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वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

शब्द

शब्द क्या है ? शब्द कैसे कार्य करते है ? शब्द कितने प्रकार के होते है, शब्द भाषा की मूल इकाई हैं जो वाक्य और भाषा को रचनात्मक ढंग से व्यवस्थित करते हैं। शब्द एक ऐसा स्थायी या अस्थायी ध्वनि या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी विशिष्ट वस्तु, व्यक्ति, स्थान, भावना या विचार का व्यक्त करती हैं।

शब्दों का उपयोग भाषा के संरचनात्मक इकाई जैसे वाक्यों, वाक्यांशों और वर्णों को संभव बनाते हैं। वे भाषा के व्याकरण तत्वों में विभिन्न भूमिकाओं का निर्धारण करते हैं, जैसे कि कारक, विशेषण, संज्ञा, क्रिया, अव्यय आदि।

व्याकरण में, शब्द वर्णों का एक समूह होता है। हर भाषा में शब्दों की संख्या अलग-अलग होती है, लेकिन वे सभी एक विशिष्ट भाषा के संरचना में उपयोग किए जाते हैं। शब्दों का उपयोग भाषा की विभिन्न विधाओं में जैसे कि बोली, लेखन, पढ़ना, सुनना आदि करने में किया जाता है।

शब्दों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि संज्ञा, क्रिया, विशेषण, सर्वनाम, अव्यय आदि। इन प्रकारों के अलावा, शब्दों को बहुत से अन्य वर्गों में भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि स्वर, व्यंजन, संयुक्त वर्ण, समास आदि।

शब्दों का उपयोग हमारी संवाद क्षमता को बढ़ाता है और हमें अपने विचारों, भावनाओं और ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने में मदद करता है। शब्दों का उपयोग हमें संवाद करने, समझने, लेखन करने, सुनने और पढ़ने के लिए आवश्यक होता है। अधिक संवेदनशील भाषाओं में, शब्दों के साथ भावनाओं और भावों को व्यक्त करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

शब्दों का संसार

मुझे खुद नहीं पता की मैं क्या लिख रहा हूँ? लगता है शायद मैं तो इन शब्दों से बात कर रहा हूँ, मैं कैसे समझाऊ? कैसे बताऊ? कोई विश्वास नहीं करता मेरी बातों पर की यह शब्दों का संसार है, शब्द से बना एक परिवार है।

शब्दों का संसार
शब्द संवाद

यह कलियुग शब्द संवाद का समय है, जहां सिर्फ शब्दों की मैं मैं है यहाँ कोई निशब्द अर्थात मौन नहीं होना चाहता हर समय कुछ ना कुछ वार्तालाप चाहता है, हर कोई बाहर जाना चाहता है एकांत में रहना किसी अच्छा नहीं लगता, कोई एकांत वासें नहीं होना चाहता उन्हे दिवारे काटने को दौड़ती है शरीर झटपटाता है किसी से मिलने के, किसी से बात करने के लिए, किसी को स्पर्श करने के लिए कुछ समय साथ बिताने के लिए, इस संसार में बिना बोले कैसे रह पाए जब तक किसी से कुछ पल ना हो हृदय असांत सा ही रहता है।

शब्द संवाद
शब्द संवाद

शब्दों को जुबान चाहिए और वो सिर्फ तुम ही हो, शब्दों के पास शरीर नहीं है उन्होंने तुम्हें ही शरीर रूप में चुना है, सारे क्रिया, कार्य शब्द द्वारा ही होते है बस शरीर एक साधन ही है।

शब्द की जुबान

शब्द वो है जो एक बार आपकी जुबान से निकल गए फिर वापस नहीं लिए जा सकते एक तरकस में तीर की तरह है यह शब्द जिन्हे एक बार छोड़ कर वापस नहीं लिया जा सकता।

तरकस में तीर

विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईयशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

सवाल उठ रहे है

हमारे मन मस्तिष्क में जो सवाल उठ रहे है, क्या आपको उन सवालों के जवाब मिल रहे है, या आप उन सवालों के लिए इधर उधर भटक रहे है, क्या आपके भीतर उन सवालों के प्रति उतनी भूख नहीं है अपने ही सवालों के जवाब के लिए, आपके भीतर कौनसे ऐसे सवाल उठ रहे है।

जिनका जवाब आपको नहीं मिल रहा है, ओर उन सवालों का जवाब नहीं मिला तो क्या आपने उन प्रश्नों के उत्तर को खोजना छोड़ दिया है।

इन सवालों के उठने का सिलसिला यू ही चलता रहे, ओर हर सवाल का जवाब आपको मिलता रहे, सवालों का उठना ओर बैठ जाना कुछ खुद से बात करना ओर कभी खुद से दूर हो जाना।

बहुत सारे सवालों के जवाब जो हमे नहीं पता लेकिन बस तुम दौड़ जाओ उस तरफ जहां तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके, तुम्हें फिर रुकना नहीं है जब तक तुम उन सभी सवालों के हल ना खोज लो, तुम्हें तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे बस तुम्हें उस ओर दौड़ना है, तुम्हें खुद से बार बार वही सवाल पूछने है जिनका जवाब तुम्हें नहीं पता, तुम्हें जवाब मिलेगा, तुम्हारे आसपास की घटनाए वो जवाब देगी, ये ब्रह्मांड तुम्हें तुम्हारे सवालों का जवाब देने के लिए ही यहाँ है, पूछो अपने सवाल इस आकाश से अपनी आवाज को बुलंद करो इतनी की आकाश में वो गूंज उठे। ओर तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके।

