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राज नीति

राज नीति क्या है ?
किस प्रकार की राज नीति है या होनी चाहिए ? इस पर भी कुछ चर्चा आज करते है , राज की नीति या नीति का राज दोनो मे से क्या ?

जनता पर राज ? अगर जनता पर राज तो क्यों ? जानता ने आपको चुन लिया है क्या अपने ऊपर राज करने के लिए या कोई हक दे दिया सिर्फ मत देने से , आपको हमने चुनाव जितवा दिया है इसका मतलब यह है, की आप हमारे हितों का ध्यान रखे सही नीति के साथ दिल पर राज करे अच्छी नीति के साथ इसका तातपर्य यह नही की आप राज नीति चलाये कूट नीति , विदुर नीति , शाशक नीति और अन्य अन्य प्रकार की जितनी भी नीतियां है।

देखा यह जा रहा है की देश को कई भागो में विभाजित करने की एक कोशिश जो जारी है वो किस प्रकार से है हम और आप जो बिना समझे किसी भी बात पर अपनी प्रतिकिर्या इतनी जल्दी दे देते है, यह उन सभी बातो का कारण बन सकती है, इसलिए हमे सोचना और समझना चाहिए की चल क्या रहा है, हमे अपने नजरिये को थोड़ा बदलना होगा और देखना होगा की यह सही है या गलत ? यह कौन लोग है, जो हिमारी सोच कब साथ खिलवाड़ कर रहे है ?

अगर सरकार काम कर रही है या नही कर रही है तो आलोचक कौन है ?
क्या जनता आलोचना कर रही है ?
क्या जनता किसी भी प्रकार की असहमति दर्शा रही है ? जनता क्या चाहती है ?
जनता तो शांत बैठी है फिर आलोचक कौन है ?

क्या विपक्ष ? लेकिन विपक्ष चुप क्यों है? या फिर वो लोग जिनका दाना पानी बन्द हो गया है ?
या फिर वो लोग जो जो मुफ्त का माल समझकर लूटने की कोशिश करते थे ?
या आज सीधा जनता तक सब कुछ सीधा जा रहा सारी योजनाए का लाभ जनता तक पहुच रहा है जो पहले नहीं पहुच पाता था।

आज किसको इतना दर्द हो रहा है ?
कौन बेचैन है जिसके पास काम नही है या काम है ? क्या काम उनके पास नहीं जो पहले भी कामचोर थे ओर आज भी है, काम तो पहले से ऐसा चल रहा है बस अब आपको सब कुछ दिखाना पड़ रहा है यह आपकी दिक्कत है ? दिक्कत किस बात से है या कहाँ आ रही है ?

अगर कोई दिक्कत आ रही है तो फिर जनता और सरकार के मध्य सीधा एक तालमेल बनाना चाहिए की सभी समस्याओं का हल हो सके,
यदि किसी भी प्रकार की समस्या है वो व्यक्तिगत नही है वो सामाजिक है इसलिए आज सारी समस्याओं को देखा जाता है और उचित हल किया जाता है।

जहाँ तक मेरा विचार है यह जितने भी कार्य परिवर्तन के रूप में हो रहे है वो सूझ बुझ के साथ हो रहे है, इसलिए अपनी किये गए कार्यो पर अपनी प्रतिकिर्या सोच समझकर दे आवेश और जल्दबाजी में लिया गया फैसला कभी उचित नही होता।