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वक्त बेवक्त

वो वक्त बेवक्त सताते है
कभी दिल में आते है
कभी दिमाग में आते है
कभी आंखो से टप टप बह जाते है
तो कभी धड़कनों धड़क जाते है
कभी आवाज को नरम
तो कभी भारी कर जाते है
कभी नींद तोड़ देते है
तो कभी सोने ही नहीं देते है
कभी इस दिल का डर
तो कभी मन की वेदना को बढ़ाते है
अब थोड़ा
मुश्किल है , नामुमकिन है
क्युकी
वो अब खुश है
लेकिन हम नाखुश
क्युकी वो हर ख्याल में
अब भी हमको सताते है
मेरे ख्यालों की खुशी छीन जाते है
वो वक़्त , बेवक्त हमें सताते है।

वक्त बेवक्त
वक्त बेवक्त

बेसहारा छोड़ दिया

मुझको तेरी यादों ने बेसहारा छोड़ दिया
मेरा दिल कितना सख्त था तूने वो भी तोड़ दिया

किसी के लिए इस दिल में जगह ना थी
तूने मुझेको ही बेपनाह कर छोड़ दिया

किसी को पनाह मेने भी ना थी
और तूने भी मुझे बेपनाह कर छोड़ दिया

मेने खुद का जिंदगी से नाता तोड़ दिया था
लेकिन तूने मुझे अपनी और फिर मोड़ लिया

लोगो ने कहाँ सच्चे वाला प्यार सिर्फ एक बार होता है
तूने ये झूठ कर दिखाया
दूसरी बार वाला तो और भी बेशुमार होता है।

मेरा एक तरफा प्यार


मेरा एक तरफा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्रेम का इज़हार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे

मेरे दिल का हाल बेहाल हो जाता है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
बिन कुछ कहे शब्दो का ढेर
मेरे मन में छोड़ जाती है

किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजरती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
चल रही सांसे उसको देख रुक जाती है

(बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है, )
मानो बिजली पूरे बदन में दौड़ जाती है
मेरे शब्द ठहर जाते है जुबान निःशब्द हो जाती है
मेरी नजर उसकी नजरो से नजर मिला नही पाती है

लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस दौड़ी चली जाती है
एक नजर भर देखती नही वो मेरी और
बस मुझे और बेचैन कर वो निकल जाती है

मैं उसका घंटो इंतज़ार करता हूं
की उसकी नजर मेरी नजरो से मिले और हम दोनो का ने
उसकी मेरी ओर एक नजर मेरे पर इनायत हो जाए

और हम दोनो का नैन मटक्का हो जाए
( देखने के लिए मिला पाऊ उनसे
मैं भी एक नजर भर देख पाऊ )
अपने पहले प्यार का पहला इज़हार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है

बस वो तो अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई ही चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे दिल के अरमान जो उससे एक पल
बात करने के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो चली जाती है

बस मेरे पहले प्यार का पहला इज़हार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है , मेरे दिल को बेहाल कर जाती है, मेरा एक तरफा प्यार बस एक तरफा ही रह जाता है, लेकिन शब्दों में इस प्रेम मैं बयान नहीं कर पाता हूँ।



यह प्रेम है

यह वो प्रेम है जिसको मेरे शब्द बयान नहीं कर पाए

चन्द लफ्जो में बयान क्या करू?
यह प्रेम है
मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए

लेकिन

प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए
फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है
कुछ बताने की,

एक नया रिश्ता बनाने की

ये संबंध वो है

जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है 

असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है
जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से
बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है

