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जल की कीमत

जल की कीमत हम लोग नहीं समझ रहे लेकिन जल की कीमत हमे तब पता चलेगी जब जल की एक बंद को भी हम तरसने लगेंगे, जल या पानी का नाम सुनते ही पहली बात क्या आती है ध्यान में ये जीवन है जीवन का अभाज्य अंग है इसके बिना जीवन का अंत और यह बात बहुत सच्ची और अपरिवर्तनशील है इसका कोई विकल्प भी नहीं हे जल का विकल्प सिर्फ़ और सिर्फ़ जल ही है, जो हमारे शरीर का 70 फ़ीसदी है इसी प्यारे अजूबे रसायन जिसमें हाइड्रोजन के दो हिस्से है और आक्सीजन का एक हिस्सा है जो आपके जीवन में नस नस में घुला हुआ है और मज़े की बात जल का बेशकीमती होने के बाद भी इसकी अनदेखी इसका ग़लत दोहन होता इसे waste किया जाता है।

इस पर गौर नहीं किया जाता, लापरवाह होकर पानी को बर्बाद किया जाता है, पानी की टंकी भर जाती है लेकिन घंटों तक मोटर चलती ही रहती है, गाड़ियों के लिए बाल्टी से ना पानी डालकर बल्कि उन पर पाइप चलाकर पानी डाला जाता है जिससे पानी बहुत खराब होता है, यदि आप देखो तो जो पानी घरों में बोतल से भरकर आता है, जब उसको साफ किया जाता है तो कितना ही पानी उस प्रक्रिया में नाली बहा दिया जाता है उसका संरक्षण करने की कोई पक्रिया नहीं बनाई जाती यही हमारे भीतर कमी है।

जल की कीमत तब मनुष्य को पता चलेगी जब यह अद्भुत रसायन की कमी होगी , अभी बीच बीच में ट्रेलर आते रहते है उसे हम सीरियसली नहीं लेते इसके मनुष्यता को गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे ।
अभी तक मंनुष्य इतिहास में जो भी सभ्यता विकसित हुई वो किसी नदी के किनारे से ही विकसित होके फली फूली ।
समय आ सकता है या आम सा मिलने वाला पदार्थ जितना सोना चाँदी धन दे और बदले में न मिले ।

सब को मिलके मजबूत इरादे से इस जीवन की मुख्य धरोहर को बढ़ाने ( स्वयं की ही रक्षा है यह कार्य ) और स्वच्छ रखने के कार्य में लगे चाहे वो बड़ी बड़ी industries द्वारा इसक pollute करने का कार्य को कम या रोकने का या इन्ही इंडस्ट्रीज़ द्वारा ज़मीनी पानी को ख़राब करने से रोकने का हो या फिर बारिश के पानी का संरक्षण का हो जिससे धरती का वाटर टेबल में सुधार का गहरा विषय हो और ऐसी साइंस विकसित करे जैसी मां प्रकृति की है जिसमें सब अपनी भूख भी मिटा रहे है और परस्पर योगदान भी कर रहे मां प्रकृति की जीवन को संजोने के कार्य में ।

कहते है तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा उसके विभाजन को लेकर होगा यह जल या पानी संकट की लड़ाई का बिगुल बज चुका है यह आपकी निजी तथा सामूहिक लड़ाई है अपने और आने वाले नये जीवनों के बचाने का विषय है ।

आशा की किरणों के साथ वाणी को विश्राम जो बहुत कुछ अनकहा रह गया उसके लिए माफ़ी चाहूँगा ।

राम लालवानी

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साफ पानी की समस्या

दिल्ली में साफ पानी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, हमे पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा, नल में साफ पानी नहीं आता, इसलिए आर ओ की मशीन लगवानी पड़ती है जिससे हम साफ स्वच्छ पानी पी सके, यदि आर ओ नहीं लगवाते बाजार से पानी खरीद कर पिन पड़ता है, यह आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है।

दिल्ली की सरकार ने हर रोज 700 लीटर पानी मुफ़्त कर रखा है, लेकिन मुफ़्त होना बहुत जरूरी नहीं है यदि पानी साफ ओर स्वच्छ हो तो बेहतर है, आज के समय में पानी की वजह से ही बहुत सारी बीमारिया हो जाती है, पेट की समस्या तो इसमे आम है जो हर किसी को हो ही जाती है।यह साफ पानी की समस्या खत्म हो तो बहुत सारी बीमारी होने से रुक जाए, दिल्ली के 60-65 प्रतिशत इलाकों में पानी गंदा आता है।

पानी की बर्बादी: जबसे पानी मुफ़्त हुआ लोगों को पानी को बर्बाद करने का जैसे हक मिल गया है, अधिकतर लोग अपनी पानी की मोटर चलकर ही भूल जाते है ओर पानी बहता ही रहता है, यह आप किसी भी एरिया में देख सकते है, जो नल खराब है वो महीनों तक लोग ठीक नहीं कराते इसके साथ ही 200 यूनिट तक तो बिजली भी फ्री है जिसकी वजह से दिल्ली के लोग बहुत ही लापरवाह हो चुके है।

दिल्ली की सरकार: दिल्ली की सरकार मुफ़्त में बिजली ओर पानी देकर उनकी समस्या को घट नहीं बल्कि ओर बढ़ा रही है, इस वजह से भी कुछ आलसी हो रहे है, ओर बिजली व पानी की बर्बादी कर रहे है, आने वाले समय में यह समस्या ओर बढ़ती हुई दिख रही है, यदि पानी इसी तरह से मुफ़्त मिलता रहेगा लोग बहाते रहेंगे, जिस तरह से मानव ने अपनी नदियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी यह मानव स्वयं का ही दुश्मन है एक दिन ऐसा आएगा जब हमे साफ पानी नहीं मिल पाएगा ओर शायद हम पानी के लिए भी तरसे क्युकी हम बर्बादी करने में माहिर हो चुके है, जिस तरह से राजनीतिक दल हमे मुफ़्त का लालच देते है ओर हम उस लालच में फंस जाते है, लेकिन हम यह नहीं समझ पाते की उस जाल में हम एक खुद ही शिकार हो जाते है ओर घुट घुट कर मार जाते है।

पानी की बर्बादी

हमने पानी की बर्बादी करने के लिए बहुत सारे साधन बना लिए है जिनकी वजह से ऐसा लगता है हमारे आगे आने वाली पीढ़िया इन सब चीजों के लिए तरस जाएगी जिन चीजों का हम भोग बहुत नासमझी के साथ कर रहे है।

पानी को साफ करने की मशीन: अक्सर देखता हूँ आजकल हम सभी के घरों में पानी को साफ करने की मशीन लगी होती है, जैसे जैसे पानी साफ होता है, एक तरफ से गंदा पानी रिस रिस कर पाइप से निकलता जाता है , लेकिन उस पानी को कभी हम प्रयोग में नहीं लाते, होने को उस पानी का प्रयोग बर्तन धोने, कपड़े धोने आदि बहुत सारे कामों के लिए प्रयोग में ला सकते है।

लेकिन वो पानी बस यू ही बहता रहता है। और पानी की बर्बादी होती रहती है , आप सोच रहे है, यह बात सिर्फ आपकी 2 बाल्टी पानी की है उससे क्या होगा जरा सोचिए जिनके घर पानी साफ करने की मशीन नहीं ओर जो लोग पानी बाहर से मंगाते है, जब वो पानी के प्लांट वाला व्यापारी सफाई करता होगा पानी की, तो वह कितना पानी व्यर्थ में बहने दे रहा है। ओर हम कुछ भी नहीं कर रहे , ना ही सरकार इस और ध्यान दे रही है, ओर न हम आप सभी कार्यों को सरकार के भरोसे पर नहीं छोड़ सकते कुछ कार्य की जिम्मेदारी तो हमे स्वयं ही लेनी पड़ेगी।

छत पर रखी पानी की टंकी:  छत पर रखी पानी की टंकी भी भर जाती है, लेकिन वो पानी तो घंटों तक बहता हुआ ही दिखता है, कुछ लोग लगता है मोटर चलाकर बस भूल जाते है, ओर पानी बहता रहता है, ऐसा ही कुछ हमारी बिल्डिंग में भी होता है, शाम को पानी आता है, तो सभी अपना पानी भर लेते है एक पानी की टंकी लगभग 35 मिनट में भर जाती है 750 लीटर वाली यदि पूरी खाली है तो , लेकिन वो 35 मिनट उनके पूरी रात में बदल जाते है लेकिन मोटर नहीं बंद होती , यदि टंकी छत पर है तो वो छत भी एक दिन कमजोर हो ही जाएगी , उसमे से भी एक दिन पानी रिस रिस नीचे तक जाएगा, जिस तरह से पानी बहता है,

क्या हम उस पानी का इस्तेमाल गमलों की ओर नहीं कर सकते या अलार्म नहीं लगा सकते की पानी भर रहा है तो हमे याद रहे , हमे वो पता चल जाए की पानी की भर चुकी है अब बंद कर दीजिए। लेकिन ऐसा नहीं करते यह लोग पता नहीं क्या सोचकर पानी को इतना व्यर्थ कर रहे है।

हाल ही मैं एक दर्दनाक हादसा हुआ है, शिमला में पानी लगातार पहाड़ों से रिस रहा था उसका निकासी सिस्टम सही तरीके काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से पहाड़ खिसक रहे है, ओर बहुत भारी नुकसान पूरे हिमाचल को हुआ है। पूरा हिमाचल इस भूल का परिणाम भुगत रहा है फिर सोचिए हमारा एक छोटा सा घर जिसका हम ख्याल नहीं रख पा रहे है उसका क्या होगा? बड़ी मेहनत से बनता है एक घर पूरी उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में , यह जल हमारी प्राकृतिक सम्पदा है, इसे यू ही व्यर्थ में खर्च ना कीजिए इसका ध्यान रखना ही हमारी जिम्मेदारी है।