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ध्यान

क्या ध्यान से विचार बलवान और फलित होता है ?
जी हाँ , ध्यान से आपके विचार बहुत बलवान होने लग जाते है, शब्द आकाश का विकार होते है, जब हम ध्यान करते है तो मन ओर बुद्धि शुद्ध विचारों से भर जाती है, ओर इस प्रकृति का मूल ही शुद्ध होना है, जब हमारे विचार शुद्ध होते है ओर प्रकृति का संपर्क ओर गहरा हो जाता है जिससे हमारे विचारों बलवान होते है, तथा यह फलित भी होते है, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार ही शब्द है, आपके शब्द ही फलित होते है, जैसे ही विचारों के माध्यम से आप किसी भी चीज का संकल्प करते है, वो फलित होना शुरू जाते है, ब्रह्मांड में जैसे ही आप कोई भी शब्द छोड़ते हो उस पर कार्य होना शुरू हो जाता है, यह आपकी भावनाए, आप कितने सकारात्मक है , इन पर भी निर्भर करता है , जैसे जैसे आप ध्यान की गहराई में भीतर उतरेंगे आप अपने विचारों के प्रति सजग होना शुरू कर देते है ओर उसी तरह से आपका जीवन हो जाता है , यदि आप की इच्छा दृढ़ है ओर विश्वास आपके भीतर बहुत भरा हुआ है, तो आप जो चाहते है वह अवश्य पा लेंगे।

law of attraction

secret

सहायता के तौर पर इन दोनों किताबों को पढ़ जा सकता है।

Hamari Halat Kya

Mere likhe hue sher bhag-5

81. hamari halat kya koi unko jake ye bataye…
ki hamari halat kya hai…
wo to hamain thukra ke age badh gaye…
magar hum band ghadi ki suiyon ki tarah wahin reh gaye…hamari halat kya

samay to apni raftaar se age nikal chuka hai…
par mera waqt us akhri mulakaat par tham sa gaya hai…

82. yun waqt ke saath chalne ki chahat main…
har apne ko peeche chor chala hun…
ek khud ka to bharosa tha…
ab har pal khud ko bhi dhoka deta hun…
jaane kiski chahat hai mujhe..
jo mere dil ki aawaaj ko bhi ansuna karta hun…

83.aaj fir kisi apne ki ankhon main ansun dekha hai…
par jaane kyun mera mann bhi udas hua hai…
mera dil uska dukh bantna to chahata hai..
par use ye kehte hue bhi darta hai….

84. Aaj main khush hun…
ki mera janaza jo nikal raha hai… 
jindagi main koi saath na tha…
maut ke baad julus sa nazara hai…
mere saath to koi na roya…
par ab koi mere liye ansun baha raha hai…
aaj main khush hun…ki mera janaza jo nikal raha hai…

85. ye logon ki bheed ye sawaalon ke tufaan…
thak gaya hun main inke jawaab dede kar…
ab to thodi shanti mil jaye jindagi main kahin…
thak gaya hun dil ka sukoon dhundh dhundh kar…

86. ye wo aakhri raat hai jab main roya hun…
shayad akhri raat jab main khoya hun…
bas yahi samajh liya hai ab maine…
ab yahi soch kar har raat sota hun…

87. Tujhme itna kho gaya hun ki khud se jyada tujhe samajhne laga hun…
ab tu kuch kahe na kahe teri khamosh jabaan bhi samajhne laga hun…
tu bol ke apni dastan-e-dil bayan kare na kare…
ab to teri dhadkano ko sun kar tere khayal samajhne laga hun…

88.har arju khatam, har khwaish ko mil gaya anjaam…
tu jo khush hua hai, nahin meri duaaon ko bhi kuch kaam…

89. jindagi nahin chalti ek din bhi tujhse door hokar…
jaane kaise rahunga tujhse alvida kehkar…
naajaane tu samajh payega ki nahin…
koi mil gaya tha apna sa tujhse milkar…

90. suna hai apni taqdeer apne haathon se baadalti hai..
yahan to jis gali se nikalte hain, wahan se to maut bhi apna rasta badalti hai…

91 wo karte hain waar anjaam-e-manzil ke aane par..
ke mud kar bhi nahin ja sakte…
sahi chodda hai jeevan ki majhdhaar par..

