रूबरू कराती है।

मुस्कराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी
जरा इसे मुस्कुराने ही दो,

ना गम के साये में खोने जाने दो यह है जिंदगी
जिसे मिली उसे कदर नहीं है

जिसे न मिली उससे पूछो जरा क्या है जिंदगी ?
न तड़पाओ न रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी

इसे खिलने दो जरा यह खिलना चाहती है
क्योंकि खिलखिलाती सी है यह जिंदगी

गुदगुदाती सी है जिंदगी
बहुत हसाती है यह जिंदगी

रुलाती भी बहुत है जिंदगी
मिलकर जीने का नाम है जिंदगी

बिछड़ने का नाम है जिंदगी
फिर मिल जाने का नाम भी है जिंदगी

प्यारी सी मुस्कान है यह जिंदगी
खुद में जीने का नाम है जिंदगी

रूठे हुए को मनाना है जिंदगी
किसी अपने से रूठ जाना भी है जिंदगी

इंतज़ार भी है जिंदगी
अधूरी प्यास है जिंदगी

सहलाती हुई माथे पर हाथ रखती माँ है यह जिंदगी
माँ का आँचल है जिंदगी

पिता की डांट का नाम है जिंदगी
खुदसे प्यार करने का नाम है जिंदगी

मैं से मैं मिल जाना है जिंदगी
तुम और मैं को खत्म कर देना है जिंदगी

जिंदगी एक कविता की भांति ही है बस इस जिंदगी को उसी तरह से जिओ

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आंखे भीग जाती है

आंखे भीग जाती है

जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ,

दिन का चैन खो जाता है

और

रातो की नींद उड़ जाती है

सारे सपने भूल जाता हूं

ना सोता हूं ना जागता हु

पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ

लोगो को नजर आता हूं

जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं , आंखे भीग जाती है

ना काम कर पाता हूं

ना खाली बैठ पाता हूं

तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं

तुझको भूल ही नही पाता हूं

फिर ये बात भी गलत लगती है

कि मैं तेरे बारे सोचता हूं

तू तो मेरे खयालो से नही जाती है

हर पल हर दम तू मेरी

सांसो की धड़कनों में धड़कती

हुई सुनी जाती है 

फिर कैसे कह रहा था मैं

की जब भी तू मेरी यादों में आती है

अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है

की जब तू मेरी यादों में आती है।

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जिंदगी तेरे बिना

जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है और कुछ वैसी है जिंदगी

और जब  तू साथ है तो  लगता है कि कुछ है जिंदगी

हाल क्या बताऊँ ?

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है

बस मसक्कत से भरी है जिंदगी

जब 

तू दूर जाती है तो रूठ जाती है जिंदगी

तू पास आती है

 तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है ये जिंदगी 

गम ए छुपाये नहीं ये छुपता

लगता है बेमुरम्मद सी है जिंदगी

आंसुओ से आँखे भर भर जाती है

जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है

चिरागे रोशन तू  कर जाती है

 जब तू फिर से पास आती है

ना जाने 

क्यों जिंदगी तेरे बिना

बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी

लगता है कुछ फटेहाल सी है जिंदगी

लेकिन

जब तू पास होती है तो कमाल सी है जिंदगी

ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये  जिंदगी

इसलिए

तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर

वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी

अगर

तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी

तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है 

जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी

जिंदगी जिंदगी जिंदगी 

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रुकना तेरा काम नहीं

रुकना तेरा काम नहीं, चलते हुए सफर में
तू रुक ना जाना
थक कर हार ना जाना
बस चलते ही तू जाना

हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी
तू भी उनकी तरह टूट ना जाना
आगे देख बढ़ते जाना पीछे
जो मुड़कर देखते है वो रुकते है

इसलिए सफर को मुड़कर ना
देखना बस आगे तू बढ़ना
उचाऊ से मत डरना
नीचाई को अकड़ मत दिखाना

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना
आराम से चलना
हर कदम संभाल कर चलना


कभी डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना
बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना

रुकना तेरा काम नहीं ,बाहे तेरी पकड़ने कोई ना आएगा साथ तेरे
रास्ता ना कोई दिखायेगा तुझे
उल्टा नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
भरोसा चाहकर भी नही तू कर
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा

समय का अंधेरा तला

समय का अंधेरा तला
जिसके अंदर तू बैठा छिपा आ बाहर आज तू फिेर से कर
चहल पहल
कुछ तो कर
ना बैठ यू तू

क्यों तू है सहमा सहमा
क्यों है तू बैठा यू
समय के उस अंधेरे तले में
ना छुपकर यू बैठ तू

आ बाहर कुछ फुसफुसाहट करे
आ चल उठ कुछ बात करे
थोड़ा सा साथ चले
थोड़ी सी कुछ शरारत, गुदगुदाहट करे
आपस में कुछ और की बात करे

चल उठ खड़ा हो कुछ दूरी ,
कुछ फासले हम तय करे
जो मंजिल राह देख रही है तेरी,
उस मंजिल की और आ आज साथ हम चले

कुछ दूरियां कुछ फासले तय करे हम
हो जाने दे कुछ हरकत , हो जाने दे जो होना है
जिंदगी जी लेने से पहले
काहे अंधेरे तले में
हम छिपकर मरे

बाहर आ रोशनी में ,
देख चकाचोंध रोशनी सूरज की ,
यह सूरज कैसे खुद जल कर
दुनिया को रोशन करे

चल उठ खड़ा हो
कुछ दूरी कुछ फासले हम तय करे
तू काहे समय के अंधेरे तले में
जी लेने से पहले क्यों तू मरे

समय का अंधेरा तला
जिसके अंदर तू बैठा छिपा आ बाहर आज तू फिेर से कर
चहल पहल

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