तुम्हारी आवाज पूरे आकाश में गूंज उठनी चाहिए।

शब्द क्या है

शब्द क्या है ? आप किसी भी शब्द का उच्चारण करते हो और यदि आपके शब्द में शुद्धि नही है तो उसका भाव परिवर्तन होगा तथा उसका प्रभाव पूरे ब्रह्मांड पर पड़ता है जिसका परिणाम कुछ भी हो सकता है जिस प्रकार से ‘यदि’ लगाकर में यहाँ पर  यह कहु की इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति  “एक सोची समझी घटना थी”  तब यहां अनेको लोगों के द्वारा अनेको परकार के भाव प्रकट हो जाएंगे तथा ब्रह्मांड की उतपत्ति सोची समझी नही थी यह एक पवित्र ध्वनि थी पवित्र ॐ रश्मि थी है और रहेगी अर्थात आप इसे किसी भी प्रकार के  भाव , शब्द , अर्थ , विचार और विचार शून्य की स्तिथि हो सकती है , या थी , या नही यहाँ पर शब्दो मे अनेको मत, भेद और भाव उतपन्न हो रहे है जिसका प्राकट्य हमारे द्वारा शब्द उच्चारण, भाव प्रकट करने के अनुसार अलग अलग हो रहा है।

जीवन को जीवंत होकर देखना शुरू करें

“जगत मिथ्या ब्रह्म सत्य”

यह सिर्फ एक विचार नहीं है यह अनुभव से भरा हुआ सत्य है जिसे प्रमाणित करते योग पुरुष है।

“मै शब्द हो सकता हूं लेकिन परिभाषा नहीं”

“शब्द से निशब्द की यात्रा करना ही मेरा परम लक्ष्य है”

यह संसार शब्दो का संसार है

जिसमें अनेकानेक शब्द गुंज रहे है।

“परम अक्षर शब्द ओमकार ही परमेश्वर है”

मानव जीवन शब्दो की क्रिया और

प्रतिक्रिया पर ही भी निर्भर करता है।

“मानव शरीर शब्दो से ही ओत प्रोत है”

“मानव जीवन शब्द निर्मित है”

शब्द आकाश के विकार है

“संग्रह सिर्फ अच्छे शब्दो का हो बाकी का संग्रह व्यर्थ है”

एक समय था जब मेरे अनेकों प्रश्न थे

और आज मै उन सभी प्रश्नों का हल हूं।

जीवन को एक नया दायरा चाहिए और वह दायरा आपकी सोच का होता है उसे बढ़ने दीजिए।

यदि आप कुछ बनना चाहते है तो शब्द बनिए इसके विपरित कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं है।

यदि आप कुछ खोज रहे है तो

कैसे और किससे ??

वह सबकुछ तो शब्दो के द्वारा ही खोजा जा सकता है।

“Your look is your mind not body”

“शब्दो के द्वारा ही जीवन उलझता ओर सुलझता है”

1

शब्दो को जुबान चाहिए

और वो सिर्फ तुम ही हो।

2

यह कलियुग शब्द संवाद का समय है जहाँ सिर्फ शब्दो की मैं मैं है यहाँ कोई निशब्द अर्थात मौन नही होना चाहता हर समय कुछ ना कुछ वार्तालाप करना चाहता है,  हर कोई बाहर जाना चाहता है एकांत वासेन और असंगे कोई नहीं होना चाहता शरीर झटपटाता है किसी से मिलने के लिए , किसी से स्पर्श के लिए किसी का होना के लिए

3

शब्द की यात्रा शब्द से शुरू होती है

और निशब्द होने पर रुक जाती है

4

पूरा ब्रह्मांड शब्दमय है

शब्द के अलावा कुछ भी नही

यदि शब्द ना हो तो यह संसार कैसा होगा?

5

शब्दो का वर्णन करने की नाकाम सी कोशिश है

कैसे दिखते है यह शब्द ?

क्या किसी ने कभी देखे है ये शब्द ?

शब्द का वर्णन कैसे मैं करू यह हर और से मुह, हाथ , पैर वाले है इनका आधार ऊपर से नीचे से भी है इनकी अनेको आंखे है , यह स्वयं प्रकाशित शब्द है

(यहाँ पर अर्थ यह है की जो मात्राएं, बिंदी,  डंडा, आधा शब्द शब्द पूरा शब्द, उनके आधार पर इनका वर्णन किया जा रहा है इन शब्दो को इंसान ही समझो यह यहाँ समझाया जा रहा है।) इनके बिंदी लगी हो जैसे चंद्रमा सूर्य सा तेज़ है इनमें सूरज से प्रकाश भी है

6)

शब्दो का जीवन कैसा है?

और कैसा हो पायेगा ये किसको है पता

या

शब्द क्या, कौन इस बात का क्या पता कोई लगा पायेगा?

यह कौन समझ पाया है?

इन शब्दो ने खुद का विस्तार स्वयं से पाया है

एक शब्द से अनेकानेक शब्दो तक

और स्वयम शब्द खुद को परिभाषित कर दिखाया है

7)

यह शब्द है जिन्होंने पूरे ब्रह्मांड पर अपना राज कर दिखाया है

इनकी ही सत्ता है इनको कोई अब तक ना हटा पाया है। 

ना कोई हटा पायेगा इन शब्दों का ही राज चलता आया है और चलता जाएगा।

8)

यह पूरा जगत शब्दमय है शब्दो ने हमे हर ओर से ढका हुआ है कही भी शब्द ने रिक्त स्थान नही छोड़ा है हर और से शब्द ने शब्द से जोड़ा है, पूरे ब्रह्मांड का इन शब्दो ने तारतम्य जोड़ा है शब्द संचारित जगत सारा इनसे पार तो कोई विरला ही पा रहा है जो मौन हो रहा है जो भीतर शांति पा रहा है भीतर के जीवन को ही जी रहा है

9)

यह शब्द ही है जो निरंतर आपके मन मस्तिष्क को पकड़े रहते है ओर कभी खाली नही रहने देते आप किसी ना किसी बात पर इन शब्दो के माध्यम से ही विचार करते हो। शब्द न हो तो कल्पना कीजिए जीवन कैसा हो ? 

10)

यदि आपको अपना मन स्वस्थ रखना है तो आपको अच्छे शब्दो का संग्रह करना चाहिए क्योंकि शब्द ही है जो आपको हमेसा शांत, स्थिर चित वाला व्यक्ति बना सकते है। यह शब्द ही आपको जीवन प्रदान करते है ओर भीतर बहुत हलचल भी मचाते है

11)

यदि आपने यह समझ लिया की शब्द से आपका जीवन निर्मित हो रहा है तभी आप बहुत सरलता से अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते है उसमे अलग अलग रंग भर सकते है आप स्वयम को आत्मविश्वास से भर सकते है। ओर अनेकों कार्य कर सकते है

12)

यदि आप लगातार नकरात्मक शब्दो का प्रयोग कर रहे है तो आपका जीवन भी नकरात्मक स्तिथि की और अग्रसर होता हुआ चला जाएगा जिसकी वजह से आप हमेसा नकारात्मक विचारों को पैदा करेंगे और जीवन की हर परिस्तिथि को नकारात्मक रूप से ही देखेंगे।

13

शब्द वो है जो एक बार आपकी जुबान से निकल गए फिर वापस नही लिए जा सकते शब्द एक तरकस में तीर की तरह है जिसे एक बार छोड़ कर वापस नही लिया जा सकता। अब इनका प्रभाव अवश्य होगा ये खाली नहीं जाएंगे इनका अर्थ रूप में परिवर्तित होना संभव है

14 शब्द क्या है ?

क्या हम शब्दो को सही रूप ,

आकर , तरीके से समझ रहे है ?

क्या इनमें अब भी कोई भेद है या

हम शब्दो से अनजान है

कौन बताए ?

कौन समझाए ?

ये शब्द क्या है कौन है ?

यह शब्द वो शब्द नही जो हम समझ रहे है

शब्द सिर्फ शब्द नही है यह कुछ और ही है

जिनको हम समझ नही पा रहे है

इनके मतलब अलग अलग है

ये होते कुछ है ओर समझ में कुछ आते है

इनका कोई सीधा सीधा मतलब समझ नही पाता है

बस इन शब्दो में हर कोई गुम हो जाता है

इनके आने का नही पता

इनके जाने का नही पता हमे

हमे बस यह शब्द है जो कभी

खुद को ही कर लेते निशब्द है

यह खुद को बयान भी करना जानते है

ओर खुद मौन भी अच्छे से कर लेते है,

15)

यह शब्द है बुद्धि की पकड़ में भी नही आते है इधर उधर भागते हुए नजर आते है इन शब्दो पर लगाम किसी की लग नही पाती है यह शब्द किसी की कैद में रह नही पाते यह शब्द तो आज़ाद से है लगते जो कहना चाहते है वो कह चले जाते , ना जाने कौनसे मतलब , मायने यह जीवन को हमें सीखा जाते है यह शब्द है शब्द विज्ञान , शब्द ज्ञान , अति उत्तम , शब्द धन बखान कर शब्द चले जाते

कभी तो यह शब्द प्यार जताते तो कभी कोहराम मचाते

ना जाने ये शब्द किस और से आते और कहाँ चले जाते है।

अनेकों अर्थ , भावनाए , एहसास यह शब्द अपने भीतर है समाते यह शब्द है

16)

शब्द ही है जो मन को भी इधर उधर चक्कर है लगवाते क्या मन शब्द को पकड़ पाता है या जैसा शब्द है चाहता वैसा मन हो जाता। शब्दो की प्रकृति को कोई नही जान पाता कभी यह शब्द त्रिगुणा तीत तो कभी त्रिगुन से पार हो जाता इन शब्दो का पार लेकिन कोई नहीं पा पाता

17)

मन से ऊपर  बुद्धि है लेकिन जब शब्द की बात हम करते है तो शब्द ही सबसे ऊपर है क्योंकि मन को चंचल , चल, अचल , स्थिर ,  विचलित भी करते शब्द है शब्द को ठहराव भाव में लाते भी शब्द है

18)

मैं आपको कुछ  शब्दो की बात बताता हूं इनकी बाते सुनो इनको जानो तुम जरा पहचानो इनको यह शब्द कौन है ? इनका जरा मेल मिलाप तो देखो यह मानव तन में आते है फिर यह क्या क्या करतब दिखाते है जरा देखो

जानो- पहचानो

19)

शब्दों का साइज तो देखो कभी मोटे है

तो पतले लंबे छोटे नाटे गिट्टे भी है ,

गूंगे, बहरे , अंधे, काने, लूले, लंगड़े भी है

ये शब्द

इनका कुछ पता नही बड़े शातिर है

तो बड़े सीधे भी है ये शब्द

कभी भोले बन जाए तो कभी गुस्से से लाल नजर ये शब्द

20)

कभी आये कभी जाए

इस और से आये तो उस और जाए

यही रह जाए तो पता ये भी नही कहाँ चला जाए, कुछ भी समझ ना आये ये भाग दौड़ा चला जाए

कभी हाथ आये तो कभी गायब हो जाए

अजीब अजीब करतब दिखाए

इन शब्दों को कोई समझ ना पाए

ये बताते रोज एक नई कहानी खुद की जुबानी

ये बुनते है कहानी किसीको नही पता ये कैसे बुन लेते है ये नई नई कहानी

21)

कौन है ये शब्द ?

क्या ये कहलाते है ?

भगवत गीता में शब्द को श्री कृष्ण बताते है

शब्द आकाश का विकार है और स्पष्ट करते है की किस प्रकार से शब्द ही पूरे ब्रह्मांड का निर्माण करते है किस प्रकार से शब्द ही सबमे व्याप्त है। यह सम्पूर्ण जगत शबदमय है , विस्तृत भी इन शब्दों के कारण ही हो रहा है

शब्द ही परम अक्षर

शब्द ही ब्रह्म कहलाते है

यही मानव रूप में इस

पृथ्वी पर अवतरित होकर आते है

22)

शब्द एक तो मतलब अनेक है

शब्दों के रूप अनेक है

23)

शब्दो जैसी अनोखी चीज़ इस पूरे ब्रह्मांड में नही शब्दो से महत्वपूर्ण तो इस पूरे ब्रह्मांड में कोई दूसरा कुछ भी नही है।

शब्द ही मंत्र है तो शब्द परम अक्षर है शब्द ही आत्मा तो शब्द ही परमात्मा है। शब्द ही हर ओर व्याप्त है शब्द ही निर्मित करते है तो शब्द ही विनाश भी

24)

शब्द हस्ते है तो शब्द रोते भी है

ये ठहाके मार मार हँसते है

तो कभी बहुत वेदना के साथ रोते है

25)

इनकी भी अजीब है कहानी

हर पल में हो जाती है  इनकी बाते बेईमानी

26)

अपने मुह मिया मिट्ठू भी बन जाते

अपनी प्रशंसा सुन खुश हो जाते है यह शब्द

27

शब्द बच्चे भी है

तो जवान भी है ये

बूढ़े भी है इनमें अब

जान भी कुछ नही है

28

यह  शब्द बड़े अनजाने है

कभी कभी बहुत जाने

पहचाने भी हो जाते है

शब्द है तो सबसे मतलब भी रखते है

तो कभी बेमानी बाते ये करते है

29

यह शब्द बड़े मतवाले भी बहुत है

इनकी चाल निराली हर बात निराली है।

30

यह शब्द बड़े निराले , अनोखे

इनमें निरालापन भी बहुत है

और इनका अनोखापन गजब है

इन शब्दों का मुस्कुराना देखो और

31

इनका इतराना देखो

शब्द निराश भी बैठे है हतास भी है

32

उदास भी बैठे कभी कभी ये लाजवाब भी बैठे है।

शब्द गुस्सा भी बहुत करते है और शांत भी हो जाते है

33

शब्दों के चेहरे भी अलग अलग है

इनकी बाते भी अलग है।

शब्दों का मटकना देखो

शब्दों का नाच भी देखो यह नाचते बहुत है

34

इनके करतब अजीब है

कभी कभी ये शब्द बहुत बत्तमीज है।

कभी कभी सीखा देते है

ये सलीका और तमीज़ है

35

शब्द अपने ही शब्दों में करते कहानी बयान है

शब्द की अपनी कहानी और अपने निशान है

36

न इनकी कोई जुबान है और

ना इन पर कोई लगाम है।

अपनी मर्जी के मालिक है

यह शब्द ही कहलाते भगवान है।

37

अगर लगाना चाहो इन शब्दो पर लगाम

तो ये क्रोधित  हो जाते है

यह कभी किसी के काबू में भी नही आते

ना जाने क्या क्या है कर जाते

38

यह शब्द कभी कभी मौन भी हो जाते है

तो कभी कभी ये रोते, चीखते और चिल्लाते है

39

शब्द तो कभी चुप भी इनमे मौन रहने की क्षमता भी है।

तो कभी इनमें कोई क्षमता नही नजर आती है

40

शब्द सर्वशक्तिमान भी और अपने आपमें असहाय भी है

शब्द परिश्रम करता ही दूसरे शब्द के लिए है

41

स्वयं शब्द तो खुद को भूल ही गया है

शब्द ही शब्द का सहारा है

वरना शब्द बेचारा बेसहारा है

42

शब्दों की भीड़ बहुत है,

शब्द अकेले भी रह जाते है।

यह शब्द बेचारे अकेलेपन से है घबराते

43

शब्द शोर बहुत मचाते है

भीड़ तंत्र के राजा ये शब्द ही कहलाते है

शब्द शांत भी हो जाते है।

44

शब्द ही शब्द का सहारा है

बिना एक शब्द के दूसरा शब्द बेसहारा है

45

इनका होश तो देखो इनका जोश तो देखो

कभी कभी ये कितनी बड़ी बड़ी बातें कर जाते

मतलब जिन का सिर्फ यह सीखा पाते है

46

शब्दों के अनेकानेक खेल

इन शब्दो ने रचना की पूरे ब्रह्माण्ड की

इन ही शब्दों से हुआ जगत का खेल शुरू ये सारा

47 शब्द क्या है ?

कुछ शब्द गुम हो जाते है तो कुछ

महान बन जाते है कुछ प्रसिद्ध हो

जाते है तो कुछ बेचारे गुमनामी के

अंधेरे में कही खो ये शब्द जाते है

ना कोई ठिकाना ना कुछ मुकाम

हासिल कर पाते बेचारे ये

शब्द खुद के बिछाए जाल

में फंस जाते है इनसे ये बाहर

निकल नही पाते है बार बार ये

कोशिश करते हुए नजर आते है

कभी नाकामी पाते है तो कभी

सफलता भी हासिल कर जाते है

कुछ नाकाम रह जाते है तो

कुछ शब्द बन जाते है तो कुछ

शब्द बिगड़ जाते है

कुछ अलग राह पकड़

आगे निकल जाते है

तो कुछ भेड़ चाल की तरह

चलते हुए ही नजर आते है

कुछ नया नही बस वही पुराना सभी

शब्द करते नजर आते है

इनमें करने की चाह बहुत है

कुछ कर जाते है

कुछ चाल जाते है

तो

कुछ ठहर जाते है

49

शब्द

शब्द ही सुंदर, अतिसुन्दर है

शब्द बदसूरत भी दिखते है

50 शब्द क्या है ?

शब्दो की चाल बड़ी निराली है

इनकी दुनिया भी बड़ी निराली है।

शब्द समझते खुदको बलवान है

लेकिन भरी हुई इनमे बहुत थकान है

जन्म जन्म से बह रहे है ये शब्द है

जो अपनी गाथा कह रहे है

शब्द सिर्फ शब्दो के द्वारा बह रहे है

शब्दों का ना कुछ अता है ना पता

ये किधर से आ रहे है और जा रहे है

बस बन रही है इनकी अपनी गाथा है

यह शब्द अब तक अपनी विजयगाथा चला रहे

51

शब्द शोर मचाते तो

शब्द चिल्लाते भी बहुत है

इनकी हंसी भी गजब है

इनका रुदन भी देखो ये रोते है

चिल्लाते झटपटाते   हैै

शब्द उछलते है,कूदते है,नाचते है, झूमते है , घूमते है

52

शब्द अकड़ कर चलते है , कभी सुरा झुका मिलते

धम्ब साहस स्वयम में यह शब्द भरते है

53 शब्द क्या है ?

शब्द खुद से भी बाते करते है

शब्द अपनी जीत का जश्न भी मनाते है

शब्दो मे हलचल है, शोरगुल है

लड़कपन है शब्द शर्माते भी है

और इतराते भी है

54 शब्द क्या है ?

