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अवसर

जिंदगी भी चुनिंदा अवसरों का इंतजार कर रही है, क्या वो अवसर तुम हो

अवसर
अवसर

अवसर जिंदगी का वो तुम ही हो इसे यू ही तुम मत जाने दो।

सबकी अपनी रुचि

सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में और अलग अलग तरह से परंतु यह जरुरी नहीं है, कि हम सभी को जीवन में हमारी रूचि के अनुसार ही कार्य मिले और जिस विषय में हमारी रुचि है, उसमें हमे सफलता मिले इसलिए हम जो भी कार्य करते है, उसे ओर उत्साह से करे यही एक बेहतर विकल्प है।

बहुत सारे छात्रों की रूचि गणित में होती है, परंतु उससे ज्यादा छात्रों को गणित समझ में ही नहीं आती और कुछ छात्र गणित में रूचि तो रखते है, परंतु उसमे सफल नहीं हो पाते। बहुत सारे छात्र यह निर्णय लेते है 10वीं कक्षा के बाद #Science के विषय लेंगे परंतु उतने अंक ही नहीं प्राप्त कर पाते की वो विज्ञानं ले पाए या फिर उन्हें ये लगने लगता कि क्या आगे वो कर पाएंगे या नहीं ? क्योंकि जरुरी नहीं है आपको विज्ञानं के सभी विषय पसंद हो।

उसमे #physics #chemistry #biology होती है जरुरी नहीं है आपको यह तीनों विषय पसंद हो समय के साथ साथ आपको अपनी रुचियों के बारे में पता लगता है फिर आप उसी और अग्रसर होते है क्योंकि जरुरी नहीं है जिसमे आपकी रुचि आज है उसीमे आपकी रुचि कल भी हो।

हमारे जीवन में हर पड़ाव पर बहुत सारे ऐसे कार्य सामने आते है  जो हमे अपनी रूचि के अनुसार नहीं मिलते लेकिन हमें वो सभी कार्यो को करना हमारे जीवन की आवश्यकता में आ जाते है चाहे हम उस कार्य को करना चाहते है अथवा नहीं परंतु कार्य तो करना ही होता है क्यों ना  हम उन सभी कार्यो को उत्साह पूर्वक  करे।

जिस तरह से हम पुस्तक पढ़ते है अथवा जो बिषय हमारी पसंद का नहीं है फिर भी हमे उस विषय को भी पढ़ना पड़ता है क्योंकि हमें परीक्षा में सफल होना होता है, हम में से ज्यादातर छात्रों को #सामाजिक विज्ञान पढ़ने में अरुचि होती है लेकिन हमें परीक्षा में सफल होने के लिए वो विषय पढ़ना अनिवार्य होता है जबकि सामाजिक विज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण विषय निकल कर बाहर आता है जब आप IAS,IS आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है तो सबसे ज्यादा आपको सामाजिक अध्यन आदि के विषयों में ही सबसे अधिक जानकारी लेनी होती है चाहे वो विषय हमे पसंद था या नहीं परंतु जानकारी लेने के लिए उस विषय में हमे रूचि बनानी पढ़ी तथा उत्साह से के साथ पढ़ना भी पढ़ा।

इसलिए सफल व्यक्तित्व के लिए हमे सभी कार्यो को उत्साह के साथ करना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय हमको बोरियत ना महसूस हो पूर्ण ध्यान और समग्र एकाग्रता के साथ हमे अपने कार्य को लगातार करना चाहिए तथा उस कार्य में जब तक सफलता ना प्राप्त करले तब तक हमे उस कार्य को  करना चाहिए क्योंकि वही कार्य आपको आपकी #मंजिल की और ले जाने में सहायक है।

फिर हमें परीक्षा हेतु के लिए पढ़ने होते है ताकि हम परीक्षा में सफल हो सके यदि हम वही विषय उत्साह से पढ़े तो हम सफल तो होंगे ही अपितु उस विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पाएंगे।

या फिर एक ही काम को बार बार करते हुए हम बोर हो जाते है परंतु वो कार्य करना हमारी मज़बूरी होता है यदि हम वही कार्य रूचि के साथ करे तो हम उस कार्य को अच्छे ढंगसे तथा अच्छे परिणाम की स्तिथि तक करते है क्युकी सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में इसलिए हमे हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

आनंद कल होगा

आनंद कल होगा एक अनुमान….
कल कभी आता नहीं रहोगे परेशान ।
वर्तमान का आनंद पे अधिकार …..
अभी हे तो सत्य यह भीतर का त्योहार ।

भीतर रहे आनंद से ओतप्रोत….
बाहर तो बदलता रहता स्रोत ।
जीवन का बल स्मृद्धि हे आनंद ….
सब जीवनो को मिले इसकी सुगंध ।

बीते कल के बोझ से छुटकारा,
आनंद कल होगा एक अनुमान।
चिंताओं के झरोखों को बंद करो,
कल कभी आता नहीं रहोगे परेशान।

वर्तमान का आनंद पे अधिकार,
भाग्य की लकीरों को बदल दो।
हर पल को खुशी से भर दो दिल,
आनंद की नई कहानी लिख दो।

चिंताओं के बादलों को हटा दो,
उजाला लाओ अपनी जिंदगी में।
हंसी के संग बिताओ हर पल को,
आनंद की राह पर चलो निशानी में।

