Posts tagged rs

समय की ये बाते

समय की ये बाते समय के परे थी समय कही नहीं है, बस यह हमारी सोच का एक हिस्सा है।

समय रहते ही तुमने जाना था इन बातों को ये समय दायरे में थी ,समय की चादर जितनी खोलो उतनी खुल जाएगी यह असीमित है , समय से हटकर तुम सोचो समय खुद बन जाओगे

कुछ लोग लगातार व्यर्थ के शब्दों का चिंतन करते है जिनमे वह लोग या तो किसी दूसरे की बुराई करते है या फिर स्वयं की जिसकी वजह से यह लोग लगातार अपने विचारों को खराब करते है, इनके शब्द हमेशा कोसने वाले होते है या तो ये लोग खुद को कोसते है या दूसरों को लेकिन क्यों ? ऐसा ये लोग क्यों करते है क्या कोसने से सभी चीज़े ठीक हो जाएगी या फिर कोई मतलब होता है।

किसी को भी कोसने से क्या लाभ होगा यह तो सिर्फ शब्दों की हानी है, आप शब्दों की हानी कर रहे है शब्द अनमोल है इन शब्दों को तोल मोल कर प्रयोग में लाना चाहिए, शब्द बहुत शक्तिशाली, प्रभावशाली होते है।

किसी को अपशब्द बोलने से क्या ही ठीक होगा, बल्कि गलत प्रभाव पड़ेगा आपके जीवन पर ही इसलिए शब्द का उचित ओर ध्यानपूर्वक प्रयोग करे, कुछ लोग ऐसे बोलते है उनके शब्द देखिए अरे यार तूने तो हद्द करदी

यह शब्द बड़ी गजब की चीज है जिनसे आपके जीवन में बदलाव होता है, ओर आप इन शब्दों की भांति बनते जाते है, जैसे जैसे इन शब्दों का प्रयोग आप करते है।

जैसे ही आप बोलते है, की मैं पागल हूँ

मैं बेवकूफ हूँ

मैं दुखी हूँ

मैं ठीक नहीं हूँ

मेरी तो बुद्धि ही खराब हो गई है  

मेरी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं होता मेरी तो किस्मत ही खराब है

मेरी तो जिंदगी ही खराब है , मेरा जीवन व्यर्थ हो गया है, मुझे यह परेशानी है इन लोगों के पास परेशानी के अलावा कुछ नहीं है, ये लोग कभी अच्छी चीजों पर बात नहीं करते हमेशा परेशानियों , तकलीफ की बाते करते है इसलिए इनके जीवन में परेशानी दुख तकलीफ बड़ी होती जाती है तथा एक बाद के बाद एक परेशानी आती है, जिनका अंत होता नहीं दिखता क्युकी यह परेशानियों का ही चिंतन करते है सदेव, इन परेशानियों को कम करने के लिए हमे लगातार सकारात्मक सोचना चाहिए तभी यह परेशनीय खत्म होगी अन्यथा यह तो बढ़ती रहेगी, इनके अंत होने का कोई छोर नहीं दिखेगा।

हम सभी साधारण है लेकिन हमे उन्नति करने का पूरा अधिकार है हमे अपनी क्षमतायो को बढ़ाने का अधिकार है हमे अपनी क्षमतायो पर कार्य करना चाहिए।

मुस्कुराने का जादू

यह मुस्कुराने का जादू है , जहाँ शब्द न करे काम मुस्कुराहट काम कर जाती……
बात पते की मुस्कुराहट की नही कोई जाति प्रजाति ।
यह तो प्रकृति का वरदान बात यह सब को समझ हे आती ।

मुस्कुराहट में प्यारी सी आहट…
काम को बनाने की इसमें चाहत ।
मुस्कुराहट का प्रभाव…..
कहलाता अच्छे व्यवहार का स्वभाव ।
मुस्कुरा कर जब करते काम….
उसमें झलकता शांत मन का आयाम ।

मुस्कुराहट से हो जाता हर असमभाव वाला संभव काम , मुस्कुराहट करती हर दुख को दूर शांति का प्रस्ताव लाती हर दिल में उम्मीद में जगाती , यही मुस्कुराने का जादू है, जो मुस्कुराहट खुशिया बिखेरती जाती।

Jivan kya hai

Main dekhta hu zindagi ke baare mei koi baat nahi kar raha bas sabhi log koi kuch or ki baate kar rahe hai………jivan kya hai

Unke pass bahut kuch hai baate karne ko lekin zindagi ke baare mei kuch nahi hai.

Zindagi ke baare mei kuch baat to karo ki yeh zindagi kaisi hai? kyuki yeh zindagi na milegi dubara isliye isko jio yahi abhi khulkar na hee tum mar jana yu hi ghut ghut kar.

Ye sabhi log kapde, jutey, khana, pina, ghumna, hangout karna chahte hai lekin jindagi ko bhulkar, bas jindagi ke baare mei kuch nahi soch rahe jo sabse jaruri hai usko hee bhule hue baithe hai…..

lekin kyuuuuu

kya hame jindagi ke baare mei baat nahi karni chahiye? zindagi jise aap ji rahe ho ya nahi, ye bhi aapko nahi pta bas bhaage ja rahe ho kahi na kahi, kidhar jana hai, safar kya hai? nahi maalum lekin chal rahe bina saas liye..

yahi hai jivan ?

Yeh swaal aap khud se puchiye ki zindagi kya hai or hame kidhar lekar ja rahi hai jindagi ka asli matlab kya hai, jindagi jidhar ja rahi hai ham chup chaap chale ja rahe hai bin soche samjhe, bina kuch jaane bas behte paani ki tarah khud ka koi decision nahi hai.

Kya yahi hai jivan ?

Yeh sirf swal na ho yeh aapko bechain karde bas is tarah se aapke dimaag mei bhar jaye tabhi ham is uttar ko jaan payenge.

Zindagi ka asli matlab janne ki koshish mei ham lag jaye

Is jivan ka purpose kya hai? ham yaha kyu aaye hai kya aesa koi swal mann mei aaya hai kabhi jisne tumhe thodi si bechaini di ho, tumahara mann is jindagi ke baare mei janne ki koshish kar rahe ho, kya hua kabhi aesa yadi uttar nahi hai to aesa hona chahiye tumhare mann bheetar se prshnn hee prshnn ho jaye or tum daud pado ki zindagi mai aa raha hu tujhse Rubru hone ke liye, apni baaho ko faila zindagi se milne ke liye tum utho, daud pado abhi tak tum nirjiv vastu smaan the yadi tumhare mann bheetar yeh prashn nahi utha tha , to ab daud jaao jab jaago tabhi sawera bas shuruaat yahi se abhi se karo bhar jivan ko apni baaho mei.

अपनी अकल लगाओ

ऐसा बचपन में सुनने को मिलता था अपनी अकल लगाओ ओर कुछ बन जाओ लेकिन आजतक अकल मैं नही बैठा यह सबक मुझे आज भी फेसबुक पर देखने को मिल रहा है, आंखे गड़ा कर बैठ हम जाते 9 घंटे तक, पलके भी नहीं झपकाते, बस मोबाइल की स्क्रीन को ऊपर और नीचे ही कर समय बिताते, फ़िल्म देखने जाते और अपनी सीट को ऐसे पकड़ कर बैठते है, कि कुर्सी थोड़ी सी भी आगे पीछे ना हो जाये।

इतना दिमाग क्रिकेट और फिल्मों में हम अपना लगा देते है तो क्या होता? अपनीअकल लगाओ
यदि इतना दिमाग पढ़ाई और काम करने में लगा दे तो शायद हम भी एक सफल व्यक्ति बन सकते है, सही है क्या ? किसी भी चीज को पाने को चाहत आपको कहा तक ले जा सकती है।

अगर इतनी मेहनत पढ़ाई में लगाये बिना पलक झपकाए पढ़ें तो टॉपर ही ना बन जाये काहे हम अपनी अकल लगाए
अरे भाई हमको ये बात काहे को समझ आये।

पढ़ाई में मन नही लगता
काम में मन नही लगता,
जो चीज़ करने बैठता हूं उसी से दूर भागने लगता हूं
फिर क्या करूँ और क्या नही ?

यही समझ नही आता, क्या मैं कम अकल का बच्चा हूँ

दुखडा मेरा है खुद को ही मैं समझाता हूं
देखते ही देखते दोस्त टोपर भी बना,
एक बड़ा बिजनेसमैन भी बन गया
मै ना जाने क्यों वही का वही अटक गया

लगता है में कही भटक गया
नींद बड़ी प्यारी लगती थी इसलिए
जिंदगी में नीचे लटक गया

सुबह उठ नही पाता था जल्दी
पढ़ नही पता था देर तक,
कानो मैं लीड लगाकर सो जाता था
जो याद किया था वो भी भूल जाता था।

फिर घंटो तक जो पढ़ा था उसीको दोहराया करता था
इतनी गलती करने पर भी में नही पछताया करता था
इसका नतीजा हार है यही एक विचार है।

अपनी अकल लगाओ

यह भी पढे: समझ अपनी अपनी, धैर्य व्यवहार, पढ़ाई क्यों जरूरी है, अनुभव खुद का चखा,

संतोष ही परम धर्म है

संतोष ही परम धर्म है लेकिन कुछ लोग मानो खुश रह ही नही सकते ऐसा लगता है उनका खुशी से दूर दूर तक कोई नाता नही है बेचारे सुबह उठते है तो भी चिड़चिड़े उठते है सोते है तो भी लगता है किसी पर एहसान कर रहे हो।

जिंदगी तो सुबह भी आपका स्वागत करती है और शाम भी लेकिन आप खुद ही अपने आपको समेटे हुए है, जिंदगी का स्वागत करने में हिचकिचाहट क्यू है

क्या आपको मुस्कुराना अच्छा नही लगता ?

क्या आपको सिर्फ गुस्से में रहना अच्छा लगता है ? क्या आपकी जिंदगी में प्रेम नही है ? या आप अपनी जिंदगी से संतुष्ट नही है ? यदि यह सब है तो क्यों ऐसा है ?

जरा सोचिए क्योंकि यह तो बहुत खतरनाक बीमारी है क्योंकि यह बीमारी आपको आपके जीवन में कभी भी सफल व्यक्ति के रूप में निखारने नही देगी जितना आप क्रोधित होंगे उतने ही आप कमजोर होते चले जायेंगे अपने लक्ष्य से भी भटक जाएंगे , यदि आप खुद खुश नही रह सकते तो दूसरों कप कैसे रह पाएंगे जरा सोचिए?

इसलिए खुद को खुश रखना बेहद जरूरी है , क्या आप अपने किये हुए कार्यो से संतुष्ट नही है? या ऐसा है तो आप जो भी है जहाँ भी है जैसे भी है जिस भी कार्य को करते है पहले उस से आप संतुस्ट होना और खुश रहना सिख लीजिये फिर उस कार्य के स्थान को अपना मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारा जो आपको समझना हो वो समझ लीजिए क्योंकि वही आपका कर्म धर्म है।

“संतोष ही परम धर्म है”
जिंदगी की हर एक छोटी छोटी चीज़ों मैं खुश रहने की आदत डाल लें वही छोटी छोटी चीज़े कब बड़ी हो जाएगी आपको पता भी नही चलेगा और जो छोटी छोटी मुशीबत आएगी वो रास्ते मे हस्ते हुए ही टल जाएगी जिसकी वजह से आप अपनी जिंदगी बड़ी मुशीबतों का सामना आसानी से कर पाएंगे और यदि छोटी छोटी परेशानियो से घबरा कर रुक जाओगे तो कैसे बड़ी परेशानियो का हल ढूंढ पाओगे?

इसलिए रुको नही हारो नही घबराओ नही बस बढ़ते चलो जिंदगी है यह इस जिंदगी के साथ युही बढ़ते चलो मुस्कराओ और मुस्कुराना भी सिखाओ यही बात दुनिया को भी सिखाओ।

यह भी पढे: मन की अवस्था, सकारात्मक प्रतीक्षा, इच्छा कैसे पूरी हो, धर्म के नाम पर,

आपका दिमाग

आपका दिमाग क्या कहता है? आप को किस कार्य और किस दिशा की ओर प्रेरित कर रहा है आपको ?  किस दिशा में ले जाना चाहता है आपका दिमाग आपको ? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है।

