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घर पर बैठकर

घर पर बैठकर अपने समय को बिना वजह के कार्यों में बर्बाद करना ओर उसके अलावा कुछ ना करना, अपनी मर्जी से ही इधर उधर जाना आना बस कुछ नहीं करना, बैठे बैठे थक जाते हो तो कभी लेट जाते हो, कभी टीवी देख लेते है, तो कभी कुछ कर लेते है, बस कुछ इसी तरह से दिन निकल जाता है, तुम्हें लगता है तुम्हारा समय पास हो गया है, लेकिन समय को पास करना कितना सही है, ओर कितना गलत है ये जानना जरूरी है, समय की हानी ना हो इसलिए समय को उचित जगह पर लगाया जाए, समय की बर्बादी को रोक जाए, बेवजह के कामों से जरूरी के कार्यों में समय को लगाया जाए।

पहले के समय में हम समय को इसी तरह से व्यर्थ कर देते थे लेकिन आज के समय में हमारे पास बहुत सारे ऐसे साधन है जिनसे हम अपने समय की बचत ओर समय का सदुपयोग कर सकते है, जिस तरह तरह ब्लॉगिंग ओर वलॉगिंग इन दोनों का ही बहुत प्रचलन है हम घर बैठ कर यह दोनों चीज़े बहुत अच्छी तरह से कर सकते है।

घर पर बैठकर सिर्फ समय की हानी करना उचित नहीं है, कुछ ऐसा किया जाए जिससे समय बेहतर हो सके, हर रोज कुछ अच्छा करे जिससे हमारा आने वाला कल बेहतर होता जाए, आज में कुछ बेहतर किया जाए तभी कल बेहतर होता है।

मुझे भी पता ही नहीं चला की कब 11 महीने बीत गए घर पर बैठे कर ही, ओर लिखने में व्यस्त हूँ लेकिन जीवन में असत व्यस्त नहीं हूँ, इसीलिए जीवन हर रोज बेहतर हो रहा है, उस बेहतर में खुद को तलाश करने की कोशिश में लगा रहता हूँ।

म्यूजिक

म्यूजिक आज कल सभी को बहुत पसंद है, हर किसी की जुबान पर गाने ही होते है, लोग सफर में भी गाने सुनकर मनोरंजन करते है कुछ लोग गुनगुनाकर उनको म्यूजिक बहुत पसंद है, लेकिन ये गाने आपके दिमाग में लगातार चलते ही रहते है, जिसकी वजह से दिमाग में शोर बना ही रहता है। कभी भी हमारा दिमाग शांत नहीं होता, इसी वजह से हम ध्यान ओर पूजा में अपना मन नहीं लगा पाते, ओर मन अशांत सा बना ही रहता है, इस मन में फिर शांति आना मुश्किल सा लगता है जब संगीत किसी ना किसी प्रकार की ध्वनि दिमाग में बनी रहती है।  

कोई मेट्रो में गाना सुनता हुआ जा रहा है, तो कोई गाड़ी में तेज आवाज में गाना सुनता हुआ लेकिन हर जगह म्यूजिक चल रहा है, इतना शोर हो रहा है, जिससे हमारा दिमाग शांत नहीं बैठ पा रहा है। इतना शोर जब चलेगा हर जगह तो कैसे ही मन शांत हो पाएगा, इस शोर में कैसे इंसान अपने मन की बात सुन पाएगा।

अब बच्चे यदि पढ़ते है तो उनको किसी विषय को ज्यादा समय तक याद रखना मुश्किल हो जाता है, यदि बच्चे अधिक गाने सुनते है, इस तरह से उनकी यादस्त कमजोर होने लगती है, उनको किसी विषय को लंबे समय तक याद रखने में कठिनाई भी होती है। जिसका कारण म्यूजिक है, हम आज शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते जो संगीत उनकी बुद्धि का विकास करते है, हम उन शोर गुल वाले गानों को सुनते है जिनकी वजह से दिमाग शांत नहीं बल्कि अशांत होता है।

इसलिए बचहो व बड़ों हम सभी को उसी तरह का संगीत सुनना चाहिए जो हमारे मन को शांत करता हो, नाकी उस संगीत को जो हमारे मन मस्तिष्क में शोर गुल पैदा करे, उस शोरगुल से हमारे सोचने ओर समझने की शक्ति पर बहुत असर पड़ता है इसके साथ ही हमारी भावनाए भी बदल भी जाती है, हमारे भीतर उन शब्दों का प्रवाह किया जाता है आजकल के संगीत से जिसकी आवश्यकता नहीं है। जिसमे जीवन के प्रति सजगता नहीं है उस प्रकार के संगीत को सुनने का कोई लाभ नहीं है।

पेन ओर पेपर

पेन ओर पेपर का इस्तेमाल करना बेहद खास होता है, यह एक बेहतर अनुभव है, पन्नों पर लिखना भी खास है, इन पर लिखने का अपना ही मजा है।

