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जीवन की कटु सच्चाई

जीवन की कटु सच्चाई बदलाव…..
सब कुछ यहाँ मोह माया का भराव ।
समय सदा वस्त्र रहता बदलता …..
बदलाव में उसकी कुशलता ।

सब बदलावों में व्यवहार रहे स्थिर….
वो जन्मकुदली व्यक्ति दुश्मन या मित्र ।
व्यवहार हो सच्चा और पवित्र …..
ऊँचे पर्वत समान हो चरित्र ।

जीवन की कटु सच्चाई बदलाव…
सब कुछ यहाँ मोह माया का भराव।
समय सदा वस्त्र रहता बदलता…
बदलाव में उसकी कुशलता।

मानव जीवन एक पार्थिवी की यात्रा,
समय के साथ चलती सबकी गति विचारा।
जीवन बदलता है, बदलाव आते हैं,
परिवर्तन की लहरों में सब बहते हैं।

समय का तेज नाविक है, जो बदलता रहता है,
हर नये दिन में नये सफर भरता है।
जैसे बदलती हैं रात और दिन की घड़ियाँ,
जीवन में भी आते हैं नए मौसम की बहारें।

कठिनाइयों के साथ जीवन चलता है,
बदलाव के बावजूद सबको डटा है।
जीने की कला तो समय ही सिखाता है,
आगे बढ़ने के लिए बदलाव को ग्रहण करता है।

हर कोई चाहता हैं सुखी जीवन बिताना,
परिवर्तन के मारे अक्सर दुःखों को भी सहना।
समय का खेल हैं, इसे स्वीकार करो,
बदलाव के साथ जीवन को बच्चों की तरह खेलो।

समय सदा वस्त्र रहता बदलता,
हमें भी अपनी सोच और दृष्टि को बदलना चाहिए।
अनुभवों के माध्यम से सीख लेनी चाहिए,
समय की कुशलता में अपने आप को ढालना चाहिए।

बदलाव का स्वागत करो, उसे गले लगाओ,
समय के साथ मेल-जोल कर अपना जीवन बनाओ।
बदलते समय के संग ताल मिलाओ,
बदलाव में अपनी कुशलता को निखारो।

हमारी उपयोगिता सबके काम आना…..
नहीं करना कुछ यहाँ उसका भी उपलब्ध बहाना ।
मन का डर…..
“है विश्वास की कमी “इसका उत्तर ।

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विचारों की बारिश

एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार ये सब मिलकर कर रहे है, एक दूसरे को बीमार जरा बचिए यह है मेरा विचार है, इन विचारों की बारिश है।

विचारों की बारिश है, मन की उछाल है,
इन विचारों का जादू, अनमोल विचार है।
एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार,
मन की उड़ान, ख्वाबों की सौगात है।

हर विचार एक अलग दुनिया का आईना है,
इनमें समाये हर रंग, हर चित्र चित्रित है।
पर कभी-कभी, ये विचार टकराते हैं,
एक दूसरे से टकराते हैं, आहत करते हैं।

मेरे विचार में एक यही समाजधारी है,
ये सोचों की बाधा, रुकावट की खड़ी है।
चिंता मत कीजिए, इस जंगल में जीने की,
विचारों की राह में खुद को बचाने की।

विचारों की बरसात से जगमगाती ये धरा,
उठती है, गिरती है, बदलती है सदा।
पर हम सब एक हैं, इस जगत के अंतर्यामी,
विचारों को बीमार करने की नहीं हमारी कामी।

यह सोचिए, विचार करिए, पर एक दूसरे को
आहत न कीजिए, प्रेम से रखिए हर दोस्ती को।
हम सब में एकता की शक्ति बसती है,
दूसरे के विचारों को तोड़ने मत हस्ती है।

सोचिए, समझिए, इस विचार की महिमा को,
एक दूसरे को सम्मान देकर जीने को।
विचारों का संगम, हमारी आदत बन जाए,
एकता और प्रेम से हमारा जीवन सज जाए।

विचारों की बारिश
विचारों की बारिश

मैं और तुम

ये जो
मेरे और तुम्हारे
ख्वाब थे ना
उन ख्वाबो की
मंजिल जो
है ना
मैं और तुम से
“हम”
तक का एक सफर है।

ये जो मेरे और तुम्हारे ख्वाब थे ना,
उन ख्वाबों की मंजिल जो है ना।
मैं और तुम से, हम एक संगीत हैं,
जो बांटते हैं खुशियों के रंग हैं।

हर सपना हमारा निर्माण करता है,
अपनी मंजिल की ओर यात्रा करता है।
साथ चलने का सौभाग्य हमें मिला है,
खुशियों का संग्रह करता हमें जीना है।

हम दोनों एक-दूजे की आँखों में खो जाते हैं,
जब हमारे ख्वाब साकार हो जाते हैं।
मिलकर ज़िंदगी के हर रंग चढ़ाना है,
प्यार और विश्वास का संगीत गाना है।

