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सुविधाये

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ….
जब जब वो सर चढ़ जाए ।
सुविधा है नहीं है वो हक़…..
कभी भी सकती वो सरक ।

धन्यवाद कीजिए मिली है सुविधा….
निपट रहे कार्यक्रम दूर हो रही दुविधा ।
चार दिन की ज़िंदगानी है जनाब …..
मिलजुल के ले सुविधाओ का लाभ ।

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
सुविधा है नहीं है वो हक़,
जग जमाने में यही अहम सवाल बन जाए।

आदत सी बन गई हैं हमारी,
सब कुछ चाहे बिना मेहनत के पाए।
पर यह भूल रहे हैं हम शायद,
जो ऐसे हक़ को हासिल करने का बन जाए।

हक़ वो नहीं होता सिर्फ सुविधा,
जो मिले बिना किसी प्रयास के।
समय, मेहनत, और संघर्ष से,
हक़ को हम प्राप्त कर सकते हैं अपने मायने में।

ज़रूरत से ज़्यादा दौलत और आराम,
वास्तविकता से दूरी बढ़ा देते हैं।
पर असली महत्व हक़ का होता है,
जो मनुष्य को सच्ची ख़ुशी देते हैं।

हक़ को पाने के लिए संघर्ष करो,
खुद को प्रशासित करो, संयम रखो।
सुविधाओं की जगह हक़ को दो,
और जीवन को सत्य और न्याय से सजो।

इसलिए, सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
पर याद रखो, हक़ का मोल नहीं है,
सुविधाओं की दौलत में, असली ख़ुशी छिपी होती जाए।

प्रकृति का नियम

इस जीवन को दे झोंके अपनी क्षमता का सर्वोत्तम …….
गहरा ज्ञान ये जो देंगे वो होता कई गुणा ये प्रकृति का नियम ।

गुप्त ओर गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन……
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन …….

बीजों की गहराई में छिपा है आनंद विशाल,
जो फलों और पुष्पों को देते हैं उच्च विकास।

मिट्टी की गोद में आँखे भरी खुशबू पलती है,
सृष्टि की गोद में नई जीवन की लहर बहती है।

वृक्षों की छाया में प्राकृतिक सुंदरता छाई है,
पक्षियों की चहचहाहट में जीवन की गाथा बांई है।

हर पौधे की जड़ में ताकत बसी होती है,
हर वनस्पति की पत्ती में जीवन का रहस्य छिपी होती है।

जीवन की प्रकृति ने बनाए हैं सृजन के अद्भुत रंग,
जो देते हैं हमें खुशियों का नया संग।

हर बीज अपनी विशेषता लेकर उगता है,
हर फूल अपनी मिठास लेकर मुस्काता है।

जीवन की रचना में प्रकृति का साथ हमेशा रहा है,
हर मनुष्य को यह ज्ञान दिया जाता है।

चाहे जीवन की बारिश हो या तूफान,
प्रकृति हर समय हमें देती है सहारा बन।

समय बीतता रहता है, जीवन की यात्रा में,
पर प्रकृति की रचना हमें हमेशा संजोती रहती हैं।

गुप्त और गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन।
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन, यही प्रकृति का नियम

यह भी पढे: माँ प्रकृति, प्रकृति को शीघ्रता नहीं, प्रकृति का सौन्दर्य, प्रकृति का स्वरूप,

अत्याचार का बड़ा भाई

हर सुबह, हर दिन अच्छे विचारों से आपका दिन शुभ हो इसके लिए कीजिए विचार प्रतिदिन आज का विचार “अत्याचार का बड़ा भाई”

अत्याचार का बड़ा भाई हे भ्रष्टाचार….
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार ।
करते व्यभिचार उनका अधिकार….
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार ।

अब आया नए नसल का भ्रष्टाचार….
स्वयं की घोषणा पवित्र होने की हुंकार ।
उनके पाप का धड़ा जल्द ही भर रहा…
उनका नैतिकता का मुखौटा उतर रहा ।

अत्याचार का बड़ा भाई है भ्रष्टाचार,
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार।
करते व्यभिचार उनका अधिकार,
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार।

धन का लालच, इंसानियत का त्याग,
भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलते ये व्याघ्र।
निर्दोषों को बदनाम करते हैं आपात,
आम जनता की जीवनरेखा बन जाते हैं विलापत।

चोरी-छिपे मिलती हैं जब डेली,
सत्ता के बैठे ये लालची जेली।
सारे नेता बन जाते हैं बिकाऊ,
जनता की बातों से जुदा हो जाते हैं दूर।

खाते हैं घूस में बड़े-बड़े रिश्वत,
जनता की मुसीबतों को करते निवारण।
बदलता नहीं इनका रंग नेतृत्व,
वोटों के मोह में फंस जाते हैं गुमराह।

देश की विकास ले जाते हैं इंद्रधनुष,
जनता की आशाओं को बनाते हैं धुंध।
दिखावे के पीछे छिपाते हैं अपराध,
भ्रष्टाचार के दामन से डरते हैं नागरिक।

जब तक न जागे जनता की आँखें,
भ्रष्टाचार की चोट बनी रहेगी गहन।
संघर्ष करें हम इस बुराई के खिलाफ,
दें एक नये भारत को वादा विश्वास का।

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