शब्दों की शब्दों से क्या बात कहे ?

शब्दों को मालुम नहीं वो खड़े कहाँ है

शब्द तो भूल जाते है की हम कौन है?

स्वयम को भूल जाने की इनकी प्रवृति है

यह कभी दुसरो के संग मिल जाते है

तो खुद को भूल जाते है

55 शब्द क्या है ?

शब्द खाली है तो भरे भी है

शब्द चलते है भागते, दौड़ते है

तो रुक भी जाते है

थक हार भी जाते है

कभी

हिम्मत जुटाते है तो

कभी दम तोड़ते हुए भी

ये शब्द नजर आते है

हाथ पाँव हो या नही पूरे हो

या नही फिर भी जिंदगी के

साथ जीते हुए नजर आते है

अपना समपर्ण देते  है किसी

दूसरे शब्द का सहारा बन जाते है

तो कभी सिर्फ अपना मतलब

सीधा करते हुए ही ये

शब्द नजर आते है तो कभी

जिसको जरूरत है उसका

सहारा बन ये शब्द जाते है

शब्द को शब्द मिल जाए तो

शब्द के मायने बदल जाते है

56

शब्द अपना खुद प्रचार प्रसार करे

शब्दों की कहानियां भी बहुत है

57

शब्द अंगड़ाई भी तोड़े और सोते भी बहुत है इनको जगाने की कोशिश करो तो ये देर लगाते भी बहुत है

58

शब्द अपनी मर्जी से आते है अपनी मर्जी से जाते है इनका कोई ठिकाना नही है बस जुबान से निकल ये जाते जैसा मतलब बनाओ ये शब्द खुद बना जाते है तोड़ मरोड़ शब्दों को बनाओ या जोड़ जोड़ कर देखो जैसा मर्जी इन्हें बनालो ये खूब काम आते है कुछ भी कैसा भी ये शब्द बन जाते है

आड़े टेढ़े तिरछे शब्द भी देखें बहुत है जाते यह शब्द बहुत काम भी आते है इनको कही भी लगादो शब्दो के अपने मतलब और मायने बदल जाते है

59

आज फिर यह शब्द कही भाग रहे है

इनकी दौड़ समझ नही आ रही है ये जाना कहाँ चाहते इनका तो सफर ही खत्म नही होता हुआ दिखता बस यह चलते हुए जा रहे है, कहां रुकेंगे ? और कब तक चलेंगे ? क्या है इनका ठोर ठिकाना यह कैसे है पता लगाना?

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शब्द कितना भी उचा उड़ जाए लेकिन आना उन्हें जमीन पर ही है,

जब तक वो निशब्द ना हो वो इस आकाश से बाहर ना हो पाए।

61

इन शब्दो पर जोर नही है चलता यह कुछ भी और कभी भी जो मन चाहता वो है कह ये शब्द जाते अब इन शब्दो को कौन समझाए इनसे ऊपर कैसे जाए और कौन जाए ?

यह तो हर दम अपनी मर्जी चलाये , मन , मस्तिष्क के भीतर यह शब्द घर कर जाए फिर देखो यह कैसे उत्पात मचाये

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मन पूरा क्रोध से भर देते है, तन मन में आग लगा देते है।

यह शब्द रोम रोम राम से रावण हो जाते है

ये शब्द फिर किसी की सुन नही पाते है।

63 शब्द क्या है ?

सारे गुण अवगुण इन शब्दो में समाए

इनसे कौन भीड़  लड़ पाए, ये

शब्द सबको पीछे छोड़ आगे निकल

जाए त्रिलोक विजय भी ये शब्द पाए

परमेश्वर भी इनका सहारा ले धरती पर आये है

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आज मैं भी शब्दों से बाते करता हूं जो आते है मेरे विचार में उनको पन्नो पर उतार देता हु फिर उनको पूरा करता हूं जो भी जैसा भी कोई एक विचार मेरे मन को छू जाता है वो लिख डालता हूं इन्ह पन्नो पर ताकि कभी न कभी तो उसका अर्थ मैं ढूंढ पाऊंगा और उन सभी शब्दों को पूरा कर मैं लिख पाऊंगा

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शब्द क्या है ? ऐसे शब्द जो इस ब्रह्मांड मैं कही ना कही विचर रहे है परंतु अभी तक हमसे उनका टकराव नही हो पाया है और जिन शब्दो का किसी से टकराव हो पाया है वो मोक्ष को प्राप्त हो गए है जिन्होंने शब्द रहस्य को जान लिया है वो पूरी तरह मोक्ष को प्राप्त हो चुके है

आइए जानते है शब्दों के बारे में

हमारे मुख से निकले शब्द इस बृह्मांड में चर और विचर  करते है यह शब्दों की प्रकर्ति पर निर्भर करता है , शब्द किस प्रकार का है ?

शब्द की मूल पृकृति क्या है ? कैसे बना है और क्यों तथा किन कारणों से यह भी जानना अतिआवश्यक है क्योंकि यदि यही नही जान पाए तो उस शब्द का मूल कारण समझ नही पाए और वो शब्द इस ब्रह्मांड में चर विचार करता रहेगा जब तक उसे अपना अन्तोगत्वा स्थान ना प्राप्त हो जाए

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किसी भी रोग का उपचार शब्द

अथवा जिन्हें मन्त्र कहा है

उनके द्वारा करना सम्भव है तथा अनेकानेक रोगों को भी सिर्फ बोलने वाले मंत्र से उपचार किया जा सकता है इसके लिए हमें इन पर रिसर्च करनी होगी जो हमने पिछले कई शताब्दियों से नहीं की है हमारे वेद पुराणों में बहुत कुछ लिखा हुआ है परन्तु हमने उन्हें भी कभी समझने कि कोशिश नहीं की है