एक-दूजे के साथ चलते हैं हम,
खो जाते हैं जब दुनिया की गड़बड़ी में।
प्यार और समर्पण से बँधते हैं हम,
आपस में जीवन के खुशहाली की सरगर्मी में।

मैं और तुम
मै और तुम

ये जो मेरे और तुम्हारे ख्वाब हैं,
उन ख्वाबों की मंजिल जो है ना।
मैं और तुम से, हम एक संगीत हैं,
जो बांटते हैं खुशियों के रंग हैं।

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हृदय और मस्तिष्क

हृदय और मस्तिष्क दोनों का स्वामी एक लेकिन दोनों के अलग अलग पथ…..
मस्तिष्क हानि लाभ सोचता फिर लेता निर्णय
हृदय ने स्वाभाविक चलने की ली शपथ ।

हृदय स्वाभाविक पूरे शरीर में रक्त का करता संचालन…..
मस्तिष्क मिले रक्त के प्रयोग से सब अंगों पे करता शासन ।

मानव रूपी यंत्र में इतनी जटिल प्रक्रिया का सरलता से होता निर्वाह…..
प्रकृति ने बेजोड़ यंत्र बनाया जिस ओर निहारो बरबस निकलता वाह वाह वाह वाह ।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों के एक स्वामी,
पर चलते हैं अलग-अलग पथ, इस भाग्य की गाथ।
मस्तिष्क सोच-विचार करता, हानि और लाभ का विचार,
निर्णय लेने में धीरज रखता, नहीं चलता बिना संकोच।

हृदय ने स्वाभाविकता की ली है शपथ,
जीने के लिए चलता है नवीनता के साथ।
उसकी सुनता है नगमा दिल का,
खुशियों और दर्द को जानता है वह सच्चा।

मस्तिष्क विचारों का अनुकरण करे,
सोच-विचार में बहकर न करे विश्वास।
हृदय जीवन की गति को जाने,
भावनाओं के साथ रहे, ना झूमे उदास।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों संतुलित हों,
इस शरीर के संगीत में रंगीं रंगों।
सोच-विचार और भावनाएं, एक दूसरे के संग,
बनाएं जीवन को खुशहाल और संपूर्ण।

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समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

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इश्क़ की बात

फिलहाल ए दिल तू
इश्क़ की बात ना कर
मै तो बर्बाद हूं पहले से
अब और मुझे
तू बर्बाद ना कर

बेफिजूल की चर्चा है ये इश्क़
इस पर बेशकीमती शब्दों को
बर्बाद ना कर

बेमतलब , बेवजह
किसी के ख्यालों में डूबकर
अब वक़्त को तो
तू बर्बाद ना कर

छोड़ बैठ जा बस
इश्क़ एक रोग है
लाइलाज
दिल ओर दिमाग का
अजब सा संजोग है

इस इश्क़ पर
तू अपना पंचभूत
शरीर बर्बाद ना कर …….

इश्क़ की बात ना कर
इश्क़

फिलहाल ए दिल तू, इश्क़ की बात ना कर

मेरे दिल की धड़कनों को तू ना छीन,
मैंने तुझे प्यार किया था, ये जाने ना तू,
अब क्या कहूँ, कैसे समझाऊं तुझे,
मेरी आँखों में आँसूओं को तू ना भरे।

जो बीत गया है, वो बीता हुआ है,
अब तो अपने आप को संभालना है,
मैं जी रहा हूँ अकेलापन के साथ,
तू मेरे दर्द को और गहरा ना कर।

हर रात तेरी यादों में रोता हूँ,
क्या करूँ, कैसे सहूँ, समझता हूँ,
तेरे जाने के बाद भी, ये दिल तेरी ही है,
पर अब तू इसे और दर्द ना कर।

फिलहाल ए दिल तू, इश्क की बात ना कर,
मैं तो बर्बाद हूँ पहले से, अब और मुझे,
तू बर्बाद ना कर।

जीवन का काम

जीवन का काम हे कुछ न कुछ देना……
ख़ुशियाँ या अनुभव आपका क्या कहना ?
अनुभव समय और नुक़सान से बचाता…..
जैसे बारिश में कार्य करता छाता ।

जीवन का काम हे वो कुछ न कुछ देता….
बदले में वो समय आयु को हर लेता ।
या तो ख़ुशियों या अनुभवों से भर देता ….

