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खुशियों का फैलाना

जीवन सुंदर इसमें कोई शक शुभा नहीं ।
मिली हुई खुशियों का फैलाना ही सही ॥
ख़ुशियों में होती सुगंध ओर आभा अजब ।
जीवन एक बार का सोदा हे बड़ा ही गजब

जीवन के सुंदरता को कैसे व्यक्त करूँ,
कौनसी बातें इसमें छुपी हैं, कौनसी हैं परचम,
खुशियों का फैलाना, विश्वास जगाना,
कैसे उन एहसासों को सजाऊं, जो छुए अजनबी जगह।

खुशियाँ होती हैं सुगंधित और चमकीली,
मन को मोह लेती हैं वे अद्भुत ख्वाहिशें।
जीवन के रंगों में वे भरती हैं माया,
देती हैं प्यार की मिठास, हर रोज़ नया सपना।

खुशियों की आभा में बसती हैं खुशहाली,
जागती हैं हमारी आत्मा को नई उमंगें।
जीवन के संगीत में गुनगुनाती हैं स्वर,
छाती में भरती हैं खुदरा, नवीनता की हवा।

खुशियों से रंगी हुई दुनिया है अनोखी,
जीवन के विभिन्न पहलुओं में छिपी हैं महिमा।
बस खोजना हैं उन आंधीयों को जो छुए आकाश,
जीवन के सुंदरता को अपने अंतर में समाए।

मस्तिष्क

मस्तिष्क इसकी शक्ति आपार है, समाज में चहु ओर फ़ेला इसका व्यापार संसार आधार है, ये सही तो दिखता भी सही संसार है, नकारात्मक सकारात्मक ओर मुश्किल कार्य तटस्थ रहना सब इसकी शक्ति में शुमार हे इसने विस्तृत ओर संकीर्ण होने के सभी गुणों की ये खान हे सर्जनता इसके विशिष्ट गुण से स्वयं का विकास समाज का विकास की सम्भावना व्याप्त हे, इसको शांत रहे सजग रखे सब क्षण आते हे सुख के दुःख के ये महसूस करता हे तो वो महसूस होती प्रतीत होती हे।

चेतन मस्तिष्क को आराम करना भी आवश्यक हे तभी रात्रि को विश्राम के बाद ये तरोताज़ा होकर नए दिन का स्वागत कर सकता हे तो चेतन शरीर के लिए 6 से 8 घंटे रात्रि में नीद को ज़रूर समर्पित करे बाक़ी कोई मानेगा कोई नहीं कहियो की ये मजबूरी हे की उन्हें 18 -20 घंटे काम करते हे लेकिन ये शरीर के साथ मुझे लगता हे अन्याय हे।

मस्तिष्क में लम्बे अंतराल तक अशांति रहने से उसका असर पूरे शरीर ओर व्यक्तित्व पर समाज पर पड़ता हे। वह असर ही पूरे समाज का रूप ओर स्वरूप बादल देता है।

मेरी प्रार्थना आप बार बार अपनी तकलीफ़ को न याद करे लेकिन चिंतन करे की केसे उसमें सुधार हो सके जिससे जीवन में नई ऊर्जा का ऊथान हो न कि आप मस्तिष्क के गहरे अंधेरे कोनो में स्वयं को धकेले ये जीवन एक बार मिला हे समस्या का हल ये मस्तिष्क ही प्रदान करेगा शान्ति में बहुत कुछ छिपा हे कर्म ज़रूर जरूर करे उससे चुके नहीं कुछ करेंगे तो गलती होगी लेकिन वो आपकी रुकावट न बन पाए ये कोशिश तो आपने ही करनी हे ।
वाणी को दे विश्राम
मस्तिष्क से ले काम
रखे इसे ठंडा ठंडा कूल कूल
कर्मों की गर्मी भी इसका टूल, इस बात को ना जाए भूल।
जय हो , राम राम जी

