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एक जवाब दु

जिंदगी को एक जवाब दु ??
चलो छोड़ो उसे मै क्यों ना एक ख्वाब की तरह छोड़ दू।

जिंदगी को एक जवाब दूंगा,
मैं उसे ख्वाब की तरह छोड़ दूंगा।
जहां खुशियों की बहार होगी,
और गमों का कोई असर न होगा।

चलो छोड़ो उसे, जो दर्द दे रही है,
एक नई पलकों में नया सवेरा छोड़ दूंगा।
ख्वाबों की उड़ान भरी होगी,
मन को रंगीन और स्वप्नों को मैं फिर से पूरा छोड़ दूंगा।

जिंदगी का सफर है ये, जाने अनजाने,
मैं उसे एक आगामी संगीन रचा दूंगा।
हर एक अध्याय में नयी कहानी छोड़ जाऊंगा,
दिल के हर रास्ते पर खुशियों का ठिकाना छोड़ दूंगा।

जिंदगी को एक जवाब दूंगा,
ख्वाबों की उड़ान में उसे छोड़ दूंगा।
आगे की राह पर नए रंग बिखेरूंगा,
और जीवन के साथी खुशियों का त्योहार मनाऊंगा।

एक जवाब दु
एक जवाब दु

शब्दों का संसार

मुझे खुद नहीं पता की मैं क्या लिख रहा हूँ? लगता है शायद मैं तो इन शब्दों से बात कर रहा हूँ, मैं कैसे समझाऊ? कैसे बताऊ? कोई विश्वास नहीं करता मेरी बातों पर की यह शब्दों का संसार है, शब्द से बना एक परिवार है।

शब्दों का संसार
शब्द संवाद

यह कलियुग शब्द संवाद का समय है, जहां सिर्फ शब्दों की मैं मैं है यहाँ कोई निशब्द अर्थात मौन नहीं होना चाहता हर समय कुछ ना कुछ वार्तालाप चाहता है, हर कोई बाहर जाना चाहता है एकांत में रहना किसी अच्छा नहीं लगता, कोई एकांत वासें नहीं होना चाहता उन्हे दिवारे काटने को दौड़ती है शरीर झटपटाता है किसी से मिलने के, किसी से बात करने के लिए, किसी को स्पर्श करने के लिए कुछ समय साथ बिताने के लिए, इस संसार में बिना बोले कैसे रह पाए जब तक किसी से कुछ पल ना हो हृदय असांत सा ही रहता है।

शब्द संवाद
शब्द संवाद

शब्दों को जुबान चाहिए और वो सिर्फ तुम ही हो, शब्दों के पास शरीर नहीं है उन्होंने तुम्हें ही शरीर रूप में चुना है, सारे क्रिया, कार्य शब्द द्वारा ही होते है बस शरीर एक साधन ही है।

शब्द की जुबान

शब्द वो है जो एक बार आपकी जुबान से निकल गए फिर वापस नहीं लिए जा सकते एक तरकस में तीर की तरह है यह शब्द जिन्हे एक बार छोड़ कर वापस नहीं लिया जा सकता।

तरकस में तीर

घटना घट रही

आज जुबान पर कुछ शब्द आना चाह रहे है,
जैसे
शब्द अपनी आप बीती सुनाना चाह रहे है, उन शब्दों को बाहर आने दो कुछ तुमसे कह जाने दो, उन शब्दों को भी तुम्हें अपना बना जाने दो, यह घटना घट रही इसे घट जाने दो।

कही से आज फिर शुरुआत होना चाहती है
मानो
आज फिर जिंदगी से बात होना चाहती है।

यु ना तुम रूठ जाओ जिंदगी मनाना चाह रही है,
बात अब
मान जाओ मौन होकर ना बैठो यह जिंदगी आज कुछ तुमसे 
कहना चाह रही है।

बात कुछ है तभी तो जिंदगी तुमसे आज बतियाना 
चाह रही है, दो शब्द बाते आज होना चाह रही, यह घटना घट रही रही है घाट जाने दो, जो होना है उसे हो ही जाने दो

जिंदगी से कुछ बात

जिंदगी की जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है, आज जुबान पर कुछ शब्द आना चाह रहे है
जैसे
शब्द अपनी आप बीती सुनाना चाह रहे है।

कही से आज फिर शुरुआत होना चाहती है
मानो
आज फिर जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है।

यु ना तुम रूठ जाओ जिंदगी मनाना चाह रही है
बात अब
मान जाओ मौन होकर ना बैठो यह कुछ तुमसे 
कहना चाह रही है।

बात कुछ है तभी तो जिंदगी तुमसे आज बतियाना 
चाह रही है।

जरा पास बैठो जिंदगी यह तुमसे आज कुछ कहना चाह रही है

बुरी स्थिति में संभले

बुरी स्थिति में संभले वही श्रेष्ठ…
समय अनुसार निर्णय क्षमता सर्वश्रेष्ठ ।

बुरे समय मे जो साथ दे वही परम मित्र….
बाक़ी दिख जाता किसका केसा चरित्र ।

किसी के बुरे समय पे ज़रूर दे साथ …
ओर कुछ नही ये ही सच्चा परमार्थ ॥

आवश्यकता किसी को कभी भी पड सकती…
दिख जाती मुसीबत में किसकी केसी हस्ती ॥

जब जीवन की लहरें बदल देती हैं दिशा,
और आगे के मोड़ पर लगता हो अँधेरा।

तब उठती है वही आत्मविश्वास की ध्वजा,
जिसका साथ देता है शक्ति और आशा।

बुराइयों से संघर्ष करते वही व्यक्ति,
मजबूती से खड़ा होता है हर अवस्था में।

उन्नति का मार्ग निर्णय करता है निपुणता,
जीवन के गहराईयों में चमकता है वह व्यक्तित्व का मंडन।

जब तूफानों की आँधी उठाती है धरती,
तो उसका सामना करता है वही निर्णयशील व्यक्ति।

क्योंकि बुरी स्थिति में होता है असली चरित्र का परिक्षण,
समय के साथ दिखता है उसकी सामर्थ्य की पहचान।

तो ना हारे हाथ उठाएं, ना हिम्मत हारें,
जीवन के दुःखों से उभरे वही दीर्घजीवी व्यक्ति।

बुरी स्थिति में संभले वही श्रेष्ठ,
समय अनुसार निर्णय क्षमता सर्वश्रेष्ठ।

मेरे शब्द

मेरे शब्द गुजेंगे
वो शोर मचाएंगे
वो जन जन तक
मेरा संदेश पहुंचाएंगे
लाखो , करोड़ों की भीड़
इकट्ठा कर लाएंगे
एक नया गीत
मेरे शब्द बनाएंगे
जन जन मिल कर
उस गीत को गाएंगे
जन जन में जागृति लाएंगे
हम सब फिर से एक हो जाएंगे
“वासुदेव कुटुंबकम्”
हम कहलाएंगे

मेरे शब्द एक नया गीत बनाते है
शब्द