जीवन के पथ पर चलते-चलते,
अनुभवों का साम्राज्य बनाते।
हर एक सदीव पल में जीवन सिखाता,
नये रंग और चेहरे प्रकट करता।

खुशियाँ और दुःख, जीवन के बादल,
आते-जाते हर पल बनाते संगीत।
अनुभवों की बौछार में खेलता जीवन,
देता है नया आयाम, नया परिचय।

जैसे बारिश में कार्य करता छाता,
अनुभव जीवन को रंगीन बनाता।
हर एक बूंद में छिपी होती खुशियाँ,
प्रकट होतीं हैं जब बरसात की धारें।

जीवन का अनुभव, एक अमूल्य उपहार,
हर एक क्षण में छिपी होती ताक़त।
नुक़सानों से सीखता, आगे बढ़ता,
नये सपनों को पंख देता है बढ़त।

जीवन की बारिश में, आनंद बरसाता,
आपके अनुभव से रंग भराता।
जीवन का काम है कुछ न कुछ देना,
खुशियाँ या अनुभव, यही हैं कहना।

जीवन खिसका जाए जैसे मुट्ठी से रेता

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विषय हो वस्तु हो

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

जीवन का रहस्य है यही, नियमों की अनुसार चलना,
हर कार्य में तालिका बनाकर, ज्ञान की धारा बहाना।

प्रकृति के नियमों का पालन, है जीवन का मूल सिद्धांत,
जिसका भीषण तालाबंध होगा, वह खोखला होगा बंधन।

सूरज करता है प्रकाशित, चांदनी देती है चमक,
जल बनाता है ताजगी, पेड़ों में भरता है जीवन की लम्बी रात।

जीवन के हर पहलू में, नियमों की ओर देखना है,
और समझना है, कैसे उनका उपयोग, सबके लिए करना है।

कर्मों की एक संगीता है, नियमों की सुरीली ध्वनि,
उन्हें समझने के बाद ही, जीवन मिलेगा तरंगों की ज्वालामुखी।

इसलिए समझिए संसार को, नियमों से जुड़ा हर विषय,
हर प्राणी का नियम अनुसार, बस यही है जीवन का आधार विषय।

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

यह मन अधीर

यह मन , यह मन
यह मन अधीर हुए जाए
ना समझ आए कुछ
यह मन कहना क्या चाहे

बस पहेली सी बुझाए
सवाल की झड़ी
दिमाग में लगाए
कभी घबराए
कभी साहस दिखाए

कभी चुप बैठ जाए
कभी शोर मचाए
कभी क्रोधित हो जाए
कभी शांत ही जाए

फिर सोच मन बार बार घबराए
आगे अब क्या हो ?
जो यह दिमाग भी समझ ना पाए

पुनः पुनः
बस इसी विषय में सोच कर
दिन रात बीत चली जाए
क्या करू अब मै?

यह मन
यह मन
यह मन अधीर हुआ जाए

यह मन, यह मन,
मन अधीर हुए जाए।
ना समझ आए कुछ,
जैसे धुंधली रात के अंधेरे में खो जाए।

खोये हुए ख़्वाबों के संसार में,
यह मन विचलित हो जाए।
चाहे तो खुद को ढूंढे,
पर कहीं ना पाए, अधीर हो जाए।

जब अँधेरा छाये,
और रास्ता दिखाई न दे।
कोई राह निकले दिल की,
मन खुद को तंग करे, चिढ़ाए।

पर फिर भी यह मन,
उम्मीद की किरण में जगमगाए।
चाहे हो जाए अधीर,
फिर भी खुशियों से अभिभूत हो जाए।

यह मन, यह मन,
जो अधीर हो जाए।
दूर जाए सभी चिंताएं,
और खुशियों से भर जाए।

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बहे जल की तरह

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..
जल प्राण कुशल क्षेम ।

जल की क्या आयु….
जब धरती जन्मी जन्मी वायु ।
जब मैं न था जल था….
मैं न रहूँगा तब भी चलेगी गाथा ।

धरती पर मुझ में तेरा भाग सतर प्रतिशत ….
तेरी महिमा चहु ओर नमन वंदन शत शत ।
जल जी आप को ढूँढने गये हे चाँद पर ….
मिले हो तुम उसकी सतह के भीतर ।

जल से ही धरती पे जीवन पनपा…..
सब जल से यह करिश्मा बरपा ।
सदा हाथ जोड़ के जल करे ग्रहण ….
तर जाएँगे रहे जल की शरण ।

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..

जीवन का अर्थ, जल में छिपा है,
जल ही जीवन, यह सच बतला है।
जल के बिना न जीवन हो सकता,
जल की भूमि पर ही सबका निवास है।

जल की महत्ता कोई न जाने,
अनजाने में हम उसे छेड़े जाते हैं।
पानी को बचाने की जरूरत है,
नहीं तो हमारा भविष्य खराब हो जाएगा।

बहता जल जीवन को धो देता है,
वृक्षों को जीवित रखता है।
फूलों को खिला देता है वह,
हरियाली को बनाए रखता है।

ताजगी देता है जल विरासत में,
सबको सुरक्षा और आनंद देता है।
जीवन की रक्षा करे हम सब,
पानी की बचत पर ध्यान देता है।

जल की बरसात देती है खुशियाँ,
उमंगों को भरती है वह।
दिलों में उत्साह भर जाती है,
जीवन को नया रंग देती है।

इसलिए बहे जल की तरह हमेशा,
प्यार और स्नेह से बहते रहें।
जल को बचाने का संकल्प लें,
जीवन को खुशहाली से जीने रहें।

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