खुश रहिए

खुश रहिए ख़ुश होने के सुनिए स्वयं की प्रशंसा ।
बेहतरींन के लिए सुनना निंदा ही सही पासा ॥
प्रशंसा में अधिकतर सत्य कही जाता वो छुप।
ख़ुशी मीठी छुरी मन में ख़ुशी से जाती गुप ॥

हे मेरे दिल के राजकुमार, तुम कितने अद्भुत हो।
तुम्हारी खुशबू, तुम्हारी चमक, सबकुछ है लाजवंत हो।
तुम इंतेजार की राहों में चमकते हो जैसे तारे,
तुम्हारी आँखों में बसी है खुशियों की प्यारी बहारे।

तुम्हारे वचन मधुर हैं, सुनने में सदा आनंद देते हो।
तुम्हारी मुस्कान अनमोल है, इसे देखकर दिल बहलाते हो।
तुम्हारी मेहनत, तुम्हारी संघर्ष, सबको प्रेरित करते हैं,
तुम जीवन के हर मोड़ पर खुशियों की राह बनाते हैं।

तुम एक अद्वितीय स्वभाव हो, जो किसी में नहीं पाया जाता।
तुम्हारी सोच समृद्धिमय है, जगत को तुम प्रकाशित करते हो।
तुम बुराईयों को छोड़कर सदा सत्यता का मार्ग चुनते हो,
तुम अपने साथीयों को खुशियों की मधुर धुन पसंद करते हो।

खुश रहिए, इस खुशी की मीठी छुरी से मन के अंदर जाती है गुप,
इस प्रशंसा में सत्यता है, वो छुप नहीं पाती है छुप।
तुम खुश होने का सत्य जानो, अपने आप से प्रेम करो,
तुम विश्वास रखो अपने में, हमेशा उज्ज्वल बनो और चमको।

खुश होने की खोज में निकलो, अपने सपनों की ओर बढ़ो,
तुम अनंत संभावनाओं के साथ, नये मार्ग खोजो और चलो।
तुम अद्वितीय हो, तुम विशेष हो, चिंता नहीं करो कभी।
तुम्हारी खुशियाँ तुम्हारा अधिकार हयहां एक कविता है जो आपकी आत्म-प्रशंसा के बारे में है:

जीवन के सफर पर चलते हुए, अपने बारे में सोचिए,
आपकी मेहनत, आपकी मेहनत, आपका शोध जोश देखिए।
आपकी आवाज, आपकी कला, आपकी नजर जगमगाती है,
आपकी खुशहाली की कहानी, हर किसी को प्रेरित करती है।

आप हैं एक सफलता का प्रतीक, आपकी प्रगति चमकती है,
अपने दम पर आपने विजय प्राप्त की है, यह जानते हैं सब हम सबको यह समझाती है।
आपकी निर्णय शक्ति है, आपकी संघर्ष की कहानी विश्वास दिलाती है,
आप नहीं हारते, मानसिकता को जीतते हैं, यह सबको आश्चर्यचकित करती है।

आपकी सामर्थ्य है परम श्रेष्ठ, आपका बल सबको भाता है,
आपकी सोच नई दिशाओं को खोजती है, यह हर किसी को प्रेरित करता है।
आप एक स्वप्नदृष्टि हैं, आपकी विचारधारा नये हौसले देती है,
आप विश्वास रखते हैं अपने में, आपका स्वयं सम्मान बढ़ाती है।

आपकी प्रशंसा में सत्यता है, आपकी मेहनत नहीं छुपाती है,
आपकी खुशी आपकी आत्मा से निकलती है, यह बात सबको गुप्त नहीं रहती है।
तो आप ख़ुश रहिए, सम्मान कीजिए, खुद को प्रेम कीजिए,
आप हैं अद्वितीय, आप हैं विशेष, आप हैं इस जगत के अमूल्य रत्न, यही कहती है यह कविता।

