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हमारी उम्मीद

हमारी उम्मीद क्यू टूट जाती है उम्मीद टूट जाने के कई कारण हो सकते हैं। यह मानसिक और भावनात्मक कारणों से लेकर, वास्तविक जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है।

निम्नलिखित कुछ सामान्य कारण हो सकते हैं:

उम्मीद के कारण: जब हम किसी व्यक्ति या स्थिति से उम्मीद करते हैं तो हमारी उम्मीद सीमित होती है। जब हमारी उम्मीद न पूरी होती है, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद को टूटने का कारण बनती है।

अपेक्षाओं का असंगठन: जब हम अपेक्षाओं को असंगठित रूप से रखते हैं तो उन्हें पूरा करना मुश्किल हो जाता है। यदि हम अपेक्षाओं को ढंग से संगठित नहीं करते हैं तो वे असंभव साबित हो सकते हैं और हमारी उम्मीद टूट सकती है।

आक्रोश: आक्रोश और असंतुष्टि आपकी उम्मीदों को टूटने का मुख्य कारण हो सकते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति या स्थिति से अधिक उम्मीद करते हैं, तो जब आपकी उम्मीद न पूरी होती है, तो आप आक्रोशित हो जाते हैं और आपकी उम्मीद टूट जाती है।

घटनाओं का विपरीत घटना: कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमारी उम्मीदों के विपरीत होती हैं। जब हमारी उम्मीद के अनुरूप घटनाएं होती हैं, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद टूटने का कारण बनती है।

लापरवाही: कभी-कभी हम अपनी उम्मीदों को पूरा करने के लिए सक्रिय नहीं होते हैं या हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इससे हमारी उम्मीदों में कमी आती है और वे टूट जाती हैं।

इन अलग-अलग कारणों के अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं जो उम्मीद को टूटने का कारण बनते हैं। इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और अपनी उम्मीदों को संभवतः संगठित रखना चाहिए ताकि हमारी उम्मीदें टूटने से बच सकें।

कुछ उम्मीद को बढ़ाने के लिए सुझाव

सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोचने से आपकी उम्मीद बढ़ती है। आप अपनी सोच को सकारात्मक बनाने के लिए मन को शांत रखें और सकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करें।

लक्ष्य निर्धारित करें: अपनी उम्मीदों को बढ़ाने के लिए आपको अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करना होगा। लक्ष्य के साथ आप अपने काम में अधिक लगाव दिखाएंगे और यह आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

अपनी संवेदनशीलता को संभालें: अपनी संवेदनशीलता को संभालना भी आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अपनी संवेदनशीलता को संभालने से आप अपने आप को निराशावादी सोच से बचा सकते हैं।

सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताएं: सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताना आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। उनसे बातचीत करने से आपके आसपास की ऊर्जा सकारात्मक होती है और आपकी उम्मीद बढ़ती है।

स्वस्थ रहें: अपने शरीर की देखभाल करना भी आपकी उम्मीद को बढ़ाने में मदद कर सकता है। स्वस्थ शरीर सकारात्मक सोच का एक महत्वपूर्ण अंग है और आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

इन सुझावों के अलावा भी कई अन्य तरीके हो सकते हैं जो आपकी उम्मीद को बढ़ा सकते हैं। उम्मीद बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप सकारात्मक हों और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। आप अपने विचारों को सकारात्मक बनाने के लिए ध्यान दें और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करें

जीवन की परिस्थितिया

हम सभी के जीवन की परिस्थितिया जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है, जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग परिस्थितियां आती- जाती है, और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है, सब अपने अपने तरीके से अपने जीवन की परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है, तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय आपके मस्तिष्क के विचारो पर

जीवन की परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए, हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है, सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।

वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है, उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।

यह कहना हमारे लिए आसान है, परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ? यह आप पर ही निर्भर करता है, कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है, परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।

बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

जीवन की परिस्थितिया कैसी भी हो लेकिन हमे डटे रहना है
जीवन की परिस्थितिया

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।

जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।

कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते , ना वो कुछ कर पाते है, समय बलवान है, ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है।

समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको भी साथ पकड़ लेते है, और इंसान कमजोर पड़ जाता है, हार मान लेता है , तथा डरने लग जाता है, जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है, इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

इंतजार क्या है

  • इंतजार क्या है ? यह तो आप किसी भी चीज़ का करो वो हमेसा लंबा ही होगा क्योंकि प्रतीक्षा ही ऐसी चीज़ जो समय की लंबी दूरी तय करता है और लगता है वो समय की दूरी खत्म ही नही हो रही वो वही रुक हुआ है ओर बस सब्र कर बैठ है, की वो आएगा चाहे वो एक पल का इंतज़ार हो या 100 साल का इंतजार तो इंतजार ही है।
  • इंतज़ार क्या है ? यह बात तो आप एक दुकानदार से पूछिये जिसकी दुकान में सुबह से शाम बीत गयी लेकिन ग्राहक नही आया।
  • इंतज़ार को प्रेम और प्रेमिका से पूछिये जो घंटों से प्रतीक्षा कर रहे है।
  • इंतजार क्या है ? उस व्यक्ति से पूछिये जो खड़ा है बस स्टॉप पर अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचने के लिए उस नंबर की बस के इंतज़ार में और वो बस ही नही आ रही है बाकी सभी बसे लगातार अपनी सेवा में कार्यरत है।
  • इंतज़ार क्या है? यह आप उस मरीज से पूछिये जो हॉस्पिटल में एक कमरे को लेने के लिए इंतज़ार कर रहा है और उसे कोई कमरा खाली नही मिल रहा है ऐसा लगता है वो अंतिम सांसे अपनी इसी इंतज़ार में तोड़ देगा की कोई कमरा खाली हो और मुझे जगह मिले।
  • इंतज़ार पूछो उस मरीज से जो शायद अपनी आखिरी चन्द सांसे गिन रहा हो और यहाँ इंतज़ार हो सिर्फ डॉक्टर का, उसके इलाज का इंतजार कर रहा।
  • इंतज़ार उनसे पूछिये जो अपने केस की सुनवाई में आंखे बिछाए बैठे है लेकिन उम्र बित्त रही है फैसला नही हो रहा है 10 साल में 70 बार एक केश की सुनवाई होती है।
  • इंतज़ार उस व्यक्ति से पूछिये जो सफलता को हासिल करने में पूरी जिंदगी बिता चुका परंतु सफलता हासिल नही हुई है अब तक और भी इंतज़ार में ही बैठा हो ।
  • इंतज़ार तो आप उनसे भी पूछ सकते है जिन्होंने सरकार की आवासीय योजना में अपनी एक पीढ़ी खत्म करदी हो और अब जब वो निकल गया है उसके बाद भी अगले 5 से 10 साल इंतज़ार करना बाकी है।

इंतजार एक उम्मीद ही है जो हम सभी में उम्मीद के सहारे ही इंतजार करते है किसी चीज या इंसान का इसके अलावा कुछ ओर कर भी नहीं सकते जब हम उस परिस्थिति में होते है।