तब देखो क्या मधुर संबंध
धरती और आसमान का बन जाता है

यह प्रेम है जो धरती और आसमान को
एक करता हुआ नजर आता है

वो प्रेम है
जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है

वो प्रेम है
वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है

ना मौन से
यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

मेरे शब्द

मेरे शब्द गुजेंगे
वो शोर मचाएंगे
वो जन जन तक
मेरा संदेश पहुंचाएंगे
लाखो , करोड़ों की भीड़
इकट्ठा कर लाएंगे
एक नया गीत
मेरे शब्द बनाएंगे
जन जन मिल कर
उस गीत को गाएंगे
जन जन में जागृति लाएंगे
हम सब फिर से एक हो जाएंगे
“वासुदेव कुटुंबकम्”
हम कहलाएंगे

मेरे शब्द एक नया गीत बनाते है
शब्द

जो होना है हो जाऊ

यह जो फ्यूचर है ना
इसके लिए क्या करूँ 
क्या रोउ, चिल्लाऊं, भागू 
या 
दौड़ लगाऊ 

क्या मैं पागल हो जाऊं ? 
कुछ समझ नही आता 
उठ खड़ा तो जाता हूं 
लेकिन भाग नही पाता हूं 

क्योंकि जो होना है 
वो तो होकर ही रहना है 
फिर क्यों मै घबराउ

डर के उठ खड़ा क्यों हो जाउ ?
दौड़ मैं लगाऊ क्यों ?
उस दौड़ का है क्या फायदा ?
जिसमे कुछ हासिल नही होता है 

सिर्फ इंसान रोता है 
अपने चाहे कितने अपने हो 
अंत मे सब को खो देता है 
क्यों इंसान रो देता है 

सबकुछ तो वो खो ही देता है 
कुछ करना चाहे भी 
तो कर नही पाता है 

बस चुपचाप खड़ा तमाशा देखते है
और खुद भी एक तमाशा बन जाता है 


#Rohitshabd

प्रेम क्या है

प्रेम क्या है ? यह कैसे बयान कर पाउ , हर छोर हर ओर बस प्रेम ही प्रेम मैं पाउ

इस प्रेम को मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए

चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?

लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए

फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है कुछ बताने की,

एक नया रिश्ता बनाने की ये संबंध वो है

जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है

मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,

असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है

जब कभी सतरंगी होता है आसमान

तब यही आसमान एक छोर से बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है

प्रेम क्या है यह कैसे बयां में कर पाउ हर छोर पर सिर्फ प्रेम ही प्रेम मैं पाउ

तब देखो क्या मधुर संबंध धरती और आसमान का बन जाता है यह प्रेम है जो धरती और आसमान को एक करता हुआ नजर आता है

यह प्रेम है जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है

यह प्रेम वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है

ना मौन से यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

तेरी यादे

तेरी यादे बन बैठा हूँ मैं तेरी मोहब्बत में,

ख्वाबो का पुतला सा

मैं कुछ कह ना पाऊ

कुछ सुन ना पाऊ

बस बेसुध सा नजर आउ मैं

ये जो तुझसे मोहब्बत हुईं

ना पाकर घबराऊँ मैं….

यह ज़िंदगी कैसी

औरत ना होती तो जिंदगी अधूरी होती
क्या जिंदगी पूरी होती अगर तुम ना होती ?

जिंदगी के हर हिस्से में तुम हो
कहानी और किससे में तुम हो

हर जीत में तुम हो
हर हार में भी तुम हो

सुबह भी तुम शाम भी तुम हो
ख़ुशी भी तुम हो गम भी तुम हो
धुप भी तुम छाव भी तुम हो

मिठास भी तुम हो खटास भी तुम हो
कभी कभी बेस्वाद भी तुम हो
जीवन के हर स्वाद में तुम हो

माँ बहन पत्नी और बेटी भी तुम ही हो
जीवन के हर रूप और स्वरुप में तुम हो

मुझे बनाने वाली भी तुम हो
मुझे बिगाड़ने वाली भी तुम हो

मुझे ऊँचाई पर पहुचाने वाली भी तुम
और उस ऊँचाई से नीचे गिराने वाली भी तुम हो

तुम से ही पैदा होती मेरी हर इच्छा है
तुम नहीं हो तो शायद जीवन ना ही हो
यह इच्छा है