कल की सोचों को छोड़ दो दरिया,
वर्तमान के तरंगों में बहो।
हर दिन लो आनंद का वादा,
यही तुम्हारा अधिकार।

कब होगा आनंद कब नहीं यह सोचकर क्यू परेशान होते हो, आनंद आज अभी है यही बस यही सोच कर आनंदित रहो यह है तुम्हारा अधिकार, छोड़ो कल की चिंता कल की बात है पुरानी जी लो इस पल को यही लिखेंगे हम नई कहानी, अपनी चिंता के बादलों को हटा लो ओर उम्मीद की किरण से अपने मन मस्तिष्क को भर लो वर्तमान में जिओ, ओर भविष्य से छींट मुक्त रहो।

लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

किस्मत की लकीर

छोड़ दो किस्मत की लकीर पर यकीन करना , जब लोग बदल सकते है तो किस्मत क्या चीज है।

खुद पर विश्वास करो, सफलता जरूर मिलेगी,
जीवन के पथ पर आगे बढ़ो, मुसीबतें छिनेंगी।

किस्मत नहीं है, तेरे हाथों में ताकत है,
जो तू चाहे, वही तेरे आगे आएगी रात है।

जीवन की लड़ाई में हार नहीं मानना,
संघर्षों को गले लगाकर आगे बढ़ना।

खुद को परखें, अपने सपनों को पकड़ें,
जीवन की उचाईयों को छूने का जजबा रखें।

जब तू खुद को बदलेगा, दुनिया बदलेगी,
खुद पर विश्वास रख, अपनी ताकत बढ़ाएगी।

किस्मत तेरे कदमों की राह नहीं बनाती,
वह तो तू है, जो अपनी तक़दीर लिखाती।

हिम्मत की उड़ान पर तू चढ़, आकाश छू ले,
सबके दिलों में आग जगा, आशा जगमगा ले।

छोड़ दो उन हाथों की लकीरों पर विश्वास करना
तू खुद पर विश्वास कर, जीवन को जीना।

किस्मत की लकीर
किस्मत की लकीर

फोकस रखना खुद को

अपने दिमाग को एक ही तरफ फोकस रखना खुद को, इधर उधर दिमाग को नहीं दौड़ने देना, ये दिमाग जितना इधर उधर भागेगा उतना ही आपका काम से मन हटेगा, यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए अपने काम की और ध्यान लगाकर रखिए उससे ना हटे चाहे आपका मन लग रहा है या नहीं बस आपको लगातार उस कार्य में बने रहना है, ओर प्रयास करते रहना है, क्युकी हमारा दिमाग तो इधर उधर भागते ही रहता है, लेकिन उस दिमाग को बार बार उस कार्य में लगाना है जिस कार्य को आप करना चाहते लेकिन जब आपका मन नहीं करता तो आप छोड़कर उठ जाते है।

हर बार यही याद रखना की हमे बार बार नहीं भटकना जिस चीज को हम चाहते है, सिर्फ उसीके लिए जी जान लगाकर हमे है भागना नहीं पीछे मुड़कर देखना, जब तक उसमे सफलता हासिल ना करले हम तब तक हमे उसे नहीं है छोड़ना , हर एक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना है।

खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, यदि आपको स्वयं पर विश्वास है की आप कुछ कर सकते है, ओर बीच रास्ते से वापस नहीं आएंगे तो आप वो सभी चीज़े हासिल कर सकते है, जो आप अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहते है।

फोकस रखना खुद को, खुद के लक्ष्य की ओर ये बहुत जरूरी है, आपका ध्यान हमेशा आपके लक्ष्य की ओर ही रहना चाहिए उससे कही ओर नहीं भटकना चाहिए, जो आप हासिल करने के लिए निकले है उसको पाकर ही लौटना है, चाहे कितनी ही अड़चने आए रास्ते में लेकिन अपने लक्ष्य को पाना है।

अपने फोकस को बरकरार रखने के लिए हमे स्वयं को बार बार Analysis करना चाहिए, जिससे की हम कही भटक रहे हो, तो दुबारा खुद को फोकस कर सके, ओर उस के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगा सके।

विषय हो वस्तु हो

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

जीवन का रहस्य है यही, नियमों की अनुसार चलना,
हर कार्य में तालिका बनाकर, ज्ञान की धारा बहाना।

प्रकृति के नियमों का पालन, है जीवन का मूल सिद्धांत,
जिसका भीषण तालाबंध होगा, वह खोखला होगा बंधन।

सूरज करता है प्रकाशित, चांदनी देती है चमक,
जल बनाता है ताजगी, पेड़ों में भरता है जीवन की लम्बी रात।

जीवन के हर पहलू में, नियमों की ओर देखना है,
और समझना है, कैसे उनका उपयोग, सबके लिए करना है।

कर्मों की एक संगीता है, नियमों की सुरीली ध्वनि,
उन्हें समझने के बाद ही, जीवन मिलेगा तरंगों की ज्वालामुखी।

इसलिए समझिए संसार को, नियमों से जुड़ा हर विषय,
हर प्राणी का नियम अनुसार, बस यही है जीवन का आधार विषय।

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।
जो मन के भीतर है दबा कहीं यह कोशिश है, उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की
कुछ कह पाना
कुछ समझा पाना
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना,

मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।


साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।