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इंतजार क्या है

इंतजार क्या है? यह तो आप किसी भी चीज़ का करो वो हमेसा लंबा ही होगा क्योंकि प्रतीक्षा ही ऐसी चीज़ जो समय की लंबी दूरी तय करता है और लगता है वो समय की दूरी खत्म ही नही हो रही वो वही रुक हुआ है ओर बस सब्र कर बैठ है की वो आएगा चाहे वो एक पल का इंतज़ार हो या १०० साल का इंतजार तो इंतजार ही है।

  • इंतज़ार क्या है ? यह बात तो आप एक दुकानदार से पूछिये जिसकी दुकान में सुबह से शाम बीत गयी लेकिन ग्राहक नही आया।
  • इंतज़ार को प्रेम और प्रेमिका से पूछिये जो घंटों से प्रतीक्षा कर रहे है।
  • इंतजार क्या है ? उस व्यक्ति से पूछिये जो खड़ा है बस स्टॉप पर अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचने के लिए उस नंबर की बस के इंतज़ार में और वो बस ही नही आ रही है बाकी सभी बसे लगातार अपनी सेवा में कार्यरत है।
  • इंतज़ार क्या है? यह आप उस मरीज से पूछिये जो हॉस्पिटल में एक कमरे को लेने के लिए इंतज़ार कर रहा है और उसे कोई कमरा खाली नही मिल रहा है ऐसा लगता है वो अंतिम सांसे अपनी इसी इंतज़ार में तोड़ देगा की कोई कमरा खाली हो और मुझे जगह मिले।
  • इंतज़ार पूछो उस मरीज से जो शायद अपनी आखिरी चन्द सांसे गिन रहा हो और यहाँ इंतज़ार हो सिर्फ डॉक्टर का, उसके इलाज का इंतजार कर रहा।
  • इंतज़ार उनसे पूछिये जो अपने केस की सुनवाई में आंखे बिछाए बैठे है लेकिन उम्र बित्त रही है फैसला नही हो रहा है 10 साल में 70 बार एक केश की सुनवाई होती है।
  • इंतज़ार उस व्यक्ति से पूछिये जो सफलता को हासिल करने में पूरी जिंदगी बिता चुका परंतु सफलता हासिल नही हुई है अब तक और भी इंतज़ार में ही बैठा हो ।
  • इंतज़ार तो आप उनसे भी पूछ सकते है जिन्होंने सरकार की आवासीय योजना में अपनी एक पीढ़ी खत्म करदी हो और अब जब वो निकल गया है उसके बाद भी अगले 5 से 10 साल इंतज़ार करना बाकी है।

इंतजार एक उम्मीद ही है जो हम सभी में उम्मीद के सहारे ही इंतजार करते है किसी चीज या इंसान का इसके अलावा कुछ ओर कर भी नहीं सकते जब हम उस परिस्थिति में होते है।

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रुकना तेरा काम नहीं

रुकना तेरा काम नहीं, चलते हुए सफर में
तू रुक ना जाना
थक कर हार ना जाना
बस चलते ही तू जाना

हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी
तू भी उनकी तरह टूट ना जाना
आगे देख बढ़ते जाना पीछे
जो मुड़कर देखते है वो रुकते है

इसलिए सफर को मुड़कर ना
देखना बस आगे तू बढ़ना
उचाऊ से मत डरना
नीचाई को अकड़ मत दिखाना

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना
आराम से चलना
हर कदम संभाल कर चलना


कभी डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना
बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना

रुकना तेरा काम नहीं ,बाहे तेरी पकड़ने कोई ना आएगा साथ तेरे
रास्ता ना कोई दिखायेगा तुझे
उल्टा नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
भरोसा चाहकर भी नही तू कर
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा