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उम्मीद

उम्मीद से उम्मीद लगाकर बैठ गया हूँ, अब उम्मीद भी पूछती है मुझसे की मैं पूरी हो जाऊ या अधूरी ही रहू।

ना जाने कितनी उम्मीद है मेरी आँखों में तुम्हें पाने की तुम्हें अपना बनाने की लेकिन तुम्हारे न कहने पर वो सारी उम्मीद टूटकर चकनाचूर हो जाती है।

"ना जाने कितनी उम्मीद है"
उम्मीद