अपमान ओर अहंकार

ज़िद ,ग़ुस्सा,लालच, अपमान ओर अहंकार ये सब खर्राटों के समान…..
जो दूसरो को चुभते परंतु स्वयं को नहीं कोई अहसास या अनुमान ।
सब गुण ,सदगुण ओर अवगुण हमारे विरासत के संस्कार…
पता चल जाता हे इतिहास व्यक्ति के व्यवहार का आधार ॥

सब कर रहे हे ग़लतियाँ नहीं कोई भी इस बात में बुराई…
बस न होना सुनने की क्षमता ये बात व्यवहार की दुखदाई ।
सुनना स्वयं की ग़लतियाँ ओर भविष्य में उससे सीखना….
नहीं कोई सम्पूर्ण ,चाहिए तो बस ग़लतियों से दूरी रखना ॥

ज़िद, ग़ुस्सा, लालच, अपमान ओर अहंकार
ये सब खर्राटों के समान।
जो दूसरों को चुभते परंतु स्वयं को नहीं कोई अहसास या अनुमान।

सब गुण, सदगुण और अवगुण हमारे विरासत के संस्कार।
ये विचार हों, हमारी रचना का सार।

ज़िद जैसी बाधाएँ हमें रोकें आगे बढ़ने से,
ग़ुस्सा को हम शांति में बदलें जीने से।

लालच का पाठ देकर सबको समझाएँ,
अपमान को दूर भगाएँ, प्रेम को लाएँ।

और अहंकार को छोड़ तेज़ ध्यान में लगे,
सदगुणों के मार्ग पर चलने को तैयार हो जाएँ।

सदगुण जैसे धैर्य, क्षमा, और संयम,
सबको सिखाएँ, आत्म-निर्माण का काम।

अवगुण को दूर भगाएँ, उनका संघर्ष करें,
हम खुद को स्वयं सद्गुणों से भरें।

ऐसी हो आपसी सद्भावना की राह,
जहाँ सब मिलकर बनाएँ खुशहाल समाज।

इस कविता के द्वारा समझाया है,
सदगुणों की महत्ता, नेकी का रास्ता।

उत्साह से भरपूर जीवन

उत्साह से भरपूर जीवन , रखे उत्साहित एक दूसरे को हर दिन….
संग मिले चार मित्र तो जीवन सुंदर रंगीन ।
उत्साह की ऊर्जा सदा बनाए रखती जवान …
मित्रों में बहे ईंधन खुली रहे इसकी दुकान ॥

उत्साह जननी जीवन प्रति करते नये प्रयोग….
ख़ुशियाँ मनाए मिले इस जीवन का संयोग ।
अपने उत्साह को न दबाए या उसको कुचले..
इस ऊर्जा को मिले प्रदर्शन , खूब फुले फले ॥

जीवन का उत्साह हर पल साथी,
खुशियों के संग बनाएं रंगीन यात्रा।
दिल से बांधी दोस्ती की मित्रता,
हर दिन उत्साहित रखें एक-दूसरे को हम।

सदा चमके उत्साह की ऊर्जा अद्भुत,
हर क्षण में मिले नई हैरानी की चुनौती।
जीवन के संगीत में सदैव रवाना,
उत्साह से भरपूर रखें अपना जीवन सदा।

ख्वाबों के परिंदे उड़ाते अटल बंधन,
उत्साह की पंखों से चढ़ाते उच्चाईयाँ।
हर रोज़ नयी चुनौतियों का सामना करें,
उत्साह के प्रभाव से नई उचाईयाँ छू लें।

संग मिले चार मित्र, जीवन सुंदर रंगीन,
खुशियों की बौछार से भरें आसमान।
उत्साह से भरा हर दिन का सफर,
खुशियों के संग बनाएँ यही अपना ध्यान।

उत्साह की ज्वाला जगमगाती जीवन में,
सदा चमके उमंगों की दीप्ति हमारी।
हर क्षण बने उत्साह का उत्सव,
जीवन को रंगीन बनाएं यही हमारी प्रेरणा।