विचार कही रुके रुके से है, जो कहना जो कहना तो बहुत कुछ चाहते है, लेकिन कह नहीं पाते, ना जाने क्यू ये विचार खुद में ही काही अटके से है, लगता है कही भटके से है, मैं इंतजार करता हूँ इन विचारों का की मैं इन विचारों को लिख लुँगा, इनकी बात कुछ कह दूंगा लेकिन यह तो मौन हो जाते है, अपनी ही बाते अपने भीतर ही दबा कर बैठ जाते है।

मेरे भीतर ही कही रुक जाते है, कोशिश करता हूँ इनको बाहर निकालने की लेकिन यह विचार तो बाहर ही नहीं आते, जब जब मैं पेन ओर पेपर लेकर बैठता हूँ तो मेरे विचार भी धीमे हो जाते है, लेकिन लैपटॉप पर यही विचार बहुत तेजी दौड़ने लगते है, भागते है तो फिर इन्ही विचारों में भटकाव भी आता है, लेकिन कागज पर लिखने से विचारों में स्थिरता, नियंत्रण रहती है, जो लिखना चाहते है उसे अच्छे से सोच समझकर बहाली भांति हम लिख पाते है, लिखने के लिए ठहराव की आवश्यकता होती है, अक्सर तुम लिखने बैठते हो, लेकिन लिख नहीं पाते हो, कभी तुम्हारे विचार कही दूर तुमसे चले जाते है, तो कभी ही अपने विचारों से भटक जाते हो।

उन विचारों को पकड़ पाना भी मुश्किल सा हो जाता है, क्युकी यह विचार ही है, जो तुम्हें अपने इशारों पर नचा रहे है, कभी कुछ विचार आ रहे है, तो कभी कुछ तुम्हारे विचार एक स्थान पर स्थिर नहीं हो पा रहे है, जिसकी वजह से तुम बेहतर नहीं लिख पाते हो, हो सकता है की अब तुम लिखना भी नहीं चाहते हो, सिर्फ कॉपी ओर पेस्ट करना ही तुम चाह रहे हो, यह भी हो सकता है की आलस तुम्हें पकड़ रहा हो, तुम्हारा मन अब लिखने का भी नहीं कर रहा हो, यह सब तुम्हारे विचारों का ही खेल है जिसे तुम समझ नहीं पा रहे हो, ओर यदि समझ रहे हो तो भी इसी विचार जाल में फँसते ही जा रहे हो।

इससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए सहूलियत मत ढूंढो पेन ओर पेपर उठाकर लिखना शुरू करो, ओर बेहतर लिखते चले जाओ।

फोकस रखना खुद को

अपने दिमाग को एक ही तरफ फोकस रखना खुद को, इधर उधर दिमाग को नहीं दौड़ने देना, ये दिमाग जितना इधर उधर भागेगा उतना ही आपका काम से मन हटेगा, यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए अपने काम की और ध्यान लगाकर रखिए उससे ना हटे चाहे आपका मन लग रहा है या नहीं बस आपको लगातार उस कार्य में बने रहना है, ओर प्रयास करते रहना है, क्युकी हमारा दिमाग तो इधर उधर भागते ही रहता है, लेकिन उस दिमाग को बार बार उस कार्य में लगाना है जिस कार्य को आप करना चाहते लेकिन जब आपका मन नहीं करता तो आप छोड़कर उठ जाते है।

हर बार यही याद रखना की हमे बार बार नहीं भटकना जिस चीज को हम चाहते है, सिर्फ उसीके लिए जी जान लगाकर हमे है भागना नहीं पीछे मुड़कर देखना, जब तक उसमे सफलता हासिल ना करले हम तब तक हमे उसे नहीं है छोड़ना , हर एक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना है।

खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, यदि आपको स्वयं पर विश्वास है की आप कुछ कर सकते है, ओर बीच रास्ते से वापस नहीं आएंगे तो आप वो सभी चीज़े हासिल कर सकते है, जो आप अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहते है।

फोकस रखना खुद को, खुद के लक्ष्य की ओर ये बहुत जरूरी है, आपका ध्यान हमेशा आपके लक्ष्य की ओर ही रहना चाहिए उससे कही ओर नहीं भटकना चाहिए, जो आप हासिल करने के लिए निकले है उसको पाकर ही लौटना है, चाहे कितनी ही अड़चने आए रास्ते में लेकिन अपने लक्ष्य को पाना है।

अपने फोकस को बरकरार रखने के लिए हमे स्वयं को बार बार Analysis करना चाहिए, जिससे की हम कही भटक रहे हो, तो दुबारा खुद को फोकस कर सके, ओर उस के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगा सके।

मन की अवस्था

प्रेम मन की अवस्था न दे कभी किसी को मुरझाने।
नफ़रत की शक्ति व्यय होती लगती सबको वो डुबाने ॥
प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।
नहीं नफ़रत की बचे जगह प्रेम ही होवे आधार ॥

प्रेम मन की अवस्था न दे कभी किसी को मुरझाने।
नफ़रत की शक्ति व्यय होती लगती सबको वो डुबाने ॥

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।

यह कविता प्रेम की महत्वपूर्णता को व्यक्त करती है। प्रेम मन की एक अवस्था है जो हमें खुशी, समृद्धि और संतोष की ओर ले जाती है। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम अपने आस-पास के लोगों के प्रति सम्मान, स्नेह और सहानुभूति व्यक्त करने की क्षमता बढ़ाते हैं।

