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उलझन

उलझन तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

जिद्द तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

वहम तुम्हारा था
मेरा क्या था?

मै अधूरा था और अधूरा ही रह गया
सपने जो पूरे करने थे
उनको भी भूलकर तुम्हारे साथ जीने में
मै मसगुल हो गया

इस बात से ये समझ आया
की तुम्हारा क्या गया?
मै जहां था अब तो मै वहां भी नहीं
मेरी मंजिल, मेरा सफर, मेरी दासता

मेरी हर डगर कहीं रुक गई क्युकी
मुझे तो ये भी नहीं पता
कि अब मेरा रास्ता है
किधर? यही कुछ उलझन थी मेरी ओर मेरे सफर की

जीवन उन ख्यालों में

जीवन उन ख्यालों में होना जरूरी है, जो ख्याल बस तुम्हारी ही यादों में ठहरे रहे वरना कही दब मर जाएगा यह जीवन, जीवन की अनंत उचाई को पा लेना है।

ख्याल इस मन के फिरते रहते हैं,
जैसे एक नौजवान जो अभी जवान हैं।
ख्यालों की उड़ान से ऊँचे आसमान तक,
ये मन दौड़ता है जैसे एक जवान हैं।

ख्यालों की धुंध में गुम होते हुए,
पार लगाना चाहते हैं जैसे एक समुंदर हैं।
मन के इस अंधेरे से निकलकर,
जीवन की रोशनी को पाना चाहते हैं जैसे एक ज्योति हैं।

जीवन उन ख्यालों में फिरता रहता हैं,
जैसे एक युवा जो नए सपनों में खोता हैं।
इन ख्यालों के साथ जीवन के सफर में,
ये मन बढ़ता है जैसे एक दौड़ता हुआ युवा हैं।

ख्याल इस मन के हमेशा साथ रहते हैं,
जैसे एक साथी जो कभी छोड़ते नहीं हैं।
इन ख्यालों की उड़ान से ऊँचे आसमान तक,
ये मन दौड़ता है जैसे एक जवान हैं।

कुछ सवाल

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ सवाल हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना इन सवालो का
कुछ जवाब अब हम भी देने लगे है

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ बात हम भी करने लगे है
कुछ मुलाकात हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल रखना इन मुलाकातों का
इन मुलाकातों की बात अब हम भी करने लगे है

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ याद हम भी करने लगे है
कुछ दीदार हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना तुम अपना, अपनी यादों में दीदार कर तुम्हारा याद अब हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है

कुछ अश्क़ बहने लगे है
कुछ आह भी हम भरने लगे है
जरा ख्याल रखना अश्क़ों का तुम्हारी याद आने से अश्क़ अब इन्ह आंखों से बहने लगे है।
कुछ ख्याल अब हम भी करने लगे है

के अब मुलाकाते जरूरी है
सब्र है हमे लेकिन इतना
बतादो के अब सब्र के इम्तिहान
से हम भी गुजरने लगे है

कुछ सवाल हम भी करने लगे है