लेकिन कभी तो  हमे समझना होगा और बहुत सारी ऐसी किर्यायाओ से होकर गुजरना होगा जैसा की हमारे ग्रंथो में दिया है या फिर आज कल के युग में कई विधानों ने कह दिया है आपके शब्द ब्रह्माण्ड को प्रभावित करते है जैसा आप सोचते,  विचरते है उसी प्रकार की प्रकृति बन जाती है और प्रकृति पर आवरण भी उसी प्रकार से आवरण चड़ता है ,  मन के भावों से तथा आपके जीवन में आप जो कुछ भी कार्य कर रहे उनके द्वारा सारा जीवन बदल सकता है लेकिन हम शारीरिक रूप से जितने सक्षम है उतना ही कार्य कर सकते है और जो होना चाहते है वहीं हो सकते है

मशीनों का प्रयोग करके हम आने वाले कुछ सालों में बहुत सारी ऐसी रचनाएं करे जो हम आज के युग में सोच नही पा रहे हो परंतु यह सभी बाते संभव है क्योंकि संभावना आपके विचारो पर ही निर्भर करती है

बाहरी दुनिया बहुत सारी ध्वनियां छोड़ रही है परंतु ये ध्वनियां किसी भी काम की नही लग रही सब की सब बेमतलब है जिनका औचित्य नही प्रतीत हो रहा है इस समय इन सभी ध्वनियों को कभी ना कभी अर्थ मिलेंगे परंतु वो किस और जाएंगे ये समय पर निर्भर करता जहाँ तक मेरा अंदेशा है ये विनाश की और अग्रसर हो रहा है इसलिए इन्ह ध्वनियों को सुनने का कोई फायदा नही है मुझे अपने भीतर की दुनिया को ही सचेत रखना है जो ध्वनियां मेरे भीतर बज गुंज रही है मुझे उन्हें ही मूल रूप से सुन्ना है

और समझना है

बाहरी दुनिया में बेबुनियादी विचारो की एक अलग दुनिया बन चुकी है जिनमे आप खुद को भी भूल जाते है और इस चक्रव्यूह में फंस जाते है जिससे निकलना मुश्किल सा प्रतीत होता है अनगिनत विचार आप के मस्तिष्क में चलते है जिनका कोई आधार नही है और वो आपको सिर्फ बाहरी दुनिया के चक्कर लगवाते है और कुछ भी नही इनका निष्कर्ष बिल्कुल अर्थहीन है जो आपकी इच्छाओ को बढ़ावा दे रहे है। दिन प्रतिदिन आपने विचारो में ही फंसते हा रहे है

बाहरी वस्तुयों में शोर है, रगड़ना है जिसमे कोई मधुर आवाज मधुर संगीत नही है ये सभी ध्वनियां मिल तो ओम ॐ को रही है परंतु उनका जो उच्चारण स्थान है वो अलग है रगड़ना जिससे इन ध्वनियों को सही दिशा मिल रही है और इनके अर्थ अब अर्थहीन दुनिया की अग्रसर है,

अगर हम ब्रह्मांड के साथ एक ही साउंड में खुद को मिलाने की कोशिश करे तो शायद हमारा जोड़ आकाश से हो जाए पूरी धरती पर जितने प्राणी है उन साभी को ये एक साथ करना होगा और

कुछ शब्द आते है समूह बनाते है और वार्तालाप करते है कुछ शब्द एक प्रधान शब्द के पास आते है और बाते करते है किसी एक मत पर अपनी सहमति देने के लिए नजदीक आते है और देते है उनका प्रधान एक मत छोड़ता है और सभी शब्द उस पर अपना मत देते है सहमति हाँ में होती है

निष्कर्ष परिणाम हा निकल गया है यहाँ पर

है हम सहमत है सभी सहमत होते है एयर चले जाए है

शब्द एक विवेकशील प्राणी है परंतु प्रकाश (लाइट) नही

शब्द तरंगे उन्हें और समझ सकती है परंतु लाइट सिर्फ गतिमान है एक सीधी रेखा में अग्रसर है जिसका अपना कोई भी मत नही है

तरंगे , ध्वनियां , शब्द , कम्पन ये आपस में विचारक तत्व है इनमें समझ है ये निर्णायक है स्वयम निर्णय भी ले सकती है क्या सही है ? क्या गलत है ? परन्तु लाइट में नही होती यह क्षमताये, लाइट सिर्फ चलती है जहां प्रकाश हा सकता है सिर्फ वहीं तक किरणे जाती है

तो एक सीधी रेखा में जिसका अपना कोई अस्तित्व नही होता सिर्फ प्रकाश की गति में गतिमान है

शब्द क्या है ? लोग क्या सोचते है शब्दों के बारे में ओर मैं क्या सोचता हु शब्दों के बारे में इसमे फरक है शब्द ही मेरे लिए एक अलग दुनिया बनाते है ओर लोगों के लिए शब्द कोई मैंने नहीं रखते लेकिन इन शब्दों से ही जीवन का हर एक क्षण घातुत हो रहा है इन शब्दों के बिना तो जीवन चलना ही असंभव है शब्द इस ब्रह्मांड की ऊर्जा है शब्दों में राग दवसह जो पैदा हो रहा है वह सब आकाश के कारण ही हो रहा है शब्द जीवन रस को नए रंग में स्वाद में बदल देता है शब्द ही है जो आपको स्वाद देता है इस जीवन वर्ण तो यह बेरस हो जाए नीरस हो जाए शब्द न हो तो क्या ये जीवन कल्पना मात्र भी होगा क्या ? शब्द को लोग क्या समझते है ?

उनके लिए शब्द गॅलिया है

शब्दों की अलग भाषा है शब्द से बस उनका अर्थ है लेकिन शब्द उनके सबकुछ नहीं है लेकिन इस ब्रह्मांड का स्रोत ही शब्द है , गंध , रस , रूप, आकार यह ब्रह्मांड की पूरी रचना में बहुत यहां तत्व है

यदि आप अपनी जुबान से कुछ नहीं बोल इसका अर्थ यह नहीं है की आप चुप है भीतर तो आप लगातार अपने आप से बात कर ही रहे है जिसका पप्रभाव बाहर दिख रहा है

आप चुप सिर्फ जुबान से लेकिन मन से अनही मन तो लगातार चल ही रहा है जिससे बहुत घटनाए पैदा हो रही है किसी का फोन नहीं आया , क्या कहूँगा , खाऊँगा, कैसे जाऊंगा , रहूँगा आदि इत्यादि चीजों में उलझे रहते है जिनके कारण मन की अवस्था बदलती है

समय की बर्बादी

समय की बर्बादी

आप जितना चाहो उतना समय बर्बाद कर सकते हो यह जीवन आपको मिला है पूरा जीवन आप व्यर्थ के कामों में लगा सकते हो, इस जीवन में आपके पास समय की कोई कमी नहीं है जितना आप समय बर्बाद करेंगे उतना ही सफलता से दूर हो जाओगे उतना ही दूर अपने कार्यों से हो जाओगे, उतना ही दूर आप अपने जीवन के मूल्यों से हो जाओगे, यह एक जीवन आपको समय का उपयोग करने के लिए मिला है इसे सही दिशा में लगाए।

समय लगातार बर्बाद , व्यर्थ करने के लिए हमारे पास बहुत समय है इसको कितना भी चाहो तुम बर्बाद कर सकते हो लेकिन यदि इसे सही दिशा ओर कार्यों में लगाया गया तो यह समय आपको उन उचाइयों पर पहुच देगा जहां तक की आपने शायद अभी कल्पना भी नहीं की हो कभी।

समय का सदुपयोग कैसे किया जाए ?

समय की हानी को रोक जाए हमारा समय लीक हो रहा है इसको रोक जाए यह कहाँ से लीक हो रहा है अपने समय को देखे यह किस ओर जा रहा है। उस जगह से हटाकर इस समय को उचित जगह ले जाया जाए,

इस जगह यह प्रश्न उठता है की लीक या लीकेज क्या है? जिस तरह से कभी कोई पानी का नल खराब हो जाता है तो उस नल में से एक एक बंद पानी बाहर निकाल पूरी टंकी खाली हो जाती है, उसी तरह आप थोड़ा थोड़ा समय जो बर्बाद कर रहे है वह आपके जीवन को खराब कर रहा है इसिको लीकेज कहते है, इसे रोका जाना चाहिए ताकि आपका जीवन एक बेहतर दिशा की अग्रसर हो ओर आप जीवन को बेहतर बना पाए , इसमे समय लगता है परंतु धीरे धीरे हम अपने समय की हानी को रोक सकते है।

क्या आप ज्यादा समय टीवी, मोबाईल, व्यर्थ की बातों में बिताते हो ? यदि हाँ तो आज से अपने समय की हानी को रोकिए ओर उस समय को खिचकर एक जगह पर एकत्रित कीजिए ताकि वह समय आपको एक बेहतर इंसान बनाए जिस कार्य को आप करना चाहते है उस कार्य को अपनी क्षमताओ के सात कर सको।

एक बड़े स्तर पर अपने समय को देखा जाए की वह कहाँ से खराब हो रहा है समय को लीक होने से रोके समय उस गड्ढे में गिर रहा है जहां से वो वापस नहीं सकता इसलिए उसको गिरने से बचाए व रोके ताकि समय का बहाव आपके साथ ही रहे आप उसके सामने खड़े रहे समय आपको धकेलने की कोशिश करेगा परंतु आपको वही अडिग रहना है उसको अपने ढंग से प्रवाहित करना है।

(पानी के साथ एक चित्र जिसमे एक व्यक्ति पानी के सामने खड़ा है ओर उस लड़के के पीछे एक गड्ढा बना हुआ जिसमे पानी जा रहा है वह लड़का उस पानी को गिरने से रोकता है चित्र बनाना है यहाँ पर)

ताकि हम समय को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सके हमारे समय की हानी हो रही है इसको कैसे बचाए हमे यही जानना है।

समय को देखो वह किधर जा रहा है , इसको उस जगह से हटा कर जरूरी के कार्यों में लगाना शुरू करे।

हम बहुत बाते करते है, कभी कभी तो ज्ञान देने में इतने मशगूल हो जाते है की समय का पता नहीं चलता की वो समय कहाँ गया ओर वह समय खतम होता जाता है इसलिए समय को व्यर्थ नहीं करे।

हम बिना मतलब के कार्यों में उलझे हुए है, उन कार्यों से हाथ जोड़ ले ओर जरूरी के कार्यों में लगे।

टीवी, समाचार, फालतू की बकवास यह सब हम बहुत ही ज्यादा करते है, यदि आपको टीवी देखना है कुछ सीखने के लिए टीवी देखे जितना ज्यादा आप सीखेंगे उतना ही बेहतर हो पाएंगे , उतने बेहतर तरीके से आप अपना कार्य करेंगे।

क्या आप अपने काम को मन से नहीं करते, मन लगाकर नहीं करते या आपका काम में मन नहीं लगता इनमे से कोई भी एक कारण हो सकता है, जिसकार्य को करने में आपका मन लगता है वह कार्य करे इससे आप समय को नष्ट कम करेंगे।

सफल कैसे हो

सफल कैसे हो ? तुम्हें क्या लगता है ? की तुम थोड़ा बहुत कुछ करके सफल हो जाओगे कुछ 2-4 शॉर्टकट से बहुत अमीर ओर सफल व्यक्ति बन सकते हो? यदि तुम ऐसा सोचते हो तो इसका जवाब है। नहीं बिल्कुल नहीं इस तरह कभी भी सफल नहीं हो सकते, तुम्हें कड़ी मेहनत ओर बहुत दिमाग का प्रयोग करना होगा हर समय तुम्हें अपने Idea को एक नया रूप देना होगा ओर जब वो Idea फैल हो।

तुम्हें फिर से उतनी या उससे भी कई गुना मेहनत कर फिर उठना ओर आगे बढ़ना होगा, यू ही सफलता हाथ नहीं लगती, यू लकिरे इन हाथों में नहीं बनती, यू ही तुम इन लकीरों के राजा नहीं बन जाते कड़ी मेहनत ओर बुलंद हौसले ही तुम्हें सफल व्यक्ति बनाते है।

सफलता प्राप्त करना एक निरंतर प्रक्रिया है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करने वाले व्यक्तियों को संबोधित करती है। यह एक अविरत प्रक्रिया होती है जो समय, संयम, धैर्य, संघर्ष और सही दिशा में निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

यहां कुछ संभव तरीके हैं जो आपको सफलता तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं: सफल कैसे हो