नफरत की शक्ति एक विनाशकारी ताकत होती है जो हमारे अंदर की उज्ज्वलता को कम करती है। जब हम नफ़रत को अपने मन में बांधे रखते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, हमें नफ़रत की बजाय प्रेम का चयन करना चाहिए।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार। यह लाइन मनुष्यों को यह समझाती है कि प्रेम की शक्ति से हम सबका भला कर सकते हैं। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम स्नेह, समझदारी और सहयोग के गुणों को विकसित करते हैं, जो हमें एकदृष्टि और सद्भावना के साथ दूसरों के प्रति अनुकरणीय बनाते हैं।

इस कविता के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि प्रेम हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है और हमें सभी मनुष्यों के प्रति स्नेहपूर्वक बर्ताव करना चाहिए। प्रेम की शक्ति हमारे जीवन को सुंदर, समृद्ध और समान्य बनाती है।

सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

मैं पुरुष हूँ

मैं पुरुष हूँ, पुरुष जिसे जल्दी समझदार बनना है और पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ भी उठाना है , चाहे उसे जिम्मेदारी समझे या जिम्मेदारियों का बोझ लेकिन उठाना पुरुष को ही है, शादी करनी है, ताकि माँ बाप की इच्छाये पूरी हो, लेकिन खुद की इच्छा का दम घोट दो, तुम अकेले रहना चाहते हो लेकिन समाज आपको बंधनो में बाँधना चाहता है, वो चाहता है की हम उनके अनुसार चले, जो समाज चाहता है वही हम करे।

क्योंकि आप  पुरुष हो आपको बहुत सारी जिम्मेदारियां उठानी है , परिवार की खुशी के लिए अपनी खुशियो का गला घोट देना है, आप क्या बनना चाहते हो ओर क्या होना चाहते हो ये बाद में है पहले आपके परिवार की इच्छा महत्व रखती है। वो आपसे क्या चाहते है।

आपको एक अनुशासित पुरुष होना है आपको अपने माता पिता , भाई बहन , बीवी बच्चों सबके लिए ideal बनना है।

क्योंकि आप पुरुष हो,

एक दिल जो टूटा भी है ओर जुड़ भी गया है, रहने की चाहत अकेले की है फिर भी कही खालीपन सा भी महसूस होता है लेकिन ये सिर्फ कभी कभी होता है जो कभी कभी वाला रिक्त स्थान है वो भर लेना चाहता हूं।

एक डर है जो बयान नही कर पाता हूं, खुल कर रो नही पाता क्योंकि मैं एक आदमी हूं, सिर्फ इसलिए मैं अपने आसुओ को भीतर ही रोक नजर आता हूँ, कुछ चाहकर भी नहीं किसी को इस दिल का हाल नहीं बता पाता हूँ, बताना चाहू भी अगर तो लोग क्या कहेंगे तू एक पुरुष है ओर पुरुष होते हुए रोता है, शायद इसलिए भीतर ही सब दुख दर्द रोक रह जाता हूँ मन का हाल किसी को नहीं बताता हूँ इसलिए भी मैं पुरुष, कहलाता हूँ।

कितना ही भीतर मचा रहे कोहराम लेकिन उसको बाहर नहीं छलकाता हूँ अपने भीतर ही अपनी भावनाओ को मैं छिपाता हूँ।

क्योंकि मैं एक पुरुष हूं

हर बात अच्छी लगे

जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे ,
जरूरी नहीं हर किताब अच्छी लगे, हर फिल्म अच्छी लगे, हर मौसम अच्छा लगे हर सफर और हमसफर भी अच्छा लगे कुछ साथ मुलाकात जज़्बात ऐसे होते है जो ना चाहकर भी जिंदगी के हिस्से होते हैं , कहानी और किस्से होते है , उनका होना भी घटना है।

या तो वो दुर्घटना है या फिर फिर महत्वपूर्ण घटना यह तय करना तुम्हारी जिम्मेदारी है, की कितनी दूर साथ चले कुछ दूर या पूरी जिंदगी साथ निभाते चले कुछ को बीच रास्ते में छोड़ा जा सकता है। कुछ को बिलकुल भी नहीं फिर उसका हमारी पसंद और न पसंद से कुछ लेना देना नही
बस साथ निभाना उसमे बहुत कुछ छिपा है, जो आपको समझना है हो सकता है वो आपके लिए सही है, लेकिन आपको पसंद नही था या नही है लेकिन वो एक दम फिट है आपके लिए , आपके जीवन के लिए

इसलिए जिंदगी का साथ निभाते चलो
मेरे दोस्त यह जिंदगी इस जिंदगी के साथ थोड़ा मुस्कुराते चलो ,
कभी दुख होगा तो कभी सुख होगा
लेकिन सफर जिंदगी का है
अतंत अच्छा ही होगा
यूं गम को अपने सीने में दबाकर कब तक चलोगे
मुस्कुरादो उस दबे हुए घाव के भी तो गम भरेंगे, क्युकी जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे