Posts tagged rohit shabd ki kavita

हर रोज कुछ नया

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में जिए जा रहा हूँ ,जीवन बहुत छोटा है, समय की बात है ये। इसी खुशी के साथ हर दिन मैं उठता हूँ,
जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मौकों की तलाश में।

हर रोज नए सपनों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई दिशा दें।
जो मेरे जीवन को नए आकार दें,
जो मेरे जीवन को नई उमंग दें।

हर रोज नए अनुभवों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई शक्ति दें।
जो मेरे जीवन रूढ़िवाद से मुक्त करें,
जो मेरे जीवन को नए दिशानिर्देश दें।

हर रोज मैं नई उमंगों की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नया रूप दें।
जो मेरे जीवन को नया उत्साह दें,
जो मेरे जीवन को नयी दृष्टि दें।

हर दिन नए संभावनाओं की तलाश में हूँ,
जो मेरे जीवन को नई उड़ान दें।
जो मेरे जीवन को नई राह दिखाएं,
जो मेरे जीवन को नई नींव दें।

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में,
जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मौकों की तलाश में।
जीवन के सफर में जब भी मैं रुकता हूँ,
मैं उस नए की तलाश में ही रहता हूँ।

हर रोज कुछ नया हो उस नए की तलाश में,
जीवन के सफ़र में नए रास्ते खोजते हुए।
जिस दिन बिना कुछ सीखे गुज़र जाता हूँ,
उस दिन का सफ़र बेकार माना जाता है।

हर सुबह उठते ही नयी उमंगों से भरा होता हूँ,
नए कामों की तलाश में अधिक सक्रिय बनते हुए।
जीवन के उतार-चढ़ावों में अपने आप से दोस्ती करता हूँ,
और नए स्वप्नों की तलाश में आगे बढ़ता हूँ।

हर रोज एक नया दौर शुरू करता हूँ,
नए साथियों की तलाश में आगे बढ़ता हुआ।
जीवन के साथ चलते हुए नए संघर्षों से लड़ता हूँ,
और अपने आप से नयी उंगलियों की तलाश में हुआ।

हर रोज जीवन के नए सारे रंगों को अपनाता हूँ,
नए अनुभवों की तलाश में नयी जिज्ञासा के साथ।
जीवन के प्रत्येक क्षण को अपने अंतर्दृष्टि से जोड़ता हूँ,
और खुशियों की तलाश में सदैव आगे बढ़ता हूँ।

हर रोज एक नया सपना देखता हूँ,
नए उद्देश्यों की तलाश में आगे बढ़ता हुआ।
जीवन की इस अनंत यात्रा में नए उलझनों से लड़ता हूँ,
और एक नए दिन की तलाश में सदैव आगे बढ़ता हूँ।

मंजिल मिलेगी

तू अपनी राहों को चुन न पथ से भटक तू आगे बढ़ तू चल ,राह में रुकवटे आती है बहुत ,तू मंजिल को ना छोड़ ,बस अडिग हो बढ़ चल , मंजिल मिलेगी ना मिलेगी , ये क्या पता हमें,
पर जो भी कहते हैं, उस पर विश्वास हमें।
हर मुश्किल में थोड़ी होती है चुनौती,
पर जब दृढ़ता से जीत लेते हैं, तब खुशी से भर जाते हैं हमें।

मंजिल मिलती है या ना नहीं , इससे फर्क पड़ता है,
जो बीत गया उस पर शोक नहीं, नयी उमंगों का है अभिप्राय।
हर नयी चुनौती से अच्छे से लड़ते हैं हम,
जब तक हौसला हमारा बढ़िया, तब तक कुछ भी नहीं हमारा हार।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये क्या मायने रखता है,
जीवन हमें आनंद देता है जब हम प्रगति करते हैं।
हमने नयी उमंगों से हमेशा संघर्ष किया है,
जब मंजिल मिलती है, तब खुशियाँ हमें जागृत करती हैं।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये तो भगवान जानते हैं,
पर हमें बस यही जानना है, कि जीवन एक यात्रा है।
हम सभी अपनी मंजिलों की तलाश में हैं,
जब तक जीवन हमारे साथ है, तब तक तो हमें बस अपने सपनों को पूरा करना है।

ए मुसाफिर

ए मुसाफिर
वजह बेवजह तू मुस्कुराता चल
वजह बेवजह तू मुसकुराता चल
बेखबर राहो पर तू आगे निकल

तुझे मिलेगी चुनौतियां
उन चुनौतियों पर कदम बढ़ाता चल
तू चल , तू चल , तू चल

ना थकना
ना रुकना
ना घबराना
ना हार मान जाना तू
बन अपना साथी तू
खुद से खुद में जाकर तू मिल

भूत , भविष्य की फिकर छोड़ दे
वर्तमान के साथ जी तू हर पल
ए मुसाफिर तू कदम बढ़त चल

हर डगर, हर मंजिल पर न तू रुक
बस अपनी मंजिल पर नजर रख कर
बढ़ता तू आगे चल , बढ़त तू आगे चल