सवालों के कटघरे में खुद को
हर बार छोड़ देता हूं
तुम्हारे लिए में सपनों को
बार बार तोड़ देता हूं
इंतज़ार करता हूं तुम्हारा
की तुम आओगी लौटकर
और
तुम आ भी जाती हो
लेकिन फिर??
मेरे सामने फिर वही
सवालों का ढेर तुम लगा जाती हो
क्यों तुम आती हो ?
क्यों सवालों का ढेर लगाती हो ?
मुझे क्यों नहीं यह बताती हो
की छोड़ना बस तुम मुझे चाहती हो।