जब आप बहुत सारे लोगो के बीच में होते हो यो बहुत शोर आता है अलग अलग लोगो के विचार आपके मस्तिष्क से टकराते है, जिनकी वजह से आपके सोचने में  परिवर्तन आ जाता है ओर आप जो सोचना चाहते हो वो सब सोच भी नही पाते हो, जिस वजह से आप भी उन लोगो में घुल मिल जाते हो ओर देखने लगते हो लोगो को जो आस पास से गुजर रहे है जो आपके सामने से जा रहे है।

जो उनकी आंखे उसी दिशा में बह जाती है जहाँ से लोग आ ओर जा रहे है, लेकिन आपको अपने विचारो को देखना है समझना है क्यों वो बह रहे है? उन लोगो के साथ क्या आपका दिमाग ऐसे ही किर्या कलापो में लगना चाहता है आप यदि करना भी चाहते हो कुछ तो  कर नही पाते बस बह जाते हो दूसरे के साथ…..

आपका मस्तिष्क आपसे कुछ कहता है या कुछ कह रहा है? लेकिन आप अपने मस्तिष्क और उसके विचारो की बात सुन नही पा रहे है या सुनकर अनसुनी कर रहे है हमारा मस्तिष्क ना जाने कितने ही, विचारों को प्रकट कर रहा है कभी हम अकेले बैठना चाहते है तो कभी भीड़ का हिस्सा होना चाहते है, इधर उधर टहलने लग जाते है यदि हमारे पास कुछ और काम नही तो अपने आपको किसी ना किसी काम में व्यस्त रखना चाहते है।

हम हमसे  अपने आपको किसी न किसी प्रकार के कार्य में व्यस्त रखते है, जिसके कारण हम अपने विचारों को सही तरह से ढंग से देख नहीं पाते है हमारा मस्तिष्क हमेशा विचारों में भरा हुआ रहता है हम कभी अपने विचारों के साथ अकेले नहीं होते, ये दिमाग कभी बिना विचारों के नहीं होता ये बात हम कभी नहीं सोचते की ये जो विचार है हमे  किस दिशा में ले जा रहे है।

हमारा मस्तिष्क भी कितने प्रकार के विचारों को प्रकट करता है, कभी किसी प्रकार की सोच में व्यस्त करता है तो कभी काही कुछ और स्तिथि और परिसतिथियों के कारण हमारा मस्तिष्क अलग अलग प्रकार की सोच को विचारों को जनम देता है, या हम यू कह सकते की हमारा मस्तिष्क की प्रकार से कार्य करता है, हमारा मस्तिष्क तो अनंत तरीकों से काम कर सकता है और इतनी किरयायाओ में व्यस्त हो सकता है शायद उसको इमैजिन करना भी मुश्किल है।

Mind work on different different level it vary accrdng to your thought how u give design to ur thought it can goes nd go beyond the limits of univers your brain is complete universe as your brain think it happen in our real life.

हमारा दिमाग भी हर समय हर पल घिरा हुआ रहता है जिसके कारण हमारा मस्तिष्क आने जाने वाले विचारों में विचार विमर्श की क्रिया और प्रतिक्रिया में लगातार उलझा रहता है, इन विचारो के दृश्य और इनकी कल्पनाएं हमारे मस्तिष्क में लगातार चलने वाली किरायायो के एक सहायक होती है, हमारी छोटी छोटी विचार का अपना एक दृश्य होता है और दृश्य की अपनी एक उसकी उचाईं और गहराई उस एक विचार के साथ होती है।

कभी कभी लगता है कि आसक्ति अब भी बाकी है मेरी बहुत सारी जगह जिसके बुलबुले फूटते है,  अंदर ही अंदर और में उनको देखता हूं रोक भी लेता हूं लेकिन फिर भी  ऐसा लगता है कि यदि मैं इन विषयों को हमेसा रोकता रहा तो इनका विस्फोट भी होगा एक दिन जो सही नही है फिर मुझमे अंतर ही कहाँ रह गया यदि मैं भी एक दिशा से दूसरी दिशा में भटकता रहूंगा तो।

इससे तात्पर्य यह है कि मुझे अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते रहना चाहिए चाहे वो छोटी सी इच्छा क्यों न हो उस इच्छा को मारना नही चाहिए उसे समझना चाहिए मेरा लगाव जीवन के प्रति अब भी बाकी है वो लगाव कम हो में इसके लिए अभ्यासरत हूं।

यह भी पढे: यादों से कैसे बचे, नया विचार, यादे दिमागी भोजन, मन का भटकाव,

शब्द हूँ मैं

शब्द हूँ मैं लेकिन शब्द कौनसा ओर कैसा हूँ मैं ? शब्द क्यू लगाते हो पीछे अपने नाम के ये कैसा शब्द है? इस शब्द की कोई जाती नहीं है , तो ये कौनसा शब्द है ओर कैसा ? मुझसे बहुत सारे लोगो ने ये सवाल पूछा है कि आपने अपने नाम के पीछे यह शब्द कैसे और क्यों रखा है? यह कोई जाती तो नहीं है, यदि हो तो हमने कभी सुनी नहीं है।

मेरा जवाब भी यही होता है की जी हाँ यह कोई जाती नहीं है बस यह मैंने यह शब्द स्वयं ही लगाया है, क्युकी शब्द से मैंने बहुत पाया है इस शब्द के कारण ही मुझे बहुत समझ आया है, जगत के जीतने प्रश्न मेरे मन में आए उनको हाल कर पाया हूँ मेरी जिंदगी की उलझने भी इन शब्दों के कारण ही खत्म कर मैं पाया हूँ, इसलिए शब्द मेरे नाम संग मैं शब्द लगाया हूँ।

ओर हर सवाल का जवाब का ये शब्द ही क्यू है? क्या है? ये शब्द जिसे आप इतना महतव देते है जिसे आप आत्मा भी कहते है। ऐसा क्यू है ?

तो आज उसका जवाब भी दे देता हूं, कौन हूं मैं? का अर्थ जो अब तक समझ और खोज पाया हूं,
वो शब्द है जो अब तक मैं कहलाया हूं।

इसके आगे की खोज जारी है लेकिन उत्तर अभी तक सभी प्रश्नों पर ये शब्द उत्तर सभी प्रश्नों पर भारी है, सभी पर्श्नो का हल मुझे मिला, सभी सोच इसपर आकर पूरी हुई  निराकार यही आकर पूर्ण हुआ।

संपूर्ण भागवत, वेद पुराणों का ज्ञान शब्द में आकर समाया जगत शब्दम्य ओम उच्चारण से गूंज उठाया, शब्द से ही इस जगत का विस्तार हो रहा है, शब्द से जगत ही शब्दमय होता जा रहा है शब्द से ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड चलायमान है, शब्द हम सभी में विध्यमान है ये नजर आया है

हमारी यदि कोई इच्छा-अनिच्छा है तो भी वह शब्दों के कारण ही पूर्ण होती है, शब्द के कारण कोई भी वस्तु अकारण नहीं है सभी जीव और वस्तुए कारणों के कारण में बंधी हुई है।

कोई भी किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछो उसका जवाब शब्द है, प्रकाश की गति से भी तीव्र शब्द है, क्युकी शब्द एक दूसरे से जुड़े हुए है शब्द का दूसरा रूप जिसे हम विचार या ॐ रश्मि भी कह सकते है, उन्हे तरंगित किरने जो हमारे भीतेर से निकल रही है।

शब्दो को पढ़ता हूं,
शब्दो को सुनता हूं,
खुद की पहचान भी शब्दो से करता हूँ मैं

शब्द हूँ मैं

यह भी पढे: अपने शब्दों पर जोर, शब्द, शब्दों का संसार, शब्दों की बाते, जीवन के लेखक,

तेरी आंखे

तेरी आंखे मुझे नोच खचोट जाती है

ये जो तेरी आंखे है न
मुझे नोच डालती है
तेरी आंखे ही है
जो मुझे नोंच डालती है,
इन आंखों पर थोड़ी लगाम रख
इन आंखों में थोड़ी शर्म तो ला
इन्ह आंखों को अब और ना गिरा,
इस तरह से तू आंख निकाल ना बाहर

क्योंकि

ये जो तेरी आंखे है
न मुझे नोच नोच कचोट जाती है।

मैं भी एक इंसान हूं
फर्क की दीवार ना तैयार कर
इन आँखों  में थोड़ी शर्म ला,
शर्म का पर्दा तू भी तैयार कर
इन आंखों से मुझे ना तू
यू तार तार कर

लाज शर्म सिर्फ मेरा ही गहना नही,
खुद की आंखों के लिए तू भी इसे पहना कर
मुझे यू ना तू इन आंखों से रौंदा कर

इस तरह घुट घुट कर मरने से अच्छा,
एक बार मरना होगा ही सही
ये जो तेरी आंखे है ना
मुझे नोच खचोट जाती है

जहा जाती हूं
मेरे शरीर को,
ऊपर से नीचे तक मुझे देखती हुई
तेरी आंखे मुझे नजर आती है,
यह आंखे मुझे रौंद डालती है
लाख बार मेरी इज्जत तार तार कर देती है
ये आंखे मुझे हजारो बार मारती है

इन आंखों से बचु कैसे?
हर वक़्त हर जगह मुझे,
ये आंखे नजर आती है
घर से बाहर जब निकलती हू,
रोड पर जब मैं चलती हूं

लाखो आंखे मुझे घूर घूर मार डालती है,
लाखो बार एक दिन में मैं मर जाती हूं
ये आंखे मुझे रौंद डालती है

कभी ये उन स्कूल कॉलेज  जाते हुए बच्चो की
तो कभी मनचलों की सड़को पर नजर आती है
 
ये आंखे मुझे रौंद डालती है
बस स्टॉप हो या बस का सफर
ऑटो में हूं या कार में,
तेरी आंखे भीतर तक घुस जाती है मेरे….

तन और मन को छल्ली कर नजर आती है
मुड़ मुड़ क्यों देख मुझे तेरी आंखे सताती है
कुछ शर्म लाज रख इन्ह आंखों में
ये तेरी आंखे मुझे क्यों नोंच खाती है
 
बस मुझे ढूंढ कर रौंदना
ये आँखें चाहती है,
ऐसा कौनसा गुनहा किया है मेने
जो ये आंखे मुझे रौंदना चाहती है
छिन्न भिन्न हो मैं जाती हूं,
तिल तिल  मर मैं जाती हूं
जब ये आंखे मुझे रौंद जाती है
अकेली लाचार बेसहारा खड़ी,
नजर में खुद को आती हूं


क्यों
बस एक यही
सवाल खुद से करती हूं मैं,
बेचैन अकेले  हर पल,  हर जगह इस समाज में क्यों  हो जाती हूं मैं
सुबह हो या शाम  कही नही मैं जा पाती हूं।

गली मोहहल्ले
मैं भी चल नही खुलकर मैं सकती हूं,
बंद चार दिवारी में भीतर घर के हो जाती हूं मैं
लगता है डर बहुत,
अब तो डर डर के  बस इस जिंदगी को बिताती हूं
तेरी आंखे जो मुझे नोंच डालती है यह मैं सह नही पाती हूं।

ये हदे पार ना करो
कौनसी सी जिद्द है ये तुम्हारी
कौनसा बदला लेना चाहते हो,
जो तुम इस तरह से मुझे देखते हो

मेरे जिस्म को यू देख कर तार तार ना करो
मैं भी किसी की बेटी, बहन, माँ हूं

मुझे खुद की आंखों में शर्मशार ना करो

यह भी पढे: जिंदगी की राह, इश्क की बात, मेरी आवारगी में, मेरी आँखों को पढ़,

जिंदगी एक सफर है

जिंदगी एक सफर है, और हम सभी यात्री है, हम थक जाते है, ठहर जाते है, कभी कभी चल नही पाते है बस फिर भी आगे बढ़ने की इच्छा है, इसलिए जिंदगी के साथ आगे बढ़ते जाते है।

यह जीवन एक चलता हुआ सफर है
और हम मंजिल से बस बेखबर है
मंजिल से बेखबर है लेकिन
इस चलते हुए सफर में,
इंसान तू ठहर मत जाना

थक हार कर तू कही बैठ नही जाना
यह जिंदगी एक चलता हुआ सफर है
बस चलते ही तू जाना,
रुक ठहर तू मत जाना
हौसला टूटता है तो टूट जाने दे लेकिन
तू हौसला टूटता देख मत लड़खड़ाना।

