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कभी मत करना

कभी मत करना “don’t give up”….
बनना rocket , ध्यान लक्ष्य पे ऊपर up and up ।
लक्ष्य सही जो कुछ भी होगा सुखदायक….
तुम ख़ुद के भाग्य विधाता तुम इस जीवन film के नायक ।

बुरा न किसी का सोचना यह महा दुःखदायक….
अपना पथ सही चुनना इस चुनाव के तुम महानायक ।
जो बीता अच्छा या बुरा वो करे आपको प्रकाशित….
फिर सब अच्छा हे नये शुभ विचारो से हो विकसित पुलकित ।

चलो उड़ जाएं उच्च स्वर्ग की ओर,
इस कविता में बनाएं नए सपने और उम्मीदें।
जीवन के खेल में, निरंतर आगे बढ़ें,
खोया हुआ लक्ष्य ढूँढ़ें और प्राप्त करें।

जीवन की सफलता की ओर बढ़ते चलो,
हार न मानो, पिछड़े रहो नहीं।
इस संगीत में नए स्वर गाते चलो,
हो जाओ एक रॉकेट, ऊपर, ऊपर फिरते चलो।

जब जीवन की गाथा मुश्किल हो जाए,
जब दूरीयाँ और बाधाएँ आ जाएं।
याद रखो, लक्ष्य है वह सुखदायक द्वार,
जो प्राप्त करेगा आपको खुशियों का उपहार।

थक जाओ तो नहीं, हार मत मानो,
अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चलो।
जीवन की रेलगाड़ी बढ़ती रहे,
नये अवसर आपके पास आते चलो।

जहां आपका लक्ष्य वहां सुंदरता है,
खुशियों का संगम है और आनंद है।
तो अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करो,
और खुद को उच्चतम ऊंचाइयों तक ले जाओ।

इसलिए कभी मत करना “थक मत जाओ”,
आगे बढ़ो और जीवन को जीतो।
रॉकेट बनो, ऊपर की ओर उड़ो,
और जीवन को सुखदायक बनाओ।

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।