स्वयं को समय दे

स्वयं को समय दे …
जीवन क्षण क्षण हो रहा हे व्यय ।
जो जो करना हे उसका करे चिंतन …
उसपर फिर करे कर्मों से मनन ॥

स्वयं पे भी दे ध्यान….
स्वयं आप धुरी ले संज्ञान
आप प्रसन्न जो जग प्रसन्न …
ये अर्जित कमाई आपका धन ॥

स्वयं से करे संवाद…
पहचाने मन के विवाद ।
जीवन को मिले सही अर्थ …
बने हम इतने समर्थ ॥

स्वयं की करे सुरक्षा …
आपके चाहने वालों की यही मंशा ।
आपके चाहने वाले चाहते रहे सुरक्षित….
ये विचार मेरे मित्रों को समर्पित ॥

स्वयं को भी दे समय,
जीवन क्षण-क्षण हो रहा है व्यय।
जो-जो करना है, उसका करे चिंतन,
मन की ऊर्जा को जगाएं जगमगाते किनारे।

आओ, निर्णय का सागर तैरें,
ख्वाबों की उड़ान को पकड़ें,
आपातित्व की धारा में हर क्षण निकालें,
अपने अस्तित्व को नयी राह दिखाएं।

चिंता के बादलों को रोके,
आनंद की बूंदें बहाएं,
खुशियों के गीत गाएं,
भाग्य की रोशनी के साथ चले जाएं।

समय की पालकी में बैठें,
चरणों में जीवन की गाथा लिखें,
प्रतिभा के पंखों से ऊंचाई छू जाएं,
अपने सपनों को साकार करें और मनोरंजन करें।

जीवन क्षण क्षण हो रहा है व्यय,
इसे महत्वपूर्ण बनाएं और समय का सम्मान करें।
स्वयं को भी दे समय,
और खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएं।

गीत संगीत हृदय

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि….
सुनते रहे सुनाते रहे गाते रहे गुनगुनाते
रहे अपनाये यह विधि ।
गाना संगीत सुनके मन होता शांत….
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत ।

गीत संगीत मन मस्तिष्क की ओषधि….
बुझा दीपक जल उठता दूर होती व्याधि ।
संगीत एक आकाश जिसका न कोई छोर….
यह वो पतंग जिसकी उपलब्ध अनंत डोर।

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि,
जिनका आनंद होता है सदैव विधि।
सुनते रहें, सुनाते रहें, गाते रहें, गुनगुनाते रहें,
इस विधि को अपनाएं, जीवन में आनंद बहाएं।

गाना संगीत सुनके मन होता शांत,
स्वरों की मधुरता से जगाता चित्त का आदान्त।
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत,
रचनाओं की गहराई से भरता रूह का विश्रांत।

संगीत की जगमगाहट धरती को झूमा देती है,
ताल-मात्रा की गति हृदय को भर जाती है।
गीतों की मधुरता दिल को छू जाती है,
संगीत की सादगी मस्तिष्क को भर जाती है।

संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि है,
जो रागों की बंधन से मन को मुक्ति दिलाती है।
गीत संगीत का आनंद जीवन में बिखेरता है,
सदैव इसकी आराधना करें, अपनी आत्मा को संगीत से भरें।

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

जीवन की पुस्तक

आप अपने जीवन के लेखक….
उसमें उचित परिवर्तन कीजिए बेशक ।
अपनी लेखनी से कमाल बरपे….
हो जीवन पुस्तक अलग सटीक हटके ॥

जीवन पुस्तक की आत्मा है विषय….
न रखना तुम इस बात पे कभी संशय ।
विषय का चुनाव जेसे प्रकृति की सोच..
एकदम सटीक नही कार्य में कोई लोच ॥