92.tu mera na ho saka iska gum nahin…
tune mujhe thukra diya iska bhi gum nahin…
gum to bas is baat ka hai ki…
tujhe meri mohabbat ki inteha ka andaja hi nahin…
kher ismain teri bhi koi khata nahin…
is pyar ki hadd ka to ab tak mujhe bhi pata nahin…

93. Na jaane kyun tere jaane ka gum hai..
na jaane kyun fir na milne ka darr hai…
tu na bhoolne ka waada to kar gaya..
par tera ye waada bhul jaane ka darr hai…

94. Haar tabhi maan jab haarne ko kuch baaki na bache…
jeet tabhi hai jab jeetne ko kuch baaki na bache…
patthar hote hain sabki rahon main…
har patthar ko chunkar bharle apne daaman main..
jab tak rahon main ek bhi patthar baaki na bache…
hum tere saath hain har haal main har raah main…
chahe tera koi aur saathi baki na bache…
एक कदम तुम चलो हमारी  तरफ, एक कदम हम चले तुम्हारी तरफ
यूँ ही चलते रहे जब तक कोई फैसला बाकि न रहे

95. Har koi hans leta hai haal sunkar mera…
fir dil kuchal deta hai,jab wah kehta hai sher sunkar mera…
use to meri shayari main dar-e-dil sunai padta hai…
har gum ko sehta to bechara dil mera….

96. Aaj fir tera haal poochne hi himmat ki hai…
fir se us dosti ko jodne ki koshish ki hai…
bas ye dostana fir purane jaisa ho jaye …
aaj fir is aitbaar main ye umeed ki hai…

97. Rooh-e-jindagi meri yun ghayal si ho gayi hai…
jane kis dukh main dukhi hokar gafil hi ho chuki hai…
ab aur na saha jata hai na jiya jata hai ek pal bhi..
jindagi meri khushgawar si nahin ek bojh main badal gayi hai….

98. jaane wo kis sapne se darr lagta hai..
ki ab ratoon ko sona bhi  nahin chahata hun…
jo sapna jagti ankhon se dekha tha…
ab use toot te hue nahin dekhna chahata hun…
jo mujhse ek dill ka rishta banaya hai tune..
koi naam dekhar use badnaam nahin karna chahata hun…
har baat tujhse shuru ho jindagi ki…
aur tujhpar hi khatam bhi karna chahata hun…

99. Seedhe chalte raston par bhatak jata hun…
sirf tere khayal se kahin kho jata hun…

tu ek nigah bhar ke dekh le kabhi yun hi…
bas teri taraf is khayal se dekhta jata hun…

kahin is baar tu aaya hoga shayad..
yahi soch kar darwaje par nigahen lagaye baith jata hun…

har aahat pe lagta hai tu aaya hai shayad…
halki si aawaaj se adhi raat ko bhi jaag jaata hun…

shayad tu sapno main hi aajaye…
yahi sochkar fir sone ki  koshish main lag jaata hun…

100. nigahen baar baar unhe dhundhti hain jo kabhi humse milte hi nahin…
wo rehte hain pass pass hamesha par kabhi apne se hue hi nahin..

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कामयाब व्यक्ति कौन

1. कामयाब व्यक्ति कौन …..
उसकी जीवन के प्रति अभिव्यक्ति
मुस्कुराहट से मसले करता हल….
मन मस्तिष्क उसका इतना सबल ।
खामोशी से मसलों से बनाता दूरी …
रास्ता सही का चुनता करता जो ज़रूरी ।

सब अहसास अभिव्यक्ति आपकी शक्ति….
शक्तियों का सही प्रयोगो से बनती हस्ती ।
वरना तो एक नाम के बहुत से हे व्यक्ति….
किस कर्म से जीतना यह असल शक्ति ।

कामयाब व्यक्ति कौन …………..

2. क्या हमारी इतनी समझ हम निस्वार्थ प्रेम जानते है या जानना चाहते हे ?
यह एक प्रशंचिन्ह जब सब कुछ स्वार्थ के घेरे इर्द गिर्द घूमता हो वही धुरी हो फिर वहाँ निःस्वार्थ के असली फूल कैसे खिलेंगे ।

कहते तो हम इसे बहुत अच्छा क्या हम इसमें डूबना चाहेंगे ?
प्रश्नों की झड़ी में उत्पन्न एक उफनता सत्य ।

भीतर शांति के बीज

भीतर शांति के बीज अनमोल वचन जीवन के लिए सदा उपयोगी होते है, इन्हे अपने जीवन में उतार लीजिए ओर हर रोज इन विचारों का अनुसरण कीजिए लाखों ही हम पढ़ रहे है, परंतु इन्हे सिर्फ पढ़ना ही बहुत नहीं है इनको अपने जीवन में उतारना भी बहुत आवश्यक है।

भीतर तेरे शांति के बीज…..
अंकुरण करना उनका हरगिज़ ।
मानवता के फूल खिलेंगे….
ख़ुशियों की सब ओर तरंगें ही तरंगें ।

शांति से जीवन होता उजियारा…
शांति से बेहतर नहीं कोई सहारा ।
शांति के फूल सुंदर सुंदर….
खिलता जीवन मोहक मधुर ।

