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शब्द हूँ मैं

शब्द तो बन बैठा हूँ

लेकिन शब्दों को कह नहीं पाता हूँ

बस खुद में ही कही नजर आता हूँ

शब्द हूँ शब्दों से कतराता हूँ

कभी छुपक जाता हूँ ,

कभी दुबक जाता हूँ ,

बाहर नहीं आ पाता  हूँ ,

घबरा कर बैठ भीतर ही जाता हूँ ,

यू मुझमे छिपा दर्द बहुत लेकिन कह कुछ नहीं पाता हूँ

बिना मतलब के चिल्लाता हूँ

हर किसी को बताता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन कुछ बोल नहीं पाता हूँ

भीतर की गहरी बाते जुबा पर ला नहीं पाता हूँ

जब भी बारी आई मेरी बोलने की सहमा सहमा नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन ज़्यादार मौन ही नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

ना जाने ये बात भी कैसे जान पाया हूँ

लेकिन किसी को बता नहीं पाया हूँ

मंजिल मिलेगी

तू अपनी राहों को चुन न पथ से भटक तू आगे बढ़ तू चल ,राह में रुकवटे आती है बहुत ,तू मंजिल को ना छोड़ ,बस अडिग हो बढ़ चल , मंजिल मिलेगी ना मिलेगी , ये क्या पता हमें,
पर जो भी कहते हैं, उस पर विश्वास हमें।
हर मुश्किल में थोड़ी होती है चुनौती,
पर जब दृढ़ता से जीत लेते हैं, तब खुशी से भर जाते हैं हमें।

मंजिल मिलती है या ना नहीं , इससे फर्क पड़ता है,
जो बीत गया उस पर शोक नहीं, नयी उमंगों का है अभिप्राय।
हर नयी चुनौती से अच्छे से लड़ते हैं हम,
जब तक हौसला हमारा बढ़िया, तब तक कुछ भी नहीं हमारा हार।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये क्या मायने रखता है,
जीवन हमें आनंद देता है जब हम प्रगति करते हैं।
हमने नयी उमंगों से हमेशा संघर्ष किया है,
जब मंजिल मिलती है, तब खुशियाँ हमें जागृत करती हैं।

मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये तो भगवान जानते हैं,
पर हमें बस यही जानना है, कि जीवन एक यात्रा है।
हम सभी अपनी मंजिलों की तलाश में हैं,
जब तक जीवन हमारे साथ है, तब तक तो हमें बस अपने सपनों को पूरा करना है।

शब्दों के भीतर ही

शब्दों के भीतर ही हम अटक जाते है ,जब इनका मन करता है तब ही बाहर आते है ,इन शब्दों पर किसी का राज नहीं चलता ,ये तो अपना ही राज चलाते है , शब्द की चाबी, शब्द की डोर किसके हाथ में है ,यह किसीको नहीं पता, शब्द अलग कहानी बयान करते है ओर अपना जीवन स्वयं ही बनाते है  

शब्दों के भीतर ही एक जहाँ होता है,
जिसमें दर्द और सुख का समान होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ अक्षर नजर आते हैं,
वे जीवन के संघर्षों की झलक दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक समंदर होता है,
जिसमें खुशियों की लहरें भी तैरती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे नये सपनों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक आग होती है,
जो उत्साह और जोश से जलती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ उत्साह नजर आते हैं,
वे नए सपनों के आगार में जलते हैं।

शब्दों के भीतर एक ख्वाब होता है,
जिसमें असंभव भी संभव लगता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ ख्वाब नजर आते हैं,
वे नये सपनों की दुनिया बसाते हैं।

शब्दों के भीतर एक महफ़ूज़ होता है,
जहाँ अनजान भी अपना होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ भाव नजर आते हैं,
वे नए संबंधों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अजीब सा दर्द होता है,
जिसमें अक्सर अपनों का दर्द छिपता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ दर्द नजर आते हैं,
वे अपनों के दर्द के एहसास दिलाते हैं।

शब्दों के भीतर एक असीम खामोशी होती है,
जिसमें खुशियों और दर्द का एक साथ अहसास होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ आभास नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों कोसमझाते हैं और उन्हें व्यक्त करते हैं।

शब्दों के भीतर अनगिनत विचार होते हैं,
जो अक्सर स्वयं को ढूँढते हुए खो जाते हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों को सुलझाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत शक्ति होती है,
जो संसार को बदलने की ताकत रखती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ शक्ति नजर आती है,
वे संसार की बदलती तस्वीर दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक अनंत संभावनाओं का समुंदर होता है,
जो नए और अनजान सपनों को जीवंत रखता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ संभावनाएं नजर आती हैं,
वे सपनों की उमंगों को भरते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत वास्तविकता होती है,
जो संसार को समझने की ताकत देती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ वास्तविकता नजर आती है,
वे संसार की सच्चाई को दर्शाते हैं।

शब्दों के भीतर एक ही अनंत दुनिया होती है,
जिसमें अनगिनत संभावनाएं बसती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ एक साथ सब कुछ नजर आता है,
वे जीवन की उमंगों से भरी दुनिया बनाते हैं।

शब्दों का सलीका

शब्दों का सलीका शब्दों को कहने के लिए एक सलीका चाहिए होता है हुजूर जो हममे नही है आया अब तक बस इसलिए दुनिया वाले हमे बतमीज कहते है। लेकिन हम क्या करे हमारे शब्द तो बेबाक निकल जाते है।

शब्दों का सलीका जब सही हो जाए,
तब उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।

शब्दो की दुनिया बहुत रंगीन होती है,
जो जीवन के दुख सुख का अभिव्यक्ति करती है।

कुछ शब्द गहराई तक जा पहुंचते हैं,
तो कुछ बस छोटी सी बातों को दर्शाते हैं।

शब्दों का सलीका शब्दों को कहने के लिए एक सलीका चाहिए होता है
shabd

शब्दो की बारिश हो जब बाहर,
तब रहते हम अपने अंदर।

शब्दों की धुन हो जब सुहानी,
तब दिल के सारे गम हो जाते पानी।

शब्दों की सलाह से मिलती है हमें राहत,
जो जीवन की कठिनाइयों से देती है छुटकारा।

शब्दो का सलीका जब सही हो जाए,
तब उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।

शब्दों को सही ढंग से उच्चारित करो,
तब उनका असली मतलब सबको समझ में आएगा।

शब्दों का जो सलीका सही हो जाए,
तो उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।

शब्दो का सलीका होता है,
जो इंसान को अलग बनाता है,
कुछ शब्द चुने तो आदमी बदल जाता है,
और कुछ शब्दों से इतिहास बन जाता है।

शब्दों का सलीका होता है,
जो दिल को छू जाता है,
जो दिल को झकझोर देता है,
जो दिल को खुशी से भर जाता है

शब्दों की ताकत होती है, जिनसे व्यक्ति जीवन बदल जाता है,
बच्चे की हंसी से दिल खुश हो जाता है,
और किसी के दुख से दिल दुखी हो जाता है।

शब्दों के सलीके से कुछ नया करो,
जो दुनिया में नहीं होता है,
कुछ नया सोचो, कुछ नया बोलो,
जो लोगों को मोहित करता है।

शब्दो का सलीका होता है,
जो दिल में रहता है,
जो दिल से निकलता है,
वो आदमी को अलग बनाता है।

सलीके से बोलो, सलीके से सुनो,
जो दुनिया को नया करता है,
शब्दों का सलीका होता है,
जो इंसान को अलग बनाता है।