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सब पद है अस्थाई

सब पद है अस्थाई ….
क्या यह बात बुद्धि को समझ आई ।
शीर्ष पद सब शीर्षक सीमित….
बुद्धि समझे किस बात में हित ।

कैसे व्यक्तियों से करते व्यवहार….
इसी बात में समाहित पूरा सार ।

व्यवहार का क्षेत्रफल विशाल….
स्मृति में उसकी ऊँची उछाल ।
व्यवहार से हृदय में मिलता स्थान…
व्यवहार से ही व्यक्ति का उत्थान ।

सब पद है अस्थाई,
क्या यह बात बुद्धि को समझ आई।
शीर्ष पद सब शीर्षक सीमित,
मानवता के लिए यह बुद्धि संयमित।

जीवन की रेस में भाग रहे हम,
चाहे सब कुछ हो, पर लिंग सिर्फ एक नम।
पद हो या स्थान, सब अनिश्चित,
हम तो चलते रहते हैं निरंतर यहां-वहां।

कितनी ही उच्चताओं को छूने की ख्वाहिश,
मन की गहराइयों में भरी है यह आस्था।
परंतु ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं है,
केवल शीर्ष पुरुषों के क्षेत्र में ही स्थान।

क्या इस विचार से समझ पाएंगे हम,
कि जीवन की सच्चाई है यह अस्थाई।
सब पदों के पीछे छुपी है एकता,
हम सब एक हैं, यह जान लें यह ज्ञान।

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सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार का जेसे जेसे होगा विकास गतिमान होंगे सकारात्मक बदलाव….
विकास ओर बदलाव पूरक ओर समान्तर का दोनो में निहित भाव ।
विकास हो चाहे व्यक्ति का , चाहे समाज हो विकसित…
सोचने का दृष्टिकोण में बदलाव होता अपरिमित ॥

हर समाज हर व्यक्ति की चाहत आए विकास की लहर…
कर्म करे निरंतरता से इसी दिशा में सुबह हो या शाम पहर ।
फिर विकास बनेगा अधिकार ओर सोच होगी सम्मानित…
यह परम सुख जीवन का सब कुछ इसमें हे समाहित ॥

सकारात्मक विचार जब विकास की राह पर जाते हैं हम,
तो सकारात्मक बदलाव होते हैं क्रमशः।
संघर्षों से भरी है यह यात्रा,
पर सफलता की ओर हैं हम जुनूनी।

विकास और बदलाव दोस्त हैं हमारे,
स्वभाव समान्तर दोनों के विचारे।
चमकती है जब सभ्यता की रौशनी,
तब विकास का दीप प्रज्वलित होता है।

व्यक्ति का विकास हो या समाज का,
आगे बढ़े रास्ते पर जब राज करता है।
प्रगति के पथ पर नए आयाम होते हैं,
और सबको मिलता है नया सामर्थ्य का आभास।

समृद्धि और समाजिक न्याय की ओर हम,
बढ़ रहे हैं जब एकसाथ जोड़ते कदम।
विकास के रंग से रंग रहा है यह संसार,
हर दिन हो रहा है समृद्धि का उद्घाटन।

जगमगाती है जब विज्ञान की ज्योति,
तब तकनीकी उन्नति का अहसास होता है।
विकास और बदलाव का संगम होता है,
जब सबको मिलता है सुखी जीवन का आदान।

चलो आगे बढ़ें विकास की ओर,
बदलाव के रास्ते में हों साथी हम।
सकारात्मकता से जीने का संकल्प लें,
बनाएं यह दुनिया सुंदर और विकसित हम।

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वक्त का तराजू

कुछ प्रेमी हो गए वो वक्त का तराजू से बाहर…..
न बता पाएगी वक्त मशीन अब उनका कितना होता उनका भार ।
अब उनको यादों के तराज़ू में उनका भार तोलता हूँ……
जहाँ भी रहे खुश रहे ,पलड़ा सुख का भारी रहे प्रभु से यही माँगता हूँ ॥

कुछ प्रेमी हो गए वो वक्त का तराजू से बाहर,
न बता पाएगी वक्त मशीन अब उनका कितना होता उनका भार।
अब उनको यादों के तराज़ू में,
जब तकरीरें और हंसी की चिराग जलते हैं।

वक्त की पटरी पर उनकी मुस्कान चमकती है,
जैसे वो अभी भी यहाँ हों, नए दिन मनाते हैं।
पर सच्चाई ये है, कि वक्त की लम्बाई नहीं होती,
जब ये अनमोल पल भी धीरे-धीरे बितते हैं।

यादों के तराज़ू में उनकी मुहब्बत का भार होता है,
हर बार जब यादें उनका ध्यान दिलाती हैं।
चाहे वो दिल तोड़े या अपने साथ ले जाएं,
पर यादें हमेशा उनके होंगी, जब भी याद आती हैं।

वक्त की मशीन ज्ञात नहीं कर सकती,
कि कितना भारी होता है प्रेम का उनका भार।
पर ये यकीनन है, कि जब वो हमारे साथ होते हैं,
दुनिया की सारी खुशियाँ अपने साथ लाते हैं।

यादों के तराज़ू में हमेशा सच्चाई होती है,
प्रेम का महत्व और उसका भार समझाती है।
जब भी मन हो उनको याद करने का,
यादों के तराज़ू में प्रेम बहुमूल्य बन जाती है।