मेने हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी है
उन बहुतों में तू भी ना शामिल हो जाना,
तू भी उनकी तरह टूट-फुट, बिखर  ना जाना

जिंदगी की मौज में सवार होकर तू आगे बढ़ना
कभी जिंदगी को थका हुआ ,
हारा हुआ एहसास न तुम कराना

आगे देख बस बढ़ते ही तुम जाना
पीछे जो मुड़कर देखते है,
वही अक्सर रुके हुए नजर आते है
और फिर कभी आगे नही वो बढ़ पाते है ,
इसलिए सफर को
मुड़कर ना तू  देखना

बस आगे तू बढ़ते जाना
उचाऊ से कभी मत डरना
और नीचाई को अकड़ मत दिखाना,

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना,

धीरे धीरे चल
आराम से चलना जिंदगी की मौज में चलना
हर कदम संभाल कर चलना
कभी लड़खड़ाना, डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना

बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना
बाहे तेरी पकड़ने, साथ तेरा निभाने
कोई ना आएगा
पथ ना कोई दिखायेगा तुझे,
अलग अलग पथों पर भटकाएगा
तुम्हे लेकिन अडिग हो अपने पथ पर चलते जाना है
बल्कि
इसके विपरीत नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
पहले मैं – पहले मैं करता नजर आयेग वह

भरोसा चाहकर भी तू नही उन पर कर पायेगा
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा,
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा
तू रुकना नही

दिन के उजाले को देख खुश ना होना
और रात के अंधेरे में घबरा मत जाना

मंजिल नजदीक ही है बस उसे पाने के लिए
तू अपने पथ पर अडिग चलते ही तू जाना……

यह भी पढे: इसीका नाम जिंदगी, जिंदगी बस इसी तरह, सुकून की जिंदगी, जिंदगी से कुछ बात,

शब्द ही शब्द को जाने

शब्द ही शब्द को जाने, बिन शब्द हम किसको माने,
शब्दो से शब्दो का मिलन हो रहा है, शब्दों से बिछड़ना भी अनोखा है , इन शब्दो से  इस ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा यह रहसे अनोखा है कौन इसको समझ रहा है,
शब्दो का अनूठा जीवन इनका रहस्य ना कोई जान पाया, शब्दों ने अपना अनेक रूप दिखाया , शब्द एक होकर भी आया ओर भिन्न होकर भी इन शब्दों ने समझाया, लेकिन इन शब्दों के रहसे कोई नहीं समझ पाया ,
शब्द ही शब्द को उदघोष करते है, शब्द का जीवन बहुमूल्य
है, शब्दो का सहयोग शब्दो के लिए अनोखा है इस जीवन में ,
शब्द में प्रीति , शब्द में भाव , शब्द का बदलाव, शब्दों का अर्थ, शब्द कभी व्यर्थ तो शब्दों का कभी अनर्थ भी है।

शब्दो की चर्चा भी खूब होती है कभी यह
शब्द का मान – अपमान
शब्दो का क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार ,
शब्दो का मिलना बिछड़ना , शब्दो का एकजुट होना और शब्दो का अलग अलग हो जाना
यह शब्द ही जो तुम्हे खोखला कर देते है यह शब्द ही है जो तुम्हारा जीवन खुशियों से भर देते है , शब्द के अलग अलग रूप , आकर है इनको समझना बुद्धि के पार है।

शब्दो का क्रम, शब्दो का लयबद्ध होना इनका यही एक विचार है शब्द कर रहे अपना प्रचार प्रसार यही इनका कार्य यही इनका आचार है, शब्दो में कितने ही भेद और मतभेद है, शब्द स्थिर है और अस्थिर भी है इनका प्रयास एकमत है लेकिन मतलब अनेक है इसलिए बढ़ रहा भेद नहीं हो पा रहे है ये एक!

फिर से एक और पड़ाव पार करने को हूं अब जिंदगी को इस पार से उस पार करने को हूं,
जिंदगी के कई पड़ाव पार किए है लेकिन ये पड़ाव और भी महत्वपूर्ण है जिसमे शब्द को जाना शब्द में जिया था, अब शब्द से मौन की और होने को हूं या शब्दातीत होऊंगा मैं।