  1. लक्ष्य तय करें: सफलता के लिए अपने लक्ष्य को स्पष्ट करें और उसके लिए एक रणनीति तैयार करें।
  2. प्रयास करें: सफलता के लिए निरंतर प्रयास करें। इसके लिए समय, संयम, धैर्य और तत्परता की आवश्यकता होती है।
  3. सकारात्मक सोच विकसित करें: सकारात्मक सोच वाले लोग संघर्षों से बाहर निकलने के लिए तैयार होते हैं और एक सकारात्मक मानसिक स्थिति उन्हें सफलता के दरवाजे तक पहुंचने में मदद करती है।
  4. अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करें: अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए निरंतर अध्ययन करें और नए और विशिष्ट तकनीकों का उपयोग करें।
  5. अपने संबंधों को संवारें: संबंधों को संवारना भी सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। अपने संबंधों को संवारें और उन्हें अपने लक्ष्यों के समर्थन में जोड़ें।

इन सभी तरीकों का उपयोग करके आप सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। लेकिन सफलता का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए भिन्न हो सकता है। इसलिए, आपको अपनी वास्तविक आकांक्षाओं और लक्ष्यों को स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी। यदि आप अपने लक्ष्यों के लिए उठाए गए कठिनाईयों से परे रहेंगे और अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रखेंगे तो सफलता आपके कदमों में बेहद निकट होगी।

सब्र रख

सब्र रख सब ठीक होगा आज नहीं तो कल होगा , हमारा सब्र हमारा इम्तिहान लेता है सब्र का बांध टूट जाता है, ओर हम बेसब्री में कुछ का कुछ कर जाते है जिसकी वजह से हम अपने रास्ते भटक जाते है, हम अपनी मंजिल से ही कही दूर हो जाते है जिसका हमे पता नहीं चलता उस समय हमारे दिमाग में सिर्फ वही चल रहा होता है की कब होगा , कैसे होगा लेकिन सवाल इतना बड़ा हो जाता है की सब्र का बांध टूट जाता है इस सब्र को पकड़ कर रखना बहुत जरूरी है वरना यह सब्र, धैर्य टूट गए तो हम इसके विपरीत दिशा में बहने लग जाते है इसलिए यह टूटना नहीं चाहिए।

जीवन में, हमें कई बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम थक जाते हैं और उम्मीद खो देते हैं। इन समयों में, सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सब्र से काम लेने से हम भविष्य में सफलता हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी धैर्य बनाए रख सकते हैं।

हालांकि, सब्र का मतलब यह नहीं है कि हमें कुछ नहीं करना चाहिए। सब्र से काम लेने के साथ हमें अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए निरंतर काम करना चाहिए। इसके अलावा, हमें अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने की भी आवश्यकता होती है।

इसलिए, सफलता हासिल करने के लिए सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए सब्र से काम लेने की जरूरत होती है, और अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के साथ निरंतर काम करना होगा, ताकि हमारे जीवन में से सभी कठिनाई खत्म हो जाए।

शब्द हूं मैं

शब्द कौनसा ओर कैसा हूँ मैं ?

शब्द क्यू लगाते हो पीछे अपने नाम के ये कैसा शब्द है? इस शब्द की कोई जाती नहीं है , तो ये कौनसा शब्द है ओर कैसा ? मुझसे बहुत सारे लोगो ने ये सवाल पूछा है कि आपने अपने नाम के पीछे यह शब्द कैसे और क्यों रखा है? यह कोई जाती तो नहीं है, यदि हो तो हमने कभी सुनी नहीं है।

मेरा जवाब भी यही होता है की जी हाँ यह कोई जाती नहीं है बस यह मैंने यह शब्द स्वयं ही लगाया है, क्युकी शब्द से मैंने बहुत पाया है इस शब्द के कारण ही मुझे बहुत समझ आया है, जगत के जीतने प्रश्न मेरे मन में आए उनको हाल कर पाया हूँ मेरी जिंदगी की उलझने भी इन शब्दों के कारण ही खत्म कर मैं पाया हूँ, इसलिए शब्द मेरे नाम संग मैं शब्द लगाया हूँ।

ओर हर सवाल का जवाब का ये शब्द ही क्यू है? क्या है? ये शब्द जिसे आप इतना महतव देते है जिसे आप आत्मा भी कहते है। ऐसा क्यू है ?

तो आज उसका जवाब भी दे देता हूं, कौन हूं मैं? का अर्थ जो अब तक समझ और खोज पाया हूं,
वो शब्द है जो अब तक मैं कहलाया हूं।

इसके आगे की खोज जारी है लेकिन उत्तर अभी तक सभी प्रश्नों पर ये शब्द उत्तर सभी प्रश्नों पर भारी है, सभी पर्श्नो का हल मुझे मिला, सभी सोच इसपर आकर पूरी हुई  निराकार यही आकर पूर्ण हुआ।

संपूर्ण भागवत, वेद पुराणों का ज्ञान शब्द में आकर समाया जगत शब्दम्य ओम उच्चारण से गूंज उठाया, शब्द से ही इस जगत का विस्तार हो रहा है, शब्द से जगत ही शब्दमय होता जा रहा है शब्द से ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड चलायमान है, शब्द हम सभी में विध्यमान है ये नजर आया है

हमारी यदि कोई इच्छा-अनिच्छा है तो भी वह शब्दों के कारण ही पूर्ण होती है, शब्द के कारण कोई भी वस्तु अकारण नहीं है सभी जीव और वस्तुए कारणों के कारण में बंधी हुई है।

कोई भी किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछो उसका जवाब शब्द है, प्रकाश की गति से भी तीव्र शब्द है, क्युकी शब्द एक दूसरे से जुड़े हुए है शब्द का दूसरा रूप जिसे हम विचार या ॐ रश्मि भी कह सकते है, उन्हे तरंगित किरने जो हमारे भीतेर से निकल रही है।

शब्दो को पढ़ता हूं,
शब्दो को सुनता हूं,
खुद की पहचान भी शब्दो से करता हूँ मैं

शब्द हूँ मैं