कभी पुराना नहीं होता

लिखना कभी भी पुराना नहीं होता यदि आपको भी लगता है की जो मैंने कई साल पहले लिखा था आज वो कुछ हल्का हो गया है या काफी पुराना हो गया, या यह बचपन में लिख दिया था अब इसका कोई मूल्य नहीं है तो यह बात सही नहीं है क्युकी यदि आप कल बच्चे थे तो आज कोई ओर बच्चा है, जो इस बात को पढ़ेगा ओर अपनी जिंदगी से मेल करेगा अब यह शब्द उनके लिए है।

बहुत काम आएगी क्युकी अब आपकी सोच विकसित हो गई है, लेकिन जब आप लिख रहे थे तब वह सोच उस लेवल पर थी इसलिए उन शब्दों को हमेशा पढ़ते रहे, और कुछ ना कुछ लिखते रहे सीखते रहे अपने ही शब्दों से बहुत कुछ मिल जाता है, क्युकी लिखा हुआ कभी पुराना नहीं होता वह एक खजाने के रूप में है उसका प्रयोग करे।

हम जो भी लिखते है वह उस समय के अनुसार का अनुभव होता है अब वह अनुभव किसी ओर काम आता है।

मोह से दूर

मैंने कुछ छोड़ा नहीं है ये तो खुद ही छूट गया है क्युकी जो पीछे छूटा है वो मेरा नही था आगे मिलेगा वो भी मेरा नही होगा क्युकी जब और आगे बढूंगा तो वो भी पीछे ही छूट जायेगा , इसलिए किसी भी चीज से बांधना क्यों खुद को जब वो आपकी नही है
“मोह से दूर”

जीवन प्रयोग के तीन

जीवन प्रयोग के ऐसे तीन ज जो है, बहुत मजबूत नहीं होने दे कमजोर , जज़्बातों पर नियंत्रण रहता है बहुत जब मन हो जाता है मजबूत सारी समस्या भी हल हो जाती है,

जीवन प्रयोग के तीन ज हो मज़बूत….
जज़्बात, जेब और खूब मज़बूत हो जूत ।
जज़्बात
जज्बात हो नियंत्रित
जब मज़बूत मन तब होती संचालित ।
जेब
जेब हो मज़बूत भारी भरी गहरी ….
भरी समस्याओं की फूट जाएगी गगरी ।
जूता
पहने जूते से होती व्यक्ति की पहचान……
मिलता उसको उसी हिसाब से सम्मान ।

जज़्बात जेब और जूता…..
इन तीनो का कस के पकड़े खूटा ।
हम सब संघर्षों से निपटते हुए, सफलता की ओर अग्रसर बढ़ते हैं।

फितरत बदलना

फितरत बदलना आसान नहीं है, किसी की फ़ितरत नहीं बदल सकते दोस्तों जब भी भैस पुछ उठाएगी तो गोबर करेगी गोबर क्या समझे, न उलझें, सिर्फ़ और सिर्फ़ समझे, अब बात गोबर की उससे उपले बनते है, बेहतरीन खाद बनती है, गोबर गैस का प्लांट चलता है और पहले गोबर से घर में लेप लगाते थे, दीवारो पे लगाते थे गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म का अहसास होता था।

और अब तो न जाने क्या क्या समान बनाया जा रहा है, गोबर से कागज मूर्तियाँ लिफ़ाफ़े न जाने अनगिनत समान बना रहे है, लेकिन बदबू में अटक गये तो वहाँ भी फसे रहने की संभावना हे।

तो कृपा करके शुरुआत में न जाये पूरा भाव पढ़े फिर आगे की बात करे, समझदार तो गोबर में भी अपना फ़ायदा ढूँढ लेंगे, ढूँढ लिया है, आगे-आगे और आयेंगे और आने चाहिए जो इसमें अच्छे व्यापार की सम्भावना को बड़ा करे विस्तृत करे, अब बस हमे फितरत बदलना है।

वर्तमान राजा

आज यानी वर्तमान राजा …
इसी में हे ख़ुशियों का दरवाज़ा ।
सुने वर्तमान को रख के सही तापमान…
बहुत उपयोगी वर्तमान का विमान ।

अपनी मेहनत

अपनी मेहनत का गुणगान करेंगे…
सत्य का हम संग जब साथ लेंगे ।
निश्चित लक्ष्य हो हम साध लेंगे ….
दूसरो को मेहनत का प्रोत्साहन देंगे ।।

मेहनत का कोई विकल्प नहीं….
उसके आगे सब मुश्किलें झुकी ।
मेहनत करके गुणगान कीजिए…..
मेहनत का तुम सदा साथ दीजिए।।