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प्रति दिन चिन्ह

प्रति दिन चिन्ह वो मिले नव जीवन के , वो ध्वनि उसका उद्घोष…..
तो भूले कल की बुरी यादें , ले आनंद आज जगे अंग अंग जोश ।
जीवन निकला वो अपनी यात्रा पे बिना रुके बिना थके….
योगदान करे दे साथ जीवन तो जीवन फल सही पके ॥

रात्रि की निद्रा प्रतिदिन उदाहरण मृत्यु का वो छोटा प्रारूप….
सुबह उठे दे धन्यवाद जीवन का मिलता नव जन्म स्वरूप ।
भूले की ग़लतियाँ उठे नए सिरे से , करे बेहतर शुरुआत ….
होगा सब विशेष ,होगी नए नए सुंदर विकल्पों से मुलाक़ात॥

प्रति दिन चिन्ह वो मिले नव जीवन के,
वो ध्वनि उसका उद्घोष।
तो भूले कल की बुरी यादें,
ले आनंद आज जगे अंग अंग जोश।

जीवन चलता रहे बिना रुके बिना थके,
योगदान करे दे साथ जीवन,
तो जीवन फल सही पके॥

यह कविता जीवन की महत्वपूर्णता को व्यक्त करती है। हर दिन नए जीवन के चिन्ह और उसकी उद्घोष ध्वनि को प्राप्त करें। कल की बुरी यादें भूल जाएं और आज के आनंद को हर अंग में जगाएं। जीवन बिना रुके और थके आगे बढ़ता रहे और हम उसे योगदान करके अपने साथ ले जाएं, तो जीवन के फल सही समय पर पकेंगे।