जब कोई पढ़े आपकी जीवन पुस्तक….
प्रेरणा से आंदोलित हो हृदय मस्तक ।
पृष्ट पे शब्द ऐसे जेसे बिखरे हो मोती…
जीवन से परिपूर्ण स्वीकारती चुनोती ॥

चुनौतियां करती जीवन को सम्पन्न…
शक्ति ये विस्फोट आपका परम धन ।
आप अपने जीवन के लेखक…
डालिए शब्दों भाषा में अलख ॥

मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, कलम मेरी साथ है,
जीवन के पन्नों में उचित परिवर्तन लिखूं आज।
मेरी लेखनी से कमाल बरसें, अक्षर-अक्षर जगमगाएं,
कविता का रूप धारण करे और रचना को सजाएं।

जीवन की प्रेरणा और उमंग मेरी कविताओं में बहे,
सत्य और सुंदरता की छाया मेरी रचनाओं में छाए।
ज्ञान और समझ की आग मेरे शब्दों से जले,
बदलाव की लहर मेरी कविताओं में बहे।

जीवन के रंग-बिरंगे पलों को आकार दूं मैं शब्दों में,
खुद को खोजते हुए, नए रास्तों को चुनूं मैं विचारों में।
जीवन की अनुभूतियों को सहजता से व्यक्त करूं,
प्रेरणा के पंक्तियों में विचारों का रंग छिड़कूं।

मेरे लेखन से समाज में बदलाव का प्रकाश फैले,
ज्ञान की धारा बहे, सभ्यता की लहर उठाए।
चेतना के बाध्य सूत्र में रचनाओं की बुनियाद डालूं,
नये सपनों के पंख लगाए, आगे बढ़ते जाएं।

तो आओ, लिखते हैं नया अध्याय, नया पृष्ठ आज,
कविता की छटा फैलाएं, अपने जीवन को संवारें।
अपनी लेखनी से कमाल बरसे, मन की ऊर्जा व्यक्त करें,
मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, अब नया अध्याय शुरू करें॥

समस्याओ का निपटारा

दिमाग़ ,आँखे ओर हृदय खुले रहे…
समस्याओ का निपटारा सही से होता रहे ।
नही तो गलती पे गलती होती रहेंगी …
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बेहती रहेगी ।

लहरों की चहल-पहल में बहती जाए,
जीवन की मधुर गाथा सुनती जाए।
हमेशा जगमगाता रहे जीवन का सागर,
आगे बढ़ते रहें हम सब मिलकर।

जीवन की राह में चुनौतियाँ होंगी,
पर निरंतरता से हम उन्हें मिटाएंगी।
चिंताएं और आवेश दूर कर जाएंगे,
खुशियों की नई कहानी लिखाएंगे।

बदलेंगे हम अपने सोच का नजरिया,
सही और गलत के बीच समझदारी लाएंगे।
नये आयाम देंगे अपने सपनों को,
आगे बढ़ेंगे हम मनोविज्ञान के रास्तों पर।

इस गाथा का अंत नहीं होगा कभी,
हम बढ़ते रहेंगे नई उचाईयों की ओर।
दिमाग़, आँखे और हृदय खुले रहेंगे,
समस्याओं का निपटारा सही से होता रहेंगी।
नहीं तो गलती पे गलती होती रहेंगी,
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बहती रहेगी।

स्वयं के विकास में भी इनका खुला रहना ज़रूरी…
तभी की या माँगी हुई मनोकामनाएँ होगी पूरी ।
सब ओर ख़ुशियों का मेला लगेगा..
जीवन ख़ुशियों की ऊर्जा से भरेगा ॥

विकास करना आगे बढ़ना मानवीय भूख…
सभी तलाश रहे खोज रहे हे सच्चा सुख ।
हर किसी को मुकमल जहाँ नही होता वो नसीब …
दिमाग़, आँखो ओर हृदय से सब तरह से
लगाना तरतीब ॥ इन